मुनक्का या किशमिश के स्वास्थ्य के लिए फ़ायदे (Raisins benefits for health) , top 20 health benefits of Raisins

 आयुर्वेद में तो मुनक्का को औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। इसकी प्रकृति या तासीर गर्म होती है। यह कई रोगों में दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  

मुनक्का यानि बड़ी किशमिश। हम सभी ने अपने घरों में इसे देखा और इसका उपयोग किया होगा। इसे बड़े, बीजयुक्त अंगूरों को सुखाकर बनाया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और इन्हें भारतीय मेडिसिन में बहुत उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद में कहा गया है कि इसका नियमित सेवन कई बड़ी बीमारियों से भी बचाता है। 

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इसके साथ ही इसमें कैटेचिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट और कैपफेरोल नाम का फ्लेवेनॉइड पाया जाता है जो कैंसर सेल की ग्रोथ को रोकते हैं। मुनक्का आंखों की रौशनी के लिए भी बहुत फायदेमंद है। चलिए आपको बताये हैं इसके कमाल के फायदे। 


इसकी तासीर ठंडी होती है और इसे स्वाद में बहुत मीठा होता है। इसीलिए डायबिटीज के मरीजों को इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं खाना चाहिए। इसमें प्रचुर मात्रा में नैचुरल शुगर्स- सुक्रोज और ग्लूकोज मौजूद होते हैं। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, माइक्रोन्यूट्रिएंट बोरॉन भी पाए जाते हैं जो दांतों और हड्डियों को मजबूत करते हैं। 


मुनक्का या किशमिश में पाए जाने वाले तत्व (Raisins nutrition facts)

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100 ग्राम मुनक्का या किशमिश में मिलने वाले प्रोटीन, मिनरल्स और सारे पोषक तत्वों को हम अलग- अलग चार्ट के माध्यम से नीचे वर्णित करेंगे जो निम्नवत है-  

उर्जा299  किलो ग्राम
कार्बोहाइड्रेट79.18  ग्राम
शुगर59.19  ग्राम
फैट0.46  ग्राम
प्रोटीन3.07  ग्राम
डाइटरी फाइबर3.7  ग्राम

मुनक्का में बहुत सारे मिनरल्स भी पाए जाते है जिनमे अलग अलग पोषक तत्वों की मात्रा होती जो निम्नलिखित है-

मैग्नीशियम32 मिली ग्राम
सोडियम11 मिली ग्राम
पोटैशियम749 मिली ग्राम
जिंक0.22 मिली ग्राम
फॉस्फोरस101 मिली ग्राम
मैगनीज0.299 मिली ग्राम
कैल्शियम50 मिली ग्राम
आयरन1.88 मिली ग्राम

मुनक्का में विटामिन्स की भी बड़ी तादाद पाई जाती है, इसमें मिलने वाले हर विटामिन की अपनी एक मात्रा होती है जो निम्न तालिका मे दर्शित किया गया है- 

फ्लोराइड233.9 माइक्रो ग्राम
विटामिन के3.5 माइक्रो ग्राम
विटामिन ई0.12 मिली ग्राम
विटामिन सी2.3 मिली ग्राम
कोलिने11.1 मिली ग्राम
थायमिन बी 10.106 मिली ग्राम
राइबोफ्लेविन बी 20.125 मिली ग्राम
नैअसिन बी 30.766 मिली ग्राम
पैंटोथेनिक एसिड बी 5  0.095 मिली ग्राम
विटामिन बी 60.174 मिली ग्राम
फोलटे बी 95 माइक्रो ग्राम


1.एसिडिटी कंट्रोल करता है

2.आंखों की रौशनी बढ़ाता है 

3.वजन बढ़ाने में मददगार 

4.दांतों और मंसूड़ों के लिए फायदेमंद 

5.कैंसर से बचाव 

6.हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करे 

7.सूखी खांसी में असरदार 

8.मुंह की दुर्गंध से छुटकारा 

9.वर्टिगो में असरदार 

10.सिरदर्द को दूर भगाये 

11.सर्दी-जुकाम होने पर

12. बच्चों के लिए

13. जब गले में हो परेशानी

14. बुखार हो तो...

15. बढ़ता है खून

16. हड्डियों के लिए फायेदमंद

17. गठिया जैसी बीमारी होगी दूर

18. दूर करे एनीमिया

19. कब्ज से राहत 

20. मुँह के रोग से आराम 


1. एसिडिटी कंट्रोल करता है 

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मुनक्का और सौंफ का सेवन पेट की एसिडिटी घटाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। रातभर के लिए मुनक्का को पानी में भिगोकर रखिये और सुबह उठकर खाली पेट उनका सेवन करिये।  


2. आंखों की रौशनी बढ़ाता है 

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मुनक्के में प्रचुर मात्रा में पॉलीफेनॉलिक नाम का फाइटोकेमिकल पाया जाता है जो आंखों की रौशनी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स और न्यूट्रिएंट्स आंखों को रतौंधी, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद से बचाने में सहायक होते हैं। 


3. वजन बढ़ाने में मददगार 

अगर आप अपने घटते वजन से परेशान हैं और बेहतर स्वास्थ्य के लिए वजन बढ़ाना चाहते हैं तो मुनक्का एक अच्छा फूड सप्लीमेंट है। इसमें नेच्युरल शुगर भरपूर मात्रा में होती है जो वजन बढ़ाने में मदद करती है। नूट्रिशनिस्ट अक्सर अपने क्लाइंट्स को हर रोज दूध के साथ 5 से 7 मुनक्का खाने की सलाह देते हैं। आप इन्हें रोस्ट करके काले नमक के साथ भी खा सकते हैं। 


4. दांतों और मंसूड़ों के लिए फायदेमंद 

डेंस्टिस्ट अक्सर मुनक्का खाने की सलाह देते हैं। 5 से 7 मुनक्का रोज खाने से दांतों में कैविटी नहीं होती और मसूड़े भी मजबूत और सुरक्षित रहते हैं। मुनक्का में एक किस्म में फोटोकेमिकल पाए जाते हैं जो न सिर्फ मुंह के बैक्टीरिया मारते हैं बल्कि दांतों पर एक प्रोटेक्शन लेयर भी बनाते हैं। 


5. कैंसर से बचाव :

इसमें कैटेचिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट और कैपफेरोल नाम का फ्लेवेनॉइड पाया जाता है जो कैंसर सेल की ग्रोथ को रोकते हैं। कैंसर एक्सपर्ट्स के मुताबिक सभी को प्रतिदिन 5 भीगे हुए मुनक्के खाने चाहिए।   


6. हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करो 

मुनक्के में पोटाशियम होता है जो धमनियों के टेंशन को कम करता है। ये ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन को घटाने में बहुत फायदेमंद होता है।  


7. सूखी खांसी में असरदार 

सूखी खांसी से तुरंत आराम के लिए मुनक्का, लॉन्ग, काली मिर्च और खजूर को बराबर मात्रा में लें और उसका एक गाढ़ा पेस्ट बना लें। दिन में 3 बार इसका एक छोटा चम्मच सेवन करने से सूखी खांसी में जल्दी आराम होता है। 


