आज मौसम में कुछ अजीब सी बात है
बेकाबू से हमारे जज्बात है
जी चाहता है तुमको चुरा लूँ तुझी से
पर माँ कहती है चोरी करना बुरी बात है ,,
क्यों हमे किसी की तलाश होती है
क्यों दिल को आपकी आश होती है
चाँद को देखो वो भी तनहा है जबकि
उसकी तो चांदनी से रोज मुलाकात होती है ,,
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दूँ
अपने दोस्त को क्या उपहार दूँ
कोई अच्छा सा फूल होता तो माली से मंगवाता
जो खुद गुलाब हो उसे क्या गुलाब दूँ ,,
भूल से कभी हमे भी याद कर लिया करो
प्यार से नहीं तो शिकायत ही कर लिया करो
इतना भी गैर ना समझो की बात ही ना किया करो
फ़ोन नहीं तो sms ही कर दिया करो ,,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें