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भगवान जननाथ को क्यों लगता है हर रोज बाजरे की खिचड़ी का भोग ? Why does Lord Jannath feel that Bajra khichdi is enjoyed everyday?
Story of Lord Krishna and Stolen Clothing , भगवान श्री कृष्ण और चोरी के वस्त्र की कहानी
When Lord Shiva himself came to Kedarnath Dham to meet the devotee , जब केदारनाथ धाम पर भगवान शिव खुद आये भक्त से मिलने
Power of true mentorship , सच्चे गुरु की शक्ति
In which house daughters are born ? बेटियों के जन्म के लिए कैसे घर को चुनते हैं भगवान ? किसके घर पर पैदा होती है बेटियाँ ?
दोस्तों हम MODERN तो बहुत हो गए लेकिन आज भी हम में से बहुत सारे घर ऐसे है जो लड़की के पैदा होने पर खुशी नहीं मनाते बल्कि अंदर ही अंदर दुःख में डूब जाते है , और ये एक सामाजिक बुराई है , क्योकि स्त्री ,पुरुष , लड़का लड़की मानव के 2 ऐसे रूप है जिनके बिना इस दुनिया का चलना असंभव है ,
बस यही बात हमे समझनी चाहिए , आइये आज हम आपको बताते है की किन घरो में ज्यादा लड़किया पैदा होती है , आपको ये जानकर हैरानी होगी की पुराणों के अनुसार लड़की का जन्म भाग्यशाली इंसानो के घर पर ही होते है , जिन्होंने अपने पूर्व जन्म में पुण्य कर्म किये होते है , आपको बता दे की लड़की को साक्षात् लक्ष्मी का रूप माना जाता है ,
इसी के बारे में हम आज आपको भगवन श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच का संवाद बताते है , जिसमे अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से अर्जुन पूछते है की हे माधव यह बताए की किन घरो में बेटियों का जन्म होता है , किन घरो पर भगवान और माँ लक्ष्मी की कृपा होती है जिससे उनके घर में लड़कियों का जन्म होता है ,
भगवान श्री कृष्ण कहते है की बेटियों का जन्म सौभाग्य से होता है ,और भगवान बेटियाँ उन्ही घरो में देते है जो बेटियों का भार सहन कर सके , जब भगवान किसी के घर में बेटी देता है तो उसके भरण पोषण के लिए उसके माँ बाप के भाग्य में खुशिया लिकता है ,
क्योकि ये बेटियाँ ही होती है जो हर किसी के भाग्य में नहीं होती और ये बेटियाँ ही होती है जो इस सृष्टि को चलाए रखने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है , अपने घर ,अपने माता पिता , अपनी सखी सहेलिया सब छोड़ एक अनजान घर में जाती है , पुरुष जरा सोच के देखे , इसे सोचने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते है की जिस घर में वो पले बड़े हुए है , अपने माता पिता को उन्हें छोड़ कर जाना है , यही सोच अगर आपको समज आती है तो आप लड़कियों का इस श्रस्टि में योगदान समझ सकते है ,
हे अर्जुन बेटियों का जन्म रुक जाना मतलब इस सृस्टि का जाना है , हमारे समाज में कई ऐसी धारणाए है जो बिलकुल गलत है , इनमे से एक यह है की किसी की मृत्यु हो जाने पर बेटियाँ या बहु उसका पिंड दान नहीं कार सकती जबकि आपको पता होगा की रामायण में भी जब भगवान राम के पिता दशरथ की मृत्यु हो जाती है तो राजा दशरथ ने खुद माता सीता के स्वप्न में आकर उनसे पिंड दान की इच्छा जाहिर की थी क्योकि उस वक्त वो भगवान श्री राम के साथ वन में थी तो उन्होंने वही से जो भी उनसे हुआ स्वपन में ही उनका पिंड दान किया जिसके बाद भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ को इस दुनिया से मुक्ति मिल गयी ,
अगर आपके घर में बेटी है तो आप ये भली भाती जानते होंगे की एक बेटी , बेटे से कहि ज्यादा माता पिता से प्यार करती है ,
आपको एक और कहानी सुनाते है , एक बार काफी दिनों बाद दो दोस्त आपस में मिलते है , दोनों एक दूसरे से अपना हाल चाल पूछते है ,
इस पर एक दोस्त दूसरे से कहते है की मेरे हाल बहुत बढ़िया है क्योकि मेरे घर 2 बेटे है , और अपने दोस्त से पूछा तेरे घर मे कितने बच्चे है , तब उसका दोस्त ख़ुशी से बोला की मेरे घर मे 2 बेटियाँ है , इस पर पहला दोस्त भगवान का धन्यवाद करते हुए कहते है की मेँ धन्य हूँ की मेरे घर 2 बेटे है और कोई बेटी नहीं है ,
यह सुनकर बेटियों के पिता के आँखों मेँ आंसू आ गए , इतने देर मेँ उसकी बेटी बोल पड़ती है की चाचा भगवान हमेसा उसी इंसान को बेटी देते है जो भाग्यशाली हो , कभी भी किसी ऐसे पुरुष के घर मेँ बेटी नहीं देते जो मन से गरीब हो , और ऐसे आदमी को भगवान बेटियों के रूप मेँ कभी भी लक्ष्मी नहीं देते ,
इसी के लिए स्वामी विवेकानद का किस्सा भी भी बहुत ज्यादा प्रशिद्ध है , एक बार की बात है की स्वामी विवेकानद माता वैष्णो देवी की चढ़ाई चढ़ रहे थे , तभी उन्होंने देखो की एक कमजोर सा किसान अपनी बेटी को अपने कंधे पर बिठाए चढाई चढ़ रहा था ,
स्वामी विवेकानद ने उन्हें देखा और कमजोर किसान को देखते हुए बोले की भाई आप अपनी बच्ची को मुझे दे सकते हो और इसे लेकर मेँ चढ़ाई चढ़ जाता हूँ आप मेरे साथ साथ चले , आपको बोझ लग रहा होगा , इस पर किसान ने कहा की आपने पूछा इसके लिए धन्यवाद , लेकिन श्रीमान में आपको बताना चाहता हूँ की , बेटियाँ कभी भी बाप के कंधे पर बोझ नहीं होती , बेटियाँ अगर बाप के कंधे पर हो तो वो हर बोझ को हल्का कर देती है ,
तो दोस्तों बेटी के होने पर जासं मनाए , मिठाई बाटे क्योकि भगवान ने आपