पोती का प्यार , हर घर की कहानी
मम्मी एक समोसा दादी मां को भी दे दूं –पिंकी ने कहा । तुझे कितनी बार कहा है ये समोसा उस बुढ़िया के लिए नहीं बनाएं। तू भी चुपचाप खा ले वरना तुझे भी उस बुढ़िया के साथ कमरे में बंद कर दूंगी । मम्मी का इस तरह गुस्सा देखकर पिंकी बेचारी चुपचाप समोसा खाने लगी । इस घर में दादी के अलावा और कोई उसका दोस्त नहीं था । वह सारा दिन उन्हीं के साथ खेलती थी। अपने पापा की इकलौती संतान होने के कारण और कोई नहीं था, जिसके साथ वह खेल सकती। इसलिए वह हमेशा अपनी दादी के साथ ही खेला करती थी । पर कविता उसे हमेशा अपनी सास के पास जाने से रोका करती थी । क्योंकि उसका मानना था कि उसकी सास बहुत ही बदनसीब है क्योंकि उसने उसके पहले बेटे को निगल लिया । अजय आज दुकान से जल्दी आने वाले थे , क्योंकि आज कविता का जन्मदिन था इसलिए कविता ने पहले से ही सब तैयारियां कर रखी थी । बस अजय का इंतजार था । शाम को एक छोटी सी पार्टी भी रखी थी , जिसमें कविता ने अपनी सारी सहेलियों को बुलाया था । कविता ने खाना बनाकर थोड़ी सी दाल और दो सूखी रोटी पिंकी के हाथ अपनी दादी के लिए भिजवा दी । पिंकी खाना लेकर अपनी दादी मां के कमरे में गई । दादी मां दादी मां लो खाना खा लो , मैं आपके लिए खाना लाई हूं । आओ मेरी रानी बेटी , आओ मेरी गोद में बैठो । नहीं दादी अम्मा मम्मी ने मना किया है कि उस बुढ़िया की गोद में मत बैठना । अगर मम्मी ने देख लिया तो मम्मी मुझे खाना नहीं देगी । पता है दादी मां आज मम्मी ने समोसे बनाए हैं । पर गुड़िया रानी तुम मेरे लिए तो समोसा लेकर नहीं आई हो और यह रोटी कितनी सूखी है , खाई ही नहीं जा रही । दादी मां मम्मी ने मना कर दिया कि समोसे उनकी सहेलियों के लिए है , इसलिए नहीं दिए । तुमने समोसे खाए क्या ? कैसे बने थे ? बहुत स्वादिष्ट बने थे दादी मां , पिंकी के मुख से यह बात सुनकर दादी मां के मुंह में पानी आ गया । पिंकी बेटा अभी समोसे कितने बचे हैं , बहुत बचे हैं दादी मां । दादी मां , मैं अभी देखती हूं जो मम्मी किचन में नहीं हुई तो मैं आपके लिए एक समोसा ले आऊंगी । पिंकी ने बाहर निकल कर देखा , तो उसकी मम्मी टीवी देखने में बिजी थी । पिंकी चुपके से किचन में जाती है और एक समोसा अपने नन्हे हाथों में छुपा कर अपनी दादी मां को देती है । बुढ़िया जैसे ही पिंकी के हाथों में समोसा देखती है , बहुत खुश हो जाती है और जल्दी-जल्दी खाने लगती है । पिंकी जब यह सब देखती है तो उसे बहुत ही आश्चर्य होता है । दादी मां धीरे-धीरे खाओ नहीं तो गले में अटक जाएगा । बुढ़िया थोड़ी ही देर में समोसा चट कर जाती है । बहुत स्वादिष्ट है पिंकी बेटा जाओ एक और समोसा ले आओ , बहुत मन कर रहा है खाने का । अभी नहीं दादी मां , अगर मम्मी ने देख लिया तो तुम्हें भी मार पड़ेगी और मुझे भी , अब मैं नहीं जाऊंगी दादी मां । उसे पता था कि अगर मम्मी ने अब देख लिया तो उस दिन की तरह दादी को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ेगा । बुढ़िया को अब रह रहकर उस समोसे का स्वाद याद आ रहा था । बेचारी अंगुलियां चाटती रह गई । अब मैं जाती हूं दादी मां , नहीं तो मम्मी को पता चल जाएगा । यदि रात में समोसे बच गए तो मैं एक और ले आऊंगी दादी मां । कविता टीवी देखते हुए – खाना खा लिया बुढ़िया ने । हां मम्मी खा लिया । मम्मी पापा नहीं आए अभी तक । नहीं आए , पर आते ही होंगे । मम्मी आप ने पापा से मेरे लिए क्या मंगवाया है । तेरे लिए एक बहुत बड़ी गुड़िया मंगवाई है और दादी मां के लिए , कुछ नहीं और ऐसी भी क्या जरूरत है उस बुढ़िया पर पैसे खर्च करने की । वह देखो तुम्हारे पापा आ गए । पापा आ गए , पापा आ गए । अजय ने पिंकी को गोद में उठाते हुए कहा – पता है हम तुम्हारे लिए क्या लाए हैं ? क्या लाए हो पापा , हम तुम्हारे लिए एक बहुत ही बड़ी गुड़िया लाए हैं बिल्कुल तुम्हारे जैसी सुंदर , यह लो और तुम्हारे जितनी बड़ी । पापा इसे में दादी मां को दिखा कर लाती हूं , दादी मां दादी मां , यह देखो पापा मेरे लिए गुड़िया लाए हैं । वाह बेटा यह तो बहुत सुंदर है तुम्हारे जैसी । यह लो कविता इसमें सामान है जो तुम ने मंगवाया था । और इसमे दो साड़ी है एक तुम्हारे लिए और एक मां के लिऐ। अजय मां को क्या जरूरत है साड़ी की , उनके पास तो पहले से बहुत कपड़े हैं । इसलिए फालतू की चीजों में पैसे बर्बाद मत किया करो । कविता तुम्हें पता है आज हमारे पास जो कुछ है वह मेरी मां का ही है । अजय पर हमारे पास एक लड़की है और उसके भविष्य के लिए हमें धन की आवश्यकता है , अगर हम यूं ही फालतू चीजों में पैसे खर्च करेंगे तो कल हमारे पास कुछ नहीं बचेगा और वैसे भी तुम्हारी मां को कहीं जाना नहीं होता , पूरे दिन घर में ही रहती है । कविता तुम्हें पता भी है तुम क्या बोल रही हो । वह मेरी मां है और मानो तो तुम्हारी भी । वह मेरी मां नहीं हो सकती , वह अभागन मेरे बेटे को निगल गई । खबरदार कविता अब एक और अपशब्द भी मेरी मां के बारे में बोला , तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा । अजय फिर तुम भी मेरा आज एक फैसला सुन लो , या तो इस घर में मैं रहूंगी या फिर वह बुढ़िया । ठीक है तो तुम जाओ यहां से , मैं तुम्हारे लिए अपनी मां को नहीं खो सकता । मैं भी अब इस घर में नहीं रहना चाहती हूं । चलो पिंकी हम चलते हैं , अब हम इस घर में कभी वापस नहीं आएंगे । नहीं मम्मा , मैं आपके साथ नहीं चलूंगी , मुझे तो यही दादी मां के पास ही रहना है । तू भी उस बुढ़िया के पास रहकर उसकी भाषा बोलने लगी , तो ठीक है जब शाम को मेरी याद आयेगी तब मत कहना। मम्मी आप मत जाओ प्लीज , मैं रात को किसके साथ सोऊंगी। अपने पापा के पास सोना मैं जा रही हूं । पापा रोको ना मम्मा को , वे जा रही हैं । बेटा जाने दो वह नहीं रुकेगी और चाहो तो तुम भी उसके के साथ जा सकती हो । नहीं पापा , मैं दादी मां को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी । कविता गुस्से में घर से निकल जाती है और अपने मायके चली जाती है । कविता को आज गए 2 दिन हो गए । दादी मां को जब से यह पता चला तो उन्होंने 2 दिन से कुछ भी खाया पिया नहीं । कविता हमेशा दादी मां को भला-बुरा कहती थी , यहां तक कि वह उसे खाने को सूखी रोटी दिया करती थी । लेकिन फिर भी उसकी सास उसकी फिक्र करती है , उसे बहुत बुरा लग रहा था , यहां तक कि वह कविता को घर से जाने का सबसे बड़ा कारण अपने आप को ही मान रही थी । अजय भी कविता के जाने से बहुत दुखी था , उसे भी नहीं पता था कि वह क्या करें । उसने