शबक ,एक शिक्षा प्रद कहानी , गलतियों के खिलाफ जंग
एक पिता ने बड़े ही लाड प्यार से अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया । उसे अच्छी शिक्षा और संस्कार दिए । समय आने पर पिता ने अपनी पुत्री का विवाह कर उसे विदा भी करने लगा । विदाई के समय पिता ने अपनी बेटी को गले लगाते हुए कहा कि – बेटी , हमारी रीत ससुराल में नहीं चलेगी , इसलिए वहां पर जाकर वहां के बड़े बुजुर्गों से वहां के तौर तरीके और रीति-रिवाज सीखना । बेटी जब ससुराल में पहुंची तो उसने देखा कि ससुराल में उसके पति के अलावा उसकी सासू मां और एक दादी सास भी थी । ससुराल में जब बहू को कुछ दिन बीत गए तो उसने देखा कि उसकी ससुराल में उसकी दादी सास का बहुत ही अपमान और तिरस्कार हो रहा है । अपमान की हद तो तब हो जाती है, जब उसकी सास उसकी दादी सास को गालियां देती थी , उन्हें ठोकर मारती थी और उन्हें खाने को कुछ भी ना देती थी , उन्हें कई दिन तक भूखी रखती थी । जब बहू यह देखती तो उसे बहुत ही बुरा लगता । उसे अपने पिता के द्वारा दिए गए संस्कार याद आ गए । उसे अपनी दादी सास पर बहुत दया आई । उसने सोचा कि जिस घर में बड़े बूढ़ों का अपमान होता है , वह घर नरक के समान होता है । मुझे अपनी दादी सास के लिए कुछ ना कुछ अवश्य करना चाहिए । फिर उसने सोचा कि यदि वह अपनी सास को समझाने का प्रयत्न करेगी , तो हो सकता है कि उसकी सास भी उसके साथ भी ऐसा ही बर्ताव करना शुरू कर दे । इसलिए उसने स्वयं ही अपनी दादी सास की सेवा करने का सोचा । अब वह प्रतिदिन घर का काम खत्म करके दादी सास के पास बैठकर उनके पैर दबाती थी । जब उसकी सास ने देखा कि यह दादी सास के पास बैठकर उनके पैर दबाती है , उनकी सेवा करती है , तो उसे अपनी बहू का यह बर्ताव बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा । एक दिन उसने अपनी बहू को बुलाया और पूछा कि – तुम दादी सास के पास क्यों बैठती हो । बहू को पता था कि एक दिन उसकी सास उससे जरूर यह प्रश्न पूछेंगी , तब उसने अपनी सास से कहा कि – मां जी , मैं घर का सारा काम खत्म करके दादी सास के पास बैठ जाती हूं , ताकि उन्हें अकेलापन महसूस ना हो । आप बताइए घर का कुछ काम रह गया हो तो मैं उसे अभी निपटा देती हूं । सास बोली कि – काम तो कुछ भी नहीं है , पर दिनभर अपनी दादी सास के पास बैठना मुझे तुम्हारा अच्छा नहीं लगता । बहू ने अपनी सास की बात को ध्यान से सुना और कहा कि – मां जी , मेरे पिताजी ने सदैव मुझे यही सिखाया है कि अपने घर में हमेशा अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा करना और उनका ध्यान रखना चाहिए और मैं दादी सास के पास बैठकर उनसे यहां की रीति रिवाज सीख रही थी कि आप उनके साथ कैसा बर्ताव करती है , किस तरह उन्हें खाना देती है । तभी सास बोली कि – क्या तू भी मेरे साथ ऐसा ही करेगी । बहू सास के इसी प्रश्न के इंतजार में थी । बहू ने कहा – मां जी , मेरे पिताजी ने मुझे ससुराल में बड़े बुजुर्गों के पास बैठकर उनके घर के रीति रिवाज सीखने को कहा था । यदि इस घर के रीति रिवाज बड़ों का अपमान करना और तिरस्कार करना है , तो मुझे भी यह रीति रिवाज अवश्य मानने पड़ेंगे । बहू का उत्तर सुनकर सासू मां को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी । उसने सोचा जैसा व्यवहार मैं अपनी सास के साथ करूंगी वैसा ही मेरी बहू भी सीखेगी । फिर वह भी मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करने लगेगी । उसकी सास दिनभर इसी विचार में रहती । अगले दिन बहू ने घर के एक कोने में ठीकरी (खाना खाने का मिट्टी का एक बर्तन ) इकट्ठा करने शुरू कर दिए । घर के कोने में इतनी सारी ठीकरी देख सासू ने बहू से ठीकरी इकट्ठा करने का कारण पूछा – बहू तुमने यह इतनी सारी ठीकरी क्यों जमा की है ? बहू ने बड़ी ही विनम्रता से कहा – मां जी आप दादी सास को ठीकरी में ही भोजन देती हैं , इसलिए मैंने सोचा कि बाद में ठीकरी मिले ना मिले , इसीलिए अभी से आपके लिए ठीकरी जमा कर देती हूं । बहू का उत्तर सुनकर सास बहुत ही घबरा गई और उसने पूछा – तुम मुझे ठीकरी में ही भोजन परोसेगी क्या ? बहू ने कहा – मां जी , मेरे पिताजी ने कहा था कि यहां के रीति रिवाज वहां नहीं चलेंगे , वहां की रीति पूरी तरह से अलग होगी । अब जो यहां की रीति है , मुझे वैसे ही तो करना होगा । बहू की बात सुनकर सास ने कहा – यह यहां की रीति थोड़े ही है । तू अब अपनी दादी सास को थाली में भोजन दिया करना । बहू सास की बात सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुई । बहू की चतुराई से अब दादी सास को थाली में भोजन मिलने लगा । अगले दिन बहू ने देखा कि – सबके खाना खाने के पश्चात बचा हुआ खाना दादी सास को दिया जाता था । बहू खाने को गौर से देखने लगी । बहू के इस तरह गौर से देखने पर सास ने पूछा कि – बहू क्या देख रही हो ? बहू ने कहा कि – सीख रही हूं कि बूढ़ों को इस घर में क्या खाने को दिया जाना चाहिए । बहू की बात सुनकर सास ने घबराकर कहा कि – बहू यह इस घर की रीत थोड़े ही है । कल से तू दादी सास को सबसे पहले भोजन दिया करना । बस अगले दिन से ही दादी सास को सबसे बढ़िया भोजन मिलने लगा । धीरे-धीरे बहू ने अपनी सास की सारी बुरी आदतों को बदल दिया ।
एक नौकर की दर्दनाक दास्ताँ।
मैं बिस्तर पर से उठा । अचानक मुझे छाती में दर्द होने लगा । कहीं मुझे हार्ट की दिक्कत तो नहीं , ऐसे विचारों के साथ में आगे कमरे वाली बैठक में आ गया । मेरा पूरा परिवार मोबाइल देखने में व्यस्त था । मैंने पत्नी को देखकर कहा – आज मेरी छाती में रोज से कुछ ज्यादा दर्द हो रहा है । मैं डॉक्टर को दिखा कर आता हूं । हां , मगर संभल कर जाना और कुछ बात हो तो फोन करना – मोबाइल में देखते देखते ही पत्नी बोली । मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुंचा । मुझे बहुत पसीना आ रहा था , एक्टिवा स्टार्ट ही नहीं हो रही थी । ऐसे वक्त में हमारे घर में काम करने वाला किशन साइकिल लेकर आया । साइकिल को ताला लगाते ही उसने मुझे सामने खड़ा देखा , तो बोला – क्यों साहब एक्टिवा चालू नहीं हो रही ? मैंने कहा – नहीं । आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती साहब । इतना पसीना क्यों आ रहा है ? साहेब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते । लो , मैं इसे स्टार्ट कर देता हूं । किशन ने एक ही किक मार
कर एक्टिवा को चालू कर दिया । फिर उसने पूछा – साहब , अकेले जा रहे हो ? मैंने कहा – हां । उसने कहा ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते साहब , चलिए साहब मेरे पीछे बैठ जाइए । मैंने उससे पूछा – तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है ? साहब गाड़ी का भी लाइसेंस है मेरे पास । आप चिंता छोड़ कर मेरे पीछे बैठ जाइए । पास ही के एक अस्पताल में हम पहुंचे । किशन दौड़कर अस्पताल के अंदर गया और व्हीलचेयर लेकर बाहर आया और कहा कि – साहब , इस पर बैठे जाइए । उसके मोबाइल में लगातार घंटियां बज रही थी । मैं समझ गया था कि फ्लैट में से सब के फोन आते होंगे कि – किशन अभी तक क्यों नहीं आया । किशन ने आखिरकार थक कर फोन उठाया और किसी से कह दिया कि मैं आज नहीं आ सकता । किशन डॉक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था । उसे बगैर बताए ही मालूम हो गया था कि साहब को हार्ट की तकलीफ है । लिफ्ट में से व्हील चेयर आई सी यू की तरफ ले कर गया । डॉक्टरों ने मेरी तकलीफ सुनकर शीघ्र ही सारे टेस्ट करने शुरू कर दिए । तब डॉक्टर ने कहा कि –आप सही समय पर पहुंच गए हो , इसमें भी आपने व्हीलचेयर का उपयोग किया । यह बहुत ही फायदेमंद रहा आपके लिए । अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है । इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लॉकेज जल्दी ही दूर करने होंगे । इस फॉर्म पर आपके परिवारजन के हस्ताक्षर की जरूरत है । डॉक्टर ने किशन की ओर देखा । मैंने कहा – बेटा , दस्तखत करने आते हैं । किशन बोला – साहब , इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर मत डालो । मैंने कहा – बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है , तुम्हारे साथ भले ही खून का संबंध नहीं है , फिर भी बिना कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की । वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी । एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा । मैं नीचे सही करके लिख दूंगा कि – मुझे कुछ भी हुआ तो इसमें मेरी जिम्मेदारी होगी । किशन ने मेरे कहने पर हस्ताक्षर कर दिए थे । फिर मैंने कहा – घर फोन लगाकर खबर कर दो । परंतु उसी समय किशन के मोबाइल पर मेरी पत्नी का फोन आया । वह शांति से फोन सुनने लगा । थोड़ी देर के बाद किशन बोला – मैडम, आप को पगार काटने का है तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना , लेकिन अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरू होने से पहले पहुंच जाओ । हां मैडम , मैं साहब को अस्पताल लेकर आया हूं । डॉक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है । मैंने कहा – बेटा घर से फोन था । किशन बोला – हां साहब । मैंने मन ही मन पत्नी के बारे में सोचा कि – तुम किस की पगार काटने की सोच रही हो और किस को निकालने के बारे में बात कर रही हो । मेरी आंखों में आंसू आ गए थे और मैंने किशन के कंधे पर हाथ रख कर कहा – बेटे चिंता नहीं करते । मैं एक संस्था में सेवाएं देता हूं । वे बुजुर्ग लोगों को सहारा देते हैं । वहां तुम जैसे व्यक्तियों की जरूरत है । तुम्हारा काम बर्तन , कपड़े धोने का नहीं है , तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है और हां तुम्हें पगार मिलेगी बेटा , इसलिए चिंता बिल्कुल मत करना । ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया । मेरी आंखों के सामने मेरा सारा परिवार था । मैंने पूछा – किशन कहां पर है ? पत्नी बोली – वह अभी अभी छुट्टी लेकर गांव गया है । उसके पिता हार्ट अटैक से मर गए हैं । इसलिए वह 15 दिन बाद आएगा । अब मुझे समझ में आया कि – उसे मेरे अंदर अपना बाप दिख रहा होगा । हे प्रभु , आपने मुझे बचा कर उसके पिताजी को उठा लिया । पूरा परिवार हाथ जोड़कर और नतमस्तक होकर माफी मांग रहा था । एक मोबाइल की लत अपनों को अपनों से कितना दूर ले जाती है । उसके परिवार को अब यह बात समझ आ रही थी । यही नहीं आज मोबाइल घर घर में कलह का कारण भी बन गया है । बहू छोटी छोटी बातें तत्काल अपने मां-बाप को बताती हैं और मां की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से वह व्यवहार करती है । जिसके परिणाम स्वरूप बहुत समय गुजरने पर भी वह ससुराल वालों से अपनेपन से जुड़ नहीं पाती है । थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने आकर कहा – कि किशन आप के कौन लगते हैं ? मैंने कहा – डॉक्टर साहब , कुछ संबंधों के नाम पर गहराई तक ना ही जाए तो ही अच्छा है । उससे संबंध की गरिमा बनी रहेगी । बस मैं इतना ही कहूंगा कि वह आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बनकर आया । तभी गौरव बोला – हमें माफ कर दो पापा । जो फर्ज हमारा था वह किशन ने निभाया । यह हमारे लिए बहुत ही शर्मनाक है । ऐसी भूल भविष्य में कभी नहीं होगी । मैंने कहा – बेटा , जवाबदारी और नसीहत लोगों को देने के लिए ही होती है , जब लेने की घड़ी आए तो लोग बदल जाते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं । अब रही मोबाइल की बात तो बेटे एक निर्जीव खिलौने ने एक जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रखा है । अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है , नहीं तो परिवार , समाज और राष्ट्र को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं और हमें उसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना होगा ।
एक बेटे की ददर्नाक कहानी।
जवानी चढ़ गई तो घर देर से आने लगा । सारी सारी रात घर से बाहर रहना और दिन भर बस सोए रहना । बस यही काम बन गया था । मां ने तो बहुत मना किया , पर वह नहीं माना । शुरू शुरू में तो मां उसके लिए देर रात तक जागती रही । फिर बाद में सोने से पहले फ्रिज के ऊपर एक चिट चिपकाकर सो जाती । जिसमें डिश का नाम और वह कहां पर रखी है वह सब लिखा होता था । धीरे-धीरे चिट्स बढ़ने लगी । गंदे कपड़े कहां रखने हैं और साफ कपड़े कहां पर रखे हैं , यह सब भी लिखने लगी और साथ ही साथ यह भी बताने लगी कि आज यह तारीख है और कल तुम्हें यह काम करना है और परसों वह काम । बहुत सालों तक बस ऐसे ही चलता रहा । एक रात वह घर देर से पहुंचा , वह बहुत थका हुआ था । फ्रिज पर चिट लगी हुई थी , पर वह बिना पढ़े ही सो गया । सोचा वही रोज की बातें होंगी । सुबह काम वाली बाई आई तो उसकी चीख निकल गई । उसकी चीख सुनकर वह नींद से जाग गया । काम वाली बाई दौड़ते हुए उसके कमरे में आई और उसकी आंखों में आंसू थे । उसने उसे वह खबर सुनाई जो उसकी दुनिया उजाड़ने वाली थी। कामवाली बाई ने रोते हुए कहा – बेटा , अब तुम्हारी मां इस दुनिया में नहीं रही । यह खबर सुनने के बाद मानो उसके पैरों तले से जमीन ही सरक गई । वह खबर नहीं थी उसकी जिंदगी में आया हुआ सबसे बड़ा तूफान था । एक पल के लिए तो उसे ऐसा लगा कि कहीं काम वाली बाई उसके साथ मजाक तो नहीं कर रही । ऐसा कैसे हो सकता है उसके साथ । उसकी मां उसे इस तरह अचानक कैसे छोड़ कर जा सकती है । उसने तो अभी ठीक से मां से बातें भी नहीं की थी । वह रो रो कर कहने लगा कि अभी तो मुझे मां के लिए यह करना था , वह करना था । अभी तो मुझे उनकी ख्वाहिशों को पूरा करना था । अभी तो मुझे उन्हें यह बताना था कि मां मैं सुधर गया हूं और अब मैं रात को घर देर से नहीं आऊंगा । ऐसे कैसे मां अपनी अधूरी ख्वाहिशों को दिल में लेकर इस दुनिया से जा सकती हैं । यह सब सोचकर उसका सिर चकराने लगा । उसने कामवाली बाई से कहा आप झूठ तो नही बोल रही ? मां ने मुझे सबक सिखाने के लिए आपसे ऐसा कहने को कहा होगा । लेकिन वह रोए जा रही थी और कहने लगी कि नहीं बेटा मैं झूठ नहीं बोल रही । तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं है । उसकी बात सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे कि एक गम का बहुत बड़ा पहाड़ उसके ऊपर टूट पड़ा हो । वह गिरते संभलते मां के कमरे में पहुंचा , तो देखा कि मां गहरी नींद में सो चुकी थी । उसने आवाज दी पर मां उठी ही नहीं । वह बोला मां उठो , चलो ऐसा भी कोई मजाक करता है क्या ! उस वक्त उसके दिल का बहुत बुरा हाल था और यह वही समझ सकता था जिसकी मां इस दुनिया में ना हो या फिर वह जो अपनी मां से बहुत ही प्यार करता हो । मां के अंतिम संस्कार के बाद वह घर आया । मां के बिना घर खाली खाली लग रहा था । सब कुछ काटने को दौड़ रहा था । फिर उसे ऐसा लगा जैसे उसकी मां उसे आवाज दे रही हो । फिर पता नहीं कैसे उसे अचानक याद आया कि कल रात मां ने उसके लिए फ्रिज पर एक चिट छोड़ी थी । वह तुरंत रसोई की ओर दौड़ा और फ्रिज पर लगी उस चिट को पढ़ने लगा । चिट पढ़ने के बाद वह अपने आप को कभी भी जिंदगी भर माफ नहीं कर पाया । उस चिट में लिखा हुआ था – "बेटा , आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही । मैं बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रही थी । लेकिन तुम आए नहीं , मैं सोने जा रही हूं । जब तुम आ जाओ , तो मुझे जगा देना और मुझे अस्पताल लेकर चलना ।" उस चिट को पढ़ने के बाद वह बहुत रोया । उसे क्या पता था कि कल सुबह उसकी मां उठेगी ही नहीं ।
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