एक समय की बात है ।एक बूढ़ा व्यक्ति था । उसके सात पुत्र थें । सातों पुत्रों का विवाह हो चुका था । सातों बहुओं में से सबसे बड़ी बहू एक नेक, दयालु और अच्छे स्वभाव की थी । किंतु छ: बहुएं लालची , घमंडी और कामचोर थी । एक समय कार्तिक मास आ रहा था । तो बूढ़े व्यक्ति ने अपनी सातों बहुओं से कहा कि मैं कार्तिक स्नान करना चाहता हूं । तो तुम सातों में से कौन मुझे कार्तिक का स्नान करवाएगी । तो सबसे बड़ी बहू बोली पिता जी मैं आपका कार्तिक स्नान करवाऊंगी । बाकी की बहुओं ने अपने ससुर को मना कर दिया कि हम से ये सब नही होगा। बूढ़ा व्यक्ति अगले दिन अपनी सबसे बड़ी बहू के घर कार्तिक स्नान करने के लिए गया । कार्तिक स्नान में ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करना होता है। जैसे ही वह सुबह– सुबह स्नान करके बाहर आया, उसने अपनी गीली धोती को रस्सी पर डाल दिया । उसकी गीली धोती की बूंदे जमीन पर गिरने लगी । वह पानी की बूंदे मोतियों में बदल गई ।यह देखकर बाकी छह बहुओं के मन में लालच जाग गया और उन्होंने कहा पिताजी अब आप हमारे घर पर ही कार्तिक स्नान करें । तो बूढ़े ने कहा कि मुझे क्या ,मुझे तो केवल स्नान करने से मतलब है । कल से तुम्हारे यहां स्नान कर लिया करूंगा। अगले दिन बूढ़ा व्यक्ति अपनी दूसरी बहू के पास गया और कार्तिक स्नान किया । स्नान करने के बाद जब उसने अपनी गीली धोती रस्सी पर डाली , तो उसकी धोती में से पानी की बूंदे जमीन पर गिरी और पानी की बूंदे कीचड़ में बदल गई । यह देख कर के बहू को बहुत गुस्सा आया और उसने बूढ़े व्यक्ति को अपने यहां कार्तिक स्नान करने से मना कर दिया। बूढ़ा व्यक्ति फिर से अपनी बड़ी बहू के यहां स्नान करने लग गया । फिर कुछ दिनों बाद कार्तिक स्नान बीत गया । फिर एक दिन बूढ़े के मन में विचार आया कि क्यों ना मैं सभी परिवार को कार्तिक स्नान के पूर्ण होने पर एक अनुष्ठान करूं और पूरे परिवार को भोजन खिलाऊं। तो बूढ़े व्यक्ति ने अपनी सबसे बड़ी बहू से कहा कि मैं पूरे परिवार को भोजन खिलाना चाहता हूं । बहू ने कहा क्यों नहीं पिताजी जैसा आप कहें । बूढ़ा व्यक्ति भोजन का न्यौता देने के लिए बाकी छह बहुओं के पास गया । तो छह की छह बहुओं ने कहा कि जब हम सब भोजन करने आए तो सबसे बड़ी बहू वहां नहीं होनी चाहिए वरना हम नहीं आएंगे । उनकी इस बात को सुनकर बूढ़ा परेशान हो गया कि वह अपनी सबसे बड़ी बहू को यह बात कैसे बताएगा ? वह वापस घर आ गया और बहू को सारी बात बताई । तो बडी बहू ने बड़े प्यार से कहा ,कोई बात नहीं पिताजी अगर वह सब मेरे साथ भोजन नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं ।मैं खेत पर चली जाऊंगी और जाने से पहले सबके लिए खाना बना के रख दूंगी । बहू बिल्कुल वैसा ही करती है जैसा उसने कहा होता है । अगले दिन वह अपने लिए चार रोटी बांधकर खेत की ओर निकल जाती है और वहां पर जाकर के पक्षियों को खाना खिलाती है । उसी समय उसकी छह बहुएं दावत के लिए पहुंच जाती हैं और खाना खाने के बाद बहुएं रसोई में जाकर बचे खाने में कंकड़ और पत्थर डाल देती हैं । ताकि सबसे बड़ी बहू खाना ना खा पाए और अपने घर वापिस आ जाती हैं । फिर जब बड़ी बहू वापस घर आती है और खाना खाने के लिए रसोई घर में जाती है, बर्तन का ढक्कन उठा कर देखती है । उसको देखने के बाद उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता । क्योंकि कंकड़ और पत्थर हीरे और मोतियों में बदल चुके थे ।उसने देखा कि रसोई घर के सारे बर्तन हीरे और जेवरात से भर गए हैं । यह देखकर वह अपने ससुर को आवाज लगाती है। ससुर रसोई घर में आता है और पहले तो सब कुछ देख कर वह थोड़ा चौंक जाता है । पर बाद में वह धीरे से मुस्कुराता है और कहता है कि यह तुम्हारे सच्चे मन से की गई तपस्या और तुम्हारे परिश्रम का फल है।
Seven Bahus, and importance of Kartik Sanan
