Story of Lord Krishna and Stolen Clothing , भगवान श्री कृष्ण और चोरी के वस्त्र की कहानी

 




























एक गांव में राधा कृष्ण की भक्ति करने वाले पति और पत्नी रहते थी। उनकी शादी को कई साल बीत चुके थे किंतु उनकी कोई संतान नहीं थी। वे हर रोज राधा कृष्ण की पूजा किया करते थे। एक दिन उनके गांव से कुछ औरते वृंदावन में बांके बिहारी के दर्शन के लिए जा रही थी। उस औरत ने भी अपने पति से उनके साथ जाने की इच्छा व्यक्त की। पति  ने कहा ठीक है तुम चली जाना परंतु मैं नहीं जा सकता। क्योंकि उनके घर में उसकी बुढिया मां भी थी। पति ने कहा तुम अकेली ही चली जाओ। वह औरत जाने की तैयारी करने लगी। अगली सुबह सब औरते मिल कर वृंदावन के लिए निकल गाई। जब वे वृंदावन पहुंची तो वहां का दृश्य देखकर वे सब बहुत प्रसन्न हुई। हर तरफ राधे राधे का नाम गूंज रहा था। सभी औरतें मिल कर एक धर्मशाला ने ठहरी। अगली सुबह जब वे बांके बिहारी के मंदिर में दर्शन के लिए जा रही थी तो सीढ़िया चढ़ते हुए वो औरत पीछे रह गई उसकी साथ की सारी औरते आगे निकल गई। भीड़ के कारण जब उस औरत को धक्का लगा तो जैसे ही वो सीढ़ियों से गिरने लगी तभी एक छोटी से लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया। और उसको गिरने से बचा लिया। फिर वो औरत उस लड़की का हाथ पकड़ कर एक तरफ बैठ गई। फिर वो दोनो आपस में बाते करने लगे। उस औरत ने उस लड़की के पूछने पर अपने बारे में सब कुछ बता दिया कि कैसे वो अपनी इच्छा पूरी करने के लिए वृंदावन आई है। औरत की बाते सुन कर लड़की के मुख पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गाई थी। उसके बाद वो औरत दर्शन करके अपनी धरमशाल में वापिस आ गई। अगले दिन जब वो फिर से मंदिर में दर्शन करने के लिए गई तो उसे सीढ़ियों पर पीछे से किसी ने मईया कह कर पुकारा। जब उस औरत ने पीछे मुड कर देखा तो उसे वही कल वाली लड़की दिखाई दी। उस लड़की ने उस औरत को सीढ़ियों पर एक तरफ बैठने को कहा। फिर तो ये रोज का सिलसिला हो गया था। वे दोनो मंदिर की सीढ़ियों पर मिलने लगी। एक दिन जब वो लड़की उस औरत से मिलने आई तो उसके साथ एक उसकी ही उम्र का एक लड़का  भी था उसने कहा कि ये उसका सखा है । मईया ये भी आपसे मिलना चाहता था। उस औरत ने कहा हम दो दिन बाद वापिस अपने गांव जा रहे है। अगले दिन जब वो शाम को औरत मंदिर में दर्शन के लिए जा रही थी तो रास्ते में उसे राधे कृष्णा के वस्त्र वाली एक ठेला दिखा तो उसको मन से खयाल आया की गांव जाने से पहले उसे राधा कृष्ण को कुछ भेट करना चाहिए। तो उसने वहां से राधा और कृष्ण के कपड़े और मुरली खरीदी। परंतु औरत राधा के जोड़े का घोटा पसंद नही आया तो उसने अलग से घोटा ख सेट रीदा और धर्मशाला जा कर हाथ से घोटा लगाने लगी। उसने जोड़े को तैयार कर के अलग रख दिया। वह सोच ही रही थी कल वापिस जाने से पहले मंदिर में जा कर  जोड़ा चढा आयेगी। तभी उसे बाहर से उस छोटी से लड़की की आवाज सुनाई पड़ी। और वह बाहर आई और देखा की छोटी लड़की और उसका सखा खड़े है। लड़की ने कहा मईया आज मैने आपको दुकान से सुंदर से कपड़े खरीदते देखा था। मुझे भी उन कपड़ो को देखना है। उस औरत ने उन जोड़ो को उन्हें दिखाया। उन्हे वे कपड़े बहुत पसंद आए। लड़की ने मईया से कपड़े मांगे तो मईया ने मना कर दिया। कहा की ये कपड़े तो मैंने मंदिर के लिए खरीदे है मैं कल तुमने जाने से पहले तुम्हे दूसरे कपड़े दिला दुगी। परंतु वे दोनो नही माने और कपड़ो को लेकर भाग गए। रात होने के कारण वो मंदिर के लिए दूसरे कपड़े भी नहीं खरीद पाई। अगली सुबह जब वो दर्शन के लिए मंदिर गई और राधा कृष्ण के दर्शन कर के हैरान हो गई। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। क्योंकि उसने देखा राधा रानी और बिहारी जी ने जो वस्त्र धारण किए है वे वही वस्त्र है जो रात में लड़की और उसका सखा ले कर भाग गए थे।और बिहारी जी के हाथ में  भी मुरली थी। उसने मंदिर के पुजारी से पूछा कि आज राधा और कृष्ण जी ने जो वस्त्र पहने है वे वस्त्र उन्हे कहां से मिले तो पुजारी ने बताया कि आज सुबह जब उन्होंने बिहारी जी और राधा रानी का श्रृंगार करने  के लिए मंदिर का परदा हटाया तो उन्हें ये वस्त्र वहां रखे मिले। पुजारी ने सोचा कि शायद आज भगवान जी को ये वस्त्र पहनने की इच्छा है इसी कारण ये वस्त्र यहां रखे हुए है। तो हमने इन्हीं वस्त्रों से इनका श्रृंगार कर दिया। उस औरत को समझ में आया कि वो दोनो राधा कृष्ण थें।
फिर तो वो औरत राधे राधे करती  हुई इधर उधर भागने लगी। तभी वहां पर उसके गांव की जो औरतें थी वे वहां पर आई और उसे अपने साथ ले गई। वे सब अपने गांव वापिस चली गई।और जाकर उस औरत को उसके घर पहुंचा दिया । उस औरत ने अपने पति और सास को सारी बात बताई। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था।एक वर्ष बाद उनके घर एक पुत्री ने जन्म लिया।उसका नाम उन्होंने राधा रखा ।जब दोनो पति पत्नी बूढ़े हो गए थें तब दोनों जीवन के अंतिम दिनों में वृन्दावन गए।वहां जाकर वे राधे राधे कहकर गली गली घूमने लगे। कई दिनों बाद उन्हे फिर से उसी छोटी सी लडकी के दर्शन हुए।उसे देखते ही उस औरत ने उसे पहचान लिया और दोनो पति पत्नी उनके चरणों में गिर गए ।तभी दोनो के शरीर से एक ज्योति निकलकर उस छोटी सी लड़की में समा गई।

तो भक्तों, भगवान किसी भी रूप में दर्शन दे सकते है बस हमे उन्हे पहचानने की जरूरत है। सृष्टि के कण कण में भगवान बसे हुए है।


