एक बार माता लक्ष्मी एक बहुत ही सुंदर अश्व को देखने में इतनी ध्यान मग्न थी कि उन्होंने विष्णु भगवान की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया । इससे विष्णु भगवान क्रोधित हो गए और उन्होंने माता लक्ष्मी को पृथ्वी लोक पर घोड़ी बनकर रहने का श्राप दे दिया । माता लक्ष्मी कुछ नही बोली । क्योंकि वे जानती थी कि जरूर भगवान की इसमें कुछ लीला है । क्योंकि भगवान के मुंह से कोई भी शब्द यूं ही अनायास नहीं निकलता । वे भगवान की आज्ञा अनुसार पृथ्वी लोक पर यमुना और तमसा नदी के पास वन में जाकर घोड़ी के रुप में रहने लगी । माता लक्ष्मी श्राप के निवारण हेतु शिव शंकर की भक्ति करने लगी । कई वर्षों तक उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की । उसके पश्चात शिव भगवान ने माता लक्ष्मी को दर्शन दिए और उनसे उनकी इच्छा पूछी । तो माता लक्ष्मी ने कहा कि – वे इस अश्व योनि से मुक्ति पाना चाहती है । किंतु विष्णु भगवान के कहे अनुसार उन्हें अश्व योनि से मुक्ति तभी मिलेगी , जब वे किसी संतान को जन्म देंगी । इसलिए उन्होंने भगवान शिव से कहा कि आप जाकर विष्णु भगवान से अश्व रूप धारण करने को कहिए । शिव शंकर भगवान ने माता लक्ष्मी को एक पुत्र होने का वरदान दिया और उन्होंने विष्णु भगवान से जाकर माता लक्ष्मी के श्राप से मुक्ति की प्रार्थना की । शिव शंकर की बात को सुनकर भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर आकर अश्व का रूप धारण किया । तब माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की शक्ति से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम एकवीर था । उस पुत्र को जन्म देते ही माता लक्ष्मी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गई । तब विष्णु भगवान भी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए और उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि देवी मैंने , जो तुम्हें श्राप दिया था । इसके पीछे भी एक कारण था । तब विष्णु भगवान बोले कि राजा ययाति के वंशज हरिवर्मा मेरे जैसे पुत्र को प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रहे हैं । उन्हें अपने जैसा पुत्र प्रदान करने के लिए ही मैंने यह लीला की थी । हम इस बालक को इसी वन में छोड़ जाएंगे और हरिवर्मा इस बालक को अपने साथ ले जाएंगे । भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के इसी पुत्र से हैहय वंश की उत्पत्ति हुई थी ।
किसने दिया माता लक्ष्मी को घोड़ी बनने का श्राप
Once Goddess Lakshmi was so engrossed in seeing a very beautiful horse that she did not pay attention to the words of Lord Vishnu. This enraged Lord Vishnu and he cursed Mother Lakshmi to live on earth as a mare. Mata Lakshmi did not say anything. Because she knew that God must have some leela in this. Because no word comes out of the mouth of God without any reason. As per the order of God, she went to the forest near Yamuna and Tamsa river on earth and started living in the form of a mare. Mother Lakshmi started worshiping Shiv Shankar to get rid of the curse. For many years he did severe penance to Lord Shiva. After that Lord Shiva appeared to Goddess Lakshmi and asked her about her wish. So Mata Lakshmi said that – she wants to get rid of this horse vagina. But according to the saying of Lord Vishnu, she will get freedom from horse vagina only when she gives birth to a child. That's why he asked Lord Shiva to go and ask Lord Vishnu to take the form of a horse. Lord Shiva Shankar blessed Mata Lakshmi to have a son and she went to Lord Vishnu and prayed to get rid of the curse of Mata Lakshmi. After listening to Shiv Shankar, Lord Vishnu took the form of a horse by coming to the earth. Then a son was born with the power of Mother Lakshmi and Lord Vishnu, whose name was Ekveer. Mother Lakshmi came in her real form as soon as she gave birth to that son. Then Lord Vishnu also appeared in his real form and said to Mother Lakshmi that Goddess I cursed you. There was a reason behind this too. Then Lord Vishnu said that Harivarma, the descendant of King Yayati, is doing penance to get a son like me. I had done this leela only to give him a son like myself. We will leave this child in this forest and Harivarma will take this child with him. The Haihay dynasty originated from this son of Lord Vishnu and Mother Lakshmi.
Who cursed Goddess Lakshmi to become a mare?
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