Five Facts About our earth , Know The unknown Facts about Earth ?

Our earth, known by the name of the earth, the earth, and many more, is a place where life, that is, living beings, lives.
But you know all this, but do you know these 5 things about our earth,

50 Earth Wallpapers in Full HD for Free Download
1. Do you know what age (age) of the earth is?

Most people don't know the answer

Friends, the age of the earth is 4.57 billion years
That is 658 million years

Now a question related to this must have come to your mind that how scientists will age or calculate the age, there is a calculation for this which is called radiometric dating, from which scientists take out the age of any stone, mountain etc. Now you must have understood how scientists came out of the age,

2. What is the temperature of the Earth i.e.

Listen] Lil Dicky's 'earth' Features Ariana Grande, - Earth Song ...

Friends, you all know that the normal temperature of the earth is 14 degrees C
But there is some such place on the earth, the temperature of the earth is very different in the place.
And sometimes it changes a lot over time like
14 July 1913 Death Vally The United States recorded the highest temperature of the earth, which was 54.9 degrees C,
If we talk about the lowest temperature, it is -49.2 degrees C, which was recorded on July 21, 1973, at the Vos Tok station in Roush,

3. Was the Earth ever considered to be the center of the universe, or was the Earth at the center of the universe?

Earth - HD Wallpapers | Earth Blog

This model is also called geocentric model

There was a scientist named
NICOLAUS COPERNICUS who gave a model named Heliocentric model in which he said that our earth revolves around the Sun, and he proved that the Geocentric Model is wrong, and the Earth is not the center of the universe,

4. Is the Earth's rotation slowly slowing down?

Yes, you heard it right, the speed of our earth's rotation is slowly slowing down.
If we talk about its calculation or calculation, then it is slowing down to 14 years
That is, every 100 years, 17 ml but the seconds are decreasing.

Now you also want to know why the speed of the earth is decreasing,
Friends, as you all know or for those who do not know, tell them that both the moon and the earth are moving away from each other, which is 3.6 cms / year.
Let me tell you that the more the earth moves away from the moon, the more its rotation speed will decrease,
Let me tell you for your information when the Earth was created, that is, 657 million years ago, when the moon and the earth were very close to each other, then it was only 4 hours a day,
But slowly the moon moved away from the earth and today after 658 million years, that's why your day is 24 hours,
If we talk about the future to come, then after 14 crores years from now, your day will be 25 hours,

5. Revolution speed of the Earth,
HD 26965b: Super-Earth Found Just 16 Light-Years Away | Astronomy ...




 friends, we all know that the earth revolves around the sun, but do you know how much speed it rotates, or what is the speed of the earth?
 Let us answer this question, yes you would not have thought, the speed of the Earth around the Sun and the speed or speed is 30 km / s i.e. the Earth every hour
30 * 60 * 60 = 108000 km hour revolves around the Sun and at the same speed you are also spinning, there is no amazing shocking mystery

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धरती के बारे में 5 तथ्य | 5 Amazing Facts About The Planet Earth

धरती , पृथ्वी, और भी बहुत नामो से जाने जनि वाली हमारी धरती ही एक ऐसी जगह है जहां जिंदगी , यानि जीव जंतु रहते है ,
लेकिन ये सब तो आप जानते है पर क्या ये 5 बाते आप जानते है हमारी इस पृथ्वी के बारे में ,
Earth: Our Living Planet | NASA Solar System Exploration

1 . क्या आपको पता है की धरती की ऐज ( उम्र ) कितनी है ?
इसका उत्तर ज्यादातर लोग नहीं जानते है 

दोस्तों धरती की उम्र है 4.54 बिलियन साल 
यानि  454 करोड़ साल 
Radiometric Dating

अब इससे जुड़ा एक सवाल आपके मन में आया होगा की वैज्ञानिको ने धरती की उम्र कैसे निकली होगी या कैलकुलेट की होगी इसके लिए एक गणना होती है जिसे रेडिओमेट्रिक डेटिंग Radiometric dating  कहते है इससे से वैज्ञानिक किसी भी पत्थर , पहाड़ आदि की उम्र निकल लेते है , तो अब आप समझ ही गए होंगे की वैज्ञानिको ने कैसे निकली धरी की उम्र ,