In a village, there lived a husband and wife who worshiped Radha Krishna. Many years had passed since their marriage but they had no children. He used to worship Radha Krishna everyday. One day some women from their village were going to Vrindavan to visit Banke Bihari. The woman also expressed her desire to accompany her husband to her. Husband said okay you go but I cannot go. Because his old mother was also in his house. Husband said you go alone. The woman started preparing to leave. The next morning all the women together left for Vrindavan. When they reached Vrindavan, they were all very happy to see the scene there. Radhe Radhe's name was echoing everywhere. All the women together stayed in a dharamsala. The next morning when she was going to visit the temple of Banke Bihari, the woman was left behind while climbing the stairs, all the women with her went ahead. When the woman was shocked due to the crowd, as soon as she started falling from the stairs, a small girl grabbed her hand. and saved him from falling. Then the woman sat on one side holding the girl's hand. Then both of them started talking amongst themselves. The woman told everything about herself when she asked that how she had come to Vrindavan to fulfill her wish. A sweet smile appeared on the girl's face after listening to the woman's words. After that the woman came back to her Dharamshal after having darshan. The next day when she went to visit the temple again, someone called her from behind on the stairs as Mayya. When the woman looked back, she saw the same girl as yesterday. The girl asked the woman to sit on one side of the stairs. Then it became a daily routine. They both started meeting on the steps of the temple. One day when that girl came to meet the woman, there was a boy of her same age with her and she said that this is her friend. Maya also wanted to meet you. The woman said that we are going back to our village after two days. The next day, when the woman was going to visit the temple in the evening, on the way she saw a handcart with Radhe Krishna's clothes, so she thought that she should present something to Radha Krishna before going to the village. So he bought Radha and Krishna's clothes and murli from there. But the woman did not like the scam of Radha's couple, so she went to Rida and Dharamsala separately and started scolding by hand. He prepared the couple and set them aside. She was thinking that before going back tomorrow, she would go to the temple and offer a pair. Then he heard the voice of that little girl from outside. And she came out and saw the little girl and her friend standing. The girl said, Maya, today I saw you buying beautiful clothes from the shop. I want to see those clothes too. The woman showed those couples to him. He really liked those clothes. When the girl asked for clothes from Mayya, Mayya refused. Said that I have bought these clothes for the temple, I will get you other clothes tomorrow before you leave. But both of them did not listen and ran away with the clothes. Due to nightfall, she could not even buy other clothes for the temple. The next morning when she went to the temple for darshan and Radha was surprised to see Krishna. He couldn't believe his eyes. Because he saw that the clothes Radha Rani and Bihari ji were wearing are the same clothes that the girl and her friend had run away in the night. And Bihari ji also had a murli in his hand. He asked the priest of the temple that from where did he get the clothes that Radha and Krishna ji were wearing today, the priest told that this morning when he removed the veil of the temple to make up Bihari ji and Radha Rani, he got these clothes. Keep it there. The priest thought that perhaps Lord ji has a desire to wear these clothes today, that is why he is keeping these clothes here. So we adorned them with these clothes. The woman understood that both of them were Radha Krishna.
Then the woman started running here and there while doing Radhe Radhe. Then the women of his village who were there came there and took him with them. They all went back to their village. And went and took that woman to her house. The woman told everything to her husband and mother-in-law. No one could believe. Started walking around the street. After several days, he again had a vision of the same little girl. On seeing her, the woman recognized her and both husband and wife fell at their feet. Then a light emerged from both of their bodies and engulfed the little girl.

So devotees, God can appear in any form, we just need to recognize Him. God resides in every particle of the universe.



When Lord Shiva himself came to Kedarnath Dham to meet the devotee , जब केदारनाथ धाम पर भगवान शिव खुद आये भक्त से मिलने














बहुत पुराने समय की बात है। एक गांव के कुछ लोग  केदारनाथ के दर्शन के लिए जा रहे थे। तभी गांव के एक आदमी ने सोचा कि मैं भी इनके साथ चलता हूं। लेकिन वे उसे अपने साथ लेकर नहीं गए। उस आदमी के पास अपना कोई साधन नहीं था जिससे वो केदारनाथ जा सके। परंतु उस आदमी के अंदर केदारनाथ के दर्शन की इतनी प्रबल इच्छा थी कि वो अकेला पैदल ही चलने को तैयार हो गया। रास्ता बहुत कठिन था पर फिर भी वह केदारनाथ के दर्शन की मन में अभिलाषा लिए चलता रहा। और भोले बाबा का नाम मुख से लेता रहा। केदारनाथ पहुंचने में उसे कई महीने लग गए थे। जब वो केदारनाथ पहुंचा तो देखा कि सभी भगतजन दर्शन करके वापिस आ रहे थे। उस आदमी ने देखा कि पुजारी ने मंदिर के कपाट बंद कर दिए है। उसने पुजारी से कहा कि वो बहुत दूर से पैदल चल कर आया है। कृपा करके एक बार कपाट खोल कर भोले बाबा के दर्शन करा दो। लेकिन मंदिर के पुजारी ने मना कर दिया। उसने कहा किसी के लिए भी नियम को बदला नहीं जा सकता। केदारनाथ में मंदिर के कपाट भक्तो के लिए सिर्फ 6 महीने ही खुलते है। और 6 महीने बंद रहते है। और आज आखरी दिन था। पुजारी ने कहा कि अब तो ये कपाट 6 महीने बाद ही खुलेंगे। तुम 6 महीने बाद ही आना क्योंकि यहां पर अब 6 महीने बहुत बर्फ पड़ेगी। कोई भी यहां पर 6 महीने नही रुक सकता। उस आदमी ने पुजारी से बहुत विनती की परंतु पुजारी ने उसके लिए अपने नियमों को नही बदला और पुजारी वहां से चला गया। उस आदमी ने देखा वहा पर को नहीं था। तो वो निराश होकर वही बैठ गया। रात का समय हो चुका था और उसे भूख भी बहुत जोर से लग रही थी। लेकिन वहा खाने के लिए कुछ नहीं था। काफी रात बीत चुकी थी उसे बहुत ठंड लग रही थी। उसके पास ओढ़ने को नही था।परंतु वो भोले बाबा का नाम जपता हुआ रोने लगा। उसे समझ नही आ रहा था कि अब वो क्या करे? तभी वहां पर एक अघोरी बाबा आया और उससे आकर पूछा की बेटा तुम क्यों रो रहे हो। उस आदमी ने अपनी सारी बात बताई। अघोरी बाबा ने उसे शांत किया और कुछ खाने को दिया। और वे दोने आपस में बहुत देर तक बाते करते रहे। काफी रात बीत चुकी थी। अब उस आदमी को थकान के कारण नींद आने लगी थी। उस अघोरी बाबा ने उसे ओढ़ने के लिए अपना कंबल दिया और वो आदमी वही पर सो गया और अघोरी बाबा वहा से चले गए। अगले दिन जब उस आदमी की आंख खुली तो उसने सामने से मंदिर के पुजारी को आते देखा और उनसे पूछा कि आप यहां आज क्यों आए हो। आप तो 6 महीने बाद आने वाले थे। पुजारी ने उस आदमी को देखते ही पहचान लिया और चौक उठे। कहा की तुम अब तक यही हो। तुम 6 महीने तक बिना खाए पिए कैसे जिंदा रह सकते हो। आदमी ने कहा मैं आपसे कल ही तो मिला था जब आपने मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे तो आप 6 महीने बाद की बात क्यों कर रहे हो। पुजारी ने कहा पर मैं तो 6 महीने बाद ही आया हूं। उस आदमी को यकीन नहीं हुआ कि ये कैसे हो सकता है। वो एक रात में ही 6 महीने कैसे बीत सकते है वहां पर खड़े सभी लोगो विश्वास नही हो रहा था। उस आदमी ने पुजारी को रात में उसके पास आए अघोरी बाबा के बारे में बताया। पुजारी ने घुटनों के बल बैठ कर उस आदमी के आगे हाथ जोड़कर कहा कि वो अघोरी बाबा नही थे बल्कि वे तो स्वयं भगवान भोलेनाथ थे जिन्होंने  तुम्हारे लिए अघोरी बाबा का रूप धारण किया और तुम्हे भोजन कराया और अपनी माया से एक रात को 6 महीने में बदल दिया। तुम पूरे 6 महीने बाद सो कर उठे हो। हम कई वर्षो से भगवान शिव की पूजा कर रहे है किंतु उन्होंने हम आज तक दर्शन नही दिए और तुम्हे एक ही रात में दर्शन दे दिए।

