shanshah or bulbul | शहंशाह और बुलबुल की कहानी की सच्ची कहानी

 शहंशाह और बुलबुल की कहानी की सच्ची कहानी 



पुराने समय की बात है चीन के दूरदराज के इलाके में शहंशाह की हुकूमत हुआ करती थी । शहंशाह का महल बहुत ही शानदार और आलीशान था । और महल के चारों ओर इतना बड़ा बगीचा था कि उसके माली को भी उसकी हद पता नहीं थी । बगीचे के एक पेड़ पर एक छोटी सी बुलबुल रहा करती थी। वह बहुत ही मधुर स्वर में गाना गाती थी । जिसका आनंद बगीचे के सारे लोग लिया करते थे ।  केवल राजा ही ऐसे थे जो उस बुलबुल के गीत का आनंद नहीं ले पाते थे । क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि उनके महल के बगीचे में एक इतनी सुंदर और इतना प्यारा गाना गाने वाली एक मधुर बुलबुल रहती है।  एक दिन जापान का एक सैनिक शहंशाह के महल में आता है और कहता है कि हमारे महाराज आपसे मिलना चाहते हैं।  इसलिए वह कल यहां आ रहे हैं । और इस बात को सुनकर शहंशाह को खुशी होती है । शहंशाह अपने सैनिकों को कहते हैं कि उनकी स्वागत की व्यवस्था की जाए और साथ में यह भी कहा कि उनका स्वागत ऐसे किया जाए जैसे किसी ने कभी ना किया हो। शहंशाह के आदेश  मुताबिक जापान के शहंशाह का बहुत ही जबरदस्त स्वागत हुआ और मेहमान नवाजी में उनके लिए ढेरों पकवान बनाए गए।जापान के शहंशाह को एक बहुत ही प्यारा कमरा रहने के लिए दिया गया। जिसमें हर प्रकार की सुख सुविधाएं थी। शहंशाह को बहुत खुशी हुई कि जापान के शहंशाह हमारे यहां की व्यवस्था को इतनी पसंद कर रहे हैं। उन्हें बगीचे में घुमाया गया और उन्हें अपनी प्रजा से भी मिलवाया । वहां से जाते वक्त उन्हें बुलबुल की मधुर आवाज सुनाई दी । जापान के शहंशाह बुलबुल की मधुर आवाज के दीवाने हो गए।

 फिर एक दिन जापान के शहंशाह, शहंशाह के लिए एक खत भेजते हैं ।तो शहंशाह कहते हैं कि जापान के शहंशाह की भेजी हुई चिट्ठी पढ़कर सुनाई जाए । जापान के शहंशाह, शहंशाह का शुक्रिया करते हैं और साथ में यह भी कहते हैं कि उनकी प्रजा और भोजन ने हमारा दिल जीत लिया। आप के बगीचे की बुलबुल की मीठी आवाज को सुनकर तो हम एक अलग दुनिया में चले गए । जैसे ही चिट्ठी में बुलबुल का जिक्र होता है तो महाराज कहते हैं कि यह बुलबुल कौन है जिसकी आवाज हमनें नहीं सुनी। शहंशाह ने बुलबुल को अपने पास बुलाने का आदेश दिया ।

 शहंशाह ने बुलबुल की आवाज सुनी। तो शहंशाह ने कहा तुम्हारी आवाज तो बहुत ही मीठी है ,प्यारे नन्हे पक्षी। शहंशाह ने बुलबुल को अपने महल में रखा ताकि वो  उसकी मीठी आवाज को रोज सुन सके। एक दिन जापान के शहंशाह, शहंशाह के लिए एक तोहफा भेजते हैं । जिसके अंदर एक चाबी से चलने वाली प्लास्टिक की बुलबुल होती है । उसमें चाबी भरते हैं वह एक सुंदर सा गीत गाने लगती है । शहंशाह उस तोहफे को देख करके बहुत खुश होते हैं।  अब महाराज हर रोज खिलौने वाली बुलबुल की ही आवाज सुना करते थे । यह देखकर बुलबुल को बहुत बुरा लगा और वह महल से उड़ गई । और दोबारा लौटकर नहीं आई । फिर एक दिन खिलौना खराब हो गया । इसलिए महाराज ने अपने सैनिकों से कहा कि तुम इसको ठीक करवा कर लाओ  । जब सैनिक वापस आए तो उन्होंने बताया कि महाराज पूरी दुनिया में हमें ऐसा कोई खिलौने ठीक करने वाला नहीं मिला जो इस खिलौने को ठीक कर सके । फिर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उन्होंने एक प्लास्टिक के खिलौने के लिए अपनी दोस्त को छोड़ दिया।  बुलबुल के गम में शहंशाह ने खाना पीना छोड़ दिया और दिन प्रतिदिन वह बहुत बीमार होने लगे। इसीलिए गांव के पास के एक वैद्य  को बुलाया गया और उनसे शहंशाह का इलाज करवाया गया । फिर वैद्य ने कहा कि इनका इलाज सिर्फ उस बुलबुल की आवाज है । जिसकी वजह से इन्होंने सब कुछ खाना पीना छोड़ दिया है ।  सैनिक अपने शहर से बाहर निकल गए और हर जगह बुलबुल को ढूंढने लगे । काफी दिन बीत गए लेकिन बुलबुल कहीं नहीं मिल रही थी।  और शहंशाह की तबीयत भी खराब होती जा रही थी।  वैध ने कहा कि अगर कुछ दिनों के अंदर बुलबुल नहीं मिली तो हम अपने राजा को खो देंगे। इसीलिए सैनिकों ने चारों ओर ऐलान कर दिया कि जो कोई भी बुलबुल को ढूंढ कर लाएगा हम उसे 1000 सोने के सिक्के देंगे। एक दिन अचानक बुलबुल उड़ते उड़ते राजा के महल में वापस अपने आप आ गई । सब ने देखा की बुलबुल लौट आई है और वह सीधा शहंशाह के कमरे की खिड़की पर जाकर बैठ गई । जब उसने देखा कि शहंशाह बिस्तर पर लेटे हैं तो उसने अपना गाना गाना शुरू किया।   जैसे ही बुलबुल की मधुर आवाज शहंशाह के कानों में पड़ी तो शहंशाह उठकर खड़े हो गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे । वह भाग के खिड़की के पास गए और बुलबुल को अपनी हथेली में उठा लिया और गले से लगाया।  यह देखकर बुलबुल को बहुत खुशी हुई और उसने गाना गाना शुरू कर दिया और शहंशाह ने उसका गाना काफी लंबे समय तक सुना। धीरे-धीरे शहंशाह के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ और वह पहले की तरह ठीक हो गए ।बुलबुल शहंशाह के सबसे अच्छी दोस्त बन गई।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी नकली चीजों  के लिए अपने असली दोस्तों को नहीं छोड़ना चाहिए । क्योंकि उनके जाने के बाद ही हमें उनकी कीमत का एहसास होता है।

True story of the story of Shahenshah and Bulbul


It is a matter of old time that the emperor used to rule in the remote areas of China. The emperor's palace was very luxurious and luxurious. And there was such a large garden around the palace that even its gardener did not know its extent. There used to be a small bulbul on a tree in the garden. She sang in a very melodious voice. Which was enjoyed by all the people of the garden. It was only the king who could not enjoy the song of that bulbul. Because they did not know that in the garden of their palace there was a sweet bulbul singing such a beautiful and such a lovely song. One day a soldier from Japan comes to the Emperor's palace and says that our Maharaja wants to meet you. That's why he is coming here tomorrow. And the emperor is happy to hear this. The emperor tells his soldiers that arrangements should be made to welcome them and also said that they should be welcomed as if no one has ever done it. According to the emperor's order, the emperor of Japan was given a very warm welcome and many dishes were prepared for him in the hospitality. The emperor of Japan was given a very lovely room to stay. It had all kinds of amenities. The emperor was very happy that the emperor of Japan is liking our system so much. He was taken in the garden and introduced him to his subjects. While leaving from there, he heard the melodious voice of Bulbul. The emperor of Japan fell in love with the melodious voice of Bulbul.

 Then one day the Emperor of Japan sends a letter to the Emperor. So the Emperor says that the letter sent by the Emperor of Japan should be read and heard. The emperor of Japan thanks the emperor and also says that his people and food have won our hearts. Hearing the sweet sound of your garden buzzing, we went to a different world. As soon as Bulbul is mentioned in the letter, Maharaj says who is this Bulbul, whose voice we have not heard. The emperor ordered Bulbul to be called to him.

 The emperor heard Bulbul's voice. So the emperor said that your voice is very sweet, dear little bird. The emperor kept Bulbul in his palace so that he could listen to his sweet voice every day. One day the Emperor of Japan sends a gift to the Emperor. Inside which is a key-operated plastic bulb. When he fills the key, she starts singing a beautiful song. The emperor is very happy to see that gift. Now Maharaj used to hear the sound of the toy bulbul every day. Seeing this, Bulbul felt very bad and she flew away from the palace. And did not come back again. Then one day the toy got damaged. That's why Maharaj told his soldiers that you get it repaired and get it. When the soldiers came back, they told that Maharaj, we could not find any toy fixer in the whole world who could fix this toy. Then Raja realized his mistake that he left his friend for a plastic toy. In the sorrow of Bulbul, the emperor stopped eating and drinking and he started getting very sick day by day. That is why a Vaidya near the village was called and he was given the treatment of the emperor. Then Vaidya said that his cure is only the voice of that bulbul. Because of which he has stopped eating and drinking everything. The soldiers left their city and started looking for Bulbul everywhere. Many days passed but Bulbul was nowhere to be found. And the emperor's health was also deteriorating. Vaidhi said that if Bulbul is not found within a few days, we will lose our king. That is why the soldiers announced all around that whoever finds Bulbul, we will give him 1000 gold coins. One day suddenly Bulbul came back to the king's palace while flying. Everyone saw that Bulbul had returned and she went straight to the window of the emperor's room and sat down. When he saw that the emperor was lying on the bed, he started singing his song. As soon as the melodious voice of Bulbul fell in the ears of the emperor, the emperor stood up and tears started flowing from his eyes. He went to the window of the part and picked up Bulbul in his palm and hugged him. Bulbul was very happy to see this and he started singing and the emperor listened to his song for a long time. Gradually, the emperor's health also improved and he recovered as before. Bulbul became the best friend of the emperor.

Friends, we learn from this story that we should never leave our real friends for fake things. Because only after they are gone do we realize their worth.

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