एक बार एक अजामिल नाम का ब्राह्मण था । जाति से ब्राह्मण होने के बाद भी वह बहुत ही दुष्ट प्रकृति का था । वह चोरी करता था । साधु-संतों को लूट लेता था । रास्ते में आते-जाते राहगीरों का सारा सामान चुरा लेता था । वह अपने माता-पिता को बहुत ही कष्ट देता था । वह बहुत ही दुष्ट संगति का हो गया था । वह हर रोज मदिरा का सेवन करता था । एक दिन वह नगर में घूमने गया , वहां पर उसने एक वैश्या को देखा । वह उस पर आसक्त हो गया और उसे अपने घर ले आया । उसने उससे विवाह रचा लिया । उस वैश्या से उसको 9 संतानें प्राप्त हुई । और 10 वीं संतान भी कुछ ही दिनों में पैदा होने वाली थी । एक दिन अजामिल के गांव में कुछ साधु संत आए हुए थे । साधु संतों ने गांव के लोगों से कहा कि – हमें भोजन करना है , अगर कोई अच्छा और भला सा घर हो , जहां का आचरण शुद्ध हो , जिस घर में लोग शाकाहारी हों । हमें ऐसा घर बता दो जहां हमें भोजन प्राप्त हो सके । गांव के कुछ लोगों ने मजाक ही मजाक में अजामिल का घर बता दिया और कहा कि – वह बहुत ही धर्मात्मा है , आपका वहां पर भोजन करना ठीक रहेगा । साधु-संत अजामिल के घर आ पहुंचे । साधु संतों ने अजामिल के घर आकर उससे भोजन के लिए कहा । लेकिन अजामिल तो उन साधु-संतों पर क्रोधित हो गया , परन्तु उसकी पत्नी ने उन साधु-संतों को प्रणाम करके भोजन कराया । साधु संत भोजन करके बहुत ही प्रसन्न हो गए और सोचा कि जाते – जाते इसका कुछ भला करके जाएं । साधु संत ने अजामिल से कहा कि अब तुम्हारी जो संतान होगी उसका नाम तुम नारायण रखना । अजामिल बोला – ठीक है , इसमें नाम रखने में मेरा क्या जाता है । मैं नारायण नाम रख दूंगा । परंतु अब आप यहां से जाइए । साधु संत उसे आशीर्वाद देकर चले गए । अजामिल की 10 वीं संतान हुई और उसने उसका नाम नारायण रखा । अजामिल अपने छोटे बेटे से बहुत ही प्यार करता था । वह हर समय उसे नारायण नारायण पुकारता था । अजामिल अब बूढ़ा हो चला था । अजामिल की मृत्यु का समय आ गया था । यमदूत उसके घर आए । वह यमदूतों को देखकर डर गया और अपने बेटे नारायण को पुकारने लगा । उसका बेटा नारायण दूर कहीं खेल रहा था । उसे अपने पिता की आवाज सुनाई नहीं दी । वह जोर-जोर से नारायण – नारायण कह रहा था कि – नारायण बेटा इधर आ , नारायण बेटा इधर आ । वह यमदूतों के भयानक रूप को देखकर कांप उठा था। वह नारायण नारायण चिल्ला रहा था । उसका बेटा तो नहीं आया । लेकिन विष्णु भगवान के पार्षदों ने जब सुना कि कोई नारायण नारायण पुकार रहा है । वें तुरंत अजामिल के पास पहुंचे । विष्णु भगवान के पार्षदों ने देखा कि यमदूत अजामिल के प्राण खींच रहे हैं । तब उन्होंने उन यमदूतों को रोक दिया और कहा कि – तुम अब इसके प्राण नहीं हर सकते और ना ही इसे यमलोक ले जा सकते हो । तब यमदूत कहने लगे कि – यह बहुत ही बड़ा पापी है , इसमें जीवन भर चोरी , छल – कपट किया है । वेश्या का संग किया है । इसने अपने माता-पिता का सम्मान भी नहीं किया । इसे नरक भोगना पड़ेगा । तब विष्णु भगवान के पार्षद बोले कि – चाहे इसने जीवन भर कितना भी पाप क्यों ना किया हो , लेकिन अंत समय में इसने हमारे भगवान नारायण का नाम जपा है । इससे यह सभी पापों से मुक्त होता है । पार्षद बोले कि भगवान का नाम बड़े से बड़े पाप को नष्ट करने की क्षमता रखता है । मनुष्य चाहे मजबूरी में या फिर गलती से भी यदि भगवान का भजन करता है , तो वह तुरंत उसी समय पाप से मुक्त हो जाता है । जिस प्रकार जाने या फिर अनजाने में ईंधन से अग्नि का स्पर्श होते ही वह जलकर भस्म हो जाता है , उसी तरह से अजामिल के सारे पाप नष्ट हो गए हैं । अब यह नरक में नहीं जाएगा । यमदूतों ने विष्णु जी के पार्षदों का कहना मान कर अजामिल को मुक्त कर दिया । और यमदूत वहां से चले गए । अजामिल यह सब देख और सुन रहा था । इस सब को देखने के बाद उसके मन में भगवान के प्रति श्रद्धा भाव और भक्ति उत्पन्न हो गई । उसने सोचा कि सिर्फ भगवान के नाम का ही जब इतना प्रताप है , अगर मैं जीवन भर उनका भजन करता तो कितना अच्छा होता। विष्णु भगवान के पार्षदो ने अजामिल को अपने साथ स्वर्ण के विमान में बिठाया । और उसे लेकर बैकुंठ धाम चले गए । अजामिल संसार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष पा गया ।
Once there was a Brahmin named Ajamil. Despite being a Brahmin by caste, he was of a very evil nature. He used to steal. He used to rob the saints and saints. On the way, he used to steal all the belongings of the passers-by. He used to give a lot of trouble to his parents. He had become very bad company. He used to drink alcohol every day. One day he went for a walk in the city, where he saw a prostitute. He became enamored of her and brought her to his house. He married her. From that prostitute he got 9 children. And the 10th child was also going to be born in a few days. One day some sages were visiting the village of Ajamil. The sages told the people of the village that - we have to eat food, if there is a good and good house, where the behavior is pure, the house where people are vegetarian. Tell us a house where we can get food. Some people of the village jokingly told Ajamil's house and said that - he is very pious, it will be fine for you to eat there. The sages and saints came to Ajamil's house. The sages came to Ajamil's house and asked him for food. But Ajamil got angry with those sages, but his wife offered them food after paying obeisance to those sages. The sages became very happy after eating the food and thought that they should go and do some good for it. The sage saint told Ajamil that now you should name the child you will have as Narayan. Ajamil said – Well, what does it take to name me in this. I will name Narayan. But now you leave here. The sages left after blessing him. Ajamil had his 10th child and named him Narayan. Ajamil loved his younger son very much. He used to call him Narayan Narayan all the time. Ajamil was now old. The time had come for Ajamil to die. The eunuchs came to his house. He got scared seeing the eunuchs and started calling his son Narayan. His son Narayan was playing somewhere far away. He could not hear his father's voice. He was saying loudly Narayan – Narayan that – Narayan son come here, Narayan son come here. He was trembling at the terrible appearance of the eunuchs. He was shouting Narayan Narayan. His son did not come. But when the councilors of Lord Vishnu heard that someone was calling Narayan Narayan. He immediately approached Ajamil. The councilors of Lord Vishnu saw that the eunuchs were taking away the life of Ajamil. Then he stopped those eunuchs and said that – you cannot lose its life now nor can you take it to Yamalok. Then the eunuchs started saying that – This is a very big sinner, he has committed theft, deceit and deceit throughout his life. Associated with a prostitute. He didn't even respect his parents. He will have to suffer hell. Then the councilor of Lord Vishnu said that - no matter how many sins he has committed throughout his life, but in the end time he has chanted the name of our Lord Narayana. By this he becomes free from all sins. The councilor said that the name of God has the ability to destroy the biggest sin. Whether by compulsion or even by mistake, if a person worships God, then he is immediately freed from sin. Just as, knowingly or unknowingly, when the fire touches the fire, it burns to ashes, in the same way all the sins of Ajamila are destroyed. Now it will not go to hell. The Yamadoots freed Ajamil by obeying the councilors of Vishnu. And the eunuchs left from there. Ajamil was seeing and hearing all this. After seeing all this, reverence and devotion towards God arose in his mind. He thought that when only the name of the Lord has so much glory, how good it would be if I used to worship him for the rest of my life. The councilors of Lord Vishnu put Ajamil with them in a golden plane. And took him to Baikunth Dham. Ajamila got liberated from the shackles of the world and attained salvation.
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