तो भक्तों, जो भक्त भगवान शिव की भक्ति में रम जाता है भगवान भोलेनाथ उसके लिए कुछ भी कर सकते है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तो को कभी निराश नहीं करते। वे असंभव को भी संभव कर देते है।

Long time ago. Some people of a village were going to see Kedarnath. Then a man from the village thought that I should also go with them. But they did not take him with them. The man had no means of his own so that he could go to Kedarnath. But that man had such a strong desire to visit Kedarnath that he agreed to walk alone. The path was very difficult, but still he kept on walking with the desire to see Kedarnath in his mind. And kept taking the name of Bhole Baba from his mouth. It took him several months to reach Kedarnath. When he reached Kedarnath, he saw that all the devotees were coming back after having darshan. The man saw that the priest had closed the doors of the temple. He told the priest that he had come from a long distance on foot. Please open the door once and give darshan of Bhole Baba. But the temple priest refused. He said that the rule cannot be changed for anyone. The doors of the temple in Kedarnath are open for the devotees only for 6 months. and remain closed for 6 months. And today was the last day. The priest said that now these doors will open only after 6 months. You come only after 6 months because it will snow here for 6 months now. No one can stay here for 6 months. The man pleaded with the priest a lot but the priest did not change his rules for him and the priest left from there. The man saw that but Ko was not there. So he sat there disappointed. It was night time and he was feeling very hungry too. But there was nothing to eat there. It had been a long night and he was feeling very cold. He did not have a cover to wear. But he started crying while chanting the name of Bhole Baba. He didn't know what to do now? Then an Aghori Baba came there and asked him why are you crying son. The man told everything he had to say. Aghori Baba pacified him and gave him something to eat. And they kept talking to each other for a long time. A long night had passed. Now that man was falling asleep due to fatigue. That Aghori Baba gave him his blanket to cover him and the man slept on it and Aghori Baba left from there. The next day when the man opened his eyes, he saw the priest of the temple coming from the front and asked him why you have come here today. You were supposed to come after 6 months. The priest recognized the man on seeing him and got shocked. Said that you are still here. How can you survive without eating and drinking for 6 months? The man said that I met you only yesterday when you had closed the doors of the temple, then why are you talking about 6 months later. The priest said but I have come only after 6 months. The man couldn't believe how this could happen. How can they pass 6 months in one night, all the people standing there could not believe it. The man told the priest about Aghori Baba who came to him in the night. The priest got down on his knees and folded his hands in front of the man and said that he was not Aghori Baba, but he himself was Lord Bholenath, who took the form of Aghori Baba for you and fed you and with his illusion in one night in 6 months. Changed. You have woken up after a full 6 months. We have been worshiping Lord Shiva for many years, but he has not given us darshan till date and gave you darshan in one night.

So devotees, the devotee who is immersed in the devotion of Lord Shiva, Lord Bholenath can do anything for him. Lord Bholenath never disappoints his devotees. They also make the impossible possible.







Power of true mentorship , सच्चे गुरु की शक्ति


                         












सच्चे गुरु की शक्ति
एक बार एक गुरु के बहुत से शिष्य थे । उन्होंने अपने एक शिष्य को गांव में जाकर भिक्षा मांगने को कहा । वो शिष्य
गांव में भिक्षा मांगने चला गया । उसने गांव में जाकर भिक्षा मांगी पर दुर्भाग्य से उसे किसी घर से भिक्षा नही मिली। अंत में वो एक घर के द्वार पर गया और जाकर भिक्षा मांगने लगा। वो घर गांव के बाहर था। उसमे एक तांत्रिक रहता था। शिष्य को ये सब पता नही था । उसने बार बार भिक्षा मांगी । उसने सोचा कि यदि इस घर से भी भिक्षा नहीं मिली तो गुरुदेव को भूखा रहना पड़ेगा। इसलिए वो जोर जोर से भिक्षा के लिए कहने लगा। इतने में उस तांत्रिक को गुस्सा आ गया और उसने बाहर आकर उस शिष्य को श्राप दिया कि तुमने मेरी पूजा को भंग किया है इसलिए मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि तुम कल सूर्य उदय होने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाओगे। यह सुनकर शिष्य घबरा गया और वापिस अपने आश्रम में आ गया। जब गुरुदेव ने उसे देखा तो पूछा कि बताओ आज भिक्षा में क्या मिला हैं।उसने कहा गुरु जी आज तो भिक्षा में मुझे मेरी मृत्यु मिली है ।उसने गुरुजी को सारी बात बता दी।गुरु जी ने कहा ठीक है।रात का समय हो गया था। शिष्य अपनी मृत्यु के बारे में सोच सोच कर डर रहा था।वो गुरुदेव के पास गया। गुरु देव ने पूछा कि क्या हुआ, शिष्य ने कहा मुझे अपनी मृत्यु के बारे में सोच कर बहुत डर लग रहा है, क्या मैं कल का सूर्य  नही देख पाऊंगा। गुरु ने कहा इसमें डरने की क्या बात है। अगर भाग्य में मृत्यु लिखी है तो क्या डरना। शिष्य ने कहा गुरु जी में सारी रात आपकी सेवा करना चाहता हूं। अगर मृत्यु आपकी सेवा करते हुए आए तो इससे अच्छी क्या बात होगी। गुरु ने कहा ठीक है तुम मेरी चरण दबाओ पर एक बात है चाहे कुछ भी हो जाए पर तुम मेरे चरण दबाते रहना। आज मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है। जब तक मैं न कहू तब तक मेरे चरण मत छोड़ना। शिष्य गुरु के चरण दबाने लगा। रात का पहला पहर शुरू हो गया। उस तांत्रिक ने एक राक्षस को आश्रम में भेजा पर राक्षस आश्रम के बाहर ही खड़ा रहा। वो गुरु की शक्ति के कारण अंदर प्रवेश नही कर सका। परेशान होकर राक्षस वापिस चला गया। रात का दूसरा पहर शुरू हो गया था। अब तांत्रिक ने मृत्यु को सुंदर युवती के रूप में भेजा। वो गुरु की कुटिया के बाहर शिष्य को पुकारने लगी। कि बाहर आओ मैं तुमसे मिलना चाहती हूं। शिष्य ने कहा मैं बाहर नहीं आ सकता। गुरु देव ने चरण छोड़ने के लिए मना किया है। युवती वापिस चली गई। दूसरा पहर समाप्त हो चुका था। तांत्रिक को क्रोध आ गया उसने इस बार शिष्य के माता पिता के रूप में मृत्यु को भेजा। वे गुरु की कुटिया के बाहर से अपने पुत्र को पुकारने लगे कि बेटा बाहर आओ हम तुमसे मिलना चाहते है। हम बहुत दूर से तुमसे मिलने आए है। हमें तुम्हारी चिंता है। तुम ठीक हो ना। बाहर आओ हम तुम्हे गले से लगाना चाहते है l
शिष्य ने कहा नही मां मैं बाहर नहीं आ सकता आप ही अंदर आ जाओ। मैं गुरु के चरण नही छोडूंगा। वे भी प्रतीक्षा करके वापिस चले गए। तांत्रिक को क्रोध आ रहा था। इतने में सुबह हो गई। गुरु देव जागे और कहा कि अब बताओ तुम कैसे हो। शिष्य ने कहा गुरु देव आपकी कृपा से  मृत्यु भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकी। देखो नया दिन निकल आया है। शिष्य ने गुरु देव को रात की सारी घटना बताई।  पर गुरु देव तो अंतर्यामी थे। वे पहले से ही सब जानते थे।

भक्तो, ये दुनिया एक मायाजाल है अगर हम गुरु की आज्ञा का पालन करे तो हम इन झूठे सांसारिक मायाजाल में नही फसेंगे।


True Guru's Power
Once a guru had many disciples. He asked one of his disciples to go to the village and ask for alms. that disciple
He went to the village to beg. He went to the village and asked for alms, but unfortunately he did not get alms from any house. In the end he went to the door of a house and started asking for alms. That house was outside the village. A tantrik lived there. The disciple did not know all this. He repeatedly asked for alms. He thought that if even alms are not received from this house, then Gurudev will have to starve. So he started asking loudly for alms. In this, that tantrik got angry and he came out and cursed that disciple that you have disturbed my worship, so I curse you that you will die before sunrise tomorrow. Hearing this, the disciple was terrified and returned to his ashram. When Gurudev saw him, he asked, tell me what have I got in alms today. He said Guruji, today I have got my death in alms. He told the whole thing to Guruji. Guruji said okay. It is night time. was. The disciple was afraid thinking about his death. He went to Gurudev. Gurudev asked what happened, the disciple said I am very scared thinking about my death, will I not be able to see tomorrow's sun. The Guru said what is there to be afraid of. If death is written in the fate, then what is there to be afraid of? The disciple said, Guruji, I want to serve you all night. If death comes while serving you, what better thing is there than that? The guru said okay you press on my feet, but there is one thing, no matter what happens, you keep pressing on my feet. Today my feet are hurting a lot. Don't leave my feet until I tell you. The disciple started pressing the feet of the Guru. The first half of the night had begun. That tantrik sent a demon to the ashram but the demon remained standing outside the ashram. He could not enter inside because of the power of the Guru. Distraught, the demon went back. The second half of the night had begun. Now the tantrik sent death in the form of a beautiful maiden. She started calling the disciple outside the guru's hut. Come out I want to meet you. The disciple said I cannot come out. Gurudev has forbidden to leave the feet. The girl went back. The second quarter was over. The tantrik got angry, this time he sent death in the form of the disciple's parents. He started calling his son from outside the guru's hut that son, come out, we want to meet you. We have come from far away to meet you. We're worried about you. are you fine. Come out we want to hug you
The disciple said no mother, I cannot come out, come inside yourself. I will not leave the feet of the Guru. They also waited and went back. The tantrik was getting angry. By then it was morning. Guru Dev woke up and said now tell how are you. The disciple said, Guru Dev, by your grace even death could not harm me. Look, a new day has come. The disciple told Guru Dev the whole incident of the night. But Guru Dev was Antaryami. They already knew everything.

Devotees, this world is an illusion, if we follow the orders of the Guru, then we will not fall into these false worldly illusions.


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In which house daughters are born ? बेटियों के जन्म के लिए कैसे घर को चुनते हैं भगवान ? किसके घर पर पैदा होती है बेटियाँ ?

 दोस्तों हम MODERN तो बहुत हो गए लेकिन आज भी हम में से बहुत सारे घर ऐसे है जो लड़की के पैदा होने पर खुशी नहीं मनाते बल्कि अंदर ही अंदर दुःख में डूब जाते है , और ये एक सामाजिक बुराई है , क्योकि स्त्री ,पुरुष , लड़का लड़की मानव के 2 ऐसे रूप है जिनके बिना इस दुनिया का चलना असंभव है , 



बस यही बात हमे समझनी चाहिए , आइये आज हम आपको बताते है की किन घरो में ज्यादा लड़किया पैदा होती है , आपको ये जानकर हैरानी होगी की पुराणों के अनुसार लड़की का जन्म भाग्यशाली इंसानो के घर पर ही होते है , जिन्होंने अपने पूर्व जन्म में पुण्य कर्म किये होते है , आपको बता दे की लड़की को साक्षात् लक्ष्मी का रूप माना जाता है , 

इसी के बारे में हम आज आपको भगवन श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच का संवाद बताते है , जिसमे अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से अर्जुन पूछते है की हे माधव यह बताए की किन घरो में बेटियों का जन्म होता है , किन घरो पर भगवान और माँ लक्ष्मी की कृपा होती है जिससे उनके घर में लड़कियों का जन्म होता है , 

भगवान श्री कृष्ण कहते है की बेटियों का जन्म सौभाग्य से होता है ,और भगवान बेटियाँ उन्ही घरो में देते है जो बेटियों का भार सहन कर सके , जब भगवान किसी के घर में बेटी देता है तो उसके भरण पोषण के लिए उसके माँ बाप के भाग्य में खुशिया लिकता है , 

क्योकि ये बेटियाँ ही होती है जो हर किसी के भाग्य में नहीं होती और ये बेटियाँ ही होती है जो इस सृष्टि को चलाए रखने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है , अपने घर ,अपने माता पिता , अपनी सखी सहेलिया सब छोड़ एक अनजान घर में जाती है , पुरुष जरा सोच के देखे , इसे सोचने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते है की जिस घर में वो पले बड़े हुए है , अपने माता पिता को उन्हें छोड़ कर जाना है , यही सोच अगर आपको समज आती है तो आप लड़कियों का इस श्रस्टि में योगदान समझ सकते है , 

हे अर्जुन बेटियों का जन्म रुक जाना मतलब इस सृस्टि का जाना है , हमारे समाज में कई ऐसी धारणाए है जो बिलकुल गलत है , इनमे से एक यह है की किसी की मृत्यु हो जाने पर बेटियाँ या बहु उसका पिंड दान नहीं कार सकती जबकि आपको पता होगा की रामायण में भी जब भगवान राम के पिता दशरथ की मृत्यु हो जाती है तो राजा दशरथ ने खुद माता सीता के स्वप्न में आकर उनसे पिंड दान की इच्छा जाहिर की थी क्योकि उस वक्त वो भगवान श्री राम के साथ वन में थी तो उन्होंने वही से जो भी उनसे हुआ स्वपन में ही उनका पिंड दान किया जिसके बाद भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ को इस दुनिया से मुक्ति मिल गयी , 