8. मुंह की दुर्गंध से छुटकारा 

मुनक्का मुंह की बदबू दूर करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके लिए आप रात में 10 मुनक्का भिगोकर रखें और अगली सुबह इसे 3 से 4 ब्लैकबेरी की पत्तियों के साथ एक ग्लास पानी में उबाल लें। दिन भर में इस पानी से 3 से 4 बार गार्गल करने से एक ही हफ्ते में असर दिखने लगता है। 


9. वर्टिगो में असरदार 

एक स्टडी के मुताबिक मुनक्का खाने से वर्टिगो की समस्या दूर होती है। वर्टिगो एक किस्म की न्यूरो समस्या होती है जिसमें आपको अचानक ही चक्कर आने और सिर्फ घूमने की प्रॉब्लम होती है। मुनक्के को रोस्ट करके काले नमक के साथ 3 से 4 हफ्ते खाएं, आपको असर दिखने लगेगा। 


10. सिरदर्द को दूर भगाये 

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मुनक्का सिरदर्द ठीक करने में भी कारगर है। 6 से 8 मुनक्के का पाउडर बनाएं, इसमें 10 ग्राम मुलेठी और 10 ग्राम मिश्री डालें। थकान और गैस की वजह से हो रहे सिरदर्द को दूर करने में इस मिश्रण की एक चुटकी को नाक से अंदर खींचें। ये आपको कुछ ही देर में आराम दिलाएगी। 


11. सर्दी-जुकाम होने पर

सर्दी-जुकाम हो जाए तो रात को सोने से पहले दूध में 2-3 मुनक्के उबाल कर सेवन करें।  यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया है तो सप्ताह भर यह दूध पीते रहें। सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें।


12. बच्चों के लिए

बच्चों में ज्यादातर देखने में आता है कि वे बार-बार बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में यदि वे दिन में 5 से 6 मुनक्कों का सेवन रोज कर लें तो उनका शरीर स्वस्थ रहने के साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाएगी। 


13. जब गले में हो परेशानी

अक्सर लोगों में गले की परेशानी देखने को मिलती है। गले में खराश या खुश्की और खुजली भी होती रहती है। मुनक्के में  एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए मुनक्का खाने से गले का हर रोग दूर होता है। रात को  मुनक्का भिगो कर सुबह उठकर इनका सेवन करें। 


14. बुखार हो तो...

मियादी या पुराने बुखार में दस मुनक्का एक अंजीर के साथ सुबह पानी में भिगोकर रख दें। रात्रि में सोने से पूर्व मुनक्का और अंजीर को दूध के साथ उबालें और सेवन करें। ऐसा तीन दिन करें। पुराना बुखार ठीक हो जाएगा।


15. बढ़ता है खून

रात को सोने से पहले 10 मुनक्का पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इन्हें दूध के साथ उबाल लें और हल्का ठंडा करके पियें। इसके नियमित सेवन से खून बढ़ता है। अगर आप इसे दूध के साथ नहीं लेना चाहते तो अच्छे से चबा-चबाकर खायें। 


16. हड्डियों के लिए फायेदमंद

मुनक्के में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं, जिस कारण मुनक्का खाने से आपकी हड्डियां मजबूत बनती हैं। यह आपको गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचने में सहायता करता है।


17. गठिया जैसी बीमारी होगी दूर

मुनक्के में पोटेशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है। यह अम्लता को कम करने और सिस्टम से विषाक्त पदार्थों को दूर कर किडनी स्टोन, दिल की बीमारियों और गाठिया जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।


18. दूर करे एनीमिया

मुनक्के में मौजूद आयरन और साथ ही बी कॉम्लेक्स विटामिन एनीमिया के इलाज में मददगार साबित होते हैं। मुनक्के में मौजूद कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है।


19. कब्ज में राहत

यदि किसी को कब्ज की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें, फिर रात को सोते समय इसके बीज निकल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें। इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ मिलेगा। 


20. मुंह के रोग से आराम

मुनक्के में मौजूद ओलेक्रोलिक एसिड और फाइटोकेमिकल्स मुंह और दांतों को सुरक्षित रखते हैं और आपके दांतों के क्षय और कैविटी का डर भी दूर होता है। मुनक्के मेें भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी होता है, साथ ही यह दांतों में बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता है। इसके अलावा मुनक्के में मौजूद बोरान मुंह में रोगाणु के निर्माण को कम करता है।


मुनक्का के कुछ अन्य फायदे

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फेफड़ों के रोग में मुनक्का के ताजे और साफ 15 दानों को पानी में साफ करके रात में 150 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह बीज निकालकर उन्हें 1-1 करके खूब चबा-चबाकर खा लें। बचे हुए पानी में थोड़ी सी चीनी मिलाकर या बिना चीनी मिलाएं ही पी लें। इसे लगतार एक महीने तक सेवन करने से फेफड़ों की कमजोरी और विषैले पदार्थ नष्ट हो जाते हैं।

 पानी में मुनक्का के 8 से 10 दाने रात को भिगोकर रख दें। सुबह मुनक्का फूल जाने पर इसे चबा-चबाकर खायें। रोज सुबह इसको खाने से मुंह के छाले व जख्म ठीक हो जाते हैं।

महिलाओं को मासिक धर्म की वजह से खून की कमी हो जाती है। उनके लिए मुनक्का बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि मुनक्का आयरन का मुख्य स्रोत है और मुनक्का खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा भी बढ़ती है।

जिन बच्चों को रात में बिस्तर में पेशाब करने की समस्या होती है, उन्हें 2 मुनक्के के बीज रात को एक हफ्ते तक खिलाने से वे रात को बिस्तर गीला नहीं करते।

इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है। यह हार्ट अटैक की बीमारियों से भी बचाने में मदद करता है।

इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है।

मुनक्के का पानी हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन निकालकर उसे डिटॉक्स करता है, जिससे स्किन स्वस्थ और चमकदार बनती है। 


मुनक्का का इस्तेमाल कैसे करें (How to use Munakka)

मुनक्का एक बेहतरीन ड्राई-फ्रूट है जिसे बिना किसी समस्या के बस डिब्बे से निकालकर यूं ही खाया जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं मुनक्के के प्रयोज के तरीके। 


1. कच्चा मुनक्का 

हर रोज 5 से 7 मुनक्के खाने से ये पूरे शरीर की हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है।  


2. रातभर भिगोकर 

पेट के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मुनक्के को रातभर पानी में भिगोकर फुलाया जाता है। फूले हुए मुनक्के को सुबह खाली पेट खाने से कब्ज और एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है। 


3. मुनक्का कैप्सूल 

आयुर्वेदिक कंपनियां मुनक्के की कैप्सूल भी बनाती हैं। इसे आप खाने के बाद ले सकते हैं। ये भोजन पचाने मददगार होती है। 


3. मुनक्का काढ़ा 

आयुष मंत्रालय ने कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा पीने की सलाह दी है। इस काढ़े में तुलसी के 4 पत्ते, दालचीनी छाल के 2 टुकड़े, सोंठ 2 टुकड़े, काली मिर्च 1 और 4 मुनक्के को पानी में उबालकर सुबह-शाम पीने की सलाह दी है। ये पाचन तो बेहतर करता ही है, शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ाता है। 


मुनक्का के साइड इफेक्ट्स 

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प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट-फीडिंग वुमन


ऐसा कहा जाता है कि प्रेगनेंट महिलाओं और ब्रेस्ट-फीडिंग करवा रही माओं को मुनक्का नहीं खाना चाहिए। कई बार इससे उन्हें एलर्जी भी हो सकती है। 


ब्लीडिंग कंडीशन


अगर आपको कोई ब्लीडिंग कंडियशन है जहां चोट लगने पर आपका खून देर से जमता है, तो आपको मुनक्का और किशमिश खाने से बचना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि अंगूर और उससे बने किशमिश और मुनक्का खून का जमना स्लो कर देते हैं। 


सर्जरी 


अगर आपकी हाल ही में कोई सर्जरी हुई है या होने वाली है तो अंगूर, किशमिश और मुनक्का से दूर रहने में भलाई है। चूंकि ये फल खून के जन्मे की दर को स्लो कर देते हैं, सर्जरी में खून अधिक बहने का खतरा हो सकता है। 

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 FLAX SEEDS पोषक तत्व :

अलसी यानि FLAX SEEDS में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है , अलसी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन , ओमेगा 3 फैटी एसिड , विटामिन बी , फाइबर ,मेग्नीशियम और इ पोटेसियम मिलता है , 



1: ह्रदय रोगियों के लिए लाभकारी : 

भूरे-काले रंग के यह छोटे छोटे बीज, हृदय रोगों से आपकी रक्षा करते हैं। इसमें उपस्थित घुलनशील फाइबर्स, प्राकृतिक रूप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इससे हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल घटने लगता है, और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, नतीजतन हार्ट अटैक की संभावना नहीं के बराबर होती है ।


2 : कोलेस्ट्रॉल को घटाता है : 

अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो रक्त प्रवाह को बेहतर कर, खून के जमने या थक्का बनने से रोकता है, जो हार्ट-अटैक का कारण बनता है। यह रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक है।


3 : वजन को कम करता है :



यह शरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम करती है, जिसे आपका वजन कम होने में सहायता मिलती है।


4 : त्वचा के लिए है बेहद फायदेमंद :

अलसी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स, बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करती है, जिससे त्वचा पर झुर्रियां नहीं होती और कसाव बना रहता है। इससे त्वचा स्वस्थ व चमकदार बनती है।


5 : कैंसर ,अस्थमा ,डायबिटीज़ से लड़ने में मदद करता है ;

अलसी में अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है, जो ऑथ्राईटिस, अस्थमा, डाइबिटीज और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। खास तौर से कोलोन कैंसर से लड़ने में यह सहायक होता है।


6 : शरीर में थकावट को काम करता है और फुर्ती देता है :

सीमित मात्रा में अलसी का सेवन, खून में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। इससे शरीर के आंतरिक भाग स्वस्थ रहते हैं, और बेहतर कार्य करते हैं।


7 : महिलाओ के लिए है लाभदायक :



इसमें उपस्थित लाइगन नामक तत्व, आंतों में सक्रिय होकर, ऐसे तत्व का निर्माण करता है, जो फीमेल हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


8 : अलसी के तेल की मालिस शरीर को स्वस्थ बनती है ;

अलसी के तेल की मालिश से शरीर के अंग स्वस्थ होते हैं, और बेहतर तरीके से कार्य करते हैं। इस तेल की मसाज से चेहरे की त्वचा कांतिमय हो जाती है।


9 : ओमेगा 3 का अच्छा श्रोत है :

शाकाहारी लोगों के लिए अलसी, ओमेगा-3 का बेहतर विकल्प है, क्योंकि अब तक मछली को ओमेगा-3 का अच्छा स्त्रोत माना जाता था,जिसका सेवन नॉन-वेजिटेरियन लोग ही कर पाते हैं।


10 प्रतिदिन सुबह शाम एक चम्मच अलसी का सेवन आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में सहायक होता है, इसे पीसकर पानी के साथ भी लिया जा सकता है । अलसी को नियमित दिनचर्या में शामिल कर आप कई तरह की बीमारियों से अपनी रक्षा कर सकते हैं, साथ ही आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।


11. अलसी का सेवन बालो के लिए है फायदेमंद ; 



12. अलसी के फायदे खांसी और दमा में: 

अलसी के बीज खाने के फायदे (alsi ke beej ke fayde) खांसी और दमा रोग में भी मिलते हैं। अलसी के बीजों से काढ़ा बना लें। इसे सुबह और शाम पीने से खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है। ठंड के दिनों में मधु, तथा गर्मी में मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिए।

इसी तरह 3 ग्राम अलसी के चूर्ण को, 250 मिली उबले हुए पानी में डालें। इसे 1 घण्टे तक छोड़ दें। इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे सूखी खांसी तथा अस्थमा में लाभ होता है।

इसके अलावा, 5 ग्राम अलसी के बीजों (agase beeja) को 50 मिली पानी में भिगोकर रखें। 12 घंटे बाद छानकर पानी को पी लें। सुबह भिगोआ हुआ पानी शाम को, और शाम को भिगोया हुआ पानी सुबह को पिएं। इस पानी के सेवन से खांसी, और दमा में फायदा होता है। इस दौरान ऐसा कुछ नहीं खाना, या पीना चाहिए, जो बीमारी को बढ़ाने वाला हो।

आप खांसी, या दमा के इलाज के लिए 5 ग्राम अलसी के बीजों को कूटकर छान लें। इसे जल में उबाल लें। इसमें 20 ग्राम मिश्री मिला लें। यदि ठंड का मौसम हो तो मिश्री के स्थान पर शहद मिलाएं। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है।

आप खांसी, और दमा के उपचार के लिए यह तरीका भी आजमा सकते हैं। 3 ग्राम अलसी के बीजों को मोटा कूट लें। इसे 250 मिली उबलते हुए पानी में भिगो दें। इसे एक घंटा ढक कर रख दें। इसे छानकर, थोड़ी चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से भी सूखी खांसी, और दमा की बीमारी ठीक हो जाती है।

इसके अलावा, अलसी के बीजों (alsi ke beej) को भूनकर शहद, या मिश्री के साथ चाटें। इससे खांसी, और दमा का इलाज होता है।

अलसी के औषधीय गुण से खांसी को ठीक किया जा सकता है। आप तीसी के भूने बीज से 2-3 ग्राम चूर्ण बना लें। इसमें मधु, या मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।


13.मूत्र विकार (पेशाब संबंधित रोग) में अलसी के फायदे  (Benefits of Linseed to Treat Urinary Disease in Hindi)

पेशाब संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए भी अलसी का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा फायदा देता है। इसके लिए 50 ग्राम अलसी, 3 ग्राम मुलेठी को कूट लें। इसे 250 मिली पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में हल्की आंच पर पकाएं। जब 50 मिली पानी रह जाए तो, इसे छानकर 2 ग्राम कलमी शोरा मिला लें। इसे 2 घंटे के अंतर से 20-20 मिली की मात्रा में पिएं। इससे मूत्र रोग जैसे, पेशाब करने में दिक्कत, पेशाब की जलन, पेशाब में खून आना, पेशाब में मवाद आने संबंधी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।

इसके अलावा 10-12 ग्राम अलसी की बीज के चूर्ण में 5-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे 3-3 घंटे पर सेवन करने से पेशाब संबंधित बीमारी ठीक होती है।

14.बवासीर में अलसी अलसी के तेल के सेवन से फायदा



15 .जुकाम से राहत पाने के लिए अलसी का सेवन (Benefits of Alsi for Common Cold in Hindi)

जुकाम से परेशान हैं, तो तीसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। महीन पिसी अलसी को साफ कर धीमी आंच से तवे पर भून लें। जब यह अच्छी तरह भून जाय, और गंध आने लगे, तब पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। अलसी खाने का तरीका यह है कि आप इसे 5 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ, सुबह और शाम सेवन करें। इससे जुकाम में लाभ होता है

NOTE :
अलसी का प्रयोग डॉक्टर या वेध की सलाहनुसार ही करे 

अलसी के नुकसान (Side Effects of Flax Seeds in Hindi)

किसी भी चीज का सेवन सही मात्रा में करने से ही उसके फायदे मिलते हैं। वैसा ही अलसी के साथ भी। सही मात्रा में अलसी का सेवन करने से आपको ऊपर दिए गए फायदे मिल सकते हैं। लेकिन अलसी के बीज (flax seeds in hindi) का सेवन सही मात्रा में या फिर अधिक मात्रा में किया गया तो अलसी के नुकसान भी हो सकते हैं। अधिक मात्रा में अलसी का सेवन करने से नीचे दिए गए नुकसान हो सकते हैं।

  • कच्ची अलसी का सेवन करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि कच्ची अलसी में जहरीले पदार्थ होते हैं।
  • अलसी का सेवन करने के साथ तरल पदार्थ का भी सेवन करें जिससे पेट से जुड़ी परेशानी ना हो।
  • अधिक मात्रा में अलसी का सेवन करने से पेट से जुड़ी परेशानी बढ़ सकती हैं जैसे कि गैस, पेट में दर्द आदि।
  • अलसी के तेल का इस्तेमाल खाने के करने की सलाह नहीं दी जाती है। अलसी के तेल का इस्तेमाल पहले से बनी डिश में कर सकते हैं और फिर माइक्रोवेव में गर्म कर सकते हैं ,
  • अगर आप खून पतला करने वाली दवाई ले रहे हैं तो अलसी का सेवन ना करें।
  • अगर आप कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाई ले रहे हैं तो अलसी का सेवन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें।
  • गर्भवति महिलाओं को अलसी का बीज खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • ब्लड प्रेशर से गुजर रहे हैं उन लोगों को अलसी खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • अलसी की तासीर गर्म होती है जिस कारण से इसका सेवन नियमित रूप से करने के लिए कहा जाता है।
  • अगर आपको किसी बीज से एलर्जी है तो हो सकता है कि आपको अलसी के बीज (flax seeds in hindi) से भी एलर्जी हो। एलर्जी होने पर आपको लाल धब्बे, खुजली हो सकती है।

आखिर में

अलसी ऐसी बीज है जिसके फायदे सेहत, त्वचा और बालों के लिए हैं। सही मात्रा में अलसी के बीज (flax seeds in hindi) का सेवन करने से कई सारे फायदे मिल सकते हैं जैसे कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल, कम कोलेस्ट्रॉल, वजन कम करने में मदद, सेहतमंद त्वचा, मजबूत बाल आदि। अलसी का सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि तरल पदार्थ का सेवन भी ज्यादा करें। कच्ची अलसी का सेवन ना करें। अलसी के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए ना करें। इसके जगह पर खाना पकने के बाद अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं और फिर खाना प्री हीट कर सकते हैं। सही मात्रा में ही अलसी का सेवन करने से आपको इसके फायदे मिलेंगे।

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free में मिलने वाले बेलपत्र के अध्भुत फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे

 बेलपत्र और बेलपत्र से बना चूर्ण खाने के अध्भुत फायदे 


नमस्कार दोस्तों ... 

आपने अपने आस पास कहि पर बेल का पेड़ तो देखा होगा , बेल पत्र यानि बेल के पत्ते भगवन शिव को भी बहुत पसंद है , लेकिन आप इसके कुछ अध्भुत फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे , 



बेलपत्र चूर्ण के फायदे :


1. बुखार में है फायदेमंद :


 बुखार होने पर बेल की पत्तियों के काढ़े का सेवन लाभप्रद है। यदि मधुमक्खी, बर्र अथवा ततैया के काटने पर जलन होती है। ऐसी स्थिति में काटे गए स्थान पर बेलपत्र का रस लगाने से राहत मिलती है।


2 दिल के रोगियों ,श्वाश या asthma के रोगियों के लिए :


 हृदय रोगियों के लिए भी बेलपत्र का प्रयोग बेहद फायदेमंद है। बेलपत्र का काढ़ा बनाकर पीने से हृदय मजबूत होता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। श्वास रोगियों के लिए भी यह अमृत के समान है। इन पत्तियों का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है। 

3 मुँह के छाले में असरदार :


 शरीर में गर्मी बढ़ने पर या मुंह में गर्मी के कारण यदि छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाने से लाभ मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।

4 बवासीर का इलाज :  

बवासीर आजकल एक आम बीमारी हो गई है। खूनी बवासीर तो बहुत ही तकलीफ देने वाला रोग है। बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह शाम ठंडे पानी के साथ लें। यदि पीड़ा अधिक है तो दिन में तीन बार लें। इससे बवासीर में फौरन लाभ मिलता है।

 

 

5 यदि किसी कारण से बेल की जड़ उपलब्ध न हो सके तो कच्चे बेलफल का गूदा, सौंफ और सौंठ मिलाकर उसका काढ़ा बना कर सेवन करना भी लाभदायक होगा। यह प्रयोग एक सप्ताह तक करें।


6  बरसात में अक्सर सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्याएं अधिक होती हैं। ऐसे में बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है। वहीं विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं।

 

7 पेट या आंतों में कीड़े होना या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो, बेलपत्र का रस पिलाने से काफी फायदा होता है और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।



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ये अकेला पौधा आपके लाखो रूपये बचा सकता है

 नमस्कार दोस्तों ..

आज हम आपको एक बहुत ही अजीबोगरीब पौधे के बारे में बताएंगे जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है इसके नाम के साथ साथ इसके फायदे भी कमाल के है , 





इस पौधे का नाम है पत्थरचट्टा जी हाँ है न अजीब सा नाम , अब आपको बताते है की इसे पत्थरचट्टा क्यों कहते है अगर आप छोटे छोटे पत्थर के तड़के को इसके पत्ते पर घिसेंगे तो वह बहुत जल्दी घिस जाता है इसीलिए इसे पथरी की दवाई के रूप में भी बहुत ज्यादा काम में लाया जाता है , क्योकि यह किसी भी तरह की पथरी को ख़तम करने का गुण रखता है , इसी लिए इसका नाम पत्थरचट्टा है , 

आइये सबसे पहले आपको इसके कुछ ओषधीय गुणों के बारे में बताते है : पथरचट्टा का ये पौधा कई तरह के प्राकर्तिक और औषधीय गुणों से भरपूर है ,इसी कारण आंतरिक और बाहरी दोनों तरीको से इस्तेमाल किया जाता है , 

जैसे की अगर किसी को पथरी है तो भी पत्थरचटा का प्रयोग किया जाता है , और अगर किसी को बाहरी जैसे फोड़े , फुंसी , घाव हो जाता है तो भी पथरचट्टा का प्रयोग किया जाता है , 



पथरचट्टा के कुछ मुख्य फायदे : 


1.पेट दर्द में फायदेमंद :

 अगर आप इसके जूस को ले इसमें थोड़ा सा सोंठ मिला ले और इसे गरम पानी से ले कुछ ही देर में आपका पेट दर्द बंद हो जाएगा , 


2. पित्ताशय की पथरी में देता है फायदा :


3. घाव और भरी चोट को बहुत जल्दी ठीक करता है :


4. मूत्र मार्ग की पथरी को बहार निकल देता है :


5. पेशाब की जलन में फायदेमंद :


6. गठिया में लाभदायक :


7. शरीर को ठंडक देता है :


8. पेट के अल्सर को दूर करता है :


9. बालो की रुसी को दूर करता है 


10. सर दर्द को ठीक करता है :


11. कान दर्द में है फायदेमंद 


12. आँखों की रौशनी बढ़ाने में सक्षम 


13. खुनी दस्तो में देता है राहत 


14. औरतो की ल्यूकेमिया की बीमारी में फायदेमंद 


15. उक्त रक्तचाप को ठीक करता है 




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10 amazing Health Benefits of Giloy in hindi , गिलोय के 10 अध्भुत फायदे , जिन्हे जानकर आप भी शुरू कर देंगे गिलोय लेना

 गिलोय के 10 अद्भुत लाभ: अमरता की आयुर्वेदिक जड़गिलोय लाभ: 

गिलोय का पौधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग और भारतीय चिकित्सा में सदियों से किया जाता रहा है। यहाँ पुराने बुखार का इलाज करने से लेकर पाचन और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तक, गिलोय के 10 अविश्वसनीय लाभ हैं।

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दिल्ली स्थित न्यूट्रिशनिस्ट अंशुल जयभारत का कहना है कि "गिलोय (टीनोस्पोरा कोर्डिफ़ोलिया) एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल और उम्र के लिए भारतीय दवा में किया जाता है।" संस्कृत में, गिलोय को 'अमृता ’के रूप में जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, अमरता की जड़’, क्योंकि इसके प्रचुर औषधीय गुण हैं। “गिलोय का तना अधिकतम उपयोगिता वाला है, लेकिन जड़ का उपयोग भी किया जा सकता है। इसके लाभ और उपयोग भी एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) द्वारा अनुमोदित किए गए हैं ”, पोषण विशेषज्ञ अंशुल जयभारत कहते हैं। डॉ। आशुतोष गौतम, बैद्यनाथ कहते हैं, "गिलोय का रस, पाउडर या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जा सकता है"। बहुत से लोग पारंपरिक कड़ा में भी गिलोय का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ गिलोय के कुछ स्वास्थ्य लाभ दिए गए हैं, जिन्हें आपको अवश्य जानना चाहिए।


यहां गिलोय के 10 फायदे बताए गए हैं, यह जड़ क्यों आपका ध्यान आकर्षित करती है:


1. प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है

गिलोय एक सार्वभौमिक जड़ी बूटी है जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करती है ”। यह एंटीऑक्सिडेंट का एक पावरहाउस है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ता है, आपकी कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है और बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। गिलोय विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है, रक्त को शुद्ध करता है, बैक्टीरिया से लड़ता है जो रोगों का कारण बनता है और यकृत रोगों और मूत्र पथ के संक्रमण का मुकाबला करता है। "गिलोय का उपयोग हृदय संबंधी स्थितियों के उपचार में विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, और यह बांझपन के इलाज में भी उपयोगी पाया जाता है"


2. क्रोनिक बुखार का इलाज करता है

गिलोय आवर्तक बुखार से छुटकारा पाने में मदद करता है। चूंकि गिलोय प्रकृति में एंटी-पायरेटिक है, इसलिए यह डेंगू, स्वाइन फ़्लू और मलेरिया जैसी कई जानलेवा स्थितियों के संकेत और लक्षणों को कम कर सकता है।


3. पाचन में सुधार करता है


दिल्ली स्थित न्यूट्रीशनिस्ट अंशुल जयबत ने कहा, "पाचन में सुधार और आंत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में गिलोय बहुत फायदेमंद है।" टिप: आप परिणाम बढ़ाने के लिए नियमित रूप से कुछ आंवले के साथ आधा ग्राम गिलोय पाउडर ले सकते हैं, या कब्ज के इलाज के लिए गुड़ के साथ ले सकते हैं।


4. मधुमेह का इलाज करता है

"गिलोय एक हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और मधुमेह (विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह) के इलाज में मदद करता है।" गिलोय का रस ब्लड शुगर के उच्च स्तर को कम करने और अद्भुत काम करने में मदद करता है



5. तनाव और चिंता को कम करता है

क्या आप जानते हैं कि गिलोय का उपयोग एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी के रूप में भी किया जा सकता है? यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है, स्मृति को बढ़ाता है, आपको शांत करता है और अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलकर एक उत्कृष्ट स्वास्थ्य टॉनिक बनाता है।


6. श्वसन संबंधी समस्याओं से लड़ता है


"गिलोय लोकप्रिय रूप से अपने विरोधी भड़काऊ लाभों के लिए जाना जाता है और लगातार खांसी, सर्दी, टॉन्सिल जैसी श्वसन समस्याओं को कम करने में मदद करता है"


7. गठिया का इलाज करता है

“गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑर्थ्रेटिक गुण होते हैं जो गठिया और इसके कई लक्षणों का इलाज करने में मदद करते हैं। जोड़ों के दर्द के लिए गिलोय के तने के पाउडर को दूध में उबालकर सेवन किया जा सकता है। गठिया के इलाज के लिए अदरक के साथ इसका उपयोग किया जा सकता है।


8. दमा के लक्षणों को कम करता है

अस्थमा के कारण छाती में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, घरघराहट आदि होती है, जिससे ऐसी स्थिति का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। "गिलोय की जड़ को चबाने या गिलोय का रस पीने से अस्थमा रोगियों को मदद मिलती है और अक्सर विशेषज्ञों द्वारा इसकी सिफारिश की जाती है"


9. दृष्टि में सुधार


भारत के कई हिस्सों में गिलोय का पौधा आँखों पर लगाया जाता है क्योंकि यह दृष्टि स्पष्टता को बढ़ाने में मदद करता है। आपको बस इतना करना है कि गिलोय पाउडर को पानी में उबालें, इसे ठंडा होने दें और पलकों के ऊपर लगाएं।


10. एजिंग के लक्षण कम करता है



गिलोय के पौधे में एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो डार्क स्पॉट्स, पिंपल्स, फाइन लाइन्स और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं। यह आपको वह निर्दोष, चमकती हुई त्वचा प्रदान करता है जो आप हमेशा चाहते थे।


नोट: गिलोय के सेवन के कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हैं क्योंकि यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित हर्बल उपचार है। हालांकि, कुछ मामलों में - गिलोय के उपयोग से कब्ज और रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। इसलिए यदि आप मधुमेह के रोगी हैं और लंबे समय से गिलोय का सेवन कर रहे हैं, तो अपने रक्त शर्करा के स्तर की नियमित रूप से निगरानी करें। इसके अलावा, गिलोय से बचें यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं।


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Amazing Health Benefits Of Carrot , गाजर खाने के अध्भुत फायदे

 गाजर रूट सब्जियां हैं जो पहली बार अफगानिस्तान में 900 ईस्वी के आसपास उगाए गए थे। नारंगी उनका सबसे जाना-पहचाना रंग हो सकता है, लेकिन वे बैंगनी, पीले, लाल और सफेद सहित अन्य रंगों में भी आते हैं। शुरुआती गाजर बैंगनी या पीले थे। 15 वीं या 16 वीं शताब्दी के आसपास मध्य यूरोप में नारंगी गाजर विकसित की गई थी।

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यह लोकप्रिय और बहुमुखी वेजी रंग, आकार और जहां यह उगाया गया है, के आधार पर थोड़ा अलग स्वाद ले सकता है। गाजर में चीनी उन्हें थोड़ा मीठा स्वाद देती है, लेकिन वे मिट्टी या कड़वा स्वाद भी ले सकते हैं।


गाजर का पोषण

गाजर की एक सर्विंग एक आधा कप है। एक सेवारत है:


25 कैलोरी

6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट

2 ग्राम फाइबर

3 ग्राम चीनी

0.5 ग्राम प्रोटीन

गाजर महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों का एक बड़ा स्रोत हैं। एक आधा कप आपको दे सकता है:


विटामिन ए की आपकी दैनिक आवश्यकता का 73%

आपके दैनिक विटामिन K का 9%

आपके दैनिक पोटेशियम और फाइबर का 8%

आपके दैनिक विटामिन सी का 5%

अपने दैनिक कैल्शियम और लोहे का 2%

गाजर के स्वास्थ्य लाभ


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गाजर में एंटीऑक्सिडेंट का खजाना होता है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। यहाँ पर प्रकाश डाला गया है:

 नेत्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है


क्या आप या आपका बच्चा खराब नजर से जूझ रहे हैं? बचाव के लिए गाजर! आँखों की रौशनी को बेहतर बनाने के लिए गाजर को मुर्ख प्रूफ पारंपरिक उपाय माना गया है। पुस्तक के अनुसार हीलिंग खाद्य पदार्थ गाजर ल्यूटिन और लाइकोपीन से भरपूर होते हैं जो अच्छी दृष्टि और रात को दृष्टि बनाए रखने में मदद करते हैं। विटामिन ए की उच्च मात्रा भी स्वस्थ दृष्टि को बढ़ावा देने में मदद करती है।


 वजन में कमी


यदि आप वजन घटाने वाले आहार पर हैं, तो आपके आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए जो फाइबर पर अधिक हों, और गाजर घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर के साथ बिल में पूरी तरह फिट हो। फाइबर पचाने में सबसे लंबा लगता है और इस तरह परिपूर्णता की भावना को बढ़ावा देता है और आपको अन्य वसा वाले खाद्य पदार्थों पर लगाम लगाने से रोकता है।


 आंत्र की नियमितता सुनिश्चित करता है और पाचन में मदद करता है


गाजर में आहार फाइबर की महत्वपूर्ण मात्रा अच्छे पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। फाइबर आपके मल को भारी बनाता है जो पाचन तंत्र के माध्यम से आसानी से गुजरने में मदद करता है और कब्ज जैसी स्थितियों को रोकता है।

 


 कोलेस्ट्रॉल से लड़ता है और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाता है


गाजर का उच्च फाइबर भाग भी दिल की स्वास्थ्य को बढ़ाता है जो धमनियों और रक्त वाहिकाओं की दीवारों से अतिरिक्त एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को हटाता है। डीके पब्लिशिंग गाजर की पुस्तक 'हीलिंग फूड्स' के अनुसार "शरीर द्वारा आसानी से आत्मसात कैल्शियम का एक रूप होता है जो" अस्वस्थ "(एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।"


 ब्लड प्रेशर कम करता है


खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ, गाजर पोटेशियम से भरे होते हैं। पोटेशियम आपके रक्त वाहिकाओं और धमनियों में तनाव को शांत करने में मदद करता है, जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और आपके उन्नत बीपी को नीचे लाता है। उच्च रक्तचाप एथेरोस्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, और दिल के दौरे जैसी स्थितियों से जुड़ा हुआ है। तो एक स्वस्थ दिल की ओर एक कदम के लिए गाजर पर लोड करें।


 त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाता है


रसदार लाल चमत्कार आपकी त्वचा को एक उज्ज्वल चमक देने में मदद कर सकते हैं। बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन और लाइकोपीन के अलावा, जड़ की उच्च सिलिकॉन सामग्री स्वस्थ त्वचा और नाखूनों को बढ़ावा दे सकती है। पोषण का सबसे अधिक लाभ उन्हें कच्चा करने के लिए है।



 प्रतिरक्षा को बढ़ाता है


गाजर विभिन्न विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट जैसे विटामिन बी 6 और के, पोटेशियम, फॉस्फोरस, आदि से भरे होते हैं जो हड्डियों के स्वास्थ्य, मजबूत तंत्रिका तंत्र में योगदान करते हैं और मस्तिष्क की शक्ति को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सिडेंट, शरीर को मुक्त कण क्षति के खिलाफ मदद करने के अलावा, हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और सूजन के खिलाफ शरीर की रक्षा करते हैं।

वे आपकी आँखों के लिए अच्छे हैं। यह संभवतः सबसे प्रसिद्ध गाजर महाशक्ति है। वे बीटा-कैरोटीन से भरपूर होते हैं, आपके शरीर में एक यौगिक विटामिन ए में बदल जाता है, जो आपकी आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। और बीटा-कैरोटीन आपकी आंखों को सूरज से बचाने में मदद करता है और आपके मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याओं को कम करता है।

GOOD FOR YOUR EYES :

पीले गाजर में ल्यूटिन होता है, जो आपकी आंखों के लिए भी अच्छा होता है। अध्ययनों में पाया गया है कि यह उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन के साथ मदद या रोकथाम कर सकता है, यू.एस. में दृष्टि हानि का प्रमुख कारण।


CARROT आपके कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं:

 एंटीऑक्सिडेंट आपके शरीर में हानिकारक मुक्त कणों से लड़ने के लिए साबित हुए हैं, और इससे आपको कैंसर होने की संभावना कम हो सकती है। गाजर में दो मुख्य प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट हैं कैरोटीनॉयड और एंथोसायनिन। कैरोटीनॉयड गाजर को अपने नारंगी और पीले रंग देते हैं, जबकि एंथोसायनिन लाल और बैंगनी रंग के लिए जिम्मेदार हैं।


CARROT आपके दिल की मदद करते हैं

 सबसे पहले, वे सभी एंटीऑक्सिडेंट आपके दिल के लिए भी अच्छे हैं। दूसरा, गाजर में पोटेशियम आपके रक्तचाप को जांच में रखने में मदद कर सकता है। और तीसरा, उनके पास फाइबर होता है, जो आपको स्वस्थ वजन में रहने और हृदय रोग की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है।


लाल गाजर में लाइकोपीन भी होता है, जो हृदय रोग को रोकने में मदद करता है।

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CARROT आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं

 गाजर में विटामिन सी आपके शरीर को एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा करता है। विटामिन सी आपके शरीर को आयरन लेने और संक्रमण को रोकने में मदद करता है।


CARROT कब्ज के साथ मदद कर सकते हैं 

 यदि आपको बाथरूम जाने में परेशानी हो रही है, तो कुछ कच्ची गाजर पर चबाने की कोशिश करें। अपने उच्च फाइबर सामग्री के साथ, वे कब्ज को कम करने और आपको नियमित रखने में मदद कर सकते हैं।


CARROT मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं

 मधुमेह वाले लोगों को गाजर सहित गैर-स्टार्च वाली सब्जियों पर लोड करने की सलाह दी जाती है। गाजर में फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकता है। और वे विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन के साथ भरी हुई हैं, जो कि सुझाव देने के लिए आपके मधुमेह के जोखिम को कम कर सकते हैं।


CARROT आपकी हड्डियों को मजबूत कर सकते हैं

 गाजर में कैल्शियम और विटामिन के होता है, ये दोनों ही हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।


गाजर का रस

यदि आप बहुत अधिक बीटा-कैरोटीन खाते हैं, तो यह आपकी त्वचा को नारंगी-पीले रंग में बदल सकता है। इस स्थिति को कैरोटेनीमिया कहा जाता है। यह अपेक्षाकृत हानिरहित है और आमतौर पर इसका इलाज किया जा सकता है। लेकिन चरम मामलों में, यह विटामिन ए को अपना काम करने से रोक सकता है और आपकी दृष्टि, हड्डियों, त्वचा, चयापचय या प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।


बहुत अधिक बीटा-कैरोटीन उन लोगों के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है जो इसे विटामिन ए में नहीं बदल सकते हैं, जैसे कि जिन लोगों को हाइपोथायरायडिज्म है।


कुछ लोगों के लिए, गाजर खाने से उनके मुंह में खुजली हो सकती है। यह मौखिक एलर्जी सिंड्रोम कहलाता है। आपका शरीर कुछ फलों और सब्जियों में प्रोटीन के प्रति प्रतिक्रिया करता है जैसे कि वे आपको एलर्जी थे। अगर गाजर पक जाए तो ऐसा नहीं होता।


गाजर कैसे तैयार और स्टोर करें

गाजर कई लोकप्रिय आहारों का हिस्सा हो सकता है, जैसे कि शाकाहारी, कीटो, पेलियो, और बहुत कुछ।


उन्हें तैयार करने के लिए, उन्हें पानी में अच्छी तरह से धोएं और किसी भी गंदगी को साफ़ करें। यदि आप चाहें, तो आप उन्हें सब्जी छीलने वाले या चाकू से छील सकते हैं, लेकिन आपके पास नहीं है।


वहाँ से, आप उन्हें लाठी में काट सकते हैं और उन्हें हम्मस या दही-आधारित डुबकी के साथ खा सकते हैं। अगर आपको कुरकुरे गाजर पसंद नहीं हैं, तो आप उन्हें उबाल कर, उबालकर या साइड डिश के रूप में परोस सकते हैं। वे बीफ स्टू, चिकन पॉट पाई, या हलचल-तलना जैसे दिलकश व्यंजनों में भी अच्छी तरह से काम करते हैं।


ताजा, पूरी गाजर आपके रेफ्रिजरेटर के क्रिस्पर दराज में कई हफ्तों तक रखेगा। यदि पत्तेदार हरे रंग की चोटी अभी भी जुड़ी हुई है, तो पहले उन को ट्रिम करें। फिर उन्हें छेद वाले प्लास्टिक बैग में स्टोर करें।

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HEALTH BENEFITS OF FENUGREEK , METHI IN HINDI

 स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण देने के लिए मेथी पौधे का बहुत बड़ा औषधीय महत्व है; अर्क का उपयोग महिलाओं में दूध उत्पादन को तैयार करने और बढ़ाने के लिए किया जाता है। मेथी (ट्राइगोनेला फेनम ग्रैकम) एक वार्षिक जड़ी बूटी है जिसकी विशेषता सफेद फूल और कठोर, पीले-भूरे रंग की होती है। परंपरागत रूप से, मेथी का उपयोग पाचन समस्याओं को ठीक करने और नर्सिंग माताओं में स्तन के दूध के स्राव में सुधार करने के लिए किया जाता है।


मेथी का महत्व


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मेथी बेहतर अग्नाशय कार्यों को दिखाते हुए एरिथ्रोसाइट इंसुलिन रिसेप्टर्स और परिधीय ग्लूकोज का उपयोग बढ़ा सकती है। इसके अलावा, मेथी महत्वपूर्ण औषधीय गुणों जैसे कि एंटीट्यूमर, एंटीवायरल, रोगाणुरोधी, विरोधी भड़काऊ, हाइपोटेंशन और एंटीऑक्सिडेंट गुणों का प्रदर्शन करती है। मेथी के बीजों के पाउडर या अंकुरित रूप में एंटी-डायबिटिक गुण, हाइपो-कोलेस्टेरोलमिक प्रभाव, एंटीकैंसर प्रभाव, थायरोक्सिन-प्रेरित हाइपर-ग्लाइसेमिक प्रभाव और इथेनॉल विषाक्तता पर सुरक्षात्मक प्रभाव का प्रदर्शन किया गया। प्राचीन काल से, औषधीय जड़ी बूटियों को पारंपरिक रूप से स्तन के दूध के उत्पादन में सुधार करने के लिए "गैलेक्टागोग्स" के रूप में उपयोग किया जाता है। "गैलेक्टागॉग" क्या है? एक खाद्य पदार्थ या दवा जिसका उपयोग मानव दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है, को गैलेक्टोगोग्स कहा जाता है। गैलेक्टोगोग्स सिंथेटिक या पौधे के अणु होते हैं जिनका उपयोग दूध उत्पादन को प्रेरित करने, बनाए रखने और बढ़ाने के लिए किया जाता है जो शारीरिक और शारीरिक कारकों के बीच बातचीत से जुड़ी जटिल प्रक्रियाओं की मध्यस्थता करता है। पौधे मेथी में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है और मेथी के डायोसजेनिन दूध के प्रवाह को बढ़ाते हैं।


मेथी के सक्रिय घटक


मेथी में कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, और यह इसे एक मजबूत एंटीऑक्सिडेंट बनाने में मदद करता है। मेथी में डायोजेनिन, कैमारिन, हाइड्रॉक्सी-आइसोलिसिन और लाइसिन, स्टेरॉइडल सैपोनिन, टायरोसिन, प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन शामिल हैं जिनमें फोलेट, लेसिथिन, कोलीन, इनोसिटोल, बायोटिन, आयरन, घुलनशील और अघुलनशील फाइबर और छोटी मात्रा में विटामिन सी और बीटा कैरोटीन शामिल हैं। ।

मेथी के स्वास्थ्य लाभ


मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करें

मधुमेह वाले लोगों को अक्सर मेथी के बीजों को अपने आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों के कारण यह हो सकता है। टाइप 2 मधुमेह पर मेथी के बीज के प्रभाव पर किए गए अध्ययनों ने अनुकूल परिणाम दिए हैं। यह पाया गया कि मेथी के बीज रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करते हैं।


स्तन के दूध के उत्पादन में सुधार

मेथी के बीज का उपयोग महिलाओं द्वारा पूरे एशिया में अपने स्तन के दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। जड़ी बूटी में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जो स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध उत्पादन को बढ़ाता है। मेथी की चाय पीने से माताओं में स्तन के दूध की आपूर्ति में वृद्धि होती है, जो शिशुओं में वजन बढ़ाने को बढ़ावा देता है।

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मासिक धर्म ऐंठन को कम करें

मेथी के बीज मासिक धर्म की ऐंठन के साथ-साथ मासिक धर्म से जुड़े अन्य लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकते हैं। मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, यही वजह है कि अध्ययन ने मासिक धर्म के कारण होने वाले दर्द पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच करने की मांग की। यह पाया गया कि मेथी के बीज के पाउडर ने थकान, सिरदर्द और मतली जैसे दर्द और लक्षणों को काफी हद तक कम कर दिया है।


दिल के दौरे को रोकें

मेथी के बीज हृदय स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। यह दिल के दौरे के दौरान दिल को गंभीर क्षति से बचाता है। दिल का दौरा मौत का एक प्रमुख कारण है, और वे तब होते हैं जब हृदय के लिए एक धमनी दब जाती है। मेथी के बीज दिल को और नुकसान पहुंचने से रोकते हैं और दिल के दौरे के दौरान होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रतिकार करते हैं।


कोलेस्ट्रॉल कम करें

अध्ययनों से साबित हुआ है कि मेथी के बीज हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, विशेष रूप से cholesterol खराब ’कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल। मेथी के बीज में नैरिनजीन नामक फ्लेवोनॉइड होता है जो उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों में लिपिड के स्तर को कम करता है।


पाचन में सहायता

पेट की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए, मेथी वरदान हो सकती है। यह गैस्ट्रिटिस और अपच के लिए एक प्रभावी उपचार है। यह कब्ज को रोकने के साथ-साथ पेट के अल्सर से पैदा होने वाली पाचन समस्याओं को भी दूर करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक प्राकृतिक पाचन टॉनिक है, और इसके चिकनाई गुण आपके पेट और आंतों को शांत करने में मदद करते हैं।


वजन घटाने में मदद करें

यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो अपने आहार में मेथी के बीज को शामिल करना आवश्यक है। मेथी के बीज वसा के संचय को रोकने में मदद करते हैं और लिपिड और ग्लूकोज के चयापचय में सुधार करते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं।


जिगर की रक्षा करें

आपका जिगर आपके शरीर के विषाक्त पदार्थों को साफ करता है। लीवर पर चोट आपके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। कम जिगर समारोह के मुख्य कारणों में से एक शराब का अत्यधिक सेवन है, और अध्ययनों से पता चला है कि मेथी के बीज आपके जिगर पर शराब के प्रभाव को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी हैं। मेथी के बीज लिवर को अल्कोहल विषाक्तता से बचाते हैं। अत्यधिक शराब के सेवन से लिवर खराब हो सकता है। मेथी के बीजों में पॉलीफेनोलिक यौगिक होते हैं जो लिवर की क्षति को कम करने में मदद करते हैं और शराब को मेटाबोलाइज करने में मदद करते हैं।

मेथी की खुराक और खुराक


की आपूर्ति करता है

मेथी एक जड़ी बूटी है जो आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए कई फायदे हैं। इसने हजारों वर्षों तक वैकल्पिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन दिनों, इसे अक्सर पूरक के रूप में सेवन किया जाता है। मेथी का उपयोग टेस्टोस्टेरोन के स्तर, रक्त शर्करा, स्तनपान और अधिक के लिए भी किया जा सकता है। मेथी (ट्राइगोनेलिन फेनम-ग्रेकेम एल) ऐसी जड़ी-बूटी प्रतीत होती है जिसका उपयोग दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सबसे अधिक किया जाता है। यह कुछ माताओं के लिए एक उत्कृष्ट galactagogue के रूप में प्रकाशित किया गया है, और सदियों से इस तरह के रूप में इस्तेमाल किया गया है। गोलियाँ, कैप्सूल, पाउडर, तरल पदार्थ आदि जैसे मेथी के विभिन्न रूप और खुराक रूप हैं (प्रकृति का मखमली मेथी कैप्सूल इसका एक उदाहरण है)।


मात्रा बनाने की विधि

मेथी का सेवन कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है या चाय में पीसा जा सकता है, या बीजों को जमीन पर रखा जा सकता है और भोजन या ब्रेड में जोड़ा जा सकता है। प्रति दिन 500 से 600 मिलीग्राम मेथी कैप्सूल की एक खुराक की सिफारिश की जाती है। किसी भी हर्बल सप्लीमेंट के साथ, आपको अपने लिए सही मात्रा निर्धारित करने के लिए अपने डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।


मेथी के साइड इफेक्ट्स


आमतौर पर खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाली मात्रा में मुंह से ली जाने वाली मेथी लोगों के लिए सुरक्षित है और यह औषधीय प्रयोजनों के लिए भी इस्तेमाल की जाती है (जो सामान्य रूप से भोजन में पाई जाने वाली मात्रा से अधिक होती है) 6 महीने तक। सामान्य दुष्प्रभावों में दस्त, पेट खराब होना, पेट फूलना, गैस, चक्कर आना, सिरदर्द और मूत्र में "मेपल सिरप" गंध शामिल हैं। मेथी अनुनासिक लोगों में नाक की भीड़, खाँसी, घरघराहट, चेहरे की सूजन और गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकती है। यह रक्त शर्करा को भी कम कर सकता है।


अस्वीकरण


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