कविता को कई बार फोन ट्राई किया , परंतु उसने फोन नहीं उठाया । उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कविता ने ऐसा क्यों किया । उसने तो उसके साथ जीने मरने का वादा किया था । कुछ समय के लिए अजय अपने अतीत में चला गया । उसे अपने कॉलेज के वह दिन याद आने लगे, जब वह कविता से मिला था । कितनी अनजान और अजनबी थी , वह भोली सी सूरत , शांत स्वभाव और दूसरों के लिए जीने वाली , अजय उसे देखकर इस कदर खोया की उसने सबके सामने पहली बार में ही उसे प्रपोज कर दिया और कविता भी उसके इस साहस को देखकर उसे ना नहीं कह सकी । कितनी अच्छी थी वो जिंदगी ना कोई समस्या , ना ही कोई गम था , ना ही किसी का कोई दबाव , बिल्कुल एक आजाद पंछी की तरह जिसकी ना कोई राह होती है , ना ही कोई मंजिल । अजय को अच्छी तरह याद था जब एक बार कविता के पापा ने कविता को उसके साथ देख लिया । लेकिन कविता की पसंद को वे ना नहीं कह पाए और उन दोनों की शादी करा दी । पर आज वह क्यों इतना असहाय हो गया था जैसे उसे किसी ने तीर मार दिया हो और वह छटपटा कर जमीन पर पड़ा हो । पापा पापा मम्मा का फोन आया है अचानक पिंकी की आवाज आई । वह आपसे बात करने के लिए कह रही है । यह सुनते ही अजय ख्वाबों से बाहर आ गया देखा तो पिंकी फोन लिए खड़ी थी । अजय ने कविता से बात की । कविता बोली कि अजय मुझे पिंकी चाहिए । मैं पिंकी के बिना नहीं रह सकती । प्लीज मुझे मेरी बेटी दे दो । कविता लौट आओ अपने घर । मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं प्लीज लौट आओ कविता । नही अजय, अब यह शायद संभव नहीं है । जब तक आपकी मां उस घर में रहेगी तब तक मैं लौट कर नहीं आऊंगी । अब फैसला आपको करना है कि आप किसे चाहते हो। और हां , मैं पिंकी को लेने आ रही हूं । भेज दोगे ना उसे मेरे साथ । हां ले जाओ , अगर वो खुशी खुशी तुम्हारे साथ जाना चाहे तो । यह कहते ही अजय का गला रूंध गया था , शब्द पता नहीं कहां गुम हो गए । वह बहुत ही टूट गया था । वह कविता के बिना भी नहीं रह सकता था और ना ही अपनी मां के बिना । अजय के मन में बहुत ही उथल-पुथल मच रही थी , क्योंकि अब उसे अपने अतीत और भविष्य में से किसी एक को चुनना था । उसके अतीत में मुंह पर झुरिया लिए और कुछ अधूरी सी उम्मीदें लिए एक तरफ उसकी बूढ़ी मां थी और दूसरी और उसके भविष्य में उसकी पत्नी और उसकी प्यारी सी गुड़िया पिंकी । पता नहीं उसकी जिंदगी को किसकी नजर लग गई । अब तो उसकी जिंदगी नरक सी बन गई थी । अचानक वह उठा और मां के कमरे की ओर बढ़ा । कुछ बोल पाता तभी उसकी मां बोल पड़ी बेटा किसका फोन था ? कविता का फोन था । क्या वह वापस आ रही है । नहीं , मां वह सिर्फ पिंकी को वापस लेने आ रही है और हम से हमेशा के लिए दूर जा रही है । अजय ने कविता की सारी बातें अपनी मां को बता दी । बेचारी बुढ़िया जिसने कभी सोचा ही नहीं था कि बात यहां तक बढ़ जाएगी कि उसकी वृद्धा आश्रम जाने तक की नौबत आ जाएगी । अजय की बात सुनकर बेचारी कुछ देर खामोश हो गई , पर उसने फैसला कर लिया कि वह वृद्धा आश्रम चली जाएगी , पर अपने बेटे और बहू को अलग नहीं होने देगी । मां के मुंह से ऐसी बात सुनकर अजय को धक्का सा लगा । यह क्या कह रही हो मां । तुम बृद्धाश्रम जाओगी , अपने खुद का घर छोड़ कर , वहां जाकर एक अनाथ की जिंदगी जीयोगी । नहीं मैं यह नहीं होने दूंगा । अच्छा होता यदि मैं आपके खिलाफ जाकर कविता से शादी ही नहीं करता , तो शायद ये नौबत ही नहीं आती । नहीं बेटा , ये क्या कह रहे हो , कविता तुम्हारी धर्मपत्नी है और रही बात मेरी , मेरे पास तो कुछ समय बचा है उसे मैं वृद्धा आश्रम में ही गुजार लूंगी और तुम्हारे पास अपनी पूरी जिंदगी बची है । वह तुम्हें कविता के साथ ही गुजारनी है । मेरे मरने के बाद तुम्हारी पत्नी ही बस तुम्हारा एक सहारा होगी और वैसे भी मैं क्या दुनिया छोड़ कर जा रही हूं , जब तुम्हारा मन करे तब वृद्धा आश्रम में आ जाना और सुना है वृद्धाआश्रम में भी बहुत ख्याल रखते हैं और ना ही मुझे परेशानी होगी और ना ही तुम्हें और कविता को । मां केबहुत समझाने पर अजय मान गया और मां को वृद्धा आश्रम छोड़ने के लिए तैयार हो गया । अगले दिन अजय अपनी मां का सारा सामान पैक कर के उसे वृद्ध आश्रम छोड़ आया । कविता को जब यह बात पता चली तो वह बहुत ही खुश हो गई और अपने ससुराल वापस लौट आई । पर अब अजय में वो पहले वाली बात नहीं रह गई थी , वह बहुत ही चुपचाप सा रहता था । कविता जिस खुशी की लालसा में यहां पर आई थी । वह उसे अब नजर नहीं आ रही थी , क्योंकि अजय बहुत ही उदास रहने लगा था । वह कविता से ज्यादा बात भी नहीं करता था । अजय हर दिन अपनी मां से मिलने के लिए जाता था । लेकिन वृद्ध आश्रम में जाने के बाद उसकी मां की तबीयत बहुत ही खराब हो गई और वह बहुत ही बीमार रहने लगी । नर्स और डॉक्टर भी बहुत परेशान हो गए थे लेकिन अजय की मां के कहने पर किसी भी डॉक्टर और नर्स ने यह बात अजय को नहीं बताई क्योंकि उसकी मां चाहती थी कि कहीं अजय परेशान ना हो जाए । वह चाहती थी कि अजय अपनी जिंदगी में खुश रहे । लेकिन जब कई दिनों तक भी उसकी मां की तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने उसे बड़े अस्पताल में चेकअप के लिए भेज दिया और जब रिपोर्ट आई , तब पता चला कि उन्हें कैंसर है और यह बीमारी लगभग 2 वर्ष से है । अजय जब भी वहां मिलने जाता तो कविता को बहुत ही बुरा लगता था , वह उसे हमेशा वहां जाने से रोकती थी । वह कभी-कभी पिंकी को भी अपने साथ ले जाया करता था , जिस से कविता और भी नाराज हो जाती थी । ज्यादा काम की वजह से कई दिन हो गए अजय वृद्ध आश्रम नहीं जा पाया । पर उसे यह बात पता नहीं थी कि उसकी मां को कैंसर है । जब वह बहुत दिनों के बाद वृद्धाआश्रम में आया तो उसे अपनी मां कहीं दिखाई नहीं दी । उसने आसपास पूछा तो पता चला कि उसकी मां की तबीयत ज्यादा खराब हो जाने से अस्पताल में भर्ती है । जब वह अस्पताल में गया तो देखा कि उसकी मां दवाई के नशे में उसे भी पहचान नहीं पा रही है । डॉक्टर ने बताया कि अब उनकी जिंदगी के बहुत ही कम दिन बचे हैं । डॉक्टरों ने अजय को उनकी बीमारी के बारे में भी बता दिया । डॉक्टरों के मुंह से यह बात सुनकर अजय के होश उड़ गए थे , उसने कभी सोचा नहीं था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा । जब उसे अपनी मां से हमेशा के लिए अलग होना पड़ेगा । डॉक्टर अजय से – पता है यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है । कुछ गिने-चुने देशों में ही इसका इलाज संभव है । अगर तुम्हारी मां खुश रहे तो यह कुछ थोड़े ज्यादा दिन और गुजार सकती हैं । अजय – मुझे अब क्या करना चाहिए डॉक्टर । अब तुम इन्हें अपने घर ले जाओ और हो सके तो इन्हें ज्यादा से ज्यादा खुश रखो । घर छोड़ने के गम में ही इनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी । यदि तुम इन्हें अपने साथ घर ले जाओगे तो इनकी अच्छे से देखभाल करने से इनकी जिंदगी भी कुछ आसान हो जाएगी । आप इन्हें कल शाम अपने घर ले जा सकते हैं । डॉक्टर की बात सुनकर अजय अपने घर के लिए चल पड़ा । अब उसे एक ही इंसान दिखाई पड़ रहा था वह थी कविता । कविता को मनाना उसके लिए आसान नहीं था । अजय जानता था कि कविता कभी नहीं मानेगी । पर अजय मां को घर नहीं लाएगा तो बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती है । अजय घर पहुंच जाता है अजय को देखते ही पिंकी दौड़ी दौड़ी आती है । पापा पापा आज आप दादी के पास गए थे । कैसी है दादी । क्या वे भी मुझे याद करती हैं । हां बेटा और कल हम दादी को घर लाएंगे । सच्ची पापा आप सच बोल रहे हो । हां बेटा । अजय जब कविता के पास गया तो वह खाना बना रही थी । कविता मैं आज मम्मी से मिलने गया था । डॉक्टर ने बताया कि उनके पास कुछ एक-दो दिन ही बचे हैं । मैं उन्हें वापस घर लाना चाहता हूं । मैं चाहता हूं कि अपनी जिंदगी के बचे हुए दिन हमारे साथ गुजारे । कविता कहती है ठीक है परंतु तुम्हें मेरी सारी बातें माननी होगी । कविता को इस प्रकार "हां"कहते देखकर अजय बहुत ही खुश हो जाता है । और कहता है – हां कविता , मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगा । और वह अगले दिन हॉस्पिटल में अपनी मां को लेने पहुंच जाता है लेकिन यह क्या जैसे वह हॉस्पिटल में जाता है तो देखता है कि उसकी मां यह दुनिया छोड़कर जा चुकी थी । डॉक्टर उसे बताते हैं कि रात इनकी तबीयत बहुत ही खराब हो गई और मरते समय अपने आखिरी पल मे तुम्हारा नाम बार-बार ले रही थी । अजय बहुत जोर जोर से रो रहा था ।
मौर मोरनी की शिक्षा प्रद कहानी
एक जंगल में मोर और मोरनी का जोड़ा रहता था । वे दोनों हंसी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे । एक दिन मोरनी मोर से कहती है कि हमें इस जंगल में रहते हुए काफी समय बीत गया है । मेरा मन करता है कि हमे अब दूसरे स्थान पर जाकर रहना चाहिए , जहां पर हमारे परिवार जन के बहुत सारे मोर मोरनी रहते हो । वहां पर चलकर उनके साथ थोड़ा सा समय बिताया जाए । मोर उसकी इस बात को सुनकर कहता है कि – नहीं , हमें वहां पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि यदि हम वहां पर गए तो कभी ना कभी हमारे आपस में झगड़ा भी हो सकता है । इससे अच्छा तो यही है कि हम यहीं पर सुकून से रहें । लेकिन मोरनी नहीं मानती है तब मोर को मोरनी की जिद के आगे झुकना पड़ता है और मोर और मोरनी दूसरे जंगल में आ जाते हैं । उस जंगल के पास एक नगर होता है । उस नगर का राजा पशु पक्षियों की भाषा को बहुत ही आसानी से समझ लेता था । एक दिन राजा अपनी रानी से कहता है कि रानी हमें बहुत तेज भूख लग रही है , हमारे लिए भोजन की व्यवस्था कीजिए । रानी कई प्रकार के व्यंजन बनाकर लाती है और जब राजा भोजन करने बैठते हैं तब रानी एक थाली में