नमस्कार दोस्तों ...
दोस्तों भूत प्रेत की कहानी पढ़ने और देखने में तो बहुत रोमांचित लगती है लेकिन जरा सोचिये अगर वास्तव में कही आपका सामना प्रेत आत्माओ से हो जाए तो क्या आप उसे रोमांचित कहेंगे , जरा सोचिये एक घोर अँधेरी रात आप अकेले कही जा रहे है और रस्ते बीच आपकी गाड़ी खराब हो जाती है दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसे में अचानक कोई आपके पास आकर खड़ा हो जाए जो कुछ अजीब दिख रहा हो , अचानक से आपकी नज़र उसके पेरो की तरफ जाती है और आप देखते है की उसके पैर उलटे है और देकते ही देकते वो अपना रूप बदलने लगता है तो क्या आपको ये रोमांचित लगेगा ?
किसी परलोकि शक्ति या बहुत प्रेत का अपने सामने होने का ख्याल भी शरीर के रोंगटे खड़ा कर देता है ठीक ऐसे ही जैसे अभी आपके हो रहे है ,
दोस्तों भारत में बहुत सी ऐसी जगह है जहां कहा जाता है की आत्माओ का वास है , कोई वीरान या अकेला घर हो या लम्बे समय से खाली पड़ी ईमारत , इसके अलावा वह स्थान जहां किसी दुर्घटना की वजह से भी किसी की जान गयी हो इन सब जगहों पर आत्माओ का वास होता है क्योकि जिन लोगो की जान अचानक दुर्घटना में चली जाती है उनकी आत्माओ को मुक्ति नहीं मिलती और वो भटकती रहती है किसी और शरीर की तलाश में जिसमे वो प्रवेश कर सके ,
कहने को बहुत सी ऐसी जगह है जहां प्रमाणित हो चूका है की उस स्थान में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है जिसे महसूस किया जा सकता है ,
ऐसा ही एक प्रसिद्ध स्थान है राजस्थान का भानगढ़ किला यह वह स्थान है जिसे पुरातत्व विभाग ने आवाजाही के लिए सुरक्षित नहीं माना है और राज्य सरकार ने भानगढ़ किले के चारो तरफ बोड लगाया हुवे है जिसमे साफ साफ लिखा हुआ है की सूर्य उदय होने से पहले और सूर्य उदय होने के बाद कोई भी इस किले के अंदर न रुकेगा और न ही जाएगा , अन्यथा वह अपनी मोत का खुद जिम्मेदार होगा ,
आखिर भानगढ़ में ऐसा क्या है जो लोगो को वह जाने से रोकता है और जो कुछ है उसके पीछे क्या कारण है , हलाकि कोई भी पूर्ण रूप से और पुख्ता तोर पर वह घटने वाली घटना के बारे में नहीं बता पाया , लेकिन वह के स्तानीय लोगो के बीच प्रचलित है कुछ कहानिया जो आज हम आपको बताने जा रहे है ,
लोगो का मानना है की इस स्थान पर बहुत समय पहले रत्नावती नाम की बहुत सूंदर राजकुमारी रहती थी , जिस पर कला जादू करने वाले तांत्रिक की को दृस्टि थी , तांत्रिक ने कला जादू से राजकुमारी को अपने वश में करके उसका शारीरिक शोषण किया लेकिन एक दुर्घटना में तांत्रिक की मृत्यु हो गयी और आज भी उसी तांत्रिक की आत्मा वहा भटकती है , तांत्रिक के श्राप के अनुसार वह स्थान कभी भी बस नहीं पाया वहा रहने वाले लोगो की मृत्यु हो जाती है लेकिन उनकी आत्मा वहीं भटकती रहती है ,
