बहुत पुरानी बात है । किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था । गरीबी के कारण वो दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं कर पाता था । इसलिए कभी-कभी उसका परिवार पूरे दिन बिना भोजन के भी रहता था । वह रोज काम तलाशता था । लेकिन उसे कहीं काम नहीं मिलता । अंत में एक दिन उसने गांव छोड़कर शहर में काम करने का निर्णय लिया । अगले ही दिन ब्राह्मण शहर के लिए चल दिया । बहुत दूर चलने के बाद वह घने जंगल में पहुंच गया । ब्राह्मण को बहुत भूख लग रही थी । ब्राह्मण जंगल में खाने के लिए कुछ फल तलाशने लगा । तभी उसने देखा कि एक गड्ढे में एक शेर गिरा हुआ है । जैसे ही शेर ने ब्राह्मण को देखा तो कहने लगा कृपया ! मुझे बचा लो मेरी पत्नी और मेरे बच्चे मेरा इंतजार कर रहे हैं । मैं तुम्हारा आभारी रहूंगा । ब्राह्मण ने कहा – यदि मैं तुम्हें बाहर निकाल लूं ,तो तुम मुझे मार डालोगे । इस पर शेर बोला मैं इस समय मुसीबत में हूं ,तुम मेरा विश्वास करो , मैं तुम्हें नहीं मारूंगा । यह सुनकर ब्राह्मण ने शेर को बाहर निकाल लिया । शेर बाहर निकल कर ब्राह्मण से बोला – मेरा घर पहाड़ी के पास ही है, यदि तुम्हें मेरी कोई भी मदद चाहिए ।तो तुम किसी भी समय वहां आ सकते हो । इसके बाद जैसे ही ब्राह्मण आगे बढ़ा तो उसने देखा कि एक गड्ढे में आगे एक बंदर पड़ा हुआ है । ब्राह्मण को देखकर बंदर बोला कि कृपया ! मुझे बाहर निकाल दो । ब्राह्मण ने बंदर को भी बाहर निकाल लिया । बंदर ने बाहर आकर ब्राह्मण का धन्यवाद किया और कहा कि आप हर प्रकार के फल मेरे घर से ले जा सकते हैं । जब ब्राह्मण आगे चला तो उसने देखा कि एक गड्ढे में एक सांप पड़ा हुआ है ,सांप ने जब ब्राह्मण को देखा तो मदद मांगने लगा लेकिन ब्राह्मण बोला – तुम सांप हो तुम मुझे काट लोगे , मैं तुम्हें नहीं निकाल सकता । लेकिन सांप के बार-बार आग्रह करने पर ब्राह्मण ने सांप को भी बाहर निकाल दिया । सांप ने उसे धन्यवाद दिया और जरूरत के समय याद करने को कहा । जैसे ही ब्राह्मण आगे चला तो आगे एक गड्ढे में एक आदमी गिरा हुआ था । आदमी ब्राह्मण को देखकर बोला कि कृपया ! मुझे बाहर निकालो । ब्राह्मण ने उस आदमी को बाहर निकाल लिया । उसने ब्राह्मण का आभार व्यक्त किया और बताया कि मैं एक सुनार हूं , मुझसे कभी कोई काम हो तो जरुर याद करना । ब्राह्मण ने फिर अपनी यात्रा शुरू कर दी । लेकिन बहुत खोजने पर उसे काम नहीं मिला । ब्राह्मण परेशान होकर नदी में कूदने लगा तभी उसे शेर ,बंदर ,सांप और सुनार के किए हुए वादे याद आ गए ।इसलिए वो उन सभी के घर की तरफ चल पड़ा । सबसे पहले ब्राह्मण बंदर के घर गया । उसने बंदर के यहां बहुत से फल खाए और कुछ समय आराम किया । फिर वह शेर के घर की ओर चल दिया । शेर ब्राह्मण को देख कर बहुत खुश हुआ । शेर ने ब्राह्मण को सोने की कीमती चेन दी। जो उसे किसी राजकुमार को मारकर मिली थी । इसके बाद ब्राह्मण सुनार के घर की ओर चल दिया । ब्राह्मण ने सुनार से कहा "मैं यह चेन बेचना चाहता हूं कृपया तुम मेरी मदद करो । सुनार ने कहा मैं इस चेन के पूरे पैसे नहीं दे सकता । लेकिन किसी अन्य सुनार से जरूर दिला सकता हूं । चेन लेकर सुनार वहां के राजा के पास गया और उसे सारी बात बता दी वह चेन राजा के बेटे की थी और उसे इसी सुनार ने बनाया था । राजा ने सोचा कि ब्राह्मण ने मेरे बेटे को मारकर चेन छीनी है । ब्राह्मण ने राजा से कहा , मैंने किसी को नहीं मारा मुझे यह चेन शेर ने दी थी । लेकिन किसी को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ । राजा ने ब्राह्मण को जेल में डाल दिया । ब्राह्मण ने मदद के लिए सांप को याद किया । उसने सांप को सारी घटना बताई और सहायता करने को कहा । सांप ने कहा मेरे पास एक उपाय है । मैं राजा की बेटी को काट लेता हूं । राजा अपनी बेटी के लिए बहुत से वैद्य और हकीम को बुलाएगा । तुम सिपाहियों से कहना कि तुम राजा की बेटी को ठीक कर सकते हो । और जब तुम राजा की बेटी के पास जाओगे , तो मैं उसके शरीर से अपना जहर खींच लूंगा । इससे राजा खुश होगा और तुम्हें छोड़ देगा ।अगले ही दिन सांप ने राजा की बेटी को काट लिया और सब कुछ ठीक वैसे ही हुआ जैसा सांप और ब्राह्मण ने सोचा था । राजा ने सोचा कि मेरी बेटी ब्राह्मण के इलाज से ठीक हो गई । राजा ने ब्राह्मण को बुलाया और उसे बहुत सा धन दिया तथा उसकी सजा माफ कर दी । राजा ने सुनार को बुलवाकर उचित दंड दिया । ब्राह्मण की सारी कहानी सुनने के बाद राजा को यह एहसास हो गया कि जानवर आदमी से अच्छे दोस्त होते हैं और सच्चा दोस्त वही होता है जो बुरे समय में भी साथ ना छोड़े ।
Who's best friend? Story of Lion, Monkey, Snake and Man
It's a very old matter . A poor Brahmin lived in a village. Due to poverty, he could not even arrange for bread for two times. So sometimes his family lived without food for the whole day. He used to look for work everyday. But he doesn't get any work. Finally one day he decided to leave the village and work in the city. The very next day the Brahmin left for the city. After walking a long distance, he reached a dense forest. The Brahmin was feeling very hungry. The Brahmin started looking for some fruits to eat in the forest. Then he saw that a lion had fallen in a pit. As soon as the lion saw the Brahmin, he started saying please! Save me my wife and my kids are waiting for me. I will be grateful to you. The brahmin said - If I take you out, you will kill me. On this the lion said, I am in trouble at this time, you believe me, I will not kill you. Hearing this, the brahmin took out the lion. The lion came out and said to the Brahmin - My house is near the hill, if you need any help from me. You can come there any time. After this, as soon as the Brahmin moved forward, he saw that a monkey was lying ahead in a pit. Seeing the Brahmin, the monkey said that please! get me out The brahmin also took out the monkey. The monkey came out and thanked the Brahmin and said that you can take all kinds of fruits from my house. When the Brahmin went ahead, he saw that a snake was lying in a pit, when the snake saw the Brahmin, he started asking for help but the Brahmin said - you are a snake, you will bite me, I cannot take you out. But on repeated requests of the snake, the Brahmin threw out the snake as well. The snake thanked him and asked him to remember him at the time of need. As the brahmin walked forward, a man fell in a pit ahead. Seeing the brahmin, the man said that please! Take me out . The brahmin took the man out. He expressed his gratitude to the Brahmin and told that I am a goldsmith, if there is any work from me, then definitely remember it. The brahmin again started his journey. But after searching a lot, he could not find work. The Brahmin got upset and started jumping into the river when he remembered the promises made by the lion, monkey, snake and goldsmith. So he started towards the house of all of them. First the Brahmin went to the monkey's house. He ate many fruits at the monkey's place and took rest for some time. Then he walked towards the lion's house. The lion was very happy seeing the Brahmin. The lion gave the Brahmin a precious gold chain. Which she got by killing a prince. After this the Brahmin went towards the goldsmith's house. The brahmin said to the goldsmith "I want to sell this chain, please help me. The goldsmith said I can't pay the entire money for this chain. But I can definitely get it from another goldsmith. Taking the chain, the goldsmith went to the king there." And told him the whole thing, that chain belonged to the king's son and it was made by this goldsmith. The king thought that the brahmin had snatched the chain after killing my son. The brahmin said to the king, I didn't kill anyone, I got this chain lion had given. But no one believed him. The king put the brahmin in jail. The brahmin remembered the snake for help. He told the snake the whole incident and asked to help. The snake said to me There is a solution. I kill the king's daughter. The king will call many physicians and hakims for his daughter. You tell the soldiers that you can cure the king's daughter. And when you go to the king's daughter , then I will draw my poison from her body. This will make the king happy and leave you. Next day the snake bit the king's daughter and everything happened just like the snake And the brahmin thought. The king thought that my daughter was cured by the treatment of the Brahmin. The king called the Brahmin and gave him a lot of money and forgave his punishment. The king called the goldsmith and punished him appropriately. After listening to the whole story of the brahmin, the king realized that animals are better friends than man and a true friend is the one who does not leave him even in bad times.
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