व्यंजनों को परोसती है , तभी एक चावल का दाना नीचे जमीन पर गिर जाता है , वहीं पर एक चींटी उस चावल के दाने को लेकर धीरे धीरे जाने लगती है । राजा का ध्यान उस चींटी पर पहुंच जाता है और वह उसे बड़ी गौर से देखता है । जब चींटी थोड़ा आगे चलती है , तभी चींटी के पास एक बहुत बड़ा चींटा आता है और उससे वो चावल का दाना मांगता है । वो चींटी से कहता है कि यह चावल का दाना मुझे दे दो और तुम राजा की थाली से दूसरा चावल का दाना ले आओ । राजा उन दोनों की भाषा को समझ जाता है । चींटी मना करती है कि – नहीं , मैं चावल का दूसरा दाना नहीं लाऊंगी । मुझे राजा से डर लगता है यदि राजा ने मुझे देख लिया तो कहीं मेरी मृत्यु ही ना कर दे । तभी चींटे का ध्यान राजा की तरफ जाता है । वो चींटी से कहता है – लगता है कि राजा ने हमारी बातों को सुन लिया है । क्योंकि वो हमारी तरफ ही देख रहा है और मुझे ऐसा लगता है कि इसने हमारी बात को समझ भी लिया है । क्योंकि यह राजा सभी जीव जन्तु और पशु पक्षियों की भाषा को समझता है । तब चींटी कहती है कि यदि ऐसा है , तो यदि राजा हमारी इस बात को किसी से भी कहेगा , तो वह पत्थर का हो जाएगा । चींटी की यह बात सुनते ही राजा बहुत जोर से हंसने लगता है । राजा को हंसते हुए देखकर रानी उनसे पूछती है कि क्या हुआ महाराज , आप हंस क्यों रहे हैं ? क्या मुझसे भोजन बनाने में कोई गलती हो गई है । तब राजा कहता है कि नहीं , नहीं , कुछ नहीं , बस ऐसे ही , हंसी आ गई । रानी बहुत ही जिद करती है लेकिन राजा कुछ नहीं बताता , क्योंकि राजा को पता था कि यदि मैंने चींटी वाली बात रानी को बताई तो मैं चींटी के कहे अनुसार पत्थर का हो जाऊंगा । परंतु रानी बार-बार कहती है और अपने प्यार की शपथ दिलाती है । तब राजा कहता है कि ठीक है , यदि तुम नहीं मानती तो मैं तुम्हें अपनी हंसी का कारण बताने को तैयार हूं । परंतु रानी जब तुम मेरी हंसी का कारण जान लोगी तो उसके बाद तुम्हें बहुत ही पछताना होगा । इसलिए मैं तुम्हें एक बार फिर से कहता हूं कि यह जिद छोड़ दो । अब तो रानी की जिज्ञासा और बढ़ जाती है और वो कहती है मुझे पछताना मंजूर है महाराज , परन्तु आप अपनी हंसी का कारण बताइए। तब राजा रानी को जंगल में लेकर जाता है । जंगल में जाकर राजा रानी को जैसे-जैसे चींटी और चींटे की बातें बताते जाता है वैसे वैसे ही राजा पत्थर का होना शुरू हो जाता है । जब राजा अपनी आखिरी बात कहता है तभी वह सारा पत्थर का बन जाता है । रानी राजा को इस तरह देखकर बहुत जोर जोर से रोने लगती है । वो सोचती है कि राजा इसी कारण मुझे मना कर रहे थे लेकिन मैंने राजा की बात नहीं मानी । राजा और रानी के इस पूरे दृष्टांत को मोर और मोरनी देख रहे होते हैं । तब मोर मोरनी को समझाता है कि देखो मोरनी , यदि आज रानी ने राजा की बात मानी होती तो राजा आज पत्थर का ना होता , राजा आज जीवित होता । इसलिये तुम भी ये हठ छोड़ दो और वापिस अपने उसी पुराने जंगल में चलो। क्योंकि त्रिया हठ और बाल हठ कई बार घातक सिद्ध होते है । तब मोरनी मोर की बात मान लेती है और वह वापस उसी स्थान पर चले जाते हैं ।और खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं।
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