आचार्य चाणक्य को कुटीलो में कुटिल, महाज्ञानी और विद्वान् की उपाधि प्राप्त है !चाणक्य की नीतियों के तो हम सभी कायल है ! उस काल में राजा भी चाणक्य की बुद्धिमता का लोहा मानते थे ! इस महान पंडित ने ऐसी बातें दुनिया को बताई जो शत-प्रतिशत सही है ! वहीं चाणक्य ने महिलाओं पर भी टिप्पणी की है ! यदि इस विषय पर बात की जाए तो उनकी महिलाओं के विषय में कही गयी कुछ बातें बहुत आपत्तिजनक है ! जिस देश में नारी को देवी की उपाधि दी जाती है ! उस देश में इस महान विद्वान् ने नारी के विषय में कुछ ऐसी टिप्पणियां की है जिन्हे स्वीकारना थोड़ा मुश्किल है ! आज के समय में महिलाओं के विषय में उनके कथन बहुत विवादित है ! आज हम उन्ही बातों के विषय में आपको बतातें है जो विवादित और आपत्तिजनक है !
1 . आचार्य चाणक्य का कहना था की व्यक्ति को नदी , सींग वाले पशु ,शाही परिवार , शस्त्रों को धारण करने वाला व्यक्ति और महिलाओं के ऊपर विश्वास नहीं करना चाहिए ! ये कभी भी विश्वासघात कर सकते है ! परन्तु यदि इस पर विचार किया जाए तो महिला हो या पुरुष सबकी प्रवृति एक जैसी नहीं होती ! सभी महिलाएं विश्वास के योग्य नहीं है यह एक गलत टिप्पणी है ! देखा जाए तो उस काल में चन्द्रगुप्त ने एक से अधिक विवाह किये जो चन्द्रगुप्त की पहली पत्नी के साथ एक धोखा ही था !
2 . आचार्य चाणक्य ने कहा है की महिलाएं कभी स्थिर नहीं रह सकती ! गहन विचार किया जाए तो स्थिरता एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो योगियों और तपस्वियों में ही पायी जाती है ! साधारण व्यक्ति अपने जीवन में इतने व्यस्त और उलझे हुए है की स्थिरता के बारें में सोचने का किसी के पास समय ही नहीं है ! फिर चाहे वो स्त्री हो या पुरुष !
3 . उन्होंने कहा था कि स्त्रियों के कारण हर व्यक्ति के जीवन में कहीं न कहीं दुख जरूर है ! वैसे तो स्त्रियों के बिना जीवन सम्भव नहीं फिर भी एक बार कल्पना करते है कि यदि संसार में स्त्रियां न हो तो क्या हर और शांति होगी या किसी भी व्यक्ति के जीवन में दुख नहीं होगा ! संसार में नकारत्मकता , युद्ध कष्ट जैसी स्थितियां नष्ट हो जाएंगी शायद नहीं ! तो इसका भी पूरा दोष स्त्रियों को देना गलत है !
4 . आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्खता ,छल-कपट ,झूठ, बेईमानी, क्रोध, लालच आदि महिलाओं के स्वभाविक दोष है! यदि वर्तमान की बात करे तो बड़े -बड़े व्यवसाय में अक्सर छल -कपट और बेईमानी के किस्से सुनने में आतें है
इनमे अधिकांश मसलो में महिलाओं के कोई भागीदारी नहीं होती !
5 . आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री की सुंदरता उसके तन से नहीं उसके मन से देखनी चाहिए ! यह बात बिलकुल सही है परन्तु क्या ये बात पुरुष पर लागू नहीं होती क्या पुरुष का मन ना देखकर उसका हष्ट-पुष्ट शरीर, गोरा रंग और सुडौल बनावट देखकर उससे विवाह कर लेना क्या उचित है !
6 . आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषो को ऐसी स्त्रियों से कभी विवाह नहीं करना चाहिए जो संस्कारी ना हो तो क्या असंस्कारी पुरुष से एक स्त्री को विवाह कर लेना चाहिए ! यदि पुरुष संस्कारी नहीं है तो वो अपने माता -पिता से लेकर पत्नी और बच्चो तक किसी को भी सम्मान और प्रेम नहीं देगा ! इसलिए ये बात केवल महिलाओं पर ही नहीं अपितु पुरुषो पर भी लागू होती है !
7 . आचार्य चाणक्य का कहना था की यदि पत्नी पति की अनुमति के बिना उपवास रखती है तो वो पति की आयु को कम करती है ! पति की आज्ञा के बिना किया गया कोई भी कार्य हानिकारक सिद्ध होता है ! इस बात पर विचार किया जाए तो यदि पति किसी गलत काम करने के लिए प्रोत्साहित करे तो क्या उसे स्वीकार करना चाहिए ! इस तथ्य पर आपका क्या सोचना है जरा सोच कर देखिएगा !
