मां कूष्मांडा का स्वरूप: मां कूष्मांडा को पूजा विधि: मां कूष्मांडा व्रत कथा: , Form of Maa Kushmanda: Worship method to Mother Kushmanda: Mother Kushmanda Vrat story:

 मां कूष्मांडा का स्वरूप:



पौराणिक कथाओं के अनुसार माता ने अपनी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी, इसलिए माता को सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। माता को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि माता की आठ भुजाएं हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है. देवी के हाथों में जो अमृत कलश है, वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वर देती है. मां सिंह की सवारी करती हैं, जो धर्म का प्रतीक है.

मां कूष्मांडा को पूजा विधि: 
नवरात्र में हरे या संतरी रंग के कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा का पूजन करें. पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें. मां कूष्मांडा को उतनी हरी इलाइची अर्पित करें जितनी कि आपकी उम्र है. हर इलाइची अर्पित करने के साथ "ॐ बुं बुधाय नमः" कहें. सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर रखें. इलाइची को शारदीय नवरात्रि तक अपने पास सुरक्षित रखें
इसके बाद उनके मुख्य मंत्र "ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः" का 108 बार जाप करें. चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.

मां कूष्मांडा व्रत कथा:
पराणिक कथाओं के अनुसार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था। कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है। कुम्हड़े को कुष्मांड कहा जाता है इसीलिए मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कुष्मांडा रखा गया था । देवी का वाहन सिंह है। जो भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधिवत तरीके से पूजा करता है उससे बल, यश, आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को लगाए गए भोग को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करती हैं। यह कहा जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं इसीलिए नवरात्रि के चौथे दिन उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाता है।

मां कूष्मांडा महामंत्र:
वन्दे वाछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वीनाम्।।
या 
देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


भागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर कार्तिकेय के जन्म के बीच का है. इस रूप में देवी संपूर्ण सृष्टि को धारण करने वाली है. मान्यता है कि संतान की इच्छा रखने वालों भक्तो को मां की उपासना करनी चाहिए. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो देवी के इस स्वरूप की उपासना से कुंडली के बुध से जुड़ी परेशानियां दूर हो सकती है. इनकी उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं.


मां कुष्मांडा के मंत्र
मां कुष्मांडा की उत्पत्ति
मां कुष्मांडा की आरती
कुष्मांडा देवी का बीज मंत्र
माँ कुष्मांडा फोटो
कुष्मांडा का अर्थ
कुष्मांडा फल
कूष्माण्ड होम
Form of Maa Kushmanda:
According to mythology, Mother created the universe with her dim smile, hence Mother is also called the Adishakti of the universe. Mata is also called Ashtabhuja Devi, because she has eight arms. In his seven hands, respectively, there are kamandal, bow, arrow, lotus flower, kalash, chakra and mace. In the eighth hand, there is a garland that gives all accomplishments and funds. The nectar urn in the hands of the goddess blesses her devotees with longevity and good health. The mother rides a lion, which is a symbol of religion.

Worship method to Maa Kushmanda:
Worship Maa Kushmanda in Navratri wearing green or orange colored clothes. During the worship, offer green cardamom, fennel or Kumhda to the mother. Offer as much green cardamom to Maa Kushmanda as you are of age. Say "Om Bu Budhay Namah" with each cardamom offering. Collect all the cardamom and keep it tied in a green cloth. Keep cardamom with you till Sharadiya Navratri
After this chant his main mantra "Om Kushmanda Devyai Namah" 108 times. If you want, you can also recite Siddha Kunjika Stotra.

Maa Kushmanda Vrat Story:
According to the legends, Maa Kushmanda was born to kill the demons. Kushmanda means pot. Kumhada is called Kushmanda that is why the fourth form of Maa Durga was named Kushmanda. The vehicle of the goddess is a lion. The devotee who worships Maa Kushmanda on the fourth day of Navratri in a proper manner, gets strength, fame, age and health. Maa happily accepts the bhog offered to Kushmanda. It is said that Maa Kushmanda is very dear to Malpua, that is why she is offered Malpua on the fourth day of Navratri.

Maa Kushmanda Mahamantra:
Vande wanted kamarthechandraghkritshekharam.
Sinharudha Ashtabhuja Kushmandayashwinam.
either
Goddess Sarvabhuteshu Maa Kushmanda Rupen Sanstha.
Namastasya Namastasya Namastasya Namo Namah.


According to the Bhagavata Purana, between the marriage of Goddess Parvati to the birth of Kartikeya. In this form, the Goddess is the one who holds the entire creation. It is believed that the devotees who wish to have children should worship the mother. If astrologers are to be believed, then by worshiping this form of Goddess, the problems related to Mercury in the horoscope can be overcome. By worshiping her, all the diseases and sorrows of the devotees are destroyed.

Mantras of Maa Kushmanda
Origin of Maa Kushmanda
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Meaning of Kushmanda
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