Once upon a time there was an old man. He had seven sons. Seven sons were married. The eldest daughter-in-law among the seven daughters-in-law was noble, kind and good-natured. But the six daughters-in-law were greedy, arrogant and sleazy. Once, Kartik month was coming. So the old man told his seven daughters-in-law that I want to take a Kartik bath. So which of the seven of you will make me take Kartik's bath? So the eldest daughter-in-law said, Father, I will get you Kartik bath. The rest of the daughters-in-law refused their father-in-law that all this would not happen to us. The next day the old man went to his eldest daughter-in-law's house for Kartik's bath. In Kartik bath one has to take bath only in Brahma Muhurta. As soon as he came out after taking a bath early in the morning, he put his wet dhoti on the rope. Drops of his wet dhoti started falling on the ground. Those drops of water turned into pearls. Seeing this, greed awakened in the minds of the other six daughters-in-law and they said, Father, now you should take a Kartik bath at our house. So the old man said what to me, I mean only by taking a bath. I will take bath with you from tomorrow. The next day the old man went to his other daughter-in-law and took Kartik's bath. After bathing when she put her wet dhoti on the rope, drops of water from her dhoti fell on the ground and the water droplets turned into mud. Seeing this, the daughter-in-law got very angry and she refused to let the old man take a Kartik bath in her place. The old man again started taking bath at his elder daughter-in-law's place. Then after a few days Kartik bath passed. Then one day the thought came in the mind of the old man that why not do a ritual on the completion of Kartik Snan for all the family and feed the whole family. So the old man told his eldest daughter-in-law that I want to feed the whole family. The daughter-in-law said why not father as you say. The old man went to the other six daughters-in-law to invite him for food. So the six daughters-in-law of the six said that when we all came to have food, the eldest daughter-in-law should not be there or else we would not come. Hearing this, the old man got upset that how would he tell this to his eldest daughter-in-law? He came back home and told everything to the daughter-in-law. So the elder daughter-in-law said very lovingly, "It's okay, dad, if they all don't want to have food with me, then it doesn't matter. I will go to the farm and prepare food for everyone before leaving." The daughter-in-law does exactly as she is told. The next day she leaves for the field after tying four rotis for herself and goes there and feeds the birds. At the same time her six daughters-in-law arrive for the feast and after having dinner, the daughters-in-law go to the kitchen and put pebbles and stones in the remaining food. So that the eldest daughter-in-law is not able to eat food and comes back to her home. Then when the elder daughter-in-law comes back home and goes to the kitchen to eat, she lifts the lid of the pot and sees it. He couldn't believe his eyes after seeing him. Because the pebbles and stones had turned into diamonds and pearls. He saw that all the utensils in the kitchen were filled with diamonds and jewellery. Seeing this, she calls out to her father-in-law. Father-in-law comes to the kitchen and is a bit shocked to see everything at first. But later he smiles softly and says that this is the result of your sincere penance and hard work.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें