पूतना राक्षसी पिछले जन्म में राजा बलि की पुत्री थी। बात तब की है जब राजा बलि जो भक्त प्रहलाद के पौत्र थे वे अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे ।अपने यज्ञ का पूर्ण फल पाने के लिए वे अपने द्वार से किसी भी भिक्षुक को खाली हाथ नही भेजते थे। जब भगवान वामन देव का अवतार हुआ और वे राजा बलि के द्वार पर तीन पग भूमि मांगने आए तब राजा बलि की पुत्री ने उन्हे देखा और सोचा कि काश! ये मेरा पुत्र होता तो मैं इसे अपना दूध पिलाती। भगवान वामन देव जी ने उसके इस भाव को ग्रहण किया।परंतु जब वामन देव ने तीन पग भूमि नापने के लिए अपने रूप को विराट बनाया। तब उन्होंने पहले और दूसरे पग में सारी सृष्टि को नाप दिया तब उन्होंने राजा बलि से कहा कि वे अपने तीसरे पग में क्या नापे?। तब वामन देव जी ने तीसरा पग राजा बलि के कथन अनुसार उनके सिर पर रखा। और तीसरे पग में उन्होंने राजा बलि को नापा।और उन्हे पाताल का राजा बना दिया । इस पर उनकी पुत्री को बहुत गुस्सा आया और उसके मन में विचार आया कि अगर मेरा ऐसा पुत्र होता तो मैं इसे विष पिलाकर मार देती। भगवान वामन देव जी ने उसके इस भाव को भी ग्रहण किया और मन में ही कहा कि ऐसा ही हो । तब अगले जन्म में राजा बलि की पुत्री पूतना राक्षसी बनी। जब कृष्ण भगवान का जन्म हुआ। और उन्हे गोकुल में नंद बाबा के घर रात को चोरी छिपे लाया गया । नंद बाबा के घर कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया गया।आकाशवाणी के अनुसार कंस को कृष्ण भगवान से अपनी मृत्यु का भय था। इसलिए उसने कई असुरों को उन्हे मारने के लिए भेजा। परंतु वे कृष्ण भगवान का कुछ नही बिगाड़ सके। तब कंस ने पूतना राक्षसी को कृष्ण भगवान को मारने के लिए भेजा। पूतना का काम छोटे छोटे बच्चो को जहर पिलाकर मारने का था। इसी तरह वो कृष्ण भगवान को मारना चाहती थी। वो एक सुंदर सी युवती बनकर अपने स्तनों में विष लगाकर नंद बाबा के घर आई। और यशोदा मैया से बोली कि वो एक सिद्ध ब्राह्मणी है और वो कान्हा जी को अपना दूध पिलाकर उन्हे आशीर्वाद देना चाहती है । उसने जैसे ही कृष्ण भगवान को अपना विष वाला दूध पिलाया तब भगवान ने विष के साथ साथ उसके प्राणों को भी हर लिया। कृष्ण भगवान ने पूतना राक्षसी को वही धाम दिया जो उन्होंने यशोदा मैया और देवकी मैया के लिए सोच रखा था।
तो भक्तों , इस कथा के अनुसार हमे यही सीखने को मिलता है कि हम भगवान को जैसे भाव से भजते है भगवान हमारे उसी भाव को ग्रहण करते है।
Putana Rakshasi was the daughter of King Bali in a previous life. It is a matter of when King Bali, who was the grandson of the devotee Prahlad, was performing the Asvamedha Yagya. To get the full fruit of his sacrifice, he did not send any beggar from his door empty-handed. When Lord Vamana was incarnated and he came to King Bali's door asking for three steps of land, the daughter of King Bali saw him and thought that I wish! If it were my son, I would have given him my milk. Lord Vaman Dev ji accepted this feeling of his. But when Vaman Dev made his form huge to measure the land three steps. Then he measured the whole creation in the first and second step, then he asked King Bali what should he measure in his third step?. Then Vaman Dev ji placed the third step on his head as per the statement of King Bali. And in the third step, he measured King Bali. And made him the king of Hades. On this his daughter got very angry and thought came in her mind that if I had such a son, I would have killed him by drinking poison. Lord Vamana Dev ji also accepted this sentiment of his and said in his mind that it should be so. Then in the next birth, Putna, the daughter of King Bali, became a demonic. When Lord Krishna was born. And he was brought secretly at night to Nanda Baba's house in Gokul. Krishna's birth was celebrated at Nanda Baba's house. According to Akashvani, Kansa was afraid of his death from Lord Krishna. So he sent many asuras to kill him. But they could not harm Lord Krishna. Then Kansa sent the demon Putana to kill Lord Krishna. Putna's job was to kill small children by drinking poison. Similarly she wanted to kill Lord Krishna. She came to Nand Baba's house as a beautiful girl, putting poison in her breasts. And Yashoda said to Maiya that she is a perfect Brahmin and she wants to bless Kanha ji by drinking her milk. As soon as he made Lord Krishna drink milk containing his poison, the Lord took away the poison as well as his life. Lord Krishna gave the same place to the demon Putana, which he had thought for Yashoda Maiya and Devaki Maiya.
So devotees, according to this story, we get to learn that the way we worship God, God accepts our same feeling.
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