क्यों नहीं चढ़ाई जाती भगवान शिव पर तुलसी , जलंधर की मृत्यु से इसका क्या संबंध है , भगवान शिव और जलंधर का युद्ध

 पंजाब के जालंधर city के बारे मे सुना होगा लेकिन इसका नाम जालंधर क्यों पड़ा इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है , ये कहानी है राक्षस जलंधर की , 



राक्षस जलंधर स्वयं भगवन शिव के वरदान से पैदा हुवा था वह भगवान शिव के जैसा ही बलवान और पराकर्मी था लेकिन प्रवर्ति से राक्षश होने के कारण वह हमेशा अधर्म के कार्य करता था , पूजा करते हुए ऋषियो को मार देता था , हवं मे मांस आदि मिला देता था , किसी को भी यग ,हवन ,पूजा नहीं करने देता था ,

खुद को ही भगवान बताता था और सभी से कहता था की मेरी ही पूजा करे मे ही ईश्वर हूँ मे ही भगवान हूँ , 

धीरे धीरे उसके अत्याचार बढ़ते गए , जलंधर का विवाह वृंदा नाम की स्त्री से हुवा वह भहुत ही सतीत्व और पतिव्रता स्त्री थी , वृंदा का सतीत्व ऐसा था की उसकी शक्ति से जलंधर को ऐसा बल और शक्ति प्राप्त हुयी की उसे युद्ध मे कोई भी हरा नहीं सकता था , इसी के कारण उसका साहस इतना बढ़ता गया की वह स्वयं भगवान शिव को भी युद्ध के लिए ललकारने लगा , 

उसका अत्याचार बढ़ता गया इससे परेशान होकर भगवान शिव भी विचलित होने लगे और जलंधर से युद्ध करने पहुंचे लेकिन पत्नी की सतीत्व के कारण भगवान शिव जलंधर को युद्ध मे नहीं हरा सके , 

इस पर देवऋषि नारद ने भगवान विष्णु को बताया की ये सब इसकी स्त्री के सतीत्व के कारण हो रहा है , अगर इसकी स्त्री का सतीत्व ही भंग हो सके तो इसे युद्ध मे हराया जा सकता है , 

ऐसा सुनकर भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण किया और उसकी पत्नी का सतीत्व भंग किया , ऐसा करने से जलंधर युद्ध मे हर गया और उसकी मृत्यु हो गयी , 

जलंधर की स्त्री को जब विष्णु के चल के बारे मे पता चला तो उसने भगवान् विष्णु को श्राप दिया की जाओ तुम पत्थर के हो जाओ , इसे देखते हुवे भगवान शिव ने वृंदा से कहा की विष्णु को माफ़ कर दे और कोई वर मांगे , लेकिन वो क्रोधित थी उसने पहले एक वर माँगा की मेरे पति की मृत्यु अमर हो जाए इस पर भगवान शिव ने वरदान दिया की जिस जगह पर तुम्हारे पति जलंधर की मृत्यु हुयी है उसे जालंधर के नाम से जाना जाएगा , 

जालंधर city राक्षश जलंधर के नाम पर ही है , 

क्रोधित वृंदा ने जल का एक लौटा लिया और उसे अभिमंत्रित किया और अपने ऊपर छिड़कते हुवे कहा की मे तुलसी का पौधा बन जाऊ और मुझे सिर्फ एक दिन को छोड़कर कभी भी भगवान शिव को अर्पित न किया जाए , 

वैकुण्ठ चतुर्थी व्ही दिन है जिस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव एक साथ होते है और यही वो दिन है जब भगवन शिव पर तुलसी चढ़ाई जाती है 


क्यों नहीं चढ़ाई जाती भगवान शिव पर तुलसी , जलंधर की मृत्यु से इसका क्या संबंध है , भगवान शिव और जलंधर का युद्ध 

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