दोस्तों क्या आप जानते है प्रेत क्या खाते पीते है , उनके गुण और अवगुण क्या है , वो पानी क्यों नहीं पी सकते, आज हम आपको इस पोस्ट में ये सब बताएंगे तो बने रहिये हमारे पोस्ट के साथ
दोस्तों क्या आप जानते है प्यास लगने पर भी प्रेत आत्मा पानी नहीं पी सकते , जी हाँ दोस्तों आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे प्रेत आत्माओ की ,
इस कथा का वर्णन स्कंदपुराण के नागरखंड पूर्वार्ध में मिलता है एक बार तीन प्रेतों ने अपने खान पान और आहार का पूरा विवरण राजा विदुरत को दे दिया , उसके बाद राजा ने पहले प्रेत जिसका नाम मनसद था से पूछा की यह बताओ की कोनसा करम करने से मनुष्य प्रेत नहीं बनता ?
तब उस प्रेत ने बताया जो पराई स्त्री को माता के सामान , दूसरे के धन को मिटटी के सामान तथा बाकि सभी प्राणियों को अपने सामान देखता है वह प्रेत नहीं बनता .
जो सदा अन्न दान में तत्पर अतिथि सत्कार में प्रेम रखने वाला स्वादयेसील और वरतपरायण होता है वह प्रेत नहीं होता ,
जो शत्रु और मित्र में समभाव रखने वाला और मान और अपमान में भी एक जैसा रहता है वह प्रेत नहीं होता ,
जो धरम में लगे हुए था और जो धरम के मार्ग पर चलने वाले मनुष्यो का उत्साह बढ़ाता है वह भी प्रेत नहीं होता ,
यह सब बताने के बाद उसने राजा से कहा राजन हम इस प्रेत योनि से बहुत दुःख प् रहे है तुम हमारा उद्दार कर दो , तब राजा ने उन प्रेतों से पूछा की में ऐसा कैसे कर सकता हूँ तब उस प्रेत ने बताया ग्यासीर्ष नाम के तीर्थ में जाकर हम तीनो के लिए अलग अलग श्राद करो जिससे हमे इस प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाए ,
यह सुनकर राजा बोले जिस योनि में इस प्रकार पूर्व जन्म की बाते को याद रख सकते हो आकाश में भी चल सकते हो और धरम तथा अधरम का ज्ञान है उसकी तुम निंदा क्यों करते हो और उसे क्यों छोड़ना चाहते हो ,
तब मनसद ने कहा राजन यह प्रेत योनि अधम देव योनि कहलाती है इसमें केवल तीन ही गुण है
पूर्वजन्म का समरण , आकाश में चलने की शक्ति , और धरम अधरम का ज्ञान , इसके शिव इसमें सब दोष ही दोष भरे है यदि हम इस वन या एक निश्चित स्थान से बहार जाते है तो हमारे ऊपर अदृश्य ( बिना देखे हुए ) मुदगरो की मर पड़ती है , इससे अलग सभी धार्मिक अनुष्ठान जैसे पूजा ,हवन, यघ आदि केवल मनुष्य ही कर सकते है , प्रेत योनि अथवा देव योनि इसे नहीं कर सकते ,
राजन जब सूर्य वृष राशि पर स्तिथ होते है तो जेठ ( जून , जुलाई ) की तपती धुप में तब प्यास से व्याकुल होकर दूर से ही जल से भरे हुए जलाशय को देखते है , यदि हम उनके समीप भी चले जाए तो हमारे ऊपर अदृश्य मुदगरो की मर पड़ती है ,
हम भूक से व्याकुल रहते है और हमे यह पता होता है की किसके घर में क्या बना है परन्तु भूखे होते हुए भी हम किन्तु हम उसे छू भी नहीं सकते ,
इसके अलावा अच्छे फल वाले वृक्षों को हम केवल देख सकते है परन्तु उन्हें खा नहीं सकते ,
इससे अधिक क्या कहूँ जो जो भी बुरे काम होते है वो हमे मजबूरन करने पड़ते है बिना किसी दोष पुराण और गलत काम के हमारी जीविका नहीं चलती , छाया , अन्न और सवारी ये सब हमारे लिए नहीं है ,
इसीलिए परदोष काल आने पर हम सदा छिद्र ढूंढ़ते रहते है , हमारे आकाश गमन की शक्ति की बात जो तुमने कहि है वह भी पूरी तरह ठीक नहीं है ,
उस आकाश गमन की शक्ति से , धरम अधरम के ज्ञान से और पूर्व जन्म के स्मरण से भी क्या लाभ है जिसके द्वारा मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती अतः राजन ये सब गुण होते हुए भी इनके द्वारा कोई सीधी नहीं मिलती ,
बल्कि इन सभी गुणों के कारण दुःख और खेद ही अधिक होता है क्योकि प्रेत योनिया किसी भी शुभ कर्म के करने में समर्थ नहीं है ,
यह सुन राजा बोले यदि में इस महान वन से घर को लोट जाऊंगा तो निश्चय ही तुम लोगो के लिए ग्यासीर्ष श्राद्ध करूँगा और यत्न पूर्वक सभी तरह के उपायों से तुम्हारा उद्दार करूँगा ,
इस समय तुम मुझे मनुष्य से सेवित कोई जलाशय बतलाओ जिससे जल प्राप्त करके में तुम्हारा उपकार करूं , तब मानसाद ने कहा महाराज इस स्थान से थोड़ी ही दूर पर जलाशय है जो कई प्रकार के वर्क्षो से घिरा हुआ है तुम यहां से वहा चले जाओ ,
दोस्तों आपको ये जानकारी किसी लगी हमे जरूर बताए , साथ ही साथ कोई शिकायत या सुझाव हो तो हमे जरूर बताए .
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