अगर आपके घर में बेटी है तो आप ये भली भाती जानते होंगे की एक बेटी , बेटे से कहि ज्यादा माता पिता से प्यार करती है , 


आपको एक और कहानी सुनाते है , एक बार काफी दिनों बाद दो दोस्त आपस में मिलते है , दोनों एक दूसरे से अपना हाल चाल पूछते है , 

इस पर एक दोस्त दूसरे से कहते है की मेरे हाल बहुत बढ़िया है क्योकि मेरे घर 2 बेटे है , और अपने दोस्त से पूछा तेरे घर मे कितने बच्चे है , तब उसका दोस्त ख़ुशी से बोला की मेरे घर मे 2 बेटियाँ है , इस पर पहला दोस्त भगवान का धन्यवाद करते हुए कहते है की मेँ धन्य हूँ की मेरे घर 2 बेटे है और कोई बेटी नहीं है , 

यह सुनकर बेटियों के पिता के आँखों मेँ आंसू आ गए , इतने देर मेँ उसकी बेटी बोल पड़ती है की चाचा भगवान हमेसा उसी इंसान को बेटी देते है जो भाग्यशाली हो , कभी भी किसी ऐसे पुरुष के घर मेँ बेटी नहीं देते जो मन से गरीब हो , और ऐसे आदमी को भगवान बेटियों के रूप मेँ कभी भी लक्ष्मी नहीं देते , 


इसी के लिए स्वामी विवेकानद का किस्सा भी भी बहुत ज्यादा प्रशिद्ध है , एक बार की बात है की स्वामी विवेकानद माता वैष्णो देवी की चढ़ाई चढ़ रहे थे , तभी उन्होंने देखो की एक कमजोर सा किसान अपनी बेटी को अपने कंधे पर बिठाए चढाई चढ़ रहा था , 

स्वामी विवेकानद ने उन्हें देखा और कमजोर किसान को देखते हुए बोले की भाई आप अपनी बच्ची को मुझे दे सकते हो और इसे लेकर मेँ चढ़ाई चढ़ जाता हूँ आप मेरे साथ साथ चले , आपको बोझ लग रहा होगा , इस पर किसान ने कहा की आपने पूछा इसके लिए धन्यवाद , लेकिन श्रीमान में आपको बताना चाहता हूँ की , बेटियाँ कभी भी बाप के कंधे पर बोझ  नहीं होती , बेटियाँ अगर बाप के कंधे पर हो तो वो हर बोझ को हल्का कर देती है , 


तो दोस्तों बेटी के होने पर जासं मनाए , मिठाई बाटे क्योकि भगवान ने आपके भाग्य को बदलना शुरू कर दिया है , और माता लक्ष्मी खुद आपके घर आयी है , 


किसके घर पर पैदा होती है बेटियाँ ?

Why is sex, sexuality considered the biggest sin ? कामवासना , कामुकता को क्यों सबसे बड़ा पाप माना गया है ?

 कामवासना , कामुकता को क्यों सबसे बड़ा पाप माना गया है , 

दोस्तों ये एक ऐसी लत है जो बाकि सभी लत से ज्यादा खतरनाक है , और ये ज्यादा खतरनाक इस लिए भी हो जाती है क्योकि इसमें कम से कम 2 लोगो की जरूरत होती है ( पुरुष और महिला ) जो बाकि किसी लत में चाहे वो नसे की लत हो , जुवे की लत हो या कोई और उसमे ये जरूरत नहीं होती , 



आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है , ये एक ऐसी आदत है जो किसी भी राजा , असुर और यहाँ तक की देवताओ के भी पतन का कारण बनी है , ऐसा व्यक्ति दिन रात सब कुछ भूल जाता है और उसका ध्यान सिर्फ एक ही तरफ लगा रहता है , तो काम वासना के बारे में दिन रात सोचने से क्या होता है , 



चाणक्य निति में कामुकता के बारे में विस्तार से बताया गया है , आचार्य चाणक्य कहते है की कामवासना के सामान दुनिया में कोई रोग नहीं है, मोह के सामान कोई शत्रु नहीं , क्रोध के समान कोई अग्नि नहीं , और ज्ञान से बड़ी सुख देने वाली कोई और वस्तु नहीं , आचार्य चाणक्य कहते है की जो मनुष्य कामवासना से लिप्त हो जाता है उसके दिमाग में कोई और बात आ ही नहीं सकती वह औरत हो या पुरुष उसके दिमाग मे हमेशा विपरीत लिंग के लिए ही भावनाए जाग्रत होती रहती है , आचार्य चाणक्य का कहना है की कामवासना आपके शरीर तक रहती है तो ठीक है लेकिन जब ये आपके दिमाग पर असर करने लगती है तब आपका विनाश निश्चित है , 



ऐसा पुरुष या फिर स्त्री पर पुरुष की और भी आकर्षित रहते है और इससे उनके दाम्पत्य जीवन पर भी असर पड़ता है , 

इसके बाद चाणक्य समझाते हुए कहते है की की शरीर के किसी भी अंग को अगर बहुत ज्यादा महत्व देना चाहिए तो वो हमारा दिमाग है और इससे अलग कोई नहीं , 



चाणक्यनीति की तरह ही ययाति ग्रन्थ मे भी कामुकता के बारे मे उल्लेख मिलता है , इस ग्रन्थ के अनुसार राजा ययाति 1000 वर्षो तक भोग विलाश मे लिप्त रहे लेकिन इसके बाद भी उन्हें तृप्ति या शांति नहीं मिली , इसके बाद जब गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें वृद्ध , बड़े हो जाने का श्राप दिया तो वो कुछ विद्याओ के द्वारा अपने छोटे पुत्र की जवानी लेकर कई वर्षो तक काम वासना मे लिप्त रहे , 



लेकिन कुछ समय पश्चात जब उन्हें लगने लगा की इससे भी उनकी तृप्ति नहीं हो रही है तो उन्हें अपने आप से घृणा होने लगी और उन्होंने अपने पुत्र का यौवन लौटा दिया , और खुद वैराग्य धारण कर लिया , 



इसके बाद उन्होंने कहा की हम भोग नहीं भोगते , बल्कि भोग ही हमें भोगते है , हम तप नहीं करते बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गए है , काल कभी समाप्त नहीं होता हम समाप्त हो जाते है , और तृष्णा जीर्ण नहीं हुयी है हम ही जीर्ण हुए है , 


Signs Show Before Death | Garud Puran | ये 10 लक्षण दिखे तो समझ जाएँ आपकी मृत्यु निकट है !

 दोस्तों मृत्यु एक ऐसा शब्द है जिससे  हर प्राणी को डर लगता है फिर चाहे को इंसान हो या जानवर , लेकिन जन्म और मृत्यु तो जीवन का सत्य है लेकिन हम में से किसी को भी अपनी मृत्यु का समय नहीं पता होता लेकिन कुछ महान विद्वानों ने इसके इसके ऊपर बहुत अध्यन किया , और गरुड़ पुराण में भी इसके बारे में बताया गया है , जिसके अंदर दस ऐसे संकेत बताये गए है की अगर वो आपको दिखे या आपके साथ होते है तो समझ लेना मृत्यु निकट ही है , तो आइये जानते है इन सभी संकेतो के बारे में , 

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1 . अपनी परछाई ना दिखना : 

दोस्तों आमतौर पर आपने देखा होगा की आपको किसी भी रौशनी के सामने कड़े होने पर अपनी परछाई दिखाई देती है , ये रौशनी कोई भी हो सकती है।  लेकिन मृत्यु से कुछ दिनों पहले आपको अपनी परछाई दिखनी बंद हो जाएगी , आप अपनी परछाई को तेल और पानी में भी देख सकते है , अगर आपकी परछाई आपको तेल और पानी में दिखनी बंद हो जाए तो समझ जाइये की अंतिम समय बहुत ही करीब है ,


2 . इन्दिर्यो का ना दिखाई देना : 


अगर आपको अपनी नाक की नौक दिखाई देनी बंद हो गयी है , या आँखों के पालक ऊपर की तरफ मुड़ने लगे तो समझ लीजिए की उलटी गिनती शुरू हो गयी है , ऐसे व्यक्ति का मुँह लाल और जीब भी दिन पर दिन काली होती जाती है ,


3 . पूर्वज या पितर का दिखना : 


जब कोई अत्यधिक बीमार होता है और उसे उनके पूर्वज या पितर दिखाई देने लगे तो समझ लेना उनके पास जाने का समय आ गया है ,


4 . चन्द्रमा यानि चाँद का खंडित दिखना :

कई बार मनुष्य को एक ही चांद्रमा अलग अलग हिस्सों में दिखाई देने लगता है लेकिन वास्तव में ऐसा उसी व्यक्ति को दीखता है जिसकी मृत्यु नजदीक होती है , 


5 . शरीर से अलग तरह की बदबू आना :

गरुड़ पुराण के अनुसार अगर किसी मनुष्य के शरीर से अजीब सी सड़ने जैसी बदबू आनी शुरू हो जाए और उसे दीपक के जलने की खुसबू आनी बंद हो जाए तो समझ लेना चाहिए मृत्यु में कुछ ही दिन बचे है ,


6 . भोजन करने के बाद भी भूख लगे रहना : 

जिस व्यक्ति की मृत्यु नजदीक होती है वह भोजन करने के बाद भी और खाने की इच्छा रखता है , बार बार अपने दातो को आपस में रगड़ता है , 24 घंटे भय बना रहता है और ऐसा लगता है की जैसे उसके आस पास कोई और भी है तब समझ लेना की आस पास घूमने वाला कोई और नहीं बल्कि यमदूत है और वो जल्द ही उसे लेकर जाएंगे ,


7 . सपनो के संकेत : 

अगर कोई व्यक्ति सपने में  ऊंट या फिर गधे पर बैठकर दक्षिण दिशा में चल पड़े तो समझ लेना की उसकी मृत्यु किसी भी वक्त हो सकती है , सपने में अपने आप को कीचड़ में धसा देखना , सवपन में खुले बल वाली स्त्री , अंगारे , अग्नि , राख , सांप , और सुखी नदी ये दिखना भी मृत्यु के संकेत है ,


8 . उलटी और मूत्र में दिखने लगे सोना : जिस व्यक्ति को सपने में अक्सर उलटी और मूत्र में धन सोना चाँदी दिखाई देने लगे उसकी उम्र 10 महीने से ज्यादा नहीं रहती , ऐसे व्यक्ति को प्रेत , पिसाच और सोने के पेड़ भी दिखाई देने लागते है 


9 . जब कोई स्त्री ले जाए : 

अगर सपने में कोई स्त्री लाल या काले कपडे पहने हुवे किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा की और ले जाए तो समझ लेना मृत्यु में ज्यादा दिन नहीं बचे है ,


10 . जब शीशे में अपने चेहरे के पास दिखे कुछ ऐसा : जब आप शीशा देखे और आपको अपना ही चेहरा धुंदला दिकहि दे , या अपने चहरे की जगह कोई और चेहरा हँसता हुआ दिखाई दे तो समझ लेना बस कुछ ही दिन हो इस धरती पर। 



दोस्तों ये सभी बाते गरुड़ पुराण में बताई गयी है , हम इनमे से किसी भी बात को सच या झूठ  होने का कोई समर्थन नहीं करते , 



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भगवान शिव ने क्यों भगवान विष्णु के पुत्रो का संघार किया , क्यों भगवान शिव ने विष्णु के सभी पुत्रो को मारा ,

 नमस्कार दोस्तों आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की भगवन शिव ने क्यों भगवान विष्णु के पुत्रो का संघार किया , क्यों भगवान शिव ने विष्णु के सभी पुत्रो को मारा , 


ऋषभ अवतार , बहुत काम लोग इसने बारे में जानते है , भगवान शिव ने विष्णु के पुत्रो को मारने के लिए ऋषभ अवतार लिया लेकिन ऐसा क्या हुवा की था जिसके कारन भगवान शिव को ये निर्णय लेना पड़ा ,


 

 भगवान शिव के ऋषभ अवतार का वर्णन शिव महापुराण में मिलता है , जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओ और दानवो में भीषण युद्ध हुआ तब दानवो यानि राक्षसो से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहनी अवतार लिया था , 

कहा जाता है की भगवान विष्णु का ये मोहनी अवतार इतना आकर्षक था की कोई भी प्राणी , जैसे देवता , दानव या फिर इंसान जो भी इस रूप को देख लेता था वो उन्हें पाने की कामना करने लगता था , और इसी आकर्षण को देखते देखते राक्षश अमृत का मोह भूलकर मोहनी के मोह में फस गए , और इसी आकर्षण के चलते मोहनी ने राक्षसो को अमृत की जगह साधारण जल पीला दिया , 

अचानक से उन राक्षसो को पता चला की उनके साथ छल हुआ है तो उन्होंने देवताओ पर आक्रमण कर दिया , और हर बार की तरह इस बार भी भगवान विष्णु ने देवताओ को बचा लिया , और दानवो का संहार करना शुरू कर दिया , 

यह देख कर राक्षस पाताल लोक की और भागने लगे लेकिन भगवान विष्णु ने उनका पीछा किया , और पाताल लोक जा पहुंचे और सभी राक्षस जाती का अंत कर दिया ,

वही पर भगवान विष्णु ने देखा की कुछ अप्सरा बंदी गृह में बंद है जिन्हे इन दानवो ने बंदी बनाकर रखा था , भगवान विष्णु ने इन सभी को वह से मुक्त कराया , यहाँ जितनी भी अप्सरा कैद थी ये सभ भगवान शिव की भक्त थी ,

जिन्होंने भगवान शिव से वरदान माँगा था की विष्णु उनका स्वामी बने , भगवान शिव का पाताल लोक जाना और इन अप्सराओ को छुड़ाना ये सभी भगवान शिव की माया ही थी , 

वही अप्सराओ के कहने पर भगवान शिव इन सभी अप्सराओ के स्वामी बने , और ऐसा होने के बाद भगवान विष्णु वैकुण्ठ धाम छोड़ पाताल लोक में रहने लगे , कुछ समय बाद इन सभी अप्सराओ ने भगवान विष्णु के पुत्रो को जन्म दिया , 

लेकिन दुर्भाग्यवश ये पुत्र भगवान विष्णु की तरह न होकर असुर , दानव परवर्ती के थे , और जैसे जैसे भगवान विष्णु के ये पुत्र बड़े हुवे तो इन्होने लोगो पर , देवताओ पर , स्त्रियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया , 

तीनो लोक भगवान शिव के इन पुत्रो से बचने के लिए इधर उधर भागने लगे , इसके बाद ऋषि और देवता भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुंचे , और इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रार्थना की , इसके बाद भगवान शिव ने ऋषभ अवतार लिया , यह अवतार एक भयानक 4 पैर वाला जानवर था , और यह ऋषभ अवतार सीधे पाताल लोक जा पंहुचा और दानवो से युद्ध शुरू किया , लेकिन कुछ ही समय में ऋषभ अवतार ने विष्णु के सभी पुत्रो का वध कर दिया , 

जब ये बात भगवान विष्णु को पता चली की उनके पुत्रो को एक बैल ने मार डाला तो वो क्रोधित हो गए और उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़े , ऐसे में ऋषभ और भगवान विष्णु के बीच भयंकर युद्ध हुआ , दोनों ही देवता थे तो किसी भी हार अनिश्चित थी , ये युद्ध काफी लम्बे समय तक चला और इसके बाद भगवान विष्णु को ये आभास हुआ की ये कोई साधारण बैल या कोई साधारण अवतार नहीं बल्कि ये स्वयं भगवान शिव का अवतार है , ऐसा समझते ही भगवान विष्णु ने अपने हथियार फैक दिए , और उन्होंने युद्ध के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी , जिसके बाद भगवान शिव ने अपने वरदान के बारे में सबकुछ बताया , 

इसे सुनकर भगवान विष्णु ने भगवान शिव को नमस्कार किया और वैकुण्ठ लोट गए , 

तो दोस्तों ये था भगवान शिव के बहगवां विष्णु के पुत्रो को मारने का वर्णन , अगर आपको इससे कुछ भी ज्ञान या knowledage हुयी है तो इस पोस्ट को like  और share करे .


महान शिव भक्त क्यों बन गए अघोरी , क्यों रहते है शमसान में , क्या है इसके पीछे की कहानी ?

 नमस्कार दोस्तों ...

दोस्तों इस पोस्ट में बात करेंगे की कैसे एक शिव भक्त एक शाप के कारन अघोरी बन गया , अघोरी मतलब वो साधु शांत जो शमशान में पूजा करते है और सिद्धि प्राप्त करते है , आखिर ये शमशान में ही पूजा क्यों करते है , 

सबसे पहले हम आपको बताते है की अघोरी कौन होते है और इन्हे अघोरी क्यों कहा जाता है , आपको बता दे की अघोरी विद्या डरावनी नहीं होती बस उसे पाने का तरीका डरावना होता है , अघोरी का साधारण भाषा में हम उसे भी कहते है जो सरल हो , जिसमे किसी तरह का भेदभाव न हो जो सबको एक सामान देखता हो , 



इसलिए अघोरी हर वो काम करता है जिससे आम मनुष्य को भय यानि डर होता है या जिससे आम मनुष्य भेद भाव करते है , एक अघोरी साधु खुले आम या चोरी छिपे शमशान में रहते है , कहा जाता है की अघोरी कच्चा और सड़ा गला मांश भी खा जाते है ,और इसके पीछे उनका तर्क यह होता है की उनके लिए कोई भी चीज़ अच्छी या बुरी नहीं , न ही कोई वास्तु गन्दी या खूबसूरत नहीं , 

और कोई भी मनुष्य तभी अघोरी बन सकता है जब वो अपने मन से घृणा को निकाल दे , अर्थात अघोरी वही बन सकता है जिसके अंदर प्रेम , घृणा , मोह , लाभ , लालच कुछ ना रहे , इनके ह्रदय के अंदर किसी भी सांसारिक चीज़ के लिए कोई जगह नहीं होती और जगह होती है तो फिर शिव के लिए , तो अब बात ये उठती है की जब ये शिव भक्त है तो इन्हे अघोरी क्यों कहा जाता है , 

इसका वर्णन शिव पुराण में किया गया है जिसके अनुसार भगवन शिव के ससुर प्रजापति दक्ष एक बार एक सभा में गए जहा एक हवन का आयोजन होना था , जैसे ही प्रजापति दक्ष आयोजन में पहुंचे तो सभी उनके सम्मान में खड़े हो गए , लेकिन ब्रह्मा देव और भगवानशिव अपने अपने स्थान पर बैठे रहे , ये देखकर दक्ष को बहुत गुस्सा आया इसलिए उन्होंने जब सोचा की ब्रह्मा देव तो मेरे पिता है इसीलिए वो मेरे आदर के लिए खड़े नहीं हुए , परन्तु शिव तो मेरी बेटी का पति है इसलिए उसे मेरे सम्मान में खड़ा होना चाहिए था , ये सोचकर दक्ष ने हाथ में जल लिया और भगवान शिव के ऊपर फेकते हुवे श्राप दे दिया और कहा की आज से शिव किसी भी यग के भागी नहीं होंगे , और ऐसा कहकर दक्ष वहां से चले गए , ऐसा सुनकर भगवान शिव ने कुछ नहीं कहा लेकिन इस पर भगवान शिव के वाहन नंदी को बहुत क्रोध आया , 

इस पर उसने भी कहा की दक्ष ने शिव को एक साधारण मनुष्य समझते हुए शाप दिया है तो में भी यहाँ उपस्थित समस्त ब्राह्मणो को ये शाप देता हूँ की आप सभी ज्ञान रहित हो जाएंगे , और भूख मिटाने के लिए आपको घर घर भिक्षा मांगनी होगी , वही सभा में ऋषि भृगु बैठे हुए थे उन्हें भी इस शाप को सुनकर क्रोध आ गया और उन्होंने भी श्राप दे दिया की जो भी भगवान शिव का भक्त बनेगा वे सभी वेद सस्त्रो के अनुसार ढोंगी और पाखंडी कहलाएंगे , वो जटा धारण करेंगे , शरीर में भसम लगाएंगे , और ये सभी शिव भक्त मांस मदिरा का सेवन भी करेंगे और इनका निवास स्थान भी शमसान होगा , और दोस्तों ऋषि भृगु के इसी श्राप के कारन भगवान शिव का अघोरी रूप सबके सामने आया , जिसके बाद उनके भक्तो को भी अघोरी कहा जाने लगा , 


महान शिव भक्त क्यों बन गए अघोरी , क्यों रहते है शमसान में , क्या है इसके पीछे की कहानी ? 

