भगवान शिव ने किससे मांगी भिक्षा?
ये कहानी तब की है जब भगवान शंकर और मां पार्वती अक्सर कैलाश पर्वत पर पासा खेलते थे। तो एक दिन, भगवान शंकर और माता पार्वती के बीच में प्रकृति के महत्व और पुरुष की श्रेष्ठता को लेकर बहस हो गयी। क्योंकि भगवान शंकर पुरुष की श्रेष्ठता पर जोर दे रहे थे तो भगवान शंकर ने मां पार्वती से कहा कि संसार एक भ्रम है।
प्रकृति एक भ्रम है। सभी कुछ एक मृगतृष्णा है, यहाँ पल आता है और चला जाता है, यहां तक कि भोजन भी एक माया है। माता पार्वती जो भोजन सहित सभी भौतिक चीजों की जननी है, भगवान शिव की बात सुन कर माता पार्वती जी क्रोधित हो गई। तभी मां पार्वती बोली “अगर मैं सिर्फ एक भ्रम हूं, तो देखते है आप और बाकी दुनिया मेरे बिना कैसे रहते है,” ऐसा कहकर वो दुनिया से ग़ायब हो गई।
उनके लापता होने से ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। समय स्थिर हो गया, ऋतु परिवर्तन रुक सा गया, धरती बंजर हो गई और भयानक सूखा पड़ने लगा। आकाश, पाताल और धरती तीनों लोकों में मिलने वाला भोजन उपलब्ध नहीं था। देवता, दानव और मनुष्य भूख से तड़प रहे थे।
दुनिया भोजन से वंचित हो गई और हर जगह अकाल पड़ गया। जब भगवान शंकर के अनुयायी भोजन के लिए उनसे भीख माँगने लगे, तो भगवान शंकर ने अनुयायियों के लिए घर-घर जाकर भोजन की भीख माँगी। लेकिन किसी के पास कुछ भी देने के लिए नहीं था।भगवान विष्णु ने भगवान शंकर से कहा मैंने सुना है काशी में एक महिला ने लोगों के लिए भोजन दान करना शुरू किया है। भोजन की भीख माँगने के लिए भगवान शंकर काशी गए, लेकिन जब उन्हें पता चला की रसोई को चलाने वाली कोई और नही बल्कि उनकी पत्नी पार्वती ही थी।
वह बैंगनी और भूरे रंग के वस्त्र पहने और आभूषणों से सजी हुई थी, और वह एक सिंहासन पर बैठी हुई थी, और एक एक करके भूखे देवताओं और पृथ्वी के भूखे निवासियों को भोजन परोस रही थी। उन्होंने अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश को भी भोजन कराया।
मां पार्वती का यह सुंदर रूप कोई और नहीं बल्कि देवी अन्नपूर्णा देवी थीं, जो पूर्ण और संपूर्ण हैं। अन्नपूर्णा ने शिव को भिक्षा के रूप में भोजन कराया, और देवी ने प्रसन्न होकर कहा कि “मैं अन्नपूर्णा के रूप में काशी में निवास करुँगी।”
From whom did Lord Shiva ask for alms?
From whom did Lord Shiva ask for alms?
This story is from when Lord Shankar and mother Parvati often played dice on Mount Kailash. So one day, there was an argument between Lord Shankar and Mother Parvati about the importance of nature and the superiority of man. Because Lord Shankar was emphasizing on the superiority of man, Lord Shankar told Mother Parvati that the world is an illusion.
Nature is an illusion. Everything is a mirage, here the moment comes and goes, even the food is an illusion. Mother Parvati, who is the mother of all material things including food, got furious on hearing the words of Lord Shiva. Then Mother Parvati said, "If I am just an illusion, then let's see how you and the rest of the world live without me," saying that she disappeared from the world.
His disappearance caused an outcry in the universe. Time stood still, the change of seasons stopped, the earth became barren and there was a terrible drought. There was no food available in the three worlds of sky, paatal and earth. The gods, demons and humans were suffering from hunger.
The world was deprived of food and there was famine everywhere. When the followers of Lord Shankar started begging him for food, Lord Shankar went door to door begging for food for the followers. But no one had anything to give. Lord Vishnu said to Lord Shankar. I have heard that a woman in Kashi has started donating food for people. Lord Shankar went to Kashi to beg for food, but when he came to know that there was no one else running the kitchen but his wife Parvati.
She was dressed in purple and brown robes and adorned with ornaments, and she was seated on a throne, serving food one by one to the hungry gods and the hungry inhabitants of the earth. He also fed his sons Kartikeya and Ganesha.
This beautiful form of Maa Parvati was none other than Goddess Annapurna Devi, who is complete and complete. Annapurna offered food to Shiva in the form of alms, and the goddess was pleased and said that "I will reside in Kashi in the form of Annapurna."
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