Educational Hindi story | Motivational hindi story | Hindi story | Hindi stories । हिंदी कहानिया | पहलवान की बेटी। ये कहानी सबको सुननी चाहिए |


 

एक गांव में एक पहलवान रहता था । वह अपने गांव का बहुत ही जाना माना और प्रसिद्ध पहलवान था । उसकी एक ही बेटी थी । उसने अपनी बेटी को बड़ी ही लाड और प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया था । जब वह बड़ी हुई तो पहलवान को उसकी शादी की चिंता हुई । वह खुद भी एक पहलवान था इसलिए अपनी बेटी के लिए भी उसे एक पहलवान ही पसंद आया । ऊंचा लंबा कद काठी का एक लड़का देखकर  उसने अपनी बेटी की शादी करके विदा कर दिया । शादी को 6 महीने भी नहीं गुजरे थे कि उस पहलवान दामाद ने पहलवान की बेटी को मारना पीटना शुरू कर दिया और एक दिन मार – मार कर घर से निकाल दिया । पहलवान ने उससे पूछा कि –तुमने ऐसा क्यों किया ? तो वह बोला कि – आपकी बेटी को घर का कुछ भी काम काज नहीं आता है ।  बाप का दिल उदास हो गया । लेकिन उसने किसी से कुछ नहीं कहा क्योंकि वह एक मशहूर पहलवान था , तो लोगों में इज्जत भी थी । उसने अपनी पत्नी को कहा कि – बेटी को घर का सारा काम सिखाओ । मां ने बेटी को खाना बनाना , झाड़ू पोछा , बर्तन मांजना आदि घर का सारा काम सिखा दिया । कुछ महीनों बाद सुलह सफाई हुई । दामाद को बुलाया और माफी मांगी और कहा कि – हमने अपनी बेटी को बड़े लाड प्यार से पाला था , इसलिए उसे घर का कुछ भी काम नहीं सिखाया था और बेटी को फिर से  दामाद के साथ विदा कर दिया । कुछ ही दिन बीते थे कि बेटी फिर मार खाकर अपने मायके वापस आ गई । अब की बार कहा कि इसे कुछ भी सिलाई कढ़ाई का काम नहीं आता । पहलवान फिर दुखी हुआ और अपनी पत्नी से कहा कि इसे सीना पिरोना सिखाओ । पत्नी ने अपनी बेटी को सिलाई , कढ़ाई , बुनाई सब सिखा दी । फिर दामाद को बुलाया गया , माफी मांगी और बेटी को उसके साथ विदा कर दिया । फिर कुछ महीने बाद ही बेटी मार खाकर मायके वापस आ गई । अबकी बार दामाद पहलवान कहने लगा कि – खेत खलियान नहीं संभाल सकती और गाय का दूध भी दोहना नहीं आता । पहलवान को बहुत ही गुस्सा आया । पर जमाने में इज्जत थी इसलिए खामोश रहा । बेटी को अपने घर बुलाकर खेती-बाड़ी का काम सिखाया , गाय भैसों का दूध दोहना सिखाया । फिर बड़ी खुशी के साथ बेटी को विदा कर दिया । लेकिन कुछ महीने बाद फिर वही हुआ जिसका डर था । बेटी फिर से मार खाकर अपने मायके वापस आ गई । पहलवान ने पूछा तो बेटी कहने लगी कि – पिताजी वे कहते हैं कि तू आटा गुदंते हुए हिलती बहुत है । पहलवान को सारी बात समझ में आ गई थी कि दामाद को आदत पड़ गई है , पत्नी पर हाथ उठाने और रोब जमाने की । तब वह पहलवान अपनी बेटी से बोला कि – बेटी मैंने तुझे सब सिखाया ,  पर वह चीज नहीं सिखाई , जो तुझे सिखानी चाहिए थी । बेटी कुछ ना समझी । फिर कुछ दिनों के बाद पहलवान के दामाद को लगा कि –  ससुर जी ने ना तो बुलाया , ना ही माफी मांगी , ना ही अपनी बेटी को विदा किया । वह खुद ही अपने ससुराल आ गया । पहलवान ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया और कहा कि – इन्हीं पैरों से वापस चला जा और आज की तारीख याद रख और पूरे 2 साल बाद वापिस आना और अगर इससे पहले आया तो तेरी टांगे तोड़ दूंगा । पहलवान की बात सुनकर दामाद डर गया और वापस चला गया । समय बीतता गया । पहलवान सूरज निकलने से पहले पहले ही अपनी बेटी को खेतों में ले जाता और सूरज निकलने के बाद घर वापस भेज देता । उसकी पत्नी ने कई बार पूछा पर पहलवान ने उसे कुछ भी नहीं बताया । 2 साल बीत चुके थे । दामाद बेटी को वापस लेने आया । पहलवान ने अपनी बेटी को खुशी खुशी विदा कर दिया । कुछ ही दिनों बाद पहलवान दामाद ने आदत से मजबूर चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया और मारने के लिए पत्नी की तरफ हाथ बढ़ाया , तो पत्नी ने किसी मंजे हुए पहलवान की तरह अपने ही पति को उठाकर पटक दिया और कहा कि – तू जानता है ना , मैं किसकी बेटी हूं । वह समझ गया कि अब की बार 2 साल में इसके पिता ने इसे क्या सिखा कर भेजा है । उसके बाद कभी भी पहलवान दामाद ने ना ही अपनी पत्नी से ऊंची आवाज में बात की और ना ही उसे मारने की कोशिश की । और ना ही कभी बेटी मार खाकर अपने मायके वापस आई ।

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