नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें व्रत कथा: नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि

 मां ब्रह्मचारिणी का श्लोक:

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||




 मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान मंत्र :
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

स्वरूप:

माता रानी के स्वरूप की बात करें तो शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हैं और दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित हैं।

नवरात्रि का दूसरा दिन - दुर्गा मां के भक्तों को नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है. लोग हर साल इसे बड़ी आस्था के साथ मनाते हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। वहीं दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini) को समर्पित है। ब्रह्मचारिणी शब्द का मतलब ब्रह्म यानि तपस्या का आचरण करने वाली। इसके साथ ही इनका एक दूसरा नाम भी है जो की तपस्चारिणी है। आज मां के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाएगी और उन्हें प्रसन्न किया जाएगा। लेकिन किसी भी देवी-देवता की पूजा से जुड़ा व्रत कर रहे हैं तो ऐसे में व्रत कथा पढ़नी बहुत जरूरी है। वरना पूजा अधूरी रह सकती है. ऐसे मे आपको ब्रह्मचारिणी मां की व्रत कथा के बारे में पता होना चाहिए । आज का हमारा यही विषय है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि ब्रह्मचारिणी मां की व्रत कथा क्या है. 




नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें व्रत कथा: 

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, पार्वती माता ने पुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया। माता पार्वती भगवान शंकर को पति के रूप में पाना चाहती थीं। तब नारद जी ने उन्हे सलाह दी कि उन्हें शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्हे तपस्या करनी होगी । तब माता ने कठोर तप किया। तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया। 1000 सालों तक इन्होंने फल और फूल खाकर अपना समय व्यतीत किया।कहते हैं कि कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर माता ने तपस्या की । जब माता ने फल और पत्तों को बिना खाएं तपस्या की तब इनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा । तब जाकर शिव जी ने इन्हें दर्शन दिए ।

नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करें। उसके बाद जमीन पर आसन या कोई कपड़ा बिछा ले और माता की मूर्ति या फोटो के सामने लाल फूल, माला, चावल, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। अब पंचामृत चढ़ाकर मिठाई का भोग लगाएं और माता के सामने पान, सुपारी, लौंग, इलाइची चढ़ाए। अब मंत्र का जप करें उसके बाद मां की आरती जरूर गाएं। क्योंकि बिना आरती के पूजा सफल नही मानी जाती। 
और इसी तरह आपको शाम के समय में भी आरती करके पूजा करनी है। 


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Shloka of Maa Brahmacharini:

Dadhana karpadmabhyamakshamalakamandalu. Devi Prasidatu Mayi Brahmacharinyanuttama ||





 Meditation Mantra of Maa Brahmacharini:
Japamalakamandalu Dharabrahmacharini Shubham Gauvarna Swadhisthanasthita II Durga Trinetram. Dhaval costumed brahmarupa pushpalankar bhushitam.

Form:

Talking about the nature of Mata Rani, according to the scriptures, Mother Brahmacharini is dressed in white clothes and is adorned with a garland of Ashtdal in her right hand and a kamandal in her left hand.

Second day of Navratri - The devotees of Durga Maa eagerly wait for Navratri. People celebrate it every year with great faith. Maa Shailputri is worshiped on the first day. The second day is dedicated to Maa Brahmacharini. The word Brahmacharini means Brahma i.e. one who practices penance. Along with this, she also has another name which is Tapascharini. Today Brahmacharini Mata, another form of mother, will be worshipped and she will be pleased. But if you are fasting related to the worship of any deity, then it is very important to read the fast story. Otherwise the worship may remain incomplete. In such a situation, you should know about the fast story of Brahmacharini Maa. This is our topic for today. Today we will tell you through this article what is the fast story of Brahmacharini Maa.




Read the fast story on the second day of Navratri:

According to mythological beliefs, Parvati Mata was born as a daughter in the house of the mountain king Himalaya. Mother Parvati wanted to have Lord Shankar as her husband. Then Narad ji advised her that she would have to do penance to get Shiva as her husband. Then the mother did severe penance. Due to penance, she was named Brahmacharini. For 1000 years, she spent her time eating fruits and flowers. It is said that for several thousand years, the mother did penance after being waterless and helpless. When the mother did penance without eating fruits and leaves, then she also got a name Aparna. Then Shiva ji appeared to them.

Worship method of the second day of Navratri
First of all get up in Brahma Muhurta and take bath. After that, spread a seat or any cloth on the ground and offer red flowers, garlands, rice, roli, sandalwood etc. in front of the idol or photo of the mother. Now offer sweets by offering Panchamrit and offer paan, betel nut, clove, cardamom in front of the mother. Now chant the mantra, after that definitely sing the aarti of the mother. Because worship without aarti is not considered successful.
And in the same way you have to worship by performing aarti in the evening time also.


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