क्या आप जानते है कैसे पैदा हुवे महाभारत के कौरव ? क्या आप जानते है १०० पुत्र कैसे एक ही दिन पैदा हुए ? क्या आप जानते है इन १०० भाइयो से अलग दुर्योधन का १ भाई और भी था ?
नमस्कार दोस्तों ....
आपको ये तो पता ही होगा की महाभारत का युद्ध दो पक्षो के बीच हुआ था , आप ये भी जानते होंगे की वो दोनों पक्ष जिनके बीच महाभारत का युद्ध हुआ वो आपस में चचेरे भाई थे ,
जिन्हे पांडव और कौरव के नाम से जाना जाता है , ध्रतरास्त्र के 100 पुत्र थे जिन्हे कौरव कहा गया , साथ ही साथ ध्रतरास्त्र के छोटे भाई पांडव के 5 पुत्र थे जिन्हे पांडव कहा गया .
इन्ही लोगो के बीच में महाभारत का युद्ध लड़ा गया जोकि कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था ,
कहा जाता है की जिस जगह यह युद्ध लड़ा गया था वहां की मिटटी आज भी लाल निकलती है ,
दोस्तों ये बाटे तो हम सभी जानते है लेकिन सोचने वाली बात ये है की क्या आप जानते है कौरव 100 भाई थे जिन सबकी उम्र बराबर थी ,?
ऐसा कैसे संभव हुआ की गांधारी ने 100 पुत्रो को एक साथ जन्म दिया ,
तो चलिए दोस्तों आज हम आपको यही बताएंगे इस पोस्ट में ,
ध्रतरास्त्र का विवाह गांधारी से हुआ था विवाह के समय गांधारी को नहीं पता था की उनके पति ध्रतरास्त्र जन्म से नेत्रहीन है , वो देख नहीं सकते .
गांधारी को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी आँखों पर भी पट्टी बाँध ली और नेत्रहीन का जीवन व्यतीत किया ,
गांधारी के विवाह के कुछ दिन बाद ऋषि व्यास हस्तिनापुर आये , गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की इससे ऋषि व्यास बहुत प्रसन्न हुए , और गांधारी के पति के पार्टी आस्था और प्रेम देखकर ऋषि व्यास ने उन्हें 100 पुत्र होने का वरदान दिया ,
वरदान के कुछ दिन बाद गांधारी गर्भवती हुयी और २ वर्ष तक गर्भवती रही , आपको जानकर हैरानी होगी की २ वर्ष बाद भी गांधारी के गर्भ से कोई संतान नहीं बल्कि एक मॉस का लोथड़ा ( बड़ा टुकड़ा ) पैदा हुआ ,
ऋषि व्यास ने जब यह देखा तो उन्होंने आदेश दिया की उस मॉस के लोथड़े को 100 टुकड़ो में बाट दिया जाए ,
ऐसा सुनकर गांधारी ने ऋषि व्यास से कहा की उन्हें एक पुत्री की भी इच्छा है तब ऋषि व्यास ने मॉस के लोथड़े को 101 हिस्सों में काटा और उन्हें घी से भरे 101 अलग अलग मटको में डाल दिया और आदेश दिया की उन सभी मटको को ठीक 1 वर्ष बाद खोला जाए ,
ऋषि व्यास के कहे अनुसार उन सब मटको को १ वर्ष बाद जब खोला गया तो सबसे पहले मटके से दुर्योधन का जन्म हुवा और उसके बाद अन्य १०० मटको से भी एक एक बेटा और सिर्फ एक घड़े से एक कन्या का जन्म हुआ ,
क्योकि दुर्योधन मटके से सबसे पहले बहार आये इसीलिए वो उन सबसे बड़े थे , अन्यथा सभी १०१ भाई बहन एक ही दिन पैदा हुए थे ,
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी की इन सब से अलग ध्रतरास्त्र का एक पुत्र और भी था जिसका नाम युत्सु था , बात उस समय की थी जब गांधारी गर्भवती थी और उन्हें २ वर्ष तक प्रसव नहीं हुआ तो गांधारी के पति ध्रतराष्ट्र ने एक राजमहल की एक कन्या के साथ सम्बन्ध बनाए थे क्योकि उन्हें पुत्र की प्राप्ति करनी थी , इस तरह कौरव १०० नहीं १०१ भाई थे और ध्रतरास्त्र की १०१ नहीं १०२ संतान थी .
दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे जरूर बताए , साथ ही साथ विचित्र जानकारी पाने के लिए ब्लॉग को फॉलो करे ,
आपको ये तो पता ही होगा की महाभारत का युद्ध दो पक्षो के बीच हुआ था , आप ये भी जानते होंगे की वो दोनों पक्ष जिनके बीच महाभारत का युद्ध हुआ वो आपस में चचेरे भाई थे ,
जिन्हे पांडव और कौरव के नाम से जाना जाता है , ध्रतरास्त्र के 100 पुत्र थे जिन्हे कौरव कहा गया , साथ ही साथ ध्रतरास्त्र के छोटे भाई पांडव के 5 पुत्र थे जिन्हे पांडव कहा गया .
इन्ही लोगो के बीच में महाभारत का युद्ध लड़ा गया जोकि कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था ,
कहा जाता है की जिस जगह यह युद्ध लड़ा गया था वहां की मिटटी आज भी लाल निकलती है ,
दोस्तों ये बाटे तो हम सभी जानते है लेकिन सोचने वाली बात ये है की क्या आप जानते है कौरव 100 भाई थे जिन सबकी उम्र बराबर थी ,?
ऐसा कैसे संभव हुआ की गांधारी ने 100 पुत्रो को एक साथ जन्म दिया ,
तो चलिए दोस्तों आज हम आपको यही बताएंगे इस पोस्ट में ,
ध्रतरास्त्र का विवाह गांधारी से हुआ था विवाह के समय गांधारी को नहीं पता था की उनके पति ध्रतरास्त्र जन्म से नेत्रहीन है , वो देख नहीं सकते .
गांधारी को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी आँखों पर भी पट्टी बाँध ली और नेत्रहीन का जीवन व्यतीत किया ,
गांधारी के विवाह के कुछ दिन बाद ऋषि व्यास हस्तिनापुर आये , गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की इससे ऋषि व्यास बहुत प्रसन्न हुए , और गांधारी के पति के पार्टी आस्था और प्रेम देखकर ऋषि व्यास ने उन्हें 100 पुत्र होने का वरदान दिया ,
वरदान के कुछ दिन बाद गांधारी गर्भवती हुयी और २ वर्ष तक गर्भवती रही , आपको जानकर हैरानी होगी की २ वर्ष बाद भी गांधारी के गर्भ से कोई संतान नहीं बल्कि एक मॉस का लोथड़ा ( बड़ा टुकड़ा ) पैदा हुआ ,
ऋषि व्यास ने जब यह देखा तो उन्होंने आदेश दिया की उस मॉस के लोथड़े को 100 टुकड़ो में बाट दिया जाए ,
ऐसा सुनकर गांधारी ने ऋषि व्यास से कहा की उन्हें एक पुत्री की भी इच्छा है तब ऋषि व्यास ने मॉस के लोथड़े को 101 हिस्सों में काटा और उन्हें घी से भरे 101 अलग अलग मटको में डाल दिया और आदेश दिया की उन सभी मटको को ठीक 1 वर्ष बाद खोला जाए ,
ऋषि व्यास के कहे अनुसार उन सब मटको को १ वर्ष बाद जब खोला गया तो सबसे पहले मटके से दुर्योधन का जन्म हुवा और उसके बाद अन्य १०० मटको से भी एक एक बेटा और सिर्फ एक घड़े से एक कन्या का जन्म हुआ ,
क्योकि दुर्योधन मटके से सबसे पहले बहार आये इसीलिए वो उन सबसे बड़े थे , अन्यथा सभी १०१ भाई बहन एक ही दिन पैदा हुए थे ,
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी की इन सब से अलग ध्रतरास्त्र का एक पुत्र और भी था जिसका नाम युत्सु था , बात उस समय की थी जब गांधारी गर्भवती थी और उन्हें २ वर्ष तक प्रसव नहीं हुआ तो गांधारी के पति ध्रतराष्ट्र ने एक राजमहल की एक कन्या के साथ सम्बन्ध बनाए थे क्योकि उन्हें पुत्र की प्राप्ति करनी थी , इस तरह कौरव १०० नहीं १०१ भाई थे और ध्रतरास्त्र की १०१ नहीं १०२ संतान थी .
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