SHRI KRISHAN | कलयुग के बारे में 5 भविष्यवाणी , | LORD KRISHAN

 नमस्कार दोस्तों 

दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कलयुग के बारे में 5 कड़वी बाते , जो भगवान कृष्ण द्वारा पहले ही बताई जा चुकी है और आज पूरी तरह सच हो रही है , 

महाभारत के समय ही पांडवो को आने वाले युग के बारे में पता चला और उन्होंने इसके बारे में जानने की इच्छा जताई तब भगवान श्री कृष्ण ने कलयुग के बारे में जो 5 बाते बताई वो आज हम आपको यहाँ पर बता रहे है, 





उनकी ऐसी इच्छा देखते हुवे भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वन में जाने को कहा और कहा की जोकुछ भी तुम वह पर देखो वो मुझे विस्तार में आकर बताना की तुमने वह पर क्या देखा , 

ऐसा कहकर पांचो पांडव वन की और चले गये , सुबह से शाम तक वन में घूमे और शाम होने पर भगवान श्री कृष्ण के पास गए , उसके बाद उन्होंने भगवान को क्या एक एक करके बताते है ,

सबसे पहले सबसे बड़े भाई युधिस्ठिर से पूछा की तुमने क्या देखा तो उन्होंने बताया की मेने एक 2 सूंड वाले हाथी को देखा , और बताया की काफी सारे जानवर उसके पीछे चल रहे थे , 

इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की कलयुग में ऐसे लोग राज करेंगे जिनके दो चेहरे होंगे यानि बोलेंगे कुछ और और करेंगे कुछ और , ये लोग हर तरह के इंसान का शोषण करेंगे , 


इसके बाद भीम ने बताया की उसने वन में एक गाय को देखा जो अपने बछड़े को इतना चाट रही थी की उससे खून निकल आया , इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की कलयुग में लोग ऐसे ही होंगे , जो अपनी ममता के पीछे सब कुछ भूल जाएंगे , कलयुग में मनुष्य ऐसा होगा की यदि किसी का पुत्र साधु बना तो सब उसके दर्शन करेंगे उसके चरण छुएंगे , और यदि खुद का पुत्र साधु बना तो दुखी हो जाएंगे , कलयुग में लोग अपने बच्चो को मोह माया में इतना बांध कर रखेंगे जिसके कारण उसका विकास ही रुक जाएगा , और इसके बाद भगवान ने अर्थ समझाते हुवे कहा की तुम्हारे पुत्र तुम्हारे नहीं बल्कि उनकी पत्नियों की अमानत है और तुम्हारी पुत्री उनके पति की अमानत है , और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है , 



इसके बाद अर्जुन ने बताया की उसने एक पक्षी देखा जिसके पंख पर वेद की रचनाए लिखी हुयी थी ,परन्तु वो एक दूसरे जानवर का मांश खा रहा था ,यह सुनकर भगवान हंस पड़े और बताया की कलयुग में ऐसे लोग होंगे जो विद्वान् कहे जाएंगे , किन्तु अंदर से उनकी मनसा यही होगी की किसकी जल्दी मृत्यु हो और उसकी संपत्ति को हड़प लिया जाए ,,


व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा हो लेकिन उसकी सोच और दृस्टि हमेशा दुसरो के धन को हड़पने के लिए ही होगी , वास्तविक शंत तो कोई ही होगा , 

इसके बाद नकुल ने बताया की उसने वन में देखा की एक बहुत भरी चट्टान पर्वत से गिरी और बड़े से बड़े पेड़ भी उसे नहीं रोक पाए , परन्तु फिर अचानक वह एक छोटे से पेड़ से टकराकर रुक गयी , 

इस पर भगवान ने कहा की कलयुग में मनुष्य की बुद्धि विनाशकारी होगी , उसका पतन होगा और इसे रोकने के लिए धन या शतता के जैसे बड़े पेड़ भी रोकने में शक्षम नहीं होंगे , किन्तु जो हरिनाम को जपेगा , इससे उसका विनाश रुक जाएगा ,,


इसके बाद सहदेव ने एक बहुत बड़े कुओ का झुण्ड देखा जहा एक जगह बहुत सारे कुए थे , सहदेव ने देखा की सबसे बीच का कुआ खली है और वह सबसे गहरा भी है , ऐसा देखकर सहदेव को आश्चर्य हुआ , 

इस पर श्री कृष्ण ने बताया की कलयुग में मनुष्य ऐसे ही होंगे जो अलग तरह के कार्यो में बहुत धन खर्च करेंगे जैसे विवाह , महोत्सव , लेकिन यदि किसी को वास्तव में धन की जरूरत होगी तो उसे नहीं देंगे , और कलयुग में जो मनुष्य सबकी मदद करेगा वह हमेशा अकेला ही रहेगा , लोग उसे गलत कहेंगे , जोकि आज आप देखते है और ये काम आज के समय माँ बाप के साथ हो रहा है , 

तो दोस्तों ये थे कलयुग के पांच सत्य जो भगवान  श्री कृष्ण द्वारा पहले ही बताए जा चुके थे और आज लगातार  सत्य हो रहे है , 

ENGLISH LANGUAGE :

Hello friends

Friends, in this post we will tell you 5 bitter things about Kali Yuga, which have already been told by Lord Krishna and are coming true today.

At the time of Mahabharata, the Pandavas came to know about the coming era and they expressed their desire to know about it, then the 5 things that Lord Shri Krishna told about Kali Yuga, we are telling you here today,

Seeing his such desire, Lord Shri Krishna asked him to go to the forest and said that whatever you see on it, come and tell me in detail what you saw on it,

Saying this, the five Pandavas went to the forest, roamed in the forest from morning till evening and went to Lord Shri Krishna in the evening, after that what they tell God one by one,

First of all asked the eldest brother Yudhishthira what did you see, then he told that I saw a 2 trunked elephant, and told that many animals were following him,

On this, Lord Shri Krishna said that in Kaliyuga such people will rule who will have two faces, that is, they will say something else and will do something else, these people will exploit every type of human being,


After this Bhima told that he saw a cow in the forest which was licking its calf so much that blood came out of it, on this Lord Krishna said that in Kaliyuga people will be like this, who forget everything behind their love. Will go, in Kaliyuga a man will be such that if someone's son becomes a monk, then everyone will see him and touch his feet, and if his own son becomes a monk, then he will be sad, in Kaliyuga, people will keep their children so tied in illusion, due to which Its development will stop, and after this God explained the meaning and said that your sons are not yours but their wives' trust and your daughter is their husband's trust, and this body of yours is the trust of death,



After this Arjun told that he saw a bird on whose wing the compositions of the Vedas were written, but he was eating the flesh of another animal, hearing this, God laughed and told that there will be such people in Kaliyuga who will be called scholars, but His intention from inside would be that who should die soon and his property should be usurped.


No matter how big a person is, but his thinking and vision will always be to grab the money of others, the real peace will be someone,

After this Nakul told that he saw in the forest that a very heavy rock fell from the mountain and even the biggest trees could not stop him, but then suddenly he stopped after hitting a small tree,

On this, God said that in Kaliyuga, the intellect of man will be destructive, it will fall and to stop it, even big trees like money or centenary will not be able to stop it, but one who chants Harinam, it will stop its destruction.


After this, Sahadev saw a bunch of very big wells where there were many wells in one place, Sahadev saw that the middle well is empty and it is also the deepest, Sahadev was surprised to see this,

On this, Shri Krishna told that in Kalyug, human beings will be such that they will spend a lot of money in different types of work like marriage, festivals, but if someone really needs money, then they will not give it, and in Kaliyuga, the person who helps everyone. He will always be alone, people will call him wrong, which you see today and this work is being done with parents today,

So friends, these were the five truths of Kalyug which were already told by Lord Shri Krishna and are becoming true today.







God

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