दोस्तों ये कविता है उस बाप की जिसकी अकाल मृत्यु हो जाती है
तो वो सपने में आकर अपने दोस्तों से अपने भाइयो से और अपने
वालो से अपने बच्चो के लिए क्या कहता है ,
सबसे पहले वो अपने छोटे भाइयो के सपने आता है , और भाई से कहता है
औ मेरे भाई कुछ गम तो तुझे भी होगा मेरे जाने का
बच्चे मेरे हर रोज रास्ता देखते होंगे मेरे वापस आना का
माँ उनकी अब बेबस हुयी है कुछ ख्याल उसका भी रख लेना
बच्चो के मेरे हाथ सर पर तू रख देना ,
कभी कभी ही सही प्यार उन्हें भी कर देना
अपनों बच्चो को अगर 100 रूपये दो
हाथ पे मेरे बच्चो के भी कभी 2 रुपया तो रख देना ,
मेरे जाने से अब वो बेबस और लाचार हुवे
मन तो उनका हर दिन रोता होगा
जो बेटा रहता नहीं था बिना एक पल मेरे
अब हर रोज कैसे सोता होगा ,
बेटी मेरी जो हर रोज देती थी मुझे खाना खाने को
एक गुड़िया उसे भी ला देना उसका मन बहलाने को
हर रोज नहीं पर कभी कभी ही सही
जो मांगे वो दे देना ,
बड़े भाई की उम्मीद है तुमसे
कभी खिलोने उनको भी ला देना ,
अपनों को अगर 100 रूपये
हाथ पे उनके 2 रूपये तो रख देना ,,
और मेरे भाई चाचा का फर्ज निभा देना ..
फिर वो अपने बच्चो के लिए अपने दोस्तों के सपने में आता है
और दोस्त से कहता है ,
ऐ मेरे जिगरी यार बहुत करता था मुझसे प्यार
लेकिन अब बच्चो के लिए भीख मांगने को हूँ तैयार
अब लाचार हूँ कुछ कर नहीं सकता
घर उनको खिलोनो से भर नहीं सकता
भाभी तेरी लाचार हुयी
जिन्दागी बच्चो की हुयी बेकार
बेटी मेरे फोटो को लेकर है सोती
रात को वो खूब है रोती
हर दिन पूछती है मुझसे पापा तुम कब आओगे
और कहती है हम आप कुछ नहीं मांगेगे वापस आ जाओ बस एक बार
ऐ मेरे दोस्त इतनी सी मेरी बात मान
मेरे बच्चो को आपने बच्चो के जैसा ही जान
भूल कभी जो मुझसे हुयी हो माफ़ मुझे तू कर देना ,
जाके घर पर मेरे बच्चो के सर पर हाथ रख देना ,
हाँ मुझे मालूम है कुछ नहीं मांगेंगे वो तुझसे
यतीम हुए लाचार हुवे बिछड़ गए है जबसे मुझसे
कोई नहीं है अब उनका तुझसे आश लगाता हूँ
बेबस हूँ लाचार हूँ चाह भी उनका कुछ कर नहीं पाता हूँ ,
बच्चे मेरे हर रोज है रोते
रात को भी अब कहा है सोते
हर दिन लगाते है बस यही गुहार
पापा बस वापस आ जाओ एक बार ....
एक बाप अपने छोटे बच्चो से बिछड़ कर कैसे अपने भाई और दोस्त से गुहार लगाता है
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