शापित हवेली जो इसके अंदर जाता है कभी बहार नहीं आता , शापित हवेली

 

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शहर के कोने में स्थित पुरानी हवेली अपनी रहस्यमयी कहानियों के कारण कुख्यात थी। स्थानीय लोग कहते थे कि वहाँ रात को चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं, पर किसी ने भी हिम्मत करके यह जानने की कोशिश नहीं की कि हवेली के अंदर क्या छिपा है। 

 

एक दिन, कॉलेज के चार दोस्तअनुज, माया, रोहित और पायलने तय किया कि वे इस हवेली में जाकर सच का पता लगाएंगे। उन्हें रोमांच का शौक था, और डरावनी कहानियों का सच जानना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। 

 

हवेली का रास्ता 

रात के आठ बजे, चारों ने एक टॉर्च और कुछ खाने-पीने की चीजें लेकर अपने साहसिक सफर की शुरुआत की। हवेली के पास पहुँचते ही चारों के कदम धीमे पड़ने लगे। हवेली का मुख्य दरवाजा लकड़ी का था, जो समय के साथ टूट-फूट चुका था। चारों ने एक-दूसरे की ओर देखा और अंदर जाने का इशारा किया। 

 

दरवाजे को धकेलते ही, कर्कश आवाज ने उनके रोंगटे खड़े कर दिए। अंदर का माहौल गाढ़ी धुंध से भरा हुआ था, और हर कोने में जालों के जाल लटके हुए थे। एक हल्की, बासी गंध ने उनकी नाक को चुभा दिया। 

 

जैसे ही वे अंदर बढ़े, उन्हें फर्श पर एक पुरानी डायरी पड़ी मिली। माया ने उसे उठाया और पन्ने पलटने लगी। डायरी किसी "अभय" नाम के व्यक्ति की थी, जिसने लिखा था कि वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ यहाँ रहने आया था। डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा था: 

"यहाँ कुछ है। यह हमें देखता है, हमें सुनता है। हमें बचाओ!" 

 

पन्ना पढ़ते ही चारों का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। 

 

अजीब घटनाएँ

हवेली की घड़ी ने अचानक रात के बारह बजने की आवाज की। घड़ी पुरानी थी और टूटी हुई दिख रही थी, लेकिन फिर भी उसकी आवाज ने सन्नाटे को चीर दिया। तभी, हवेली के ऊपरी माले से किसी के चलने की आवाज आई। 

 

"...क्या यह हवा का असर हो सकता है?" पायल ने कांपते हुए पूछा। 

 

"नहीं, यह किसी के कदमों की आवाज थी," अनुज ने धीरे से कहा। 

 

चारों ने हिम्मत करके ऊपर जाने का फैसला किया। सीढ़ियाँ चरमराती थीं, मानो किसी के भार से टूटने को तैयार हों। ऊपर पहुँचते ही एक अजीब-सा सन्नाटा छा गया। 

 

काले साए का दिखना 

एक कमरे का दरवाजा हल्के से खुला हुआ था। अंदर झाँकने पर उन्हें एक टूटा हुआ झूला दिखा, जो अपने आप हिल रहा था। 

"यह कैसे हो सकता है?" रोहित ने फुसफुसाते हुए कहा। 

 

तभी माया ने महसूस किया कि कोई उसके कंधे पर हाथ रख रहा है। उसने डर के मारे चिल्लाकर मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। 

 

"यहाँ से निकलते हैं!" माया ने घबराते हुए कहा। 

 

लेकिन जैसे ही वे कमरे से बाहर निकलने लगे, दरवाजा जोर से बंद हो गया। चारों ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह हिल भी नहीं रहा था। तभी, दीवारों पर परछाइयाँ दिखने लगीं। ये परछाइयाँ इंसानों की थीं, लेकिन उनके शरीर मुड़े हुए और चेहरे विकृत थे। 

 

सच्चाई का खुलासा 

रोहित ने अपनी टॉर्च दीवार पर मारते हुए देखा कि उन परछाइयों में से एक अभय की डायरी वाली तस्वीर से मिलती थी। तभी परछाई ने बोलना शुरू किया, "तुमने यहाँ क्यों कदम रखा? यह जगह हमारी कैदगाह है। जो यहाँ आता है, वह बाहर नहीं जा पाता।" 

 

माया ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "तुम कौन हो?" 

 

परछाई ने बताया कि यह हवेली एक शापित जगह है। यहाँ रहने वाले लोगों ने एक साधु का अपमान किया था, जिसके कारण साधु ने उन्हें और उनके वंशजों को इस हवेली में फँसा दिया। अब वे आत्माएँ बाहर निकलने के लिए किसी और को शापित करना चाहती थीं। 

 

भागने की कोशिश 

यह सुनकर चारों ने वहाँ से भागने की कोशिश की। वे नीचे की ओर दौड़े, लेकिन हर दरवाजा गायब हो चुका था। हवेली अब एक भूलभुलैया में बदल चुकी थी। 

 

तभी, पायल ने रोहित का हाथ पकड़ा और चिल्लाई, "तुम कहाँ जा रहे हो?!" लेकिन रोहित ने कोई जवाब नहीं दिया और हवा में गायब हो गया। 

 

अनुज, माया और पायल अब और भी ज्यादा घबरा गए। उन्होंने एक कोने में छिपने की कोशिश की, लेकिन परछाइयाँ उन्हें ढूँढ़ रही थीं। 

आखिरी रास्ता

माया को अचानक याद आया कि डायरी के एक पन्ने पर लिखा था कि शाप को तोड़ने का एक तरीका है। उन्होंने जल्दी से डायरी निकाली और पढ़ा कि साधु ने कहा था: 

"जो सच्चे मन से क्षमा मांगेगा और दूसरों को बचाने के लिए अपना बलिदान देगा, वह मुक्त हो जाएगा।" 

 

अनुज ने कहा, "मैं यह करूंगा। तुम दोनों भागो।" 

माया और पायल ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जगह से हिला नहीं। 

 

त्याग और मुक्ति

अनुज ने परछाइयों के सामने खड़े होकर कहा, "मैं अपनी जान देकर इन लोगों को मुक्त करना चाहता हूँ। मुझे क्षमा करें।" 

 

जैसे ही उसने यह कहा, हवेली हिलने लगी। परछाइयाँ चिल्लाने लगीं और एक-एक करके गायब हो गईं। हवेली का दरवाजा खुल गया, लेकिन अनुज वहीं रह गया। 

 

माया और पायल ने भागकर बाहर आकर देखा कि हवेली अब एक ढेर में बदल चुकी थी। अनुज की कुर्बानी ने हवेली के शाप को खत्म कर दिया था। 

 

अंतिम सन्नाट 

माया और पायल ने अनुज की कुर्बानी को हमेशा याद रखने की कसम खाई। लेकिन हर रात, उन्हें अपने सपनों में अनुज की आवाज सुनाई देती थी, मानो वह अब भी उनके साथ हो। 

 

क्या हवेली का शाप खत्म हो गया था, या फिर यह सिर्फ शुरुआत थी?