तनहा से थे जिंदगी की भीड़ में
सोचा था कोई अपना नहीं है तक़दीर में
एक दिन आपने हमे अपना माना
तब पता चला कुछ खास था मेरे हाथो की लकीर में ,,
किसी के प्यार में दिल तड़पता है
किसी के इंतज़ार में दिल तड़पता है
क्या सजा दे इस दिल को जो
अपना होकर भी किसी और के लिए धड़कता है ,,
हर कदम पर इम्तेहान लेती है जिंदगी
हर वक्त न्य सदमा देती है जिंदगी
हम जिंदगी सी क्या सिकवा करे
आप जैसा दोस्त भी तो देती है जिंदगी ,,
हमारे बिना अधूरे आप रहोगे
कभी चाहा था किसीने ये तुम खुद कहोगे
ना होंगे हम तो ये आलम ना होगा
मिलेंगे बहुत पर कोई हमारी तरह पागल ना होगा ,,
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