प्रचलित कहानी के अनुसार सिंधु सेवड़ा एक पहाड़ पर तांत्रिक अपनी किरयाए करता था वह रानी रत्नावती के रूप को देखकर मोहित हो गया था , एक दिन भानगढ़ के बहार उसने देखा की रानी की अक दासी रानी के लिए केश तेल लेने के लिए आयी है सिंधु सेवड़ा ने वह तेल अभिमंत्रित कर दिया की जिस पर भी वह तेल लगेगा वह उसे उसके पास ले आएगा ,
लेकिन रानी भी तंत्र विद्या जानती थी इसलिए वह उस तेल को देकते ही सब समझ गयी और रानी ने दासी से उस तेल को तुरंत एक चट्टान पर फेक देने को कहा, दासी ने रानी के कहे अनुसार वह तेल एक चट्टान पर फेक दिया कहते है की अभिमंत्रित तेल ने उस चट्टान को उड़ाकर सिंधु सेवड़ा की और रवाना कर दिया , सिंधु सेवड़ा ने चट्टान को बिना देखे ही अनुमान लगाया की रानी उस चट्टान पर बैठकर उसके पास आ रही है तो उसने उस अभिमंत्रित तेल को आदेश दिया की वह सीधा उसकी छाती पर उतरे , जब चट्टान पास आयी तो तांत्रिक को असलियत पता लगी तब उसने चट्टान को अपने ऊपर गिरने से पहले आनन् फांनन में भानगढ़ नगर उजड़ने का श्राप दे दिया और खुद चट्टान के निचे दब कर मर गया ,
कहते है सिद्ध रानी को यह सब समझते देर न लगी और उसने तुरंत सभी को नगर खाली करने का आदेश दे दिया इस तरह यह नगर पुरी तरह उजाड़ गया और रानी भी तांत्रिक के श्राप की भेट चढ़ गयी इस कहानी में कितनी सच्चाई है इस इस बात से ही जाना जा सकता है की कुछ लोग रत्नावती को रानी तो कुछ लोग उसे राजकुमारी बताते है साथ ही साथ यह किसी को नहीं पता की यह राज्य कब उजड़ा और रानी रत्नावती किस राजा की रानी थी इन सवालो के बारे में कोई नहीं जनता ,
परन्तु यह आज भी प्रेत आत्माओ का वश है ये पूर्ण प्रमाणित हो चूका है ,
तो दोस्तों आपको ये जानकारी किसी लगी हमे जरूर बताए साथ ही साथ कोई शिकायत या सुझाव हो तो हमे जरूर लिखे ,
आपको पोस्ट में बताई जानकारी अच्छी लगी हो तो ब्लॉग को फॉलो करे ,
धन्यवाद ,
दोस्तों भूत प्रेत की कहानी पढ़ने और देखने में तो बहुत रोमांचित लगती है लेकिन जरा सोचिये अगर वास्तव में कही आपका सामना प्रेत आत्माओ से हो जाए तो क्या आप उसे रोमांचित कहेंगे , जरा सोचिये एक घोर अँधेरी रात आप अकेले कही जा रहे है और रस्ते बीच आपकी गाड़ी खराब हो जाती है दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसे में अचानक कोई आपके पास आकर खड़ा हो जाए जो कुछ अजीब दिख रहा हो , अचानक से आपकी नज़र उसके पेरो की तरफ जाती है और आप देखते है की उसके पैर उलटे है और देकते ही देकते वो अपना रूप बदलने लगता है तो क्या आपको ये रोमांचित लगेगा ?
