Identity of a true devotee. Who is the true devotee? सच्चे भक्त की पहचान। कौन है सच्चा भक्त।

 बात पुराने समय की है। एक बहुत गरीब औरत थी । कुछ समय पहले उसके पति का देहांत हो गया था । वह अकेले ही अपनी बेटी का पालन पोषण कर रही थी ।  वह गांव के लोगों के घरों में झाड़ू लगाने का काम करती थी । वह मां दुर्गा की भक्त थी । मां दुर्गा में पूर्ण श्रद्धा होने के कारण वह गांव के दुर्गा मंदिर में भी साफ सफाई काम करती थी । कुछ ही दिनों में नवरात्रि शुरू होने वाले थे । एक दिन उसकी बेटी बोली कि मां इस बार नवरात्र में मैं भी पूजा करूंगी और मां दुर्गा के व्रत रखूंगी । मां बोली बेटी नवरात्रि के व्रत बहुत कठिन होते हैं । मैं तुम्हे व्रत के दिनों में क्या खिलाऊंगी । हमारे पास इतना धन नहीं है ।  क्या तू पूरे नौ दिन तक भूखी रह सकोगी ? बेटी बोली हां  मां मैंने सोच लिया ।  मैं भी तेरे साथ इस बार व्रत रखूंगी ।  इस तरह दोनों मां बेटी ने व्रत करने की तैयारी शुरू कर दी । उस औरत ने इधर उधर से कुछ पैसों का इंतजाम करके पूजा का सामान खरीदा ।आज नवरात्रि का पहला दिन था । उसने अपनी बेटी  से पूछा – तुझे भूख तो नहीं लगी है । बेटी ने हंसते हुए कहा लगी तो है पर थोड़ी थोड़ी । दोनों मां बेटी मां दुर्गा को फूल अर्पित करने के लिए मंदिर जाती हैं ।इन फूलों के सिवाय मां दुर्गा को अर्पण करने के लिए उनके पास कुछ नहीं था । मंदिर में प्रवेश करने समय पुजारी उन्हें मंदिर के द्वार पर ही रोक कर बोला – कि तुम मां बेटी कहां अंदर जा रही हो ? ये कैसे फटे पुराने कपड़े पहने हुए है ? ये कपड़े मैले भी है । जाओ पहले नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर आओ । तब मंदिर में प्रवेश करना। उस औरत ने कहा पुजारी जी दुर्गा मां तो भक्तों का मन देखती है , उनके कपड़े नहीं ।  आप हमें कृपया करके मंदिर में प्रवेश करने दे । हमें मां दुर्गा को यह फूल अर्पित करने है । परंतु पुजारी ने उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया । दोनों मां बेटी लाए हुए फूलों को दुर्गा माता के मंदिर के द्वार पर ही अर्पित कर देती हैं ।मन ही मन मा दुर्गा का नाम जपते हुए घर आ जाती हैं । अगले दिन पुजारी मंदिर के द्वार खोलता है तो यह देखकर हैरान हो जाता है, कि कल के चढ़ाए सारे फूल मुरझा गए हैं । मगर द्वार के पास पड़े फूल अभी भी ताजे हैं ।यह देखकर पंडित आश्चर्य में पड़ जाता है वह सोचता है कि मंदिर तो मैंने अभी अभी खोला है फिर ये फूल किसने चढ़ाए ?  उधर दोनो मां और बेटी सच्चे मन से माता की भक्ति में मगन थी । इसी तरह दिन बीत गए और महाष्टमी आ गई । उस औरत ने मां दुर्गा को भोग लगाने के लिए थोड़े से चने , पूरी और हलवा बनाया था । उस सामग्री को उस औरत ने बहुत ही मेहनत से इकट्ठा किया था । औरत कहती है बेटी आ जाओ व्रत के पारण का समय हो गया है ।मां की पूजा करने के बाद दोनों मां बेटी अभी खाना खाने बैठी ही थी कि बाहर से एक बूढ़ी औरत की आवाज आई ।अरे! कोई इस बुढ़िया को भी खाने के लिए कुछ कुछ दे दो ।दोनों मां बेटी देखती है कि एक बूढ़ी मां खाना मांग रही है ।वह बहुत ही कमजोर है । इसलिए दोनों मां बेटी अपना खाना उस बूढ़ी औरत को दे देती है । बुढ़िया खाना खाकर तृप्त हो जाती है । वह उनको एक छोटी सी पोटली देते हुए कहती है, इसे अपने पूजा के स्थान पर रख दो और इसे विजयादशमी के दिन ही खोलना ।उसके बाद मंदिर में जाकर माता के दर्शन कर लो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे । दोनों मां बेटी फिर थोड़े से फूल लेकर डरते डरते मंदिर पहुंचते हैं । उन्हें देखते ही पंडित बोला भिखारिन कहीं की ,तुम दोनों आज फिर मंदिर आ गई । तुम गरीब भिखारिन होते ही ऐसे हैं जो एक बार में बात समझते ही नहीं । औरत ने कहा पुजारी जी माता ने हमें कभी मंदिर में पूजा करने से मना नहीं किया । फिर आप हमें मंदिर में प्रवेश करने से क्यों रोकते हैं ? मुझे बस इतना पता है कि माता के दरबार में सब बराबर होते हैं । माता की नजरों में कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता । इसलिए हमें भी माता की पूजा और दर्शन करने दीजिए । पंडित बोला , अब तू मुझे पंडिताई का पाठ पढ़ाएगी ? और वह मंदिर में आए हुए लोगों की ओर देखकर कहता है इसे मन्दिर  से निकाल बाहर करो । लोग वहां से उन्हें खदेड़ने लगते हैं जैसे की वे कोई जानवर हो । इस भागदौड़ में बेटी  के हाथ से फूल मंदिर के प्रांगण में गिर जाते हैं । अगले दिन जब लोग मंदिर में जाते हैं तो देखते हैं कि दोनों मां और बेटी के गिरे हुए फूल अभी ताजे हैं । पंडित बोला लगता है यह मां बेटी दोनों डायन और जादूगरनियां है ।उन्होंने ही मन्दिर पर जादू किया हुआ है । भाइयों उन दोनों को पकड़कर यहां लाना होगा । उनका फैसला यहां देवी मां के सामने होगा । लोग दोनों मां बेटी को पकड़कर मंदिर में लाते हैं ।पंडित बोला –;सच-सच बताओ तुम लोगों ने यहां क्या जादू कर रखा है ? हम सब भक्ति से मां की पूजा करते हैं फिर भी हमारे फूल तो मुरझा जाते हैं और तुम गरीब भिखारिन जिन्हें ना पहनने का ढंग है और ना ही पूजा की कोई विधि पता है । उन के फूल कैसे ताजे रहते हैं । औरत बोली पुजारी जी हमने कुछ नहीं किया है । हम कोई जादूगर नहीं है । तभी दूसरे लोग कहने लगते हैं कि ये ऐसे मुंह नहीं खोलेगी और लोग उन्हें पीटना शुरू कर देते हैं । बेचारी औरत वहां गिर जाती है और बेटी दौड़कर अपनी मां से लिपट जाती है । तभी वहां बहुत जोर की आंधी चलती है । इसके बाद आगे का दृश्य देखकर लोगों की आंखें फटी रह जाती हैं । उनके सामने साक्षात मां दुर्गा प्रकट होती है । सभी लोग मां के सामने झुक जाते हैं । दुर्गा मां को सामने देखकर मां और बेटी की आंखों से आंसू बहने लगते हैं ।दुर्गा मां कहती है कि मेरा भक्त वही है जो सच्चे मन से मेरी पूजा करें । तुम लोग क्या सोचते हो – कि भक्ति सिर्फ सजावट से और पंडाल से ही होती है । भक्ति सीखनी है तो मेरी इस भक्त से सीखो ।इसकी भक्ति का ही प्रताप था कि इसकी प्रेम से खिलाई गई दो पूरी से ही मैं तृप्त हो गई । दुर्गा मां की आवाज सुनकर औरत के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा । दोनों मां बेटी समझ चुकी थी कि बुढ़िया के भेष में  मां दुर्गा थी । वे मां के सामने प्रणाम करती है । और कहती है कि हे! ममतामई दयालु मां हम सब आपके बच्चे हैं । मैं सबकी तरफ से आपसे क्षमा मांगती हूं । हमारे पापों को क्षमा करें और हमें अपने चरणों में शरण दे । पुजारी को अपनी गलती का एहसास होता है । वह कहता है मां हमसे बहुत बड़ा अपराध हो गया है ,मुझे माफ कर दो । मैंने इन दोनों मां बेटी जैसी तुम्हारी कई भक्तों को इस मंदिर में आने से रोक कर बहुत बड़ा अपराध किया है । सभी के इस प्रकार माफी मांगने से देवी मां का क्रोध शांत हो जाता है । इसके साथ ही आंधी थम जाती है । बुझे हुए दीपक फिर से जलने लगते हैं । मां दुर्गा कहती है कि आज मैं इन दोनों की भक्ति से प्रसन्न होकर इस गांव को सुख समृद्धि और धन-धान्य से भरपूर होने का आशीर्वाद देती हूं । इतना कहकर दुर्गा मां अंतर्ध्यान हो जाती है । सारे गांव वाले उस औरत  से माफी मांगते हैं । उस दिन के बाद किसी का भी मंदिर में प्रवेश वर्जित नहीं रहा । विजयदशमी के दिन जैसे ही उस औरत और उसकी बेटी ने पोटली खोली जिसे मां दुर्गा बुढ़िया के भेष में आकर दे गई थी । उसमें से  बहुत सारे हीरे जवाहरात और माणिक निकले । यह देखकर उन दोनों की आंखों में आंसू आ गए और मन दुर्गा मां के प्रति श्रद्धा से भर गया उस दिन से उनके जीवन में कोई कमी नहीं रही ।




Identity of a true devotee. Who is the true devotee?


It's an old thing. was a very poor woman. Some time ago her husband had passed away. She was raising her daughter alone. She used to do the work of sweeping the houses of the people of the village. She was a devotee of Maa Durga. Due to full faith in Maa Durga, she also used to do cleanliness work in the Durga temple of the village. Navratri was about to start in a few days. One day her daughter said that mother this time in Navratri, I will also worship and keep the fast of Mother Durga. Mother said – Daughter Navratri fasting is very difficult. What shall I feed you during the fasting days? We don't have that much money. Will you be able to stay hungry for nine whole days? Daughter said yes mother, I thought. I will also fast with you this time. In this way both the mother and daughter started preparing for fasting. The woman bought the items of worship after arranging some money from here and there. Today was the first day of Navratri. He asked his daughter - are you hungry? The daughter laughed and said that it is but a little bit. Both mother and daughter go to the temple to offer flowers to Maa Durga. Apart from these flowers, they had nothing to offer to Maa Durga. While entering the temple, the priest stopped him at the entrance of the temple and said – where are you mother daughter going inside? How is he wearing torn old clothes? These clothes are dirty too. Go first, wash your bath and wear clean clothes. Then enter the temple. The woman said that the priest, Durga Maa, looks after the mind of the devotees, not their clothes. Please allow us to enter the temple. We have to offer this flower to Maa Durga. But the priest did not allow him to enter the temple. Both the mothers offer the flowers brought by the daughters at the door of the temple of Durga Mata. They come home chanting the name of Maa Durga in their mind. The next day the priest opens the door of the temple and is surprised to see that all the flowers offered yesterday have withered. But the flowers lying near the door are still fresh. Seeing this, the pundit is surprised, he thinks that I have just opened the temple, then who offered these flowers? On the other hand, both the mother and the daughter were engrossed in the devotion of the mother with a true heart. In this way the days passed and Mahashtami arrived. That woman had made some gram, poori and pudding to offer to Maa Durga. That material was collected by that woman very hard. The woman says come daughter, it is time to break the fast. After worshiping the mother, both the mother and daughter were just sitting down to eat when an old woman's voice came from outside. Hey! Somebody give this old lady something to eat too. Both mother and daughter see that an old mother is asking for food. She is very weak. That's why both mother and daughter give their food to that old lady. The old lady gets satisfied after eating food. She gives them a small bundle and says, keep it at your place of worship and open it only on Vijayadashami. Both mother and daughter then reach the temple in fear with some flowers. On seeing them, the pundit said that the beggar somewhere, both of you came to the temple again today. You are a poor beggar who does not understand the matter at once. The woman said that the priest Ji Mata never forbade us to worship in the temple. Then why do you stop us from entering the temple? All I know is that everyone is equal in the court of the mother. No one is small or big in the eyes of a mother. Therefore, let us also worship and have darshan of the mother. Pandit said, now you will teach me the lesson of Panditai? And looking at the people who came to the temple, he says, take him out of the temple. People start chasing them from there as if they are some animal. In this run, flowers fall from the hands of the daughter in the courtyard of the temple. The next day when people go to the temple, they see that the fallen flowers of both mother and daughter are still fresh. Pandit said it seems that both mother and daughter are witches and sorcerers. They have done magic on the temple. Brothers, both of them will have to be caught and brought here. His decision will be here in front of the Mother Goddess. People catch both the mother and daughter and bring them to the temple. The pandit said - Tell the truth, what magic have you guys put here? We all worship the mother with devotion, yet our flowers wither away and you poor beggars who do not know how to wear or any method of worship. How do their flowers stay fresh? The woman said priest, we have not done anything. We are not magicians. Then other people start saying that she will not open her mouth like this and people start beating her. The poor woman falls there and the daughter runs and clings to her mother. Then there is a very strong storm. After this, seeing the scene ahead, people's eyes remain torn. Maa Durga appears in front of him. Everyone bows before the mother. Seeing Durga Maa in front, tears start flowing from the eyes of mother and daughter. Durga Maa says that my devotee is the one who worships me with a true heart. What do you guys think - that devotion is done only by decoration and by the pandal. If you want to learn devotion, then learn from this devotee of mine. It was the glory of its devotion that I was satisfied with two puris fed by its love. Hearing the voice of Durga Maa, the woman's surprise knew no bounds. Both mother and daughter understood That in the guise of an old lady was Maa Durga. She bows before her mother. And says hey! Mamtamay gracious mother, we are all your children. I beg your apologies on behalf of everyone. Forgive our sins and give us shelter at your feet. The priest realizes his mistake. He says mother, we have committed a big crime, forgive me. I have committed a great crime by preventing many of your devotees like these two mother and daughter from coming to this temple. By apologizing like this to everyone, the anger of the Mother Goddess gets pacified. With this the storm stops. The extinguished lamp starts burning again. Maa Durga says that today I am pleased with the devotion of both of them and bless this village to be full of happiness, prosperity and wealth. Saying this, Durga Maa becomes intrigued. All the villagers apologize to that woman. After that day no one was barred from entering the temple. On the day of Vijayadashami, as soon as the woman and her daughter opened the bundle, which was given to Mother Durga in the guise of an old lady. Many diamonds, gems and rubies came out of it. Seeing this, both of them got tears in their eyes and their mind was filled with reverence for Durga Maa, since that day there was no shortage in their life.

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