8 . आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषो के अपेक्षा महिलाओं में दो गुना ज्यादा भूख , चार गुना ज्यादा शर्म ,छह गुना ज्यादा साहस और काम वासना आठ गुना ज्यादा होती है ! आचार्य चाणक्य ने ये भी कहा है जो स्त्री सुबह के समय पति की सेवा माँ के समान करे , दिन में बहन के समान प्यार करे और रात में वेश्या के समान व्यवहार करे उसे ही एक अच्छी स्त्री माना जाता है तो दोस्तों क्या ये शब्द महिलाओं के लिए अपमानजनक नहीं प्रतीत होते ! ये कहना तो कठिन है कि आचार्य चाणक्य ने ये तथ्य उस समय के परपेक्ष्य में कहे थे या सम्पूर्ण नारी जाति को एक ही तराजू में तोला था ! आपका इन बातों पर क्या सोचना है ! सोचियेगा जरूर !
1 . आचार्य चाणक्य का कहना था की व्यक्ति को नदी , सींग वाले पशु ,शाही परिवार , शस्त्रों को धारण करने वाला व्यक्ति और महिलाओं के ऊपर विश्वास नहीं करना चाहिए ! ये कभी भी विश्वासघात कर सकते है ! परन्तु यदि इस पर विचार किया जाए तो महिला हो या पुरुष सबकी प्रवृति एक जैसी नहीं होती ! सभी महिलाएं विश्वास के योग्य नहीं है यह एक गलत टिप्पणी है ! देखा जाए तो उस काल में चन्द्रगुप्त ने एक से अधिक विवाह किये जो चन्द्रगुप्त की पहली पत्नी के साथ एक धोखा ही था !
2 . आचार्य चाणक्य ने कहा है की महिलाएं कभी स्थिर नहीं रह सकती ! गहन विचार किया जाए तो स्थिरता एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो योगियों और तपस्वियों में ही पायी जाती है ! साधारण व्यक्ति अपने जीवन में इतने व्यस्त और उलझे हुए है की स्थिरता के बारें में सोचने का किसी के पास समय ही नहीं है ! फिर चाहे वो स्त्री हो या पुरुष !
3 . उन्होंने कहा था कि स्त्रियों के कारण हर व्यक्ति के जीवन में कहीं न कहीं दुख जरूर है ! वैसे तो स्त्रियों के बिना जीवन सम्भव नहीं फिर भी एक बार कल्पना करते है कि यदि संसार में स्त्रियां न हो तो क्या हर और शांति होगी या किसी भी व्यक्ति के जीवन में दुख नहीं होगा ! संसार में नकारत्मकता , युद्ध कष्ट जैसी स्थितियां नष्ट हो जाएंगी शायद नहीं ! तो इसका भी पूरा दोष स्त्रियों को देना गलत है !
4 . आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्खता ,छल-कपट ,झूठ, बेईमानी, क्रोध, लालच आदि महिलाओं के स्वभाविक दोष है! यदि वर्तमान की बात करे तो बड़े -बड़े व्यवसाय में अक्सर छल -कपट और बेईमानी के किस्से सुनने में आतें है
इनमे अधिकांश मसलो में महिलाओं के कोई भागीदारी नहीं होती !
5 . आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री की सुंदरता उसके तन से नहीं उसके मन से देखनी चाहिए ! यह बात बिलकुल सही है परन्तु क्या ये बात पुरुष पर लागू नहीं होती क्या पुरुष का मन ना देखकर उसका हष्ट-पुष्ट शरीर, गोरा रंग और सुडौल बनावट देखकर उससे विवाह कर लेना क्या उचित है !
6 . आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषो को ऐसी स्त्रियों से कभी विवाह नहीं करना चाहिए जो संस्कारी ना हो तो क्या असंस्कारी पुरुष से एक स्त्री को विवाह कर लेना चाहिए ! यदि पुरुष संस्कारी नहीं है तो वो अपने माता -पिता से लेकर पत्नी और बच्चो तक किसी को भी सम्मान और प्रेम नहीं देगा ! इसलिए ये बात केवल महिलाओं पर ही नहीं अपितु पुरुषो पर भी लागू होती है !
7 . आचार्य चाणक्य का कहना था की यदि पत्नी पति की अनुमति के बिना उपवास रखती है तो वो पति की आयु को कम करती है ! पति की आज्ञा के बिना किया गया कोई भी कार्य हानिकारक सिद्ध होता है ! इस बात पर विचार किया जाए तो यदि पति किसी गलत काम करने के लिए प्रोत्साहित करे तो क्या उसे स्वीकार करना चाहिए ! इस तथ्य पर आपका क्या सोचना है जरा सोच कर देखिएगा !
8 . आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुषो के अपेक्षा महिलाओं में दो गुना ज्यादा भूख , चार गुना ज्यादा शर्म ,छह गुना ज्यादा साहस और काम वासना आठ गुना ज्यादा होती है ! आचार्य चाणक्य ने ये भी कहा है जो स्त्री सुबह के समय पति की सेवा माँ के समान करे , दिन में बहन के समान प्यार करे और रात में वेश्या के समान व्यवहार करे उसे ही एक अच्छी स्त्री माना जाता है तो दोस्तों क्या ये शब्द महिलाओं के लिए अपमानजनक नहीं प्रतीत होते ! ये कहना तो कठिन है कि आचार्य चाणक्य ने ये तथ्य उस समय के परपेक्ष्य में कहे थे या सम्पूर्ण नारी जाति को एक ही तराजू में तोला था ! आपका इन बातों पर क्या सोचना है ! सोचियेगा जरूर !
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