नमस्कार दोस्तों आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की भगवन शिव ने क्यों भगवान विष्णु के पुत्रो का संघार किया , क्यों भगवान शिव ने विष्णु के सभी पुत्रो को मारा ,
ऋषभ अवतार , बहुत काम लोग इसने बारे में जानते है , भगवान शिव ने विष्णु के पुत्रो को मारने के लिए ऋषभ अवतार लिया लेकिन ऐसा क्या हुवा की था जिसके कारन भगवान शिव को ये निर्णय लेना पड़ा ,
भगवान शिव के ऋषभ अवतार का वर्णन शिव महापुराण में मिलता है , जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओ और दानवो में भीषण युद्ध हुआ तब दानवो यानि राक्षसो से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहनी अवतार लिया था ,
कहा जाता है की भगवान विष्णु का ये मोहनी अवतार इतना आकर्षक था की कोई भी प्राणी , जैसे देवता , दानव या फिर इंसान जो भी इस रूप को देख लेता था वो उन्हें पाने की कामना करने लगता था , और इसी आकर्षण को देखते देखते राक्षश अमृत का मोह भूलकर मोहनी के मोह में फस गए , और इसी आकर्षण के चलते मोहनी ने राक्षसो को अमृत की जगह साधारण जल पीला दिया ,
अचानक से उन राक्षसो को पता चला की उनके साथ छल हुआ है तो उन्होंने देवताओ पर आक्रमण कर दिया , और हर बार की तरह इस बार भी भगवान विष्णु ने देवताओ को बचा लिया , और दानवो का संहार करना शुरू कर दिया ,
यह देख कर राक्षस पाताल लोक की और भागने लगे लेकिन भगवान विष्णु ने उनका पीछा किया , और पाताल लोक जा पहुंचे और सभी राक्षस जाती का अंत कर दिया ,
वही पर भगवान विष्णु ने देखा की कुछ अप्सरा बंदी गृह में बंद है जिन्हे इन दानवो ने बंदी बनाकर रखा था , भगवान विष्णु ने इन सभी को वह से मुक्त कराया , यहाँ जितनी भी अप्सरा कैद थी ये सभ भगवान शिव की भक्त थी ,
जिन्होंने भगवान शिव से वरदान माँगा था की विष्णु उनका स्वामी बने , भगवान शिव का पाताल लोक जाना और इन अप्सराओ को छुड़ाना ये सभी भगवान शिव की माया ही थी ,
वही अप्सराओ के कहने पर भगवान शिव इन सभी अप्सराओ के स्वामी बने , और ऐसा होने के बाद भगवान विष्णु वैकुण्ठ धाम छोड़ पाताल लोक में रहने लगे , कुछ समय बाद इन सभी अप्सराओ ने भगवान विष्णु के पुत्रो को जन्म दिया ,
लेकिन दुर्भाग्यवश ये पुत्र भगवान विष्णु की तरह न होकर असुर , दानव परवर्ती के थे , और जैसे जैसे भगवान विष्णु के ये पुत्र बड़े हुवे तो इन्होने लोगो पर , देवताओ पर , स्त्रियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया ,
तीनो लोक भगवान शिव के इन पुत्रो से बचने के लिए इधर उधर भागने लगे , इसके बाद ऋषि और देवता भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुंचे , और इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रार्थना की , इसके बाद भगवान शिव ने ऋषभ अवतार लिया , यह अवतार एक भयानक 4 पैर वाला जानवर था , और यह ऋषभ अवतार सीधे पाताल लोक जा पंहुचा और दानवो से युद्ध शुरू किया , लेकिन कुछ ही समय में ऋषभ अवतार ने विष्णु के सभी पुत्रो का वध कर दिया ,
जब ये बात भगवान विष्णु को पता चली की उनके पुत्रो को एक बैल ने मार डाला तो वो क्रोधित हो गए और उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़े , ऐसे में ऋषभ और भगवान विष्णु के बीच भयंकर युद्ध हुआ , दोनों ही देवता थे तो किसी भी हार अनिश्चित थी , ये युद्ध काफी लम्बे समय तक चला और इसके बाद भगवान विष्णु को ये आभास हुआ की ये कोई साधारण बैल या कोई साधारण अवतार नहीं बल्कि ये स्वयं भगवान शिव का अवतार है , ऐसा समझते ही भगवान विष्णु ने अपने हथियार फैक दिए , और उन्होंने युद्ध के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी , जिसके बाद भगवान शिव ने अपने वरदान के बारे में सबकुछ बताया ,
इसे सुनकर भगवान विष्णु ने भगवान शिव को नमस्कार किया और वैकुण्ठ लोट गए ,
तो दोस्तों ये था भगवान शिव के बहगवां विष्णु के पुत्रो को मारने का वर्णन , अगर आपको इससे कुछ भी ज्ञान या knowledage हुयी है तो इस पोस्ट को like और share करे .
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