आप सभी रामायण के बारे में जानते है , रामायण जोकि अयोध्या के राजा राम के बारे में हम सबको बताती है साथ ही हम सबको सच की बुराई पर विजय के बारे में बताती है
रामायण हमे सिखाती है की कैसे हमे हर परिस्थिति में एक सामान रहना चाहिए
आप ये भी जानते होंगे की दिवाली का जो त्यौहार है वो श्री राम के अयोध्या वापिस आने की ख़ुशी में मनाया जाता है
लेकिन यही रामायण और श्री राम की सम्पूर्ण रामायण श्री राम के परम भक्त हनुमान के बिना अधूरी है , और अगर रामायण से हनुमान जी
को निकल दिया जाए तो शायद रामायण की कल्पना भी नहीं की जा सकती ,
हनुमान जो की परम शक्तिशाली , परम ज्ञानी , और श्री राम के परम भक्त थे या यूँ कहिये की आज भी है क्या आपको पता है की रामायण के बाद वो कहा गए ?
ये सवाल आज भी लाखो करोड़ो लोगो के दिमाक में उठता है की अगर हनुमान जी अमर है तो वो कहा है , कहा जाता है की इस धरती पर आज तक सिर्फ तीन ही जीव अमर है जिसमे सबसे पहला अमरनाथ की गुफा में दिकने वाला कबूतरों का जोड़ा , दूसरे है हनुमान जी और तीसरा था अश्वथामा ,
शिव के सामने उपस्तिथ कबूतरों के बारे में और अश्वथामा के बारे में हम आपको अगली पोस्ट में बताएंगे , आज हम आपको बताने जा रहे है परम भक्त और शिव अवतार हनुमान के बारे में की आखिर हनुमान रामायण के बाद कहा गए और आज वो कहा रहते है
आज हम आपको कुछ ऐसी बाटे बताएंगे जिनसे आपको यकीन,विश्वास हो जाएगा की हनुमान जी आज भी हमारे बीच उपस्थित है ,
हनुमान जी की सकती अपार थी रामायण काल में भी हनुमान जी ने अपनी शक्ति को कभी उच्तम स्तर तक कभी नहीं जाने दिया , क्योकि अगर ऐसा होता तो वो लंका का विनाश कुछ की पल में कर देते ,
हनुमान का अमरत्व का वरदान प्राप्त है और जब तक यह धरती रहेगी तब तक इस धरती पर रहेंगे , हनुमान जी के जीवित और हमारे बीच रहने के साबुत दिखने से पहले हम आपको बता रहे है की रामायण के बाद हनुमान जी कहा गए , जैसा की रामायण में भी बताया गया है की श्री राम जो की विष्णु अवतार थे उनके धरती छोड़ने तक हनुमान जी उनकी सेवा करते रहे , और उसके बाद उन्होंने वन को ही अपना स्थान बनाया , उसके बाद त्रेता युग का अंत हुआ और द्वापर युग का आरम्भ हुआ , आपको बता दे की द्वापर युग में भी हनुमान जी के दो बार दर्शन हुए है , पहली बार जब भीम जंगल में थे तो उन्हें एक बूढ़ा वानर मिला जो की बीम के रास्ते में लेता हुआ था , बीम ने उस वानर से कहा की ऐ वानर अपनी पूछ मेरे रास्ते से हटाओ नहीं तो उठाकर फेक दूंगा , भीम को अपने बल पर बहुत घमंड था , तब वानर के उस बड़े रूप में हनुमान जी ने कहा में अब बूढ़ा हो गया हूँ बार बार उठा नहीं जाता तुम ही अब जैसे चाहो मुझे अपने रास्ते से हटा दो , इसके बाद भीम ने पूरा प्रयास किया लेकिन वो हनुमान जी की पूछ तक को नहीं हिला पाए तब भीम को समझ आया की वो कोई साधारण वानर नहीं है तब भीम ने उनसे प्रार्थना की कि आप अपना असली रूप दिखाए आप कौन है , तब हनुमान जी ने भीम को अपना असली रूप दिखाया और भीम को समझाया कि बेवजह किसी को अपना बल दिखाना अच्छी बात नहीं है ,
इसके बाद भी महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण के कहने पर हनुमान जी ध्वज बनकर अर्जुन के रथ पर रहे, युद्ध समाप्त होने पर जैसे ही वह ध्वज खुद ही गायब हुआ तो वह रथ एक पल में राख बन गया और धूल में उड़ गया , जब अर्जुन ने इसके बारे में श्री कृष्ण से इसके बारे में पूछा तो श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वो हनुमान जी थे जिनके कारण महा विनाशक अस्त्रों के सामने उनका रथ टिका रहा वरना कर्ण जैसे योद्धाओ के अचूक बाणो के सामने उनका रथ कभी नहीं टिक पाता , इस तरह हनुमान जी ने द्वापर युग में भी अपनी उपस्तिथि दर्ज करा दी , और द्वापर युग के सभी लोग मानने लगे कि हनुमान जी जीवित है ,
द्वापर युग के बाद शुरू हुआ कलयुग , और कलयुग में भी हनुमान जी कई बार लोगो के सामने आ चुके है जिसके कई सबूत हम आपको बताते है , चीन , इंडोनेसिया , कम्बोडिया और अलग अलग देशो में अलग अलग तरह कि कई बातें जिनमे जिक्र होता है महा शक्तिशाली वानर का आपको सुनने को मिल जाएंगी , चौदहवी सदी में ऋषि मध्वाचार्य ने हनुमान जी से साक्षात् बात होने कि बात कहि थी ,
सतहरवी सदी में तुलसीदास जी ने भी बताया कि हनुमान जी कहने पर ही उन्होंने रामचरित्रमानस लिखना शुरू किया था ,
उसके बाद भी अलग अलग साधु संतो ने हनुमान जी से मिलने या उन्हें देखने का दावा किया ,
अब अगर बात करे हनुमान जी के जिन्दा होने कि तो आप उसे देख नहीं पाओगे श्रीलंका में एक कबीला है जिसे मातंग कबीला कहा जाता है इस कबीले को लोगो को किसी साधु संत से काम नहीं माना जाता क्योकि इस कबीले के लोगो कि मानसिक सहनशक्ति और उनके विलक्षण गुण उन्हें बाकि लोगो से अलग करते है और खुद इन लोगो का मानना है कि हनुमान जी हर ४१ साल बाद उनसे मिलने आते है और ज्ञान देकर जाते है और यही ज्ञान उनकी आत्म शांति को स्थिर बनाए रक्त है कई लोग इस बात को सच नहीं मानते , लेकिन श्रीलंका और दक्षिण भारत में कई विशाल पेरो के निशान मिले है जिसे वैज्ञानिक भी सच मान चुके है कि यी किसी बहुत बड़े आकर के इंसान के ही पैर है ,
आज जब वैज्ञानिक इंसानो को होमोसेपियंस मानते है उनका भी मानना है कि आज से करीब १० हज़ार साल पहले जिनका शरीर हमारे जैसा था वे प्रजातिया लुप्त हो गयी और अब होमोसेपियंस कहि नहीं है लेकिन आज भी श्रीलंका और दक्षिण भारत में कई बार विशाल होमोसेपियंस जैसे दिखने वाले जीव को देखने कि बातें कई बार सामने आ चुकी है , हम अपने ही देश और अपने ही धर्म में हनुमान जी के अस्तित्व पर शक करते है जबकि खुद अमेरिका और कई अन्य देशो में वानर देव कि पूजा कि जाती है , अमेरिका में प्राचीन वानर देव का मंदिर मिला है जिसकी मूर्तियों की बनावट बिलकुल हनुमान जी से मिलती है , वहा की प्राचीन गाथाओ में भी वानर देव को अमर माना जाता है , हनुमान जी ने वरदान में अमरत्व को प्राप्त किया था और वो हमेसा धरती पर ही रहेंगे यह वचन उन्होंने श्री राम को दिया था , इन बातो के आधार पर हम यकीन के साथ कह सकते है की हनुमान जी आज भी हमारे बीच जिन्दा है ,
JAI SHREE RAM , JAI HANUMAN
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रामायण हमे सिखाती है की कैसे हमे हर परिस्थिति में एक सामान रहना चाहिए
आप ये भी जानते होंगे की दिवाली का जो त्यौहार है वो श्री राम के अयोध्या वापिस आने की ख़ुशी में मनाया जाता है
लेकिन यही रामायण और श्री राम की सम्पूर्ण रामायण श्री राम के परम भक्त हनुमान के बिना अधूरी है , और अगर रामायण से हनुमान जी
को निकल दिया जाए तो शायद रामायण की कल्पना भी नहीं की जा सकती ,
हनुमान जो की परम शक्तिशाली , परम ज्ञानी , और श्री राम के परम भक्त थे या यूँ कहिये की आज भी है क्या आपको पता है की रामायण के बाद वो कहा गए ?