किसी परलोकि शक्ति या बहुत प्रेत का अपने सामने होने का ख्याल भी शरीर के रोंगटे खड़ा कर देता है ठीक ऐसे ही जैसे अभी आपके हो रहे है ,
दोस्तों भारत में बहुत सी ऐसी जगह है जहां कहा जाता है की आत्माओ का वास है , कोई वीरान या अकेला घर हो या लम्बे समय से खाली पड़ी ईमारत , इसके अलावा वह स्थान जहां किसी दुर्घटना की वजह से भी किसी की जान गयी हो इन सब जगहों पर आत्माओ का वास होता है क्योकि जिन लोगो की जान अचानक दुर्घटना में चली जाती है उनकी आत्माओ को मुक्ति नहीं मिलती और वो भटकती रहती है किसी और शरीर की तलाश में जिसमे वो प्रवेश कर सके ,
कहने को बहुत सी ऐसी जगह है जहां प्रमाणित हो चूका है की उस स्थान में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है जिसे महसूस किया जा सकता है ,
ऐसा ही एक प्रसिद्ध स्थान है राजस्थान का भानगढ़ किला यह वह स्थान है जिसे पुरातत्व विभाग ने आवाजाही के लिए सुरक्षित नहीं माना है और राज्य सरकार ने भानगढ़ किले के चारो तरफ बोड लगाया हुवे है जिसमे साफ साफ लिखा हुआ है की सूर्य उदय होने से पहले और सूर्य उदय होने के बाद कोई भी इस किले के अंदर न रुकेगा और न ही जाएगा , अन्यथा वह अपनी मोत का खुद जिम्मेदार होगा ,
आखिर भानगढ़ में ऐसा क्या है जो लोगो को वह जाने से रोकता है और जो कुछ है उसके पीछे क्या कारण है , हलाकि कोई भी पूर्ण रूप से और पुख्ता तोर पर वह घटने वाली घटना के बारे में नहीं बता पाया , लेकिन वह के स्तानीय लोगो के बीच प्रचलित है कुछ कहानिया जो आज हम आपको बताने जा रहे है ,
लोगो का मानना है की इस स्थान पर बहुत समय पहले रत्नावती नाम की बहुत सूंदर राजकुमारी रहती थी , जिस पर कला जादू करने वाले तांत्रिक की को दृस्टि थी , तांत्रिक ने कला जादू से राजकुमारी को अपने वश में करके उसका शारीरिक शोषण किया लेकिन एक दुर्घटना में तांत्रिक की मृत्यु हो गयी और आज भी उसी तांत्रिक की आत्मा वहा भटकती है , तांत्रिक के श्राप के अनुसार वह स्थान कभी भी बस नहीं पाया वहा रहने वाले लोगो की मृत्यु हो जाती है लेकिन उनकी आत्मा वहीं भटकती रहती है ,
प्रचलित कहानी के अनुसार सिंधु सेवड़ा एक पहाड़ पर तांत्रिक अपनी किरयाए करता था वह रानी रत्नावती के रूप को देखकर मोहित हो गया था , एक दिन भानगढ़ के बहार उसने देखा की रानी की अक दासी रानी के लिए केश तेल लेने के लिए आयी है सिंधु सेवड़ा ने वह तेल अभिमंत्रित कर दिया की जिस पर भी वह तेल लगेगा वह उसे उसके पास ले आएगा ,
लेकिन रानी भी तंत्र विद्या जानती थी इसलिए वह उस तेल को देकते ही सब समझ गयी और रानी ने दासी से उस तेल को तुरंत एक चट्टान पर फेक देने को कहा, दासी ने रानी के कहे अनुसार वह तेल एक चट्टान पर फेक दिया कहते है की अभिमंत्रित तेल ने उस चट्टान को उड़ाकर सिंधु सेवड़ा की और रवाना कर दिया , सिंधु सेवड़ा ने चट्टान को बिना देखे ही अनुमान लगाया की रानी उस चट्टान पर बैठकर उसके पास आ रही है तो उसने उस अभिमंत्रित तेल को आदेश दिया की वह सीधा उसकी छाती पर उतरे , जब चट्टान पास आयी तो तांत्रिक को असलियत पता लगी तब उसने चट्टान को अपने ऊपर गिरने से पहले आनन् फांनन में भानगढ़ नगर उजड़ने का श्राप दे दिया और खुद चट्टान के निचे दब कर मर गया ,
कहते है सिद्ध रानी को यह सब समझते देर न लगी और उसने तुरंत सभी को नगर खाली करने का आदेश दे दिया इस तरह यह नगर पुरी तरह उजाड़ गया और रानी भी तांत्रिक के श्राप की भेट चढ़ गयी इस कहानी में कितनी सच्चाई है इस इस बात से ही जाना जा सकता है की कुछ लोग रत्नावती को रानी तो कुछ लोग उसे राजकुमारी बताते है साथ ही साथ यह किसी को नहीं पता की यह राज्य कब उजड़ा और रानी रत्नावती किस राजा की रानी थी इन सवालो के बारे में कोई नहीं जनता ,
परन्तु यह आज भी प्रेत आत्माओ का वश है ये पूर्ण प्रमाणित हो चूका है ,
तो दोस्तों आपको ये जानकारी किसी लगी हमे जरूर बताए साथ ही साथ कोई शिकायत या सुझाव हो तो हमे जरूर लिखे ,
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