एक बार चार बहनें थी ।भूख ,प्यास ,नींद और आशा । चारों बहनें अपने आप को एक दूसरे से बढ़कर बता रही थी । भूख कहती थी कि" मैं बड़ी हूं"। प्यास कहती थी कि "मैं बड़ी हूं"। नींद कहती थी कि "मैं बड़ी हूं "।और आशा कहती थी कि" तुम सब से मैं बड़ी हूं"। लेकिन इस बात का कोई फैसला नहीं हो पाया कि चारों में से कौन सी बहन श्रेष्ठ थी। जब चारों बहन आपस में इस बात को लेकर बहस कर रही थी तभी उनके घर के पास से एक बहुत ही बुद्धिमान पंडित जी गुजरे । उन्होंने चारों बहनों को आपस में जोर– जोर से झगड़ते सुना। तब वे घर के अंदर गए और पूछा कि क्या बात है ? तुम आपस में क्यों झगड़ रही हो? तब चारों बहनों ने अपनी बात पंडित जी को बताइ। तब पंडित जी बोले कि "मैं तुम्हारी इस समस्या का समाधान कर दूंगा "। तब सबसे पहले भूख बोली कि पंडित जी, "मैं इन सब में सबसे श्रेष्ठ हूं "।तो पंडित जी बोले बताओ ,तुम कैसे बड़ी हो? भूख बोली, कि इस संसार में भूख के ही कारण लोग अपने घरों में खाना बनाते हैं , नए-नए तरह के पकवान और व्यंजन बनाते हैं और जब मुझे भूख लगती है । तब वे सब मुझे भोजन कराकर अपनी भूख को मिटाते हैं। इसलिए मैं बड़ी हूं । पंडित जी बोले, कि चलो देखते हैं आज मैं पूरा दिन कुछ नहीं खाऊंगा । देखते हैं तब तुम कैसे रहोगी ? पंडित जी को पूरा दिन बीत गया और रात होने को आई थी । लेकिन पंडित जी ने कुछ भी नहीं खाया । जब भूख को भूख लगने लगी तब उसने अपने घर में पड़ी बासी रोटियों से अपनी भूख शांत की । भूख को ऐसा करते देख प्यास पंडित जी के पास आई और पंडित जी से बोली, कि पंडित जी देखो मैं बड़ी हूं । भूख अपनी भूख मिटाने के लिए घर में पड़ी बासी रोटी खा रही है । तब पंडित जी बोले अब तुम बताओ तुम श्रेष्ठ कैसे हो? तब प्यास बोली कि लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए कुआं खुदवाते हैं ,तालाब बनवाते हैं, अपने घरों में पानी के मटके भरकर रखते हैं और जब मुझे प्यास लगती है तब पानी पी कर मेरी प्यास मिटाते हैं ।इसलिए मैं श्रेष्ठ हूं । तब पंडित जी ने कहा– ठीक है देखते हैं, तुम किस प्रकार श्रेष्ठ हो ? उस दिन पंडित जी ने बिल्कुल भी पानी नहीं पिया ।रात बीतने को आई थी, प्यास को जब प्यास लगने लगी तो वह प्यास के कारण इधर उधर गड्ढों का पानी पीने लगी । तब नींद पंडित जी के पास आई और बोली कि –पंडित जी प्यास तो गंदा गड्ढे का पानी पी रही है ।इसलिए मैं ही श्रेष्ठ हूं । तब पंडित जी बोले कि तुम किस प्रकार श्रेष्ठ हो ? नींद बोली कि– मैं श्रेष्ठ इसलिए हूं कि जब मनुष्य को जब नींद आती है तो वह अपने लिए बिस्तर लगाता है ,पलंग बिछाता हैं , उस पर सोता है और आराम करता है । मनुष्य नींद के बिना नहीं रह सकता । इसलिए मैं श्रेष्ठ हूं । तो पंडित जी ने कहा ठीक है, ये भी देखते हैं कि तुम किस प्रकार श्रेष्ठ हो? पंडित जी ने पूरे दिन विश्राम नहीं किया । रात बीतने को आई थी पंडित जी बिल्कुल भी लेटे नहीं ,बल्कि एक तरफ बैठे हुए राम के नाम का जाप कर रहे थे । लेकिन जब नींद को नींद आई तो वह इधर उधर उबर –खाबर जगह पर बिना बिस्तर के ही पड़ कर सो गई । तब नींद को ऐसा देखकर आशा पंडित जी के पास आई और बोली कि पंडित जी मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूं । पंडित जी बोले कि तुम किस प्रकार श्रेष्ठ हो? तब आशा बोली कि मैं ही वह आशा हूं जब मनुष्य हर तरफ से निराश हो जाता है , तब मैं उसके मन में एक आशा का दीपक जलाती हूं, जिससे वह अपनी सारी मुसीबतों को पार कर जाता है । उसे भगवान पर भरोसा होता है कि एक दिन उसकी मेहनत रंग लायेगी और उसके बिगड़े काम बनेंगे । पंडित जी ने कहा कि चलो तुम्हें भी आजमा के देखते है । उस दिन पंडित जी ने कुछ भी काम नहीं किया । और अपने मन में निराश होकर बैठ गए। जब आशा ने पंडित जी के मन में जाकर आशा का एक दीपक जलाया । तभी राजा के सिपाही पंडित जी को ढूंढते ढूंढते उस स्थान पर आ पहुंचे और कहा कि पंडित जी आपको राजा ने बुलाया है । जैसे ही पंडित राजा के पास गया तो राजा ने उसे कहा कि पंडित जी आप हमारे राज्य के बहुत ही बुद्धिमान और ज्ञानी पंडित है । इसलिए मैं आपको आज से राज पंडित नियुक्त करता हूं और उन पंडित को राजा ने बहुत सारी सोने की मोहरे भेट स्वरूप दी । पंडित जी ने आशा से कहा कि – वाकई में तुम सर्वश्रेष्ठ हो ,क्योंकि जब आशा की किरण मन में जलती है तो मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर सकता है । मनुष्य भोजन,पानी और नींद के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है परंतु आशा के बिना मनुष्य एक पल भी नहीं रह सकता । जिंदगी से निराश व्यक्ति को ये सब भोग भी अच्छे नही लगते। हारे हुए इंसान की जिंदगी मौत के बराबर होती है । इसलिये व्यक्ति को अपने जीवन में आशा के दीपक को नहीं बुझने देना चाहिए ।
Who is the most powerful? Hunger, thirst, sleep and hope. one story
Once there were four sisters. Hunger, Thirst, Sleep and Hope. The four sisters were telling themselves more than each other. Hunger used to say "I am big". Thirst used to say "I am big". Sleep used to say that "I am older". And Asha used to say that "I am older than all of you". But no decision could be taken as to which of the four sisters was the best. When the four sisters were arguing among themselves about this matter, then a very intelligent Pandit ji passed by their house. He heard the four sisters quarreling loudly among themselves. Then he went inside the house and asked what was the matter? why are you fighting with each other? Then the four sisters told their story to Pandit ji. Then Pandit ji said that "I will solve your problem". Then first of all the hungry said that Pandit ji, "I am the best of all these". Hunger said that because of hunger in this world, people cook food in their homes, prepare new types of dishes and dishes and when I feel hungry. Then they all satisfy their hunger by feeding me. That's why I'm older. Pandit ji said, let's see, today I will not eat anything for the whole day. Let's see how will you be then? The whole day passed for Pandit ji and night had come. But Panditji did not eat anything. When the hungry started feeling hungry, he quenched his hunger with the stale rotis lying in his house. Seeing hunger doing this, thirst came to Pandit ji and said to Pandit ji, Pandit ji, look I am big. Hunger is eating stale bread lying in the house to satisfy his hunger. Then Pandit ji said, now tell me how are you the best? Then Thirst said that to quench their thirst, people dig wells, build ponds, keep water pots in their homes and drink water when I feel thirsty and quench my thirst. That's why I am the best. Then Pandit ji said – OK, let's see, how are you the best? That day Pandit ji did not drink water at all. The night had come to pass, when the thirsty started feeling thirsty, he started drinking water from pits here and there due to thirst. Then sleep came to Pandit ji and said that - Pandit ji is thirsty and is drinking dirty pit water. That's why I am the best. Then Pandit ji said that how are you the best? Sleep said that – I am the best because when a man sleeps, he sets up a bed for himself, puts a bed, sleeps on it and rests. Man cannot live without sleep. That's why I am the best. So Pandit ji said, okay, let us also see how best you are? Panditji did not rest for the whole day. The night had come to pass, Pandit ji was not lying down at all, but sitting on one side was chanting the name of Ram. But when the sleep came to sleep, she fell asleep without a bed here and there. Then seeing this sleep, Asha came to Panditji and said that Panditji, I am the best. Pandit ji said how are you the best? Then Asha said that I am the only hope when a man is disappointed from all sides, then I light a lamp of hope in his mind, by which he overcomes all his troubles. He has faith in God that one day his hard work will pay off and his bad deeds will be done. Pandit ji said that let's try and see you too. Panditji did not do any work that day. And he sat down disappointed in his heart. When Asha went to Panditji's mind and lit a lamp of hope. Then the king's soldiers came to that place looking for Pandit ji and said that Pandit ji has called you by the king. As soon as the pandit went to the king, the king told him that Pandit ji, you are a very intelligent and knowledgeable pandit of our state. That's why I appoint you as Raj Pandit from today and the king has presented many gold pieces to those Pandits. Pandit ji said to Asha that - you are really the best, because when the ray of hope burns in the mind, then man can achieve everything in his life. Man can live for a few days without food, water and sleep, but without hope man cannot live even for a moment. All these indulgences do not even look good to a person who is disappointed with life. The life of a loser is equal to death. That is why one should not let the lamp of hope go out in his life.