बाली और हनुमान का युद्ध , कौन जीता इस युद्ध में ? क्या बाली ने वरदान के कारण हनुमान जी को भी हरा दिया था ? क्या हुआ इस युद्ध का परिणाम ?

रामायण के बारे में तो हम सब जानते है लेकिन आज हम रामायण की  एक ऐसी घटना के बारे में बताएंगे जिसे बहुत कम लोग जानते है
रामायण की ही एक पुस्तक किस्किँदा कांड में अध्ध्याय  5 से लेकर 26 तक ही बाली का वर्णन किया गया है फिर भी रामायण में बाली की मुख्य भूमिका रही है विशेषकर बाली के वध को लेकर,
वानर राज बालि से जुडी कुछ रोचक बातें ...

 बाली सुग्रीव का बड़ा भाई था और किष्किंधा का राजा था ,तथा उसे इन्दर का पुत्र भी बताया जाता है , हम सब ये तो जानते ही है की बाली को ब्रह्मा जी का वरदान था की जो भी उससे युद्ध करेगा उसका आधा बल बाली के अंदर चला जाएगा , इसी वरदान के कारण बाली के सामने कोई योद्धा नहीं टिक पता था , बाली ने अपने इसी वरदान के कारण 10000 हाथिया का बल रखने वाले दुदंभि नामक राक्षस का वध कर दिया था , दुदंभि के बाद बाली ने उसके भाई मायावी का भी एक गुफा में वध कर दिया था इसी घटना के बाद बाली और सुग्रीव में शतुरता पैदा हो गयी थी , इसी शक्ति के कारण वानर राज बाली से युद्ध करने में देव , दानव , या मानव कोई भी समर्थ नहीं था ,
लेकिन इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे है जब महाबलि बाली और महाशक्तिसाली ,परमवीर हनुमान के बीच युद्ध शुरू हो गया फिर क्या हुआ , क्या महाबली बाली ने हनुमान जी को भी अपने वरदान के कारण हरा दिया , या फिर हनुमान के सामने नहीं चला ब्रह्मा जी का वरदान ये जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ
ये बात तब की है जब वानर राज बाली असुर राज रावण के बीच युद्ध शुरू हो गया था , बाली ने अपने वरदान के दम पर रावण को अपनी बगल में ६ महीने तक दबाये रखा था और तपस्या करते रहा था ,
रावण और बाली का महाप्रलयंकारी युद्ध ...

 अंत में रावण ने बाली से हर मान ली और बाली के सामने मित्रता का प्रस्ताव रखा और दोनों आपस में मित्र बन गए , इसी युद्ध के बाद बाली का घमंड बहुत ज्यादा बढ़ गया था और बाली सभी लोगो को युद्ध की चुनौती देता रहता था ,
एक दिन हर रोज की तरह बाली वन में चिल्ला रहा था है कोई जो मुझसे युद्ध कर सके ,है कोई जिसने अपनी माँ का दूध पिया हो , हनुमान जी उसी वन में तपस्या कर रहे थे और अपने आरध्या भगवन का ध्यान कर रहे थे , बाली के चिल्लाने से उनकी तपस्या भंग हो गयी फिर भी उन्होंने विनम्रता से बाली से कहा वानर राज आप अति बलशाली है , आपको कोई नहीं हरा सकता परन्तु आप इस तरह चिल्ला क्यों रहे है ,
हनुमान के वचन सुनकर बाली और भड़क गया इस पर उसने हनुमान जी को और साथ ही साथ हनुमान जी के आराध्य को भी चुनौती दे डाली और कहा तुम तो क्या तुम्हारे राम ही मुझे नहीं हरा सकते , अगर दम है तो बुलाओ अपने राम को ,
अपने भगवान राम का नाम सुनकर हनुमान जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली , और युद्ध के लिए तय हुआ की अगले दिन सूर्योदय होते ही दोनों के बीच दंगल होगा , अगले दिन सूर्योदय होते ही हनुमान जी दंगल के लिए निकले ही थे तभी हनुमान जी के सामने ब्रह्मा जी प्रकट हुए उन्होंने हनुमान जी को समझने की कोशिस की कि वे बाली कि चुनौती स्वीकार न करे , इस पर हनुमान जी ने कहा प्रभु बाली ने अगर सिर्फ मुझे चुनौती दी होती तो में उसे माफ़ कर देता परन्तु उसने मेरे आराध्य भगवान राम को चुनौती दी है इसलिए मुझे उसे सबक सीखना ही पड़ेगा , और हनुमान जी नहीं माने इस पर ब्रह्मा जी ने हनुमान जी से कहा ठीक है आप दंगल के लिए जाओ लेकिन अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा ही लेकर जाओ शेष अपने आराध्य के चरणों में समर्पित कर दो दंगल से वापिस आकर फिर से अर्जित कर लेना ,
हनुमान जी मन गए और अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा लेकर आगे बढ़े , वरदान के कारण दंगल के जगह में पैर रकते ही हनुमान जी कि शक्ति का आधा हिस्सा बाली ने खींच लिया , और जैसे ही बाली के शरीर में हनुमान जी शक्ति आधी शक्ति गयी उसे लगा की जैसे उसका शरीर फ़ट जाएगा , उसकी नसे फटकार रक्त बहार निकलने लगेगा , 
When Hanuman and Bali fought, Know who won? | News Track Live ...
तभी ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने बाली से कहा की तुम खुद को दुनिया में सबसे शक्तिशाली समझते हो लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान जी की शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा भी नहीं संभाल पा रहा है और अपना और हनुमान का सारा वाकया सुनाया और कहा की अगर खुद को जिन्दा रखना चाहते हो तो हनुमान जी से मीलो दूर भाग जाओ , अपने शरीर की हालत और ब्रह्मा जी सलाह मानकर बाली ने ऐसा ही किया और वह वहां से भाग गया , उसके बाद बाली दुबारा हनुमान जी के पास आया और हनुमान जी को प्रणाम किया और हनुमान जी के बल का बखान किया और बोला इतना बल होते हुए भी हनुमान जी शांत रहते है और राम भजन गाते रहते है और एक में हूँ जो उनके बल के बराबर भी शक्ति नहीं रखता फिर भी उनको ललकार रहा था , हे प्रभु मुझे 
माफ़ करे , तब हनुमान जी ने बाली को माफ़ किया और दोनों अपने अपने रास्ते चले गए ,

दोस्तों हनुमान जी और बाली का यह प्रसंग हमे सबक देता है की व्यक्ति कितना भी धनवान कितना भी बलवान हो जाए उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए ,

दोस्तों आपको ये जानकारी कैसे लगी हमे कमेंट में जरूर बताए साथ ही हमे फॉलो करे ,

धन्यवाद

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