ये सवाल आज भी लाखो करोड़ो लोगो के दिमाक में उठता है की अगर हनुमान जी अमर है तो वो कहा है , कहा जाता है की इस धरती पर आज तक सिर्फ तीन ही जीव अमर है जिसमे सबसे पहला अमरनाथ की गुफा में दिकने वाला कबूतरों का जोड़ा , दूसरे है हनुमान जी और तीसरा था अश्वथामा ,
शिव के सामने उपस्तिथ कबूतरों के बारे में और अश्वथामा के बारे में हम आपको अगली पोस्ट में बताएंगे , आज हम आपको बताने जा रहे है परम भक्त और शिव अवतार हनुमान के बारे में की आखिर हनुमान रामायण के बाद कहा गए और आज वो कहा रहते है
आज हम आपको कुछ ऐसी बाटे बताएंगे जिनसे आपको यकीन,विश्वास हो जाएगा की हनुमान जी आज भी हमारे बीच उपस्थित है ,
हनुमान जी की सकती अपार थी रामायण काल में भी हनुमान जी ने अपनी शक्ति को कभी उच्तम स्तर तक कभी नहीं जाने दिया , क्योकि अगर ऐसा होता तो वो लंका का विनाश कुछ की पल में कर देते ,
हनुमान का अमरत्व का वरदान प्राप्त है और जब तक यह धरती रहेगी तब तक इस धरती पर रहेंगे , हनुमान जी के जीवित और हमारे बीच रहने के साबुत दिखने से पहले हम आपको बता रहे है की रामायण के बाद हनुमान जी कहा गए , जैसा की रामायण में भी बताया गया है की श्री राम जो की विष्णु अवतार थे उनके धरती छोड़ने तक हनुमान जी उनकी सेवा करते रहे , और उसके बाद उन्होंने वन को ही अपना स्थान बनाया , उसके बाद त्रेता युग का अंत हुआ और द्वापर युग का आरम्भ हुआ , आपको बता दे की द्वापर युग में भी हनुमान जी के दो बार दर्शन हुए है , पहली बार जब भीम जंगल में थे तो उन्हें एक बूढ़ा वानर मिला जो की बीम के रास्ते में लेता हुआ था , बीम ने उस वानर से कहा की ऐ वानर अपनी पूछ मेरे रास्ते से हटाओ नहीं तो उठाकर फेक दूंगा , भीम को अपने बल पर बहुत घमंड था , तब वानर के उस बड़े रूप में हनुमान जी ने कहा में अब बूढ़ा हो गया हूँ बार बार उठा नहीं जाता तुम ही अब जैसे चाहो मुझे अपने रास्ते से हटा दो , इसके बाद भीम ने पूरा प्रयास किया लेकिन वो हनुमान जी की पूछ तक को नहीं हिला पाए तब भीम को समझ आया की वो कोई साधारण वानर नहीं है तब भीम ने उनसे प्रार्थना की कि आप अपना असली रूप दिखाए आप कौन है , तब हनुमान जी ने भीम को अपना असली रूप दिखाया और भीम को समझाया कि बेवजह किसी को अपना बल दिखाना अच्छी बात नहीं है ,
इसके बाद भी महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण के कहने पर हनुमान जी ध्वज बनकर अर्जुन के रथ पर रहे, युद्ध समाप्त होने पर जैसे ही वह ध्वज खुद ही गायब हुआ तो वह रथ एक पल में राख बन गया और धूल में उड़ गया , जब अर्जुन ने इसके बारे में श्री कृष्ण से इसके बारे में पूछा तो श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि वो हनुमान जी थे जिनके कारण महा विनाशक अस्त्रों के सामने उनका रथ टिका रहा वरना कर्ण जैसे योद्धाओ के अचूक बाणो के सामने उनका रथ कभी नहीं टिक पाता , इस तरह हनुमान जी ने द्वापर युग में भी अपनी उपस्तिथि दर्ज करा दी , और द्वापर युग के सभी लोग मानने लगे कि हनुमान जी जीवित है ,
द्वापर युग के बाद शुरू हुआ कलयुग , और कलयुग में भी हनुमान जी कई बार लोगो के सामने आ चुके है जिसके कई सबूत हम आपको बताते है , चीन , इंडोनेसिया , कम्बोडिया और अलग अलग देशो में अलग अलग तरह कि कई बातें जिनमे जिक्र होता है महा शक्तिशाली वानर का आपको सुनने को मिल जाएंगी , चौदहवी सदी में ऋषि मध्वाचार्य ने हनुमान जी से साक्षात् बात होने कि बात कहि थी ,
सतहरवी सदी में तुलसीदास जी ने भी बताया कि हनुमान जी कहने पर ही उन्होंने रामचरित्रमानस लिखना शुरू किया था ,
उसके बाद भी अलग अलग साधु संतो ने हनुमान जी से मिलने या उन्हें देखने का दावा किया ,
अब अगर बात करे हनुमान जी के जिन्दा होने कि तो आप उसे देख नहीं पाओगे श्रीलंका में एक कबीला है जिसे मातंग कबीला कहा जाता है इस कबीले को लोगो को किसी साधु संत से काम नहीं माना जाता क्योकि इस कबीले के लोगो कि मानसिक सहनशक्ति और उनके विलक्षण गुण उन्हें बाकि लोगो से अलग करते है और खुद इन लोगो का मानना है कि हनुमान जी हर ४१ साल बाद उनसे मिलने आते है और ज्ञान देकर जाते है और यही ज्ञान उनकी आत्म शांति को स्थिर बनाए रक्त है कई लोग इस बात को सच नहीं मानते , लेकिन श्रीलंका और दक्षिण भारत में कई विशाल पेरो के निशान मिले है जिसे वैज्ञानिक भी सच मान चुके है कि यी किसी बहुत बड़े आकर के इंसान के ही पैर है ,
आज जब वैज्ञानिक इंसानो को होमोसेपियंस मानते है उनका भी मानना है कि आज से करीब १० हज़ार साल पहले जिनका शरीर हमारे जैसा था वे प्रजातिया लुप्त हो गयी और अब होमोसेपियंस कहि नहीं है लेकिन आज भी श्रीलंका और दक्षिण भारत में कई बार विशाल होमोसेपियंस जैसे दिखने वाले जीव को देखने कि बातें कई बार सामने आ चुकी है , हम अपने ही देश और अपने ही धर्म में हनुमान जी के अस्तित्व पर शक करते है जबकि खुद अमेरिका और कई अन्य देशो में वानर देव कि पूजा कि जाती है , अमेरिका में प्राचीन वानर देव का मंदिर मिला है जिसकी मूर्तियों की बनावट बिलकुल हनुमान जी से मिलती है , वहा की प्राचीन गाथाओ में भी वानर देव को अमर माना जाता है , हनुमान जी ने वरदान में अमरत्व को प्राप्त किया था और वो हमेसा धरती पर ही रहेंगे यह वचन उन्होंने श्री राम को दिया था , इन बातो के आधार पर हम यकीन के साथ कह सकते है की हनुमान जी आज भी हमारे बीच जिन्दा है ,
JAI SHREE RAM , JAI HANUMAN
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