बेटा मां से – मां , क्या आप रोज –रोज कहती हो कि तू मेरा कर्ज नहीं उतार सकता । लो आज मैं तुम्हारा सारा कर्ज उतारना चाहता हूं । बताओ , उसके लिए मुझे क्या करना होगा ।
मां – अच्छा बेटा , अब तू इतना बड़ा हो गया है कि तू मेरा कर्ज उतारना चाहता है ।
बेटा – हां मां , मैं आज तुम्हारा सारा कर्ज उतारना चाहता हूं । मैं फिर दोबारा ये बात सुनना नहीं चाहता कि तू मेरा कर्ज नहीं उतार सकता ।
मां – ठीक है बेटा , तुझे उसके लिए एक रात आज मेरे पास ही सोना होगा ।
बेटा – बस इतनी सी बात , अगर मैं आपके पास एक रात सो जाऊं तो क्या आपका सारा कर्ज उतर जाएगा ?
मां – हां बेटा ,
बेटा – ठीक है मां, आज रात मैं आपके पास ही सोऊंगा ।
बेटा अपनी मां के पास ही सो जाता है । अभी उसे थोड़ी देर ही सोए हुए को हुई थी कि मां ने आवाज लगाई ।
मां – बेटा , उठ तो । मुझे बहुत प्यास लगी है ।
बेटा – मां ,वही आपके पास मेज पर पानी रखा हुआ है , आप पी लीजिए , मुझे नींद आ रही है ।
मां – बेटा , तू मेरा कर्ज उतारना चाहता है ना ? तो फिर ..... मुझे उठकर पानी पिला ।
बेटा कुछ सोचकर उठता है और एक गिलास भरकर मां को पानी का देता है । जिस तरफ बेटा सोया हुआ था मां उस पानी के गिलास को गलती से उधर गिरा देती है ।
बेटा – अरे मां ! यह क्या किया आपने ? मेरे बिस्तर को गीला कर दिया । अब मैं कैसे सोऊंगा ?
मां – गलती से गिर गया बेटा । बूढ़ी हो गई हूं ना..... अब हाथ कांपते हैं । तू इस पर कोई दूसरी चादर बिछा ले और सो जा ।
बेटा दूसरी चादर उस पर बिछा लेता है और वही सो जाता है । उसे फिर से नींद आई ही होती है कि मां फिर आवाज लगाती है ।
मां – बेटा , उठ तो । मुझे बहुत जोर से पेशाब आ रहा है जरा मेरे साथ चल । कहीं मैं अंधेरे में गिर ना जाऊं ?
बेटे को गुस्सा आता है और मन में सोचता है कि – बस आज रात की बात है , किसी तरह आज रात मां के पास सो कर इसका कर्ज उतार दूं । फिर कल से तो मैं आराम से सोऊंगा । यह सोचकर वह उठ जाता है और अपनी बूढ़ी मां को पेशाब करा कर ले आता है । और आकर दोनों मां बेटे सो जाते हैं । बेटे को फिर से अभी नींद ही आई थी कि मां ने फिर से आवाज लगाई ।
मां – बेटा, उठ तो । मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है । मुझे कोई सिर दर्द की दवाई दे दे ।
बेटा झल्लाकर– क्या मा ? आप मुझे बार-बार परेशान कर रही हैं । अभी थोड़ी देर पहले तो उठा था । जब आप नहीं कह सकती थी कि मुझे सिर में दर्द हो रहा है और दवाई दे दो । अभी मुझे नींद ही आई थी । एक तो आपने पहले से बिस्तर गीला कर रखा है ।
बेटा फिर से मन में कर्ज वाली बात सोचता है और उठकर दवाई देता है और साथ में पानी का गिलास देता है ।
मां दोबारा उस पानी के गिलास को उसके बिस्तर पर गिरा देती है ।
बेटा गुस्से से चिल्लाते हुए – यह क्या किया मां आपने ? फिर से मेरा बिस्तर गीला कर दिया । अब मैं यहां पर कैसे सोऊंगा ? मैंने तो गलती कर दी आपके पास सोकर । आप मुझे चैन से सोने ही नहीं दे रही हो । बार बार मुझे जगा कर मेरी नींद खराब कर रही हो ।
मां – अच्छा बेटा । मैंने तुझे दो या तीन बार क्या उठाया , तुझे गुस्सा आ गया । तेरी नींद खराब हो गई और जो तेरे बचपन में मैंने कई रातें जाग जाग कर तेरे साथ बिताई हैं , उनका क्या.......? जब तू अपने मल मूत्र से बिस्तर को गीला करता था । तो सूखे में तुझे सुलाती थी और उस मल मूत्र और गीले बिस्तर पर मैं खुद सोती थी । जब तो मेरी नींद नहीं खराब हुई । जब कभी तुझे बुखार आ जाता था तो सारी रात बैठ कर तेरी देखभाल करती थी । तेरी दवाई का ध्यान रखती थी और अब जब मुझे सिर दर्द हो रहा है , तो तेरी नींद खराब हो रही है । अगर तुझे मेरा कर्ज उतारना है तो तुझे उन सारी रातों का हिसाब देना होगा , जो
मैंने तेरे बचपन में तेरे साथ जागकर काटी है और अभी तो एक रात भी पूरी नहीं हुई है ।
इन सब बातों को सुनकर बेटा अपनी मां के चरणों में गिर जाता है । और कहता है मां मुझे माफ कर दो , जो मैं आप का कर्ज उतारने चला था । मैं मूर्ख था जो यह समझ ही नहीं पाया कि कोई भी बेटा अपनी मां का कर्ज नहीं उतार सकता ।
तो दोस्तों, बच्चे अपने मां बाप का कर्ज कभी नहीं उतार सकते । लेकिन उनकी सेवा करके उस कर्ज को कुछ कम जरूर कर सकते हैं । मां बाप भगवान का रुप होते हैं । मां बाप की सेवा ईश्वर की सेवा मानी गई है । यदि हम अपने मां-बाप को खुश रखते हैं , तो ईश्वर हमसे अपने आप ही प्रसन्न रहते हैं ।
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