दोस्तों क्या आपको पता है हमारे ग्रहो में यानि प्लेनेट ऐसे भी है जो बहुत अलग है जिसमे एक प्लेनेट यानि गृह ऐसा भी है जो डायमंड यानि हीरो से बना हुवा है , है न रोमांचित करने वाला तथ्य
तो दोस्तों आज हम जानेंगे इसी डायमंड पालनेट के बारे में
दोस्तों इस प्लेनेट की खोज हुयी थी २३ अगस्त २००४ में और इसका वास्तविक नाम है 55 cancri e
यह पालनेट बाकि ग्रहो से अजीब और अलग है
यह सौरमंडल के कर्क नक्षत्र में स्तिथ है
इस सौरमंडल में एक मुख्य धारा 55 cancri a है , और इस धारा की 5 गृह परिकर्मा करते है जिनका नाम
55 cancri a 55 cancri b 55 cancri c 55 cancri f और 55 cancri e है ,
55 cancri e जिसे जेरोसोन भी कहा जाता है यह एक एक्सओ प्लेनेट है 55 cancri e अपने साथी गृह 55 cancri a की बेहद नजदीक से परिकर्मा करता है , 55 cancri e का व्यास हमारी धरती से दो गुना है , यानि के ये हमारी परतवि से २ गुना ज्यादा बड़ा है ,
लेकिन अगर इसके मास या भार हमारी धरती से 8.3 गुना ज्यादा है , जैसे धरती को सूर्य का चक्कर लगाने में २४ घंटे लागते है उसी तरह 55 cancri e को अपने नजदीकी गृह के एक चक्कर लगने में 18 घंटे लगते है ,
जैसा की आपको बताया की 55 cancri e की खोज २३ अगस्त २००४ में हुई , लेकिन हमारी धरती से २ गुना होने के बावजूद भी यह गृह अपने आस पास के पांचो ग्रहो में सबसे छोटा है ,
यह गृह अपने दूसरे गृह के बिलकुल नजदीक है इस कारन इसका तापमान १७०० डिग्री सेल्सियस यानि २००० केल्विन है ,
वैज्ञानिको का कहना है की यह एक कार्बोन प्लेनेट या गृह है और उच्च तापमान और दबाव के कारन ये कार्बन हीरो यानि डायमंड में बदल गए होंगे
२०१० तक वैज्ञानिक मानते थे की यह गृह अपने दूसरे गृह की परिकर्मा लगाने में २.८ दिन का समय लेता है लेकिन २०१० की दुबारा गणना में पता चला की यह सिर्फ १८ घंटो का समय लेता है ,
शुरू में वैज्ञानिक मानते थे की 55 cancri e एक छोटा सा गैस का गोला है , व्ही कुछ अन्य वैज्ञानिक मानते थे की इस गृह में बहुत बड़े और चट्टानी स्थल हो सकते है ,
लेकिन २०१० की calculation और ऑब्जरवेशन में पता चला की दोनों गृह 55 cancri a और 55 cancri e दोनों में ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन ज्यादा है , और वैज्ञानिको ने ये अनुमान लगाया की इस गृह के पुरे मास का एक तिहाई भाग कार्बन का बना हुवा है , वैज्ञानिको का यह मानना है की भरी दबाव और उच्च तापमान के कारन इस गृह के ज्यादातर हिस्से हीरो यानि डायमंड के रूप में होंगे ,
2011 में वैज्ञानिक इस गृह के खानताव की गणना करने में सफल रहे और उन्हें पता चला की यह गृह वास्तव में एक वाटर प्लेनेट है , गणना के आधार पर वैज्ञानिको ने पाया की इस गृह पर हइड्रोजन का पूर्ण अभाव है इस गृह के आधार पर एक नए सिद्धांत का जन्म हुआ की इस गृह में वाष्पशील कार्बोन daioxide है न की हइड्रोजन , और जल ,
2013 में एक और खोज हुयी जिसमे २०१० की बातो का दुबारा अध्यन किया गया इस अध्ययन में पाया गया की 55 cancri a में केवल ऑक्सीजन के रूप में कार्बोन की आधी राशि थी , इस अध्यन में पाया गया की 55 cancri a में कार्बोन की तुलना में २५ प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन मिली
फरवरी २०16 में यह घोसणा की गयी की नासा के एक स्पेस टेलिस्कोप ने इस पालनेट पर हइड्रोजन और हीलियम की विश्लेषण की है ,
और उनके विश्लेषण से पता चला की गृह में उच्च मात्रा में कार्बन पाया गया
तो दोस्तों आज हम जानेंगे इसी डायमंड पालनेट के बारे में
दोस्तों इस प्लेनेट की खोज हुयी थी २३ अगस्त २००४ में और इसका वास्तविक नाम है 55 cancri e
यह पालनेट बाकि ग्रहो से अजीब और अलग है
यह सौरमंडल के कर्क नक्षत्र में स्तिथ है
इस सौरमंडल में एक मुख्य धारा 55 cancri a है , और इस धारा की 5 गृह परिकर्मा करते है जिनका नाम
55 cancri a 55 cancri b 55 cancri c 55 cancri f और 55 cancri e है ,
55 cancri e जिसे जेरोसोन भी कहा जाता है यह एक एक्सओ प्लेनेट है 55 cancri e अपने साथी गृह 55 cancri a की बेहद नजदीक से परिकर्मा करता है , 55 cancri e का व्यास हमारी धरती से दो गुना है , यानि के ये हमारी परतवि से २ गुना ज्यादा बड़ा है ,
लेकिन अगर इसके मास या भार हमारी धरती से 8.3 गुना ज्यादा है , जैसे धरती को सूर्य का चक्कर लगाने में २४ घंटे लागते है उसी तरह 55 cancri e को अपने नजदीकी गृह के एक चक्कर लगने में 18 घंटे लगते है ,
जैसा की आपको बताया की 55 cancri e की खोज २३ अगस्त २००४ में हुई , लेकिन हमारी धरती से २ गुना होने के बावजूद भी यह गृह अपने आस पास के पांचो ग्रहो में सबसे छोटा है ,
यह गृह अपने दूसरे गृह के बिलकुल नजदीक है इस कारन इसका तापमान १७०० डिग्री सेल्सियस यानि २००० केल्विन है ,
वैज्ञानिको का कहना है की यह एक कार्बोन प्लेनेट या गृह है और उच्च तापमान और दबाव के कारन ये कार्बन हीरो यानि डायमंड में बदल गए होंगे
२०१० तक वैज्ञानिक मानते थे की यह गृह अपने दूसरे गृह की परिकर्मा लगाने में २.८ दिन का समय लेता है लेकिन २०१० की दुबारा गणना में पता चला की यह सिर्फ १८ घंटो का समय लेता है ,
शुरू में वैज्ञानिक मानते थे की 55 cancri e एक छोटा सा गैस का गोला है , व्ही कुछ अन्य वैज्ञानिक मानते थे की इस गृह में बहुत बड़े और चट्टानी स्थल हो सकते है ,
लेकिन २०१० की calculation और ऑब्जरवेशन में पता चला की दोनों गृह 55 cancri a और 55 cancri e दोनों में ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन ज्यादा है , और वैज्ञानिको ने ये अनुमान लगाया की इस गृह के पुरे मास का एक तिहाई भाग कार्बन का बना हुवा है , वैज्ञानिको का यह मानना है की भरी दबाव और उच्च तापमान के कारन इस गृह के ज्यादातर हिस्से हीरो यानि डायमंड के रूप में होंगे ,
2011 में वैज्ञानिक इस गृह के खानताव की गणना करने में सफल रहे और उन्हें पता चला की यह गृह वास्तव में एक वाटर प्लेनेट है , गणना के आधार पर वैज्ञानिको ने पाया की इस गृह पर हइड्रोजन का पूर्ण अभाव है इस गृह के आधार पर एक नए सिद्धांत का जन्म हुआ की इस गृह में वाष्पशील कार्बोन daioxide है न की हइड्रोजन , और जल ,
2013 में एक और खोज हुयी जिसमे २०१० की बातो का दुबारा अध्यन किया गया इस अध्ययन में पाया गया की 55 cancri a में केवल ऑक्सीजन के रूप में कार्बोन की आधी राशि थी , इस अध्यन में पाया गया की 55 cancri a में कार्बोन की तुलना में २५ प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन मिली
फरवरी २०16 में यह घोसणा की गयी की नासा के एक स्पेस टेलिस्कोप ने इस पालनेट पर हइड्रोजन और हीलियम की विश्लेषण की है ,
और उनके विश्लेषण से पता चला की गृह में उच्च मात्रा में कार्बन पाया गया
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