तारकासुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था । उसने सृष्टि में चारों ओर हाहाकार मचा रखा था। उसे ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु शिव जी के पुत्र द्वारा होगी। शिव पार्वती के विवाह के पश्चात जब उनके पुत्र कार्तिक महाराज जी का जन्म हुआ। तब कार्तिक महाराज ने तारकासुर से युद्ध करके उसका वध कर दिया। सारे देवी देवताओं ने कार्तिक महाराज की जय जयकार की। तारकासुर के तीन पुत्र थे। तारकाक्ष, कमलाक्ष और विदुनमाली। तीनों पुत्रों ने मिलकर अपने पिता तारकासुर की मौत का बदला लेना चाहा । तीनों भाइयों ने मिलकर ब्रह्माजी की घोर तपस्या की। ब्रह्माजी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। और उनसे वरदान मांगने को कहा। उन तीनों ने अमर होने का वरदान मांगा।ब्रह्माजी ने कहा ये असंभव है इस सृष्टि में जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित हैं। इसलिए मैं तुम्हें ये वरदान नहीं दे सकता।कुछ और वरदान मांगो। इसके बाद तीनों भाईयों ने वरदान मांगा कि हमारी मृत्यु उस परिस्थिति में होनी चाहिए जब हम तीनों भाई एक साथ इक्कठे हो। और तीनों भाइयों ने अपने लिए अलग अलग भवनों के निर्माण की मांग की। तारकाक्ष ने अपने लिए स्वर्ण का, कमलाक्ष ने चांदी का और विदुनमाली ने लोहे के भवन की मांग की।ब्रह्माजी ने कहा तथास्तु। ऐसा ही हो। ये कहकर ब्रह्माजी अंतर्ध्यान हो गए। अब तीनों भाइयों ने सोचा कि अब से वे तीनों अलग अलग रहेंगे । ना ही हम तीनों इक्कठे होंगे और ना ही हमारी मृत्यु होंगी । तीनों भाइयों ने अलग अलग रहना शुरु कर दिया।तीनों भाईयों के अंदर से मृत्यु का डर खत्म हो गया था ।इसलिए तीनों भाई इंद्रादी सभी देवी देवताओं को परेशान करते थें। सभी देवता त्राहि त्राहि कर रहे थें। चारों ओर अधर्म फैल गया था।सभी देवता मिलकर शिव जी के पास गए। और अपनी समस्या को बताया। शिव जी ने कहा कि तुम सारे पशुओं का रूप धारण करों और मैं तुम सब का मालिक बनूंगा। सभी देवताओं ने ऐसा ही किया। सभी देवी देवताओं ने पशुओं का रूप धारण कर तीनों लोकों में हड़कंप मचा दिया और तीनों भाइयों को अपने भवनों से बाहर निकाल कर एक जगह इक्कठा कर दिया। तब शिव जी ने नंदी का रूप धारण किया । शिव जी ने ताराकाक्ष और विदुनमाली पर अपने सींगों से प्रहार किया। इतने में कमलाक्ष ने पीछे से आकर शिव जी के नंदी रूप के सिर पर प्रहार किया तब वो शीश कटकर नेपाल में जा गिरा। जहां पर शिव जी को पशुपतिनाथ के रूप में पूजा जाता है। और शिव के उस नंदी के रूप की जिसका शीश कट चुका था केदारनाथ में पूजा की जाती है। तब शिव ने क्रोध में आकर अपना असली रूप बनाया और तीनों भाइयों को अपने त्रिशूल से वध कर दिया।सब पशुओं का मालिक होने से भगवान शिव को पशुपतिनाथ कहा जानें लगा। तीनों भाइयों के वध के बाद सभी देवता वापिस अपने रूप में आ गए । और शिव की चारों ओर जय जयकार होने लगी। देवी देवताओं ने फूलों की वर्षा की। गंधर्व गान करने लगे। अप्सराएं नृत्य करने लगी।प्रसन्न होकर सभी देवता अपने अपने लोक को चले गए।तो भक्तों ये थी कथा भगवान शिव के पशुपतिनाथ रूप धारण करने की। जब भी इस सृष्टि पर संकट आता है भगवान भोले नाथ अपने भक्तों की रक्षा के लिए कोई भी रूप धारण कर लेते हैं।
How did Lord Shiva become Pashupatinath?
There was a mighty demon named Tarakasur. He had created an uproar all around in the universe. He had a boon from Brahma that he would die by the son of Shiva. After the marriage of Shiva Parvati, when his son Kartik Maharaj was born. Then Kartik Maharaj fought with Tarakasur and killed him. All the gods and goddesses hailed Kartik Maharaj. Tarakasur had three sons. Tarakaksha, Kamalaksha and Vidunmali. The three sons together wanted to avenge the death of their father Tarakasur. The three brothers together did severe penance for Brahmaji. Pleased with his penance, Brahmaji appeared to him. And asked him to ask for a boon. All three of them asked for the boon of being immortal. Brahmaji said that it is impossible, the one who has taken birth in this world is sure to die. That's why I cannot give you this boon. Ask for some more boon. After this, the three brothers asked for a boon that we should die in that situation when all three of us are together. And the three brothers demanded the construction of separate buildings for themselves. Tarakaksha asked for gold, Kamalaksha asked for silver, and Vidunmali asked for an iron building. Brahmaji said good. I hope so. Saying this Brahma ji became indignant. Now the three brothers thought that from now on all three of them would be separate. Neither the three of us will be together nor will we die. The three brothers started living separately. The fear of death was over from the inside of the three brothers. Therefore all the three brothers Indradi used to trouble all the deities. All the gods were wailing. Unrighteousness was spread all around. All the gods together went to Shiva. and told his problem. Shiva said that you take the form of all animals and I will be the master of all of you. All the gods did the same. All the gods and goddesses took the form of animals and created a stir in the three worlds and took the three brothers out of their buildings and gathered them at one place. Then Shiva took the form of Nandi. Shiva struck Tarakaksha and Vidunmali with his horns. In this, Kamalaksha came from behind and hit the head of Nandi form of Shiva, then he fell in Nepal after cutting his head. Where Shiva is worshiped as Pashupatinath. And that Nandi form of Shiva whose head was cut off is worshiped in Kedarnath. Then Shiva got angry and made his real form and killed the three brothers with his trident. Lord Shiva was known as Pashupatinath because of being the owner of all the animals. After the killing of the three brothers, all the gods returned in their form. And there was hailing of Shiva all around. The gods and goddesses showered flowers. Gandharvas started singing. Apsaras started dancing. All the gods went to their respective worlds after being pleased.
So devotees, this was the story of Lord Shiva taking the form of Pashupatinath. Whenever there is a crisis on this creation, Lord Bhole Nath takes any form to protect his devotees.
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