हम खामोश थे तो मजबूर समझ लिया
चुप हुए तो गरूर समझ लिया
बस यही गलती हो गयी हमसे
की हमने आपको आवाज नहीं दी
और आपने हमे खुद से दूर समझ लिया ,,
आँखों में अरमान जीया करते है
सांसो से इंसान जीया करते है
जब जब तुम्हारी पलक झपकती है
समझ लेना हम तुम्हे याद किया करते है
ना वो आ सके ना हम कभी जा सके
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके
बस बैठे है उनकी यादो में
ना उन्होंने याद किया और ना हम भुला सके ,,
आज भीगी है पलके तुम्हारी याद में
आंसू सिमट गए अपने आप में
ओस की बुँदे ऐसे बिखरी है जमीन पर
मानो चाँद भी रोया हूँ आपकी याद में ,,
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