ताजमहल के वो १५ रहस्य जो कोई नहीं जनता ,क्या आप जानते है ताजमहल के ये १५ रहस्य ?
क्या आपको पता है की ताजमहल ५० कुओ के ऊपर बनाया गया है ?
क्या आपको पता है ताजमहल को बनाने वाले कारीगरों ने शाजहाँ से नाराज होकर एक बहुत बड़ी गलती भी छोड़ दी थी , क्या आपको पता है उस गलती के बारे में क्या है वो गलती ?
इस पोस्ट में आपको ताजमहल के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताऊंगा जिन्हे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे ,
तो आइये शुरू करते है ताजमहल के रहस्यों का जाल
१. मन जाता है की ताजमहल का निर्माण साल १६३१ में शुरू हुवा था और साल १६५३ में यह बनकर त्यार हुआ ,इसे आज भी निर्माण का एक विशाल नमूना कहा जाता है , शोध कर्ताओ ने इस पर बहुत साडी खोज की है और उनका मानना है की ताजमहल के नीचे हज़ार से भी ज्यादा कमरे है ,
उनका मानना है यह जितना ऊचा है यह धरती की गहराई तक उतनी ही नीचे तक बनाया गया है ,
जिस जमाने में ताजमहल को बनाया गया था उस जमाने में किले से बहार निकलने के लिए कई रस्ते बनाए जाते थे और ऐसा ही ताजमहल में भी है , इसके नीचे से एक रास्ता है जो काफी दूर जाकर निकलता है , लेकिन शाजहान के समय से ही उस रस्ते को बंद करवा दिया गया /
२. आपको जानकर हैरानी होगी की ताजमहल दिन के अलग अलग समय पर अपना रंग बदलता रहता है , सुबह के समय ताजमहल गुलाबी दीखता है , साम को दूधिया सफ़ेद और चांदनी रात में सुनहरा दीखता है ,
वैज्ञानिको के अनुसार ऐसा सफ़ेद संगमरमर पर सूरज और चाँद की रौशनी पड़ने के कारन होता है ,
३. कहा जाता है की ताजमहल के निर्माण के समय भूत और जिन इसकी नीव नहीं रखने देते थे , वो बार बार इसे नष्ट कर देते थे और कारीगरों को डराकर भगा देते थे , ऐसे चलते जब काफी दिन हो गए तो शाजहाँन ने खुद इमामो की राय ली और इमामो ने अरब में तीर हज़रा शहर के बुखारी को बुलाने की राय दी , तब बादशाह के कहने पर पीर अपने चारो भाइयो और सेकड़ो सहयको के साथ आगरा आये ,
चारो पीर बंधुओ ने आगरा के ताजमहल की नीव के बनते वक्त कुरान के कलमे पढ़े है , इसके बाद ताजमहल की नीव शाजहाँन के हाथो रखवाकर ताजमहल का काम शुरू किया गया , आज भी इन चारो पीर बंधुओ की मजार ताजमहल के चारो तरफ बनी हुयी है , ऐसा मन जाता है की जब तक ये मजार यहां है ताजमहल को कुछ भी नहीं होगा ,
४. साल १९३४ में दिल्ली के एक निवासी ने छेद के जरिए ताजमहल के अंदर देखा तो उसने देखा की उसके अंदर स्तम्बो से बना एक बड़ा कमरा था और वो कमरा हिन्दू देवी देवताओ की मूर्ति से भरा पड़ा था , उस आदमी के अनुसार कमरे में रोज़न्दानिया बनी हुयी थी जो आमतौर पर बड़े हिन्दू मंदिरो में देखने को मिलती है , उन रोशनदानियो को संगमरमर के पत्थर से ढका गया था जिसे देखकर लगता है की किसी ने वहा हिन्दू धरम को छुपाने का पूरा प्रयास किया था , वहां के स्थानीय लोगो का भी मानना है की ताजमहल पहले एक हिन्दू मंदिर था , जो तेजोमहालय नाम से प्रसिद्द था , बाद में इसे ताजमहल का रूप दे दिया गया था परन्तु वास्तविकता क्या है यह आज भी एक रहस्य बना हुवा है ,
भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसके २२ कमरों को इसलिए बंद कर रखा है ताकि इन कमरों में छिपे सच्चाई के चलते भविस्य में दंगे न हो ,
५. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि क़ुतुब मीनार नाम कि जिस ईमारत को हम सबसे उची ईमारत कहते है ताजमहल उससे भी ऊचा है ताजमहल के सामने क़ुतुब मीनार कि उच्चाई ताजमहल के सामने छोटी पद जाती है , सरकारी आकड़ो के अनुसार ताजमहल क़ुतुब मीनार से ५ फ़ीट ज्यादा ऊचा है ,
६. ताजमहल को देखने के लिए हर दिन सबसे ज्यादा भीड़ इक्क्ठी होती है , आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां दिन में इतने सैलानी इक्क्ठे होते हो , ताजमहल को देखने के लिए हर रोज करीब 18000 लोग हर रोज आते है ,
७. क्या आप शाजहंन के उस सपने के बारे में जानते है जो उन्होंने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए नहीं बल्कि अपने लिए देखा था ? जी है काळा ताजमहल का सपना वो चाहते थे कि मुमताज के लिए बन रहे सफ़ेद ताजमहल के बाद वो अपने लिए काला ताजमहल बनवाएंगे ,
लेकिन जब उन्हें उनके बेटे ओरंगजेब ने कैद कर लिया तो ये सपना हमेसा के लिए सपना ही रह गया ,
८. यदि ताजाहल कि उची मीनारों पर गौर किया जाए तो आप देखेंगे कि चारो मीनारे सीधी खड़ी न होकर एक दूसरे कि तरफ झुकी हुयी है , इन इमारतों या मीनारों का निर्माण आसमानी बिजली को मुख्य गुम्बद पर न गिरने के लिए किया गया था जिसे मुख्य गुम्बद को इन आपदाओं से बचाय जा सके , कुछ लोग कहते है कि चारो मीनारे झुक कर गुमंध को सलाम कर रही है इसलिए झुकी हुयी है ,
९. कहा जाता है कि ताजमहल को बनवाने के बाद उन कारीगरों के हाथ कटवा दिए गए थे लिकेन इतिहास में लोटा जाए तो उन लोगो ने ताजमहल के बाद भी कई इमारतों को बनवाने में अपना योगदान दिया था , उस्ताद अम्मद लाहोरी उस दाल का हिस्सा थे जिन्होंने ताजमहल जैसी भव्य ईमारत का निर्माण किया था और उन्ही कि देकरेख में ही लाल किले का निर्माण कार्य शुरू हुवा था ,
१०. कुछ लोगो का ये भी मानना है कि ताजमहल शाजहंन ने नहीं बल्कि समुन्दर्गुप्त ने बनवाया था , जिस जगह पर आज ताजमहल जैसी भव्य ईमारत है वहां पहले शिव मंदिर था जिसका नाम तेजोमहालय था और उसकी छत से टपकने वाला पानी शिवजी के शिवलिंग पर बून्द बून्द करके टपकता था ,
इसके पीछे कि एक प्रचलित कहानी यह भी है कि जब शाजहाँन ने सभी मजदूरों के हाथ काट देने कि घोषणा की तो उन्होंने ताजमहल कि छत पर एक छेद छोड़ दिया ताकि शाजहाँन का खूबसूरत सपना पूरा न हो सके ,
११. ताजमहल से जुड़े सरे फुव्वारे एक ही साथ काम करते है और सबसे आश्चर्य कि बात यह है कि ताजमहल में लगा कोई भी फुव्वारा किसी पाइप से जुड़ा हुआ नहीं है , बल्कि हर फव्वारे के नीचे ताम्बे का एक टैंक बना हुवा है तो एक ही समय पर भरता है और दबाव बनने पर एक ही साथ काम करता है ,
