नमस्कार दोस्तों
आज इस पोस्ट में बात करेंगे एक बहुत ही विचित्र और अनोखी जानकारी के बारे में ,
दोस्तों जैसा की आप जानते है समुंदर को सागर भी कहते है पर क्या आप ये जानते है की समुन्दर को सागर क्यों कहा जाता है
समुन्दर को सागर कहने के बारे में विष्णु पुराण के चतुर्थ अंश के चौथे अद्ध्याय में , ब्रह्मपुराण में और हरिवंशपुराण में हरिवंशपर्व के चौदहवे अध्ध्याय में मिलता है ,
जैसा की आप जानते है की भारतवर्ष में एक राजा सगर हुवे थे जिनके एक घोड़े को देवराज इन्दर ने चुरा लिया था ,
तब महाराजा सगर ने अपने साठ हज़ार पुत्रो को उस घोड़े की खोज करने के लिए भेज दिया था , महाराज सगर के वह साठ हज़ार पुत्र पृथ्वी को खोजने के बाद पाताल लोक में पहुंच गए जहां उन्होंने कपिल मुनि को तप करते हुए देखा और उनके पास ही उन्हें अपने पिता का घोडा भी खड़ा हुआ दिखाई दिया इसलिए महाराजा सगर के उन पुत्रो ने कपिल मुनि को ही चोर समझा और उन पर आकर्मण कर दिया ,
इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने अपने तपो बल से उन सभी को जलाकर रख कर दिया था ,
जब काफी दिन बीत गए और राजा के वह पुत्र लोट कर नहीं आये तब एक देवदूत ने महाराजा सगर को इस पूरी घटना के बारे में बताया था , परन्तु राजा सगर ने अपने सभी पुत्रो का नाश होने पर भी शोक नहीं किया था क्योकि दुराचारियो की मृत्यु साधु संतो के लिए संतोष का कारन होती है ,
इसके सबके बाद महाराज सगर ने अपने पौत्र अंशुमान को घोड़े की खोज करने के भेजा, अंशुमान घोड़े की खोज करता हुआ कपिल मुनि के पास जा पहुंचा , जब उसने अपने सभी ताऊ चाचाओं की राख देखि तो वह बहुत दुखी हुआ तब उसने कपिल मुनि को प्रणाम कर कहा कि मेरे पिता और उनके भाइयो ने आपके साथ जो दुस्थता कि है आप उसे समां करे ,
अंशुमान के प्रार्थना को सुनकर कपिल मुनि ने उससे कहा तुम्हारे जले हुवे चाचा ,ताउओ का उद्धार सिर्फ गंगाजल से होगा इसके अलावा कोई उपाय नहीं है , तभी यह साठ हज़ार राजकुमार स्वर्ग को प्राप्त होंगे ,
तभी कपिल मुनि ने अंशुमान कि उदारता और प्रार्थना से पर्सन होकर यह वरदान दिया कि राजा इक्ष्वाकु का वंश अक्षय होगा और इसकी कीर्ति कभी मिट नहीं पाएगी , और इसके बाद कपिल मुनि ने उन्हें वह घोडा भी लौटा दिया ,
और उसी समय कपिल मुनि ने समुन्दर को महाराजा सगर का पुत्र बना दिया और तब समुंदर ने कपिल मुनि से आज्ञा लेकर महाराज सगर का वंदन किया ,
सगर पुत्र होने के कारन ही उसका नाम सागर हुआ , उस समय राजा ने समुंदर को इस लिए पुत्र रूप में स्वीकार किया क्योकि पुत्र हीं राजाओ का यघ में अधिकार नहीं होता है ,
राजा सगर ने अश्वमेघ यघ के उस घोड़े को समुंदर से ही प्राप्त किया था और उसके द्वारा १०० अश्वमेघ यग के अनुष्ठान भी पुरे किये थे , दोस्तों अपना यघ पूरा करने के बाद महाराजा सगर ने ३०००० वर्षो तक अयोध्या पर राज किया था ,
परन्तु वह देवी गंगा को पृथ्वी पर लेकर आने में सफल नहीं हो पाए , महाराजा सगर कि मृत्यु के बाद अंशुमान अयोध्या के राजा बने थे , परन्तु वह अपना राज्य अपने पुत्र दिलीप को सोंफ कर हिमालय पर चले गए थे जिससे वह देवी गंगा को पृथ्वी पर ला सके जहां राजू अनुसुमान तप करते हुए ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे ,
इसके बाद राजा अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी गंगा को पृथ्वी पर लेन के लिए कई वर्षो तक घोर तपस्या कि थी परन्तु उन्हें भी सफलता नहीं मिली और समय आने पर उनकी भी मृत्यु हो गयी ,
तो दोस्तों यही कारन है कि समुंदर को सागर कहा जाता है , कुछ कथा में ये भी कहा गया है कि समुंदर को महाराजा सगर ने खुदवाया था इसीलिए उसका नाम सागर पड़ गया ,
तो दोस्तों आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताए ,
साथ ही साथ आपसे अनुरोध है कि अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो ब्लॉग को फॉलो कीजिए ,
