नमस्कार दोस्तों
इतिहास रहस्यों से भरा पड़ा है आज ऐसे ही एक रहस्य के बारे मे आपको बताने जा रहे है जिसे कुछ लोग जानते है तो ज्यादातर लोग इसके बारे मे नहीं जानते .
दोस्तों हम बात कर रहे है चम्बल के खुनी दरवाजे की , यहां पर बहुत सारे Tourist हर साल घूमने आते है , और इस दरवाजे को देखते है ,
आपको बता दे की मध्यप्रदेश के चम्बल की कई प्रशिद्ध कहानिया है जिसमे चम्बल का खुनी दरवाजा एक है , चम्बल मे एक देवगिरि दुर्ग है इसे अटेर के किले के नाम से भी जाना जाता है यह किला खुनी दरवाजे के नाम से प्रशिद्ध है , इसी किले के अंदर जाने के लिए एक दरवाजा है जिसे खुनी दरवाजा कहते है ,
सबसे पहले आपको इस किले का इतिहास बताते है चम्बल नदी के किनारे ऊचे स्थान देवगिरि पर्वत पर एक किला बना हुवा है जिसे अटेर का किला कहते है इस किले का निर्माण राजा बदन सिंह ने 1664 से 1668 के बीच कराया था , यह किला आज भी अपने अंदर सेकड़ो रहस्यों को छुपाए हुवे है , यहाँ के स्थानीय लोगो की माने तो यह देवगिरि पर्वत पर बना हुआ है जिसके कारन इसका नाम देवगिरि दुर्ग रखा गया था
क्या है खुनी दरवाजे का राज : इस किले का मुख्य दरवाजा खुनी दरवाजे के नाम से जाना जाता है इसका मुख्य कारन है की जब यहाँ पर राजा राज करते थे उस समय इस दरवाजे पर बकरे / या भेड़ का सर काटकर लटकाया जाता था और उसका निचे एक बर्तन रख दिया जाता था जिसमे खून टपकता था , लोगो का मानना है की जिन लोगो को या गुप्तचरों को राजा से मिलना होता था तो वो पहले इस दरवाजे पर जाते थे और खून का तिलक करने के बाद ही उन्हें राजा से मिलने दिया जाता था , इसीलिए इस दरवाजे का नाम खुनी दरवाजा पड़ा , यहाँ पर हजारो की संख्या मे लोग घूमने आते है और इस किले को निहारते है ,
क्या आप जानते है चम्बल का खुनी दरवाजा क्यों है प्रसिद्ध
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