१२. यह तो सभी जानते है कि मुमताज शाजहंन कि पत्नी थी लेकिन ये कमलोग जानते है कि वह उनकी तीसरी पत्नी थी , शाजहाँन कि चौदहवी संतान को जनम देते हुए उनका निधन हो गया था , और उनकी याद में ही शाजहाँन ने ताजमहल बनवाया ,
१३. ताजमहल को लेकर कई बाटे सामने आ रही है जिसकी वजह से उसके नीचे के कमरों में जाने कि किसी को आज्ञा नहीं है , ऐसा मन जाता है कि इनके निचले कमरों में काफी सारा सोना और धन दौलत हो सकती है , क्योकि मेटल डिटेक्टर से वहां काफी मेटल होने कि पुस्टि जुई है ,
१४. इतास्कारो का मानना है कि इसके अंदर कई ऐसे दस्तवेज भी हो सकते है जो हमारे इतिहास को बदल सकते है , इन तहखानों कि खोजने कि खबरे तो काफी आयी लेकिन कभी इसे खोला नहीं जा स्का , इनमे से कई दरवाज़े खोले गए लेकिन बाद में किसी को कुछ बताए बिना ही उन्हें बंद कर दिया गया ,
१५. आज जहां सभी लोग सेल्फी के दीवाने है लेकिन क्या आपको पता है कि ताजमहल के साथ पहले सेल्फी जॉर्ज हरिसोंन ने ली थी ,
तो दोस्तों ये थे दुनिया कि सबसे भव्य ईमारत से जुड़े कुछ ऐसे रोचक जानकारी जो बहुत से लोग नहीं जानते , आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमैंट्स सेक्शन में जरूर बताए ,
साथ ही साथ अगर आप किसी और बारे में भी जानकारी चाहते है तो हमे जरूर लिखे,
क्या आपको पता है की ताजमहल ५० कुओ के ऊपर बनाया गया है ?
क्या आपको पता है ताजमहल को बनाने वाले कारीगरों ने शाजहाँ से नाराज होकर एक बहुत बड़ी गलती भी छोड़ दी थी , क्या आपको पता है उस गलती के बारे में क्या है वो गलती ?
इस पोस्ट में आपको ताजमहल के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताऊंगा जिन्हे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे ,
तो आइये शुरू करते है ताजमहल के रहस्यों का जाल
१. मन जाता है की ताजमहल का निर्माण साल १६३१ में शुरू हुवा था और साल १६५३ में यह बनकर त्यार हुआ ,इसे आज भी निर्माण का एक विशाल नमूना कहा जाता है , शोध कर्ताओ ने इस पर बहुत साडी खोज की है और उनका मानना है की ताजमहल के नीचे हज़ार से भी ज्यादा कमरे है ,
उनका मानना है यह जितना ऊचा है यह धरती की गहराई तक उतनी ही नीचे तक बनाया गया है ,
जिस जमाने में ताजमहल को बनाया गया था उस जमाने में किले से बहार निकलने के लिए कई रस्ते बनाए जाते थे और ऐसा ही ताजमहल में भी है , इसके नीचे से एक रास्ता है जो काफी दूर जाकर निकलता है , लेकिन शाजहान के समय से ही उस रस्ते को बंद करवा दिया गया /
२. आपको जानकर हैरानी होगी की ताजमहल दिन के अलग अलग समय पर अपना रंग बदलता रहता है , सुबह के समय ताजमहल गुलाबी दीखता है , साम को दूधिया सफ़ेद और चांदनी रात में सुनहरा दीखता है ,
