एक समय की बात है मगध देश में बृहद्रथ नाम का एक राजा रहता था । उसकी दो रानियां थी । लेकिन दोनों रानियों को कोई भी संतान नहीं थी । राजा ब्राह्मणों की बहुत ही सेवा किया करते थे । संतान प्राप्ति के उद्देश्य हेतु राजा महात्मा चण्डकौशिक के पास गए । महात्मा चण्डकौशिक ने राजा को अभिमंत्रित करके एक फल दिया और कहा कि ये फल रानी को खिला देना । राजा ने सोचा कि दोनों ही रानियों को संतान हो जाएगी ।इसीलिए यह फल दोनों को आधा-आधा दे देता हूं । राजा ने वो फल दोनो रानियों को आधा – आधा काट कर दे दिया । जिससे दोनों रानियां गर्भवती हो गई । जब पहली रानी ने बच्चे को जन्म दिया तो उस बच्चे का शरीर का आधा हिस्सा ही था और दूसरा आधा हिस्सा दूसरी रानी के गर्भ से पैदा हुआ । ऐसा लग रहा था जैसे बच्चे को किसी ने बीच में से आधा– आधा काट दिया हो । जब ये बच्चे राजा को दिखाए गए तो राजा ने उन्हें जंगल में फिकवा देने का आदेश दिया । राजा के सिपाही बच्चे के दोनों हिस्से को जंगल में छोड़ आए । उसी समय जंगल से एक जरा नाम की राक्षसी जा रही थी । जब उसकी नजर उस जीवित बच्चे के शरीर के टुकड़ों पर पड़ी तो उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि एक ही बच्चे के दो हिस्से किसने किए हैं । उसने अपनी तांत्रिक शक्ति से उस बच्चे के शरीर के दोनों हिस्सों को जोड़ दिया । शरीर के जुड़ते ही बच्चा जोर जोर से रोने लगा । उस बच्चे को राक्षसी वहां के राजा बृहद्रथ के पास ले गई । राजा ने बच्चे को देखकर राक्षसी से पूछा कि यह किसका बच्चा है और तुम कौन हो ? तब राक्षसी ने सारी घटना बताई कि किस तरह उसे यह बच्चा जंगल में पड़ा हुआ मिला और उसने इसे अपनी तांत्रिक शक्ति से जोड़ दिया । राजा बच्चे को देखकर बहुत ही खुश हुआ और बोला कि यह मेरा ही बच्चा है । राजा ने उस बच्चे का नाम उस जरा राक्षसी के नाम पर ही जरासंध रखा । क्योंकि जरा नाम की राक्षसी के द्वारा ही उसके शरीर की संधि हुई थी , यानी शरीर को आपस में जोड़ा गया था ।
जरासंध बहुत ही क्रूर राजा था । उसने अपने पराक्रम से 86 राजाओं को बंदी बना लिया था । उसने सभी राजाओं को पहाड़ी किले में बंद कर रखा था । वह 100 राजाओं की एक साथ बलि देकर चक्रवर्ती सम्राट बनना चाहता था ।
जरासंध मथुरा के राजा कंस का ससुर और उसका परम मित्र भी था । जरासंध ने अपनी दोनों पुत्रियों का विवाह मथुरा के राजा कंस के साथ किया था । जब श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया था । तो श्री कृष्ण से कंस के वध का बदला लेने के लिए जरासंध ने मथुरा पर 17 बार चढ़ाई की और युद्ध किया । लेकिन वह हर बार युद्ध में पराजित हुआ । श्री कृष्ण ने जरासंध का वध भीम के हाथों होना तय किया था । इसीलिए श्री कृष्ण , अर्जुन और भीम ब्राह्मण का वेश बनाकर जरासंध के राज्य में गए और उसे कुश्ती के लिए ललकारा । जरासंध समझ गया था कि ये ब्राह्मण नहीं है । जब उसने श्रीकृष्ण से उनका वास्तविक परिचय मांगा तो श्री कृष्ण ने उन्हें अपना वास्तविक परिचय दे दिया । जरासंध भीम से कुश्ती लड़ने को तैयार हो गया । भीम ने जरासंध के साथ 13 दिन तक कुश्ती लड़ी । भीम हर बार उसके शरीर के दो टुकड़े करता , लेकिन वे टुकड़े फिर आपस में जुड़ जाते । बाद में श्री कृष्ण का इशारा समझ कर भीम ने उसके शरीर के फिर से दो टुकड़े किए और और दोनों हिस्सों को विपरीत दिशा में फेंक दिया , जिससे कि वे हिस्से आपस में ना जुड़ पाए। तो इस प्रकार जरासंध की मृत्यु हुई थी
Who was the child born in half of two queens?
Once upon a time there lived a king named Brihadratha in the country of Magadha. He had two queens. But both the queens did not have any children. The king used to do a lot of service to the brahmins. For the purpose of getting children, the king went to Mahatma Chandkaushik. Mahatma Chandkaushik invited the king and gave a fruit and said that this fruit should be fed to the queen. The king thought that both the queens would have children. That's why I give half-and-half to both of them. The king cut that fruit in half to both the queens. Due to which both the queens became pregnant. When the first queen gave birth to a child, that child had only half of the body and the other half was born from the womb of the second queen. It seemed as if someone had cut the child in half from the middle. When these children were shown to the king, the king ordered them to be thrown in the forest. The king's soldiers left both parts of the child in the forest. At the same time a demon named Zara was going from the forest. When his eyes fell on the pieces of the body of that living child, he was very surprised that who had made two parts of the same child. He connected the two parts of the child's body with his tantric power. As soon as the body was attached, the child started crying loudly. The demonic child took that child to the king Brihadratha there. Seeing the child, the king asked the demonic, whose child is this and who are you? Then the demonic told the whole incident that how she found this child lying in the forest and connected it with her tantric power. The king was very happy to see the child and said that this is my child. The king named that child Jarasandha after that little demonic. Because his body was treated by a demon named Jara, that is, the body was intertwined.
Jarasandha was a very cruel king. He had taken 86 kings captive by his might. He had kept all the kings locked in the hill fort. He wanted to become the Chakravarti emperor by sacrificing 100 kings at once.
Jarasandha was the father-in-law of Mathura's king Kansa and also his best friend. Jarasandha had married both his daughters with Kansa, the king of Mathura. When Shri Krishna killed Kansa. So to avenge the killing of Kansa from Shri Krishna, Jarasandha attacked Mathura 17 times and fought. But he was defeated in battle every time. Shri Krishna had decided to kill Jarasandha at the hands of Bhima. That is why Shri Krishna, Arjuna and Bhima disguised as Brahmins went to the kingdom of Jarasandha and challenged him to wrestle. Jarasandha understood that he was not a Brahmin. When he asked for his real introduction from Shri Krishna, Shri Krishna gave him his real introduction. Jarasandha agreed to fight with Bhima. Bhima wrestled with Jarasandha for 13 days. Bhima would break his body into two pieces every time, but those pieces would then join together. Later, understanding Shri Krishna's gesture, Bhima again divided his body into two pieces and threw both the parts in the opposite direction, so that those parts could not join together. So this is how Jarasandha died
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