झाक रहे है इधर उधर सब
अपने अंदर झाके कौन ?
ढूंढ रहे है दुनिया में कमियां
अपने मन में ताके कौन ?
दुनिया सुधरे सब चिल्लाते
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
खुद पर आज विचारे कौन ?
सुधरने को मुर्ख सुधरेगा
पर बिल्ली के घंटी बांधे कौन ?
आज नहीं हम कल कर लेंगे
वकत की अहमियत जाने कौन ?
ठोकर लगेगी तब सम्भलोगे
ऐसे रोज संभाले कौन ?
हम सुधरे तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात स्वीकारे कौन ?
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