वैज्ञानिको के अनुसार ऐसा सफ़ेद संगमरमर पर सूरज और चाँद की रौशनी पड़ने के कारन होता है ,
३. कहा जाता है की ताजमहल के निर्माण के समय भूत और जिन इसकी नीव नहीं रखने देते थे , वो बार बार इसे नष्ट कर देते थे और कारीगरों को डराकर भगा देते थे , ऐसे चलते जब काफी दिन हो गए तो शाजहाँन ने खुद इमामो की राय ली और इमामो ने अरब में तीर हज़रा शहर के बुखारी को बुलाने की राय दी , तब बादशाह के कहने पर पीर अपने चारो भाइयो और सेकड़ो सहयको के साथ आगरा आये ,
चारो पीर बंधुओ ने आगरा के ताजमहल की नीव के बनते वक्त कुरान के कलमे पढ़े है , इसके बाद ताजमहल की नीव शाजहाँन के हाथो रखवाकर ताजमहल का काम शुरू किया गया , आज भी इन चारो पीर बंधुओ की मजार ताजमहल के चारो तरफ बनी हुयी है , ऐसा मन जाता है की जब तक ये मजार यहां है ताजमहल को कुछ भी नहीं होगा ,
४. साल १९३४ में दिल्ली के एक निवासी ने छेद के जरिए ताजमहल के अंदर देखा तो उसने देखा की उसके अंदर स्तम्बो से बना एक बड़ा कमरा था और वो कमरा हिन्दू देवी देवताओ की मूर्ति से भरा पड़ा था , उस आदमी के अनुसार कमरे में रोज़न्दानिया बनी हुयी थी जो आमतौर पर बड़े हिन्दू मंदिरो में देखने को मिलती है , उन रोशनदानियो को संगमरमर के पत्थर से ढका गया था जिसे देखकर लगता है की किसी ने वहा हिन्दू धरम को छुपाने का पूरा प्रयास किया था , वहां के स्थानीय लोगो का भी मानना है की ताजमहल पहले एक हिन्दू मंदिर था , जो तेजोमहालय नाम से प्रसिद्द था , बाद में इसे ताजमहल का रूप दे दिया गया था परन्तु वास्तविकता क्या है यह आज भी एक रहस्य बना हुवा है ,
भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसके २२ कमरों को इसलिए बंद कर रखा है ताकि इन कमरों में छिपे सच्चाई के चलते भविस्य में दंगे न हो ,
५. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि क़ुतुब मीनार नाम कि जिस ईमारत को हम सबसे उची ईमारत कहते है ताजमहल उससे भी ऊचा है ताजमहल के सामने क़ुतुब मीनार कि उच्चाई ताजमहल के सामने छोटी पद जाती है , सरकारी आकड़ो के अनुसार ताजमहल क़ुतुब मीनार से ५ फ़ीट ज्यादा ऊचा है ,
६. ताजमहल को देखने के लिए हर दिन सबसे ज्यादा भीड़ इक्क्ठी होती है , आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां दिन में इतने सैलानी इक्क्ठे होते हो , ताजमहल को देखने के लिए हर रोज करीब 18000 लोग हर रोज आते है ,
७. क्या आप शाजहंन के उस सपने के बारे में जानते है जो उन्होंने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए नहीं बल्कि अपने लिए देखा था ? जी है काळा ताजमहल का सपना वो चाहते थे कि मुमताज के लिए बन रहे सफ़ेद ताजमहल के बाद वो अपने लिए काला ताजमहल बनवाएंगे ,
लेकिन जब उन्हें उनके बेटे ओरंगजेब ने कैद कर लिया तो ये सपना हमेसा के लिए सपना ही रह गया ,