2. धरती का तापमान यानि टेम्परेचर ऑफ़ थे एअर्थ कितना है ,

दोस्तों वैसे तो आप सब जानते है की धरती का नार्मल तापमान 16 डिग्री C है 
लेकिन धरती पर कुछ ऐसी जगह भी है जगह पर धरती का तापमान बहुत अलग अलग है 
और कभी कभी यह समय के अनुसार बहुत ज्यादा बदल जाता है जैसे 
16 जुलाई 1913 (Death Vally United states ) डेथ वल्ली यूनाइटेड स्टेट्स धरती का सबसे उच्च तापमान रिकॉर्ड किया गया था जोकी 56.7 डिग्री C  था , 

Death Valley Smashes Heat Record, 2nd Year in a Row | Live Science
अगर सबसे कम तापमान की बात करे तो वो है -89.2 डिग्री C , जोकि 21 जुलाई 1983 में रूश के वोस टोक स्टेशन पर रिकॉर्ड किया गया था ,

3. पृथ्वी को कभी ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता था, या क्या कभी धरती ब्रमांड के केंद्र में स्थित थी या है ?

इस मॉडल को Geocentric  मॉडल भी कहते है 
History of Astronomy

एक वैज्ञानिक थे जिनका नाम था 
NICOLAUS  COPERNICUS जिन्होंने एक मॉडल दिया जिसका नाम था helocentric  model जिसमे इन्होने बताया की हमारी धरती सूर्य के चारो और घूमती है , 
Geocentric vs Heliocentric Models - MrHamel.com
और इन्होने ने ही ये सिद्ध किया की Geocentric Model  गलत है , और पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र यानि center  नहीं है ,

4.  क्या  पृथ्वी का घूर्णन धीरे-धीरे धीमा हो रहा है ?

जी हाँ आपने बिलकुल सही सुना हमारी धरती के घूमने की गति धीरे धीरे धीमी यानि slow  होती जा रही है 
अगर इसकी गणना या कैलकुलेशन की बात करे तो यह 17 मिली  सेकंड पर हंड्रेड ईयर स्लो हो रही है 
यानि हर 100 सालो में 17 मिली  पर सेकंड कम हो रही है  

अब आप ये भी जानना चाहेंगे की धरती की घूमने की गति कम क्यों हो रही है ,
दोस्तों जैसा की आप सब जानते है या जो लोग नहीं जानते उनके लिए बता दे की चन्द्रमा ( moon  ) और धरती ( एअर्थ) दोनों एक दूसरे से दूर खिसकते जा रहे है जो की 3.78 cms / year  
आपको बता दे की धरती चन्द्रमा से जितनी दूर खिसकती जाएगी उतना ही उसकी रोटेशन स्पीड कम होती जाएगी ,
में आपकी जानकारी के लिए बता दूँ जब धरती बनी यानि 458 करोड़ साल पहले जब चन्द्रमा और धरती एक दूसरे के बिलकुल पास पास थे तब एक दिन सिर्फ 6 घंटे का होता था , 
लेकिन धीरे धीरे चन्द्रमा धरती से दूर खिसकता गया और आज  लगभग 458 करोड़ साल बाद इसीलिए आपका 1 दिन 24 घंटे का होता है , 
अगर हम आने वाले भविष्य की बात करे तो अब से 14 करोड़ साल बाद आपका एक दिन 25 घंटे का होगा ,

५. Revolution speed  of the  Earth ,


Earth Rotation and Orbit Geometry - Astronomy Stack Exchange
 दोस्तों हम सब लोग जानते है की धरती सूर्य के चारो और घूमती है लेकिन क्या आप ये जानते है की यह कितनी स्पीड , गति से घूमती है या धरती के घूमने की गति कितनी है ?
 चलिए इस सवाल का जवाब हम देते है आपको जी हाँ आपने सोचा भी नहीं होगा , धरती की सूर्य के चारो और घूमने की गति या स्पीड है 30 किमी / सेकंड यानि धरती हर घंटे 
30*60*60 = 108000 किमी पर घंटे सूर्य के चारो और घूमती है और इतनी ही स्पीड से आप भी घूम रहे है , है न अमेजिंग चौकाने वाले रहस्य 

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हिन्दू धर्म में पशु बलि देना परम्परा की देन है या फिर हिन्दू धर्म ग्रंथों में पशु बलि को जघन्य अपराध माना गया है ?

