एक समय की बात है शंकर भगवान और माता पार्वती पृथ्वी लोक की यात्रा के लिए निकले। तभी माता पार्वती जी ने दूर से एक आदमी को भूख से तड़पते देखा। उसे तड़पते हुए देख कर भी भगवान शंकर आगे बढ़ गए। पार्वती जी को आश्चर्य हो रहा था और उनसे रहा नहीं गया । उन्होंने भगवान शंकर से प्रश्न किया कि क्यो ? भगवान शंकर ने उस आदमी के प्रति दया नहीं दिखाई । जबकि उन्हें तो करुणासागर कहा जाता है। तब शंकर भगवान बोले तुम जानती नहीं हो । इस आदमी की यही आदत है । इस आदमी की सहायता हेतु मैंने कई बार परीक्षा ली ।लेकिन हर बार यह परीक्षा में असफल साबित हुआ। पार्वती जी को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने शंकर भगवान से उस आदमी की दोबारा सहायता करने का निवेदन किया । भगवान शंकर ने उस आदमी की सहायता के लिए किसी दानी सेठ को भोजन लेकर भेजा ।उस दानी सेठ ने उस भूखे आदमी को बहुत सारा भोजन दिया । और मिठाईयों के डिब्बे भी उसको दिए ।अचानक बहुत सारी मिठाइयों और भोजन को देखकर वह खुश हो गया और तुरंत अपने पेट की भूख शांत कर ली । दानी सेठ वहां से चला गया। इसके पश्चात भगवान शंकर एक भिखारी का रूप धारण करके उसके पास पहुंचे । भगवान शंकर बोले कि मुझे बहुत भूख लग रही है । मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया । क्या आपके पास कुछ भोजन सामग्री है तो कृपया मुझे थोड़ी सी दे दो । मेरी भूख शांत हो जाएगी । परंतु उस व्यक्ति ने कहा कि मेरे पास कुछ भोजन आदि नहीं है । मैं स्वयं ही दो दिन से भूखा बैठा हूं ।यह कहकर भगवान शंकर जो भिखारी बने हुए थे , उन्होंने कहा – कि जाओ ऐसा ही हो । ऐसा कहते ही भगवान शंकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए । और माता पार्वती के पास पहुंचे । तब उस आदमी ने देखा कि उसके पास जो भोजन और मिठाई बची हुई थी वह सब गायब हो गई ।और उसके पेट में फिर से भूख लगने लगी थी। तब भगवान शंकर माता पार्वती से बोले कि – पार्वती, उस इंसान ने अपने पास भोजन होते हुए भी भोजन देने से मना कर दिया। जब वह अपने पास भोजन होते हुए भी किसी की भूख नहीं शांत कर सकता ।तो उसकी भूख कैसे शांत होगी? इसीलिए मैंने उस आदमी को जब भूख से तड़पते देखा तो उसकी कोई मदद नहीं की । और आगे चल पड़ा था । क्योंकि मैं उसके व्यवहार के बारे में जानता था । तब माता पार्वती जी और भगवान शंकर कैलाश पर्वत की ओर चल दिए ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए। अगर हम किसी की भूख को शांत कर पाए तो इससे अच्छी सहायता कुछ और नहीं हो सकती । भगवान उसी की मदद करते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं ।
How does God take the test? test of god
Once upon a time Lord Shiva and Mother Parvati went out to visit the earth. Then Mother Parvati ji saw a man suffering from hunger from afar. Seeing him suffering, Lord Shankar went ahead. Parvati ji was surprised and could not stay away from him. He asked Lord Shankar why? Lord Shankar did not show mercy to that man. Whereas he is called Karunasagar. Then Lord Shankar said you do not know. This is the habit of this man. To help this man, I took the test many times. But every time it proved to be a failure in the exam. Parvati ji could not believe it and requested Lord Shankar to help the man again. Lord Shankar sent a donor Seth with food to help that man. That Dani Seth gave a lot of food to that hungry man. And also gave him boxes of sweets. Suddenly he became happy seeing a lot of sweets and food and immediately quenched the hunger of his stomach. Dani Seth left from there. After this Lord Shankar took the form of a beggar and approached him. Lord Shankar said that I am feeling very hungry. I haven't eaten anything for many days. Do you have some food stuff, please give me some. My hunger will be quenched. But the person said that I do not have any food etc. I myself have been starving for two days. By saying this, Lord Shankar, who had become a beggar, said – go and be like this. Lord Shankar disappeared from there as soon as he said this. And reached Mata Parvati. Then the man noticed that all the food and sweets he had left with him had disappeared. And his stomach started feeling hungry again. Then Lord Shankar said to Mother Parvati that – Parvati, that person, despite having food with him, refused to give food. When he cannot satisfy the hunger of anyone even though he has food with him. How will his hunger be quenched? That is why when I saw that man suffering from hunger, I did not help him. And went on. Because I knew about his behavior. Then Mata Parvati ji and Lord Shankar walked towards Mount Kailash.
This story teaches us that we should help each other. If we can quench someone's hunger, nothing can be of better help than this. God helps those who help others, God always keeps his graceful eyes on them.
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