धन्यवाद ,
आज इस पोस्ट में बात करेंगे एक बहुत ही विचित्र और अनोखी जानकारी के बारे में ,
दोस्तों जैसा की आप जानते है समुंदर को सागर भी कहते है पर क्या आप ये जानते है की समुन्दर को सागर क्यों कहा जाता है
समुन्दर को सागर कहने के बारे में विष्णु पुराण के चतुर्थ अंश के चौथे अद्ध्याय में , ब्रह्मपुराण में और हरिवंशपुराण में हरिवंशपर्व के चौदहवे अध्ध्याय में मिलता है ,
जैसा की आप जानते है की भारतवर्ष में एक राजा सगर हुवे थे जिनके एक घोड़े को देवराज इन्दर ने चुरा लिया था ,
तब महाराजा सगर ने अपने साठ हज़ार पुत्रो को उस घोड़े की खोज करने के लिए भेज दिया था , महाराज सगर के वह साठ हज़ार पुत्र पृथ्वी को खोजने के बाद पाताल लोक में पहुंच गए जहां उन्होंने कपिल मुनि को तप करते हुए देखा और उनके पास ही उन्हें अपने पिता का घोडा भी खड़ा हुआ दिखाई दिया इसलिए महाराजा सगर के उन पुत्रो ने कपिल मुनि को ही चोर समझा और उन पर आकर्मण कर दिया ,
इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने अपने तपो बल से उन सभी को जलाकर रख कर दिया था ,
जब काफी दिन बीत गए और राजा के वह पुत्र लोट कर नहीं आये तब एक देवदूत ने महाराजा सगर को इस पूरी घटना के बारे में बताया था , परन्तु राजा सगर ने अपने सभी पुत्रो का नाश होने पर भी शोक नहीं किया था क्योकि दुराचारियो की मृत्यु साधु संतो के लिए संतोष का कारन होती है ,
इसके सबके बाद महाराज सगर ने अपने पौत्र अंशुमान को घोड़े की खोज करने के भेजा, अंशुमान घोड़े की खोज करता हुआ कपिल मुनि के पास जा पहुंचा , जब उसने अपने सभी ताऊ चाचाओं की राख देखि तो वह बहुत दुखी हुआ तब उसने कपिल मुनि को प्रणाम कर कहा कि मेरे पिता और उनके भाइयो ने आपके साथ जो दुस्थता कि है आप उसे समां करे ,
अंशुमान के प्रार्थना को सुनकर कपिल मुनि ने उससे कहा तुम्हारे जले हुवे चाचा ,ताउओ का उद्धार सिर्फ गंगाजल से होगा इसके अलावा कोई उपाय नहीं है , तभी यह साठ हज़ार राजकुमार स्वर्ग को प्राप्त होंगे ,
तभी कपिल मुनि ने अंशुमान कि उदारता और प्रार्थना से पर्सन होकर यह वरदान दिया कि राजा इक्ष्वाकु का वंश अक्षय होगा और इसकी कीर्ति कभी मिट नहीं पाएगी , और इसके बाद कपिल मुनि ने उन्हें वह घोडा भी लौटा दिया ,
और उसी समय कपिल मुनि ने समुन्दर को महाराजा सगर का पुत्र बना दिया और तब समुंदर ने कपिल मुनि से आज्ञा लेकर महाराज सगर का वंदन किया ,
सगर पुत्र होने के कारन ही उसका नाम सागर हुआ , उस समय राजा ने समुंदर को इस लिए पुत्र रूप में स्वीकार किया क्योकि पुत्र हीं राजाओ का यघ में अधिकार नहीं होता है ,
राजा सगर ने अश्वमेघ यघ के उस घोड़े को समुंदर से ही प्राप्त किया था और उसके द्वारा १०० अश्वमेघ यग के अनुष्ठान भी पुरे किये थे , दोस्तों अपना यघ पूरा करने के बाद महाराजा सगर ने ३०००० वर्षो तक अयोध्या पर राज किया था ,
परन्तु वह देवी गंगा को पृथ्वी पर लेकर आने में सफल नहीं हो पाए , महाराजा सगर कि मृत्यु के बाद अंशुमान अयोध्या के राजा बने थे , परन्तु वह अपना राज्य अपने पुत्र दिलीप को सोंफ कर हिमालय पर चले गए थे जिससे वह देवी गंगा को पृथ्वी पर ला सके जहां राजू अनुसुमान तप करते हुए ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे ,
इसके बाद राजा अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी गंगा को पृथ्वी पर लेन के लिए कई वर्षो तक घोर तपस्या कि थी परन्तु उन्हें भी सफलता नहीं मिली और समय आने पर उनकी भी मृत्यु हो गयी ,
तो दोस्तों यही कारन है कि समुंदर को सागर कहा जाता है , कुछ कथा में ये भी कहा गया है कि समुंदर को महाराजा सगर ने खुदवाया था इसीलिए उसका नाम सागर पड़ गया ,
तो दोस्तों आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताए ,
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