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संसार के सभी धर्मों में जीव हिंसा या फिर पशु बलि को पाप माना गया है ! धर्म शास्त्रों के अनुसार जो धर्म प्राणियों की हिंसा का समर्थन करता है वह धर्म कभी कल्याणकारी हो ही नहीं सकता ! ऐसा माना गया है कि आदिकाल में धर्म की रचना संसार में शांति और सदभाव को बढ़ाने के उद्देश्य से की गयी थी ! यदि धर्म का उदेश्य ये ना होता तो उसकी इस संसार में आवयश्कता ही ना रहती ! किन्तु कुछ अज्ञानियों ने अपने फायदे के लिए इसमें पशु बलि जैसी परम्परा को जोड़ दिया , जो हज़ारों वर्षो से चली रही है ! अब यहां सवाल ये उठता है कि क्या हिन्दू धर्म में पशु बलि देना परम्परा की देन है या फिर हिन्दू धर्म ग्रंथों में पशु बलि को जघन्य अपराध माना गया है !

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  आज हम आपको बताएंगे श्री कृष्ण द्वारा या फिर गरुड़ पुराण में बलि को पाप माना गया है या पुण्य ? कुछ लोग हिन्दू धर्म में पशु बलि का समर्थन करते है परन्तु ऐसे लोग क्यों ये नहीं सोचते कि आदिकाल में देवताओं एवं ऋषियों ने जिस विश्व कल्याणकारी धर्म का ढाँचा इतने उच्चकोटि के आदर्शों द्वारा निर्मित किया ,  जिनके पालन भर से मनुष्य आज भी देवता बन सकता है ! उस धर्म के नाम पर वो पशुओं का वध करके हिन्दू धर्म को कितना बदनाम कर रहे है ! इस तरह की परम्परा के नाम पर धर्म को कलंकित करना और लोगों को पाप का भागी बनाना कहां तक उचित है ! देवताओं की आड़ में पशु बलि करने वाले ये क्यों नहीं सोचते कि इस अनुचित कुकर्म के साथ क्या देवी देवता प्रसन्न हो सकते है ? यदि वो ऐसा नहीं सोचते तो वे ये मान ले कि वो उनके साथ-साथ दूसरों को भी अन्धविश्वास की पराकाष्ठा तक पहुंचने में मदद कर रहें है ! यदि आप देवी देवताओं के नाम पर पशु बलि को सही मानते है तो जान लीजिये कि ऐसे लोग जीवन भर मलिन , दरिद्र और तेजहीन ही रहते है ! ऐसे लोग कभी फलते - फूलते नहीं और सुख - शांति सम्पन्न नहीं पाए जाते ! इतना ही नहीं वे निर्दोष जीवों की हत्या के पाप के कारण उनके परिवार के सदस्य अधिकतर रोग , शोक और दुःख - दरिद्रता से घिरे रहते है ! हिन्दू धर्म में ज्यादातर लोग देवी काली के मंदिरों में अथवा भैरव के मठों पर पशु बलि देने का काम करते है ! और ऐसे लोग यह सोचते है कि माता काली पशुओं का मांस खाकर और खून पीकर प्रसन्न हो जाती है ! लेकिन वो ये भूल जाते है कि परमात्मा की आधारशक्ति और संसार के जीवों को उत्त्पन्न और पालन करने वाली माँ क्या अपनी संतानों का रक्तमांस पी और खा सकती है क्योंकि माँ तो माँ होती है ! जिस प्रकार साधरण मानवीय माँ अपने बच्चे को जरा सी चोट लगने पर पीड़ा से छटपटा उठती है और माँ की सारी करुणा प्यारे बच्चे के लिए उमड़ पड़ती है ! तो भला करुणा , दया और प्रेम की मूर्ति जगतजननी माँ काली के प्रति यह विश्वास किस प्रकार किया जा सकता है कि वह अपने उन निर्हिन बच्चों का खून पीकर प्रसन्न हो सकती है ! हिन्दू धर्म ग्रंथों में सभी प्रकार की हिंसा को निषेध माना गया है ! वेदों से लेकर पुराणों तक में कहीं भी पशु बलि का समर्थन  नहीं मिलता ! हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति देवयज्ञ , पितृश्राद्ध और अन्य कल्याणकारी कार्यों में जीव हिंसा करता है तो सीधा वह नरक में जाता है !

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  साथ ही देवी देवताओं के बहाने जो मनुष्य पशु का वध करके अपने संबंधियों सहित मांस खाता है वह पशु के शरीर में जितने रोम होते है उतने वर्षों तक असिपत्र नामक नरक  में रहता है ! इसी तरह जो मनुष्य आत्मा , स्त्री , पुत्र , लक्ष्मी और कोई भी इच्छा से पशुओं की  बलि देता है वह स्वयं ही अपना नाश करता है ! इतना ही नहीं वेद में तो इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि भगवान ये चाहते है कि कोई भी मनुष्य  घोड़े और गाये उन जैसे बालों वाले बकरी , ऊँट आदि चौपायों और पक्षियों जैसे दो पगों वाले को भी ना मारे ! इसी प्रकार महाभारत पुराण के शांतिपर्व में यज्ञादि शुभ कर्मों में पशु हिंसा का निषेध करते हुए बलि देने वालों की निंदा की गयी है ! भगवान श्री कृष्ण के अनुसार जो मनुष्य यज्ञ , वृक्ष , भूमि के उद्देश्य से पशु का वध करके उसका मांस खाते है वह धर्म के अनुसार किसी भी दृष्टिकोण से प्रशंसनीय नहीं है ! ऐसे लोगों को पृथ्वी पर सबसे महापापी जीव कहा गया है ! क्योंकि जानवर तो पशु बुद्धि होने के कारण ही एक दूसरे को मारकर कहते है ! लेकिन मानवों में तो करुणा  , दया और प्रेम का भाव पाया जाता है और इसी वजह से तो मनुष्य पृथ्वी लोक के बाकीं प्राणियों से अलग है ! फिर यदि हम भी जानवरों की तरह ही दूसरे जीवों को मारकर खाने लगे तो हममे और जानवरों में क्या अंतर रह जायेगा ! इसीलिए अगर आप भी पशु बलि का समर्थन करते है तो उसे छोड़ दे क्योंकि धर्म शास्त्रों में पशु बलि का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है ! कुछ अल्पज्ञानियों के कारण सदियों से इस परम्परा को हमारा धर्म ढोता रहा है !



क्या आपने कभी सुना है कि भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था ! बहुत ही कम लोगों को यह बात पता है ! लेकिन क्या आप ये जानते है कि ये युद्ध कितने दिनों तक चला था और इस युद्ध का इस संसार पर क्या प्रभाव पड़ा था ! युद्ध में कौन विजयी हुआ था ?

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भगवान विष्णु ही इस संसार के पालनहार है और भगवान शिव को इस संसार का संहारक माना जाता है ! ये दोनों ही सर्वशक्तिमान है और माना जाता है कि दोनों ही एक दूसरे के परमभक्त है ! लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था ! बहुत ही कम लोगों को यह बात पता है ! लेकिन क्या आप ये जानते है कि ये युद्ध कितने दिनों तक चला था और इस युद्ध का इस संसार पर क्या प्रभाव पड़ा था ! युद्ध में कौन विजयी हुआ था ? कथा के अनुसार - एक दिन जब माता लक्ष्मी अपने पिता समुद्र देव से मिलने आयी तब उन्होंने देखा उनके पिता काफी चिंतित प्रतीत हो रहे थे ! उन्होंने उनसे उनकी चिंता का कारण पूछा तब समुद्र देव ने कहा - पुत्री मै तुम्हारे लिए अति प्रसन्न हूँ कि तुम्हारा विवाह श्री हरी विष्णु के साथ हुआ है लेकिन तुम्हारी 5 बहने सुवेशा , सुकेशी , समेशी ,सुमित्रा और वेधा भी मन ही मन विष्णु देव को अपना पति मान चुकी है और उनको पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही हैं ! यह बात सुनकर माता लक्ष्मी अत्यंत चिंतित हुई और बैकुंठ धाम वापिस आ गयी ! वापिस आकर माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा  - हे प्राणनाथ आप मुझे विश्वास दिला दीजिये कि आपके सम्पूर्ण ह्रदय में केवल और केवल मेरा स्थान है !

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 भगवान विष्णु ने कहा -  देवी आप इस सत्य से अनभिज्ञ नहीं है कि मेरे ह्रदय के आधे भाग में केवल महादेव है ! मै ये कैसे कह सकता हूँ कि मेरे ह्रदय में केवल आप है ! इस पर देवी लक्ष्मी ने कहा - तो शेष आधा भाग तो केवल मेरे लिये होना चाहिए ! भगवान विष्णु ने कहा - देवी मै जगत का पालनहार हूँ , शेष आधे भाग में मेरे अनेक भक्त जो मुझे प्रिय है , ये संसार जो मुझे प्रिय है , ये सब भी मेरे ह्रदय के आधे भाग में आपके साथ ही रहते है ! देवी लक्ष्मी ने कहा - ये संसार मुझे भी प्रिय है स्वामी ! किन्तु मेरे ह्रदय में केवल आप है ! मुझे आपका प्रेम सम्पूर्ण रूप से ही चाहिए ! यदि ये सम्भव नहीं तो आप मुझे अपने ह्रदय से निकाल दीजिये ! और इधर दूसरी तरफ देवी लक्ष्मी की पाँचों बहनें तपस्या में सफल हुई और भगवान विष्णु ने पाताल लोक आकर उन्हें दर्शन दिये और उन्हें मनवांछित वर मांगने को कहा ! तब उन पाँचों बहनों  ने वर माँगा कि हे भगवन आप हम पाँचों बहनों के पति बन जाये और अपनी सारी स्मृतियो को भूलकर संसार को भुलाकर हमारे साथ ही पाताल लोक में निवास करे ! तब भगवान विष्णु ने उन्हें तथास्तु कहा ! और उनके साथ ही पाताल लोक में निवास करने लगे ! भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से संसार का संतुलन बिगड़ने लगा ! माता लक्ष्मी भी बहुत व्याकुल हो गयी और भगवान शिव के पास गयी ! वहां माता पार्वती ने उनसे कहा - हे देवी भगवान विष्णु तो जगत पालक है ! आप उनसे यह आशा कैसे रख सकती है कि उनके सम्पूर्ण ह्रदय में केवल आपका ही स्थान हो ! मेरे पति महादेव के ह्रदय में भी भगवान विष्णु है और उनके समस्त भक्तों के साथ मै भी हूँ और मै इस बात से खुश भी हूँ कि उनके ह्रदय में मेरा एक विशेष स्थान है ! यह बात सुनकर देवी लक्ष्मी को अपनी भूल का अहसास हो गया ! भगवान शिव यह देखकर अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने इस संसार के संतुलन को पुन्नः स्थापित करने का और भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापिस लेन का निर्णय किया ! भगवान शिव ने वृष्भ अवतार लेकर पाताल लोक पर आक्रमण कर दिया !
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 उन्हें देखकर भगवान विष्णु अत्यंत क्रोधित हुए और महादेव के सामने आ गए और उन दोनों के बीच युद्ध प्रारम्भ हो गया ! भगवान विष्णु ने महादेव पर अनेकों अस्त्रों से प्रहार करना आरम्भ कर दिया ! महादेव भी अपने वृष्भ स्वरूप में सभी प्रहारों को विफल करते गए ! दोनों ही सर्व शक्तिमान थे अतः युद्ध बिलकुल बराबरी का चल रहा था ! ये युद्ध अनेकों वर्षों तक चलता रहा ! किसी को भी इस युद्ध की समाप्ति का उपाय समझ नहीं आ रहा था ! भगवान विष्णु का क्रोध इतना बढ़ गया कि उन्होंने अपने नारायण अस्त्र से महादेव पर प्रहार कर दिया ! महादेव ने भी उन पर पाशुपास्त्र से प्रहार कर दिया ! इस कारण दोनों ही एक दूसरे के अस्त्र में बंध गए ! यह सब देख गणेश जी माता लक्ष्मी की उन पांचों बहनों के पास गए और बोले - भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों ही एक दूसरे के अस्त्रों में बंध गए है यदि भगवान विष्णु की स्मृति वापिस नहीं आयी तो ये दोनों अनंत काल तक ऐसे ही बंधे रहेंगे और इस समस्त सृष्टि का सर्वनाश हो जायेगा ! यह सुनकर पाँचों बहनें बोली कि हे भगवान विष्णु हम आपको हमारे सारे वचनो से मुक्त करती है ! उनके वचनों से मुक्त होते ही भगवान विष्णु की सारी स्मृति वापिस आ गयी और फिर उन्होंने भगवान शिव को अपने अस्त्रों से मुक्त कर दिया ! भगवान शिव ने भी उन्हें मुक्त कर दिया ! दोनों अपने साकार रूप में आ गए और फिर भगवान शिव भगवान विष्णु को लेकर बैकुंठ धाम आ गए !