८. यदि ताजाहल कि उची मीनारों पर गौर किया जाए तो आप देखेंगे कि चारो मीनारे सीधी खड़ी न होकर एक दूसरे कि तरफ झुकी हुयी है , इन इमारतों या मीनारों का निर्माण आसमानी बिजली को मुख्य गुम्बद पर न गिरने के लिए किया गया था जिसे मुख्य गुम्बद को इन आपदाओं से बचाय जा सके , कुछ लोग कहते है कि चारो मीनारे झुक कर गुमंध को सलाम कर रही है इसलिए झुकी हुयी है ,
९. कहा जाता है कि ताजमहल को बनवाने के बाद उन कारीगरों के हाथ कटवा दिए गए थे लिकेन इतिहास में लोटा जाए तो उन लोगो ने ताजमहल के बाद भी कई इमारतों को बनवाने में अपना योगदान दिया था , उस्ताद अम्मद लाहोरी उस दाल का हिस्सा थे जिन्होंने ताजमहल जैसी भव्य ईमारत का निर्माण किया था और उन्ही कि देकरेख में ही लाल किले का निर्माण कार्य शुरू हुवा था ,
१०. कुछ लोगो का ये भी मानना है कि ताजमहल शाजहंन ने नहीं बल्कि समुन्दर्गुप्त ने बनवाया था , जिस जगह पर आज ताजमहल जैसी भव्य ईमारत है वहां पहले शिव मंदिर था जिसका नाम तेजोमहालय था और उसकी छत से टपकने वाला पानी शिवजी के शिवलिंग पर बून्द बून्द करके टपकता था ,
इसके पीछे कि एक प्रचलित कहानी यह भी है कि जब शाजहाँन ने सभी मजदूरों के हाथ काट देने कि घोषणा की तो उन्होंने ताजमहल कि छत पर एक छेद छोड़ दिया ताकि शाजहाँन का खूबसूरत सपना पूरा न हो सके ,
११. ताजमहल से जुड़े सरे फुव्वारे एक ही साथ काम करते है और सबसे आश्चर्य कि बात यह है कि ताजमहल में लगा कोई भी फुव्वारा किसी पाइप से जुड़ा हुआ नहीं है , बल्कि हर फव्वारे के नीचे ताम्बे का एक टैंक बना हुवा है तो एक ही समय पर भरता है और दबाव बनने पर एक ही साथ काम करता है ,
१२. यह तो सभी जानते है कि मुमताज शाजहंन कि पत्नी थी लेकिन ये कमलोग जानते है कि वह उनकी तीसरी पत्नी थी , शाजहाँन कि चौदहवी संतान को जनम देते हुए उनका निधन हो गया था , और उनकी याद में ही शाजहाँन ने ताजमहल बनवाया ,
१३. ताजमहल को लेकर कई बाटे सामने आ रही है जिसकी वजह से उसके नीचे के कमरों में जाने कि किसी को आज्ञा नहीं है , ऐसा मन जाता है कि इनके निचले कमरों में काफी सारा सोना और धन दौलत हो सकती है , क्योकि मेटल डिटेक्टर से वहां काफी मेटल होने कि पुस्टि जुई है ,
१४. इतास्कारो का मानना है कि इसके अंदर कई ऐसे दस्तवेज भी हो सकते है जो हमारे इतिहास को बदल सकते है , इन तहखानों कि खोजने कि खबरे तो काफी आयी लेकिन कभी इसे खोला नहीं जा स्का , इनमे से कई दरवाज़े खोले गए लेकिन बाद में किसी को कुछ बताए बिना ही उन्हें बंद कर दिया गया ,
१५. आज जहां सभी लोग सेल्फी के दीवाने है लेकिन क्या आपको पता है कि ताजमहल के साथ पहले सेल्फी जॉर्ज हरिसोंन ने ली थी ,
तो दोस्तों ये थे दुनिया कि सबसे भव्य ईमारत से जुड़े कुछ ऐसे रोचक जानकारी जो बहुत से लोग नहीं जानते , आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमैंट्स सेक्शन में जरूर बताए ,
साथ ही साथ अगर आप किसी और बारे में भी जानकारी चाहते है तो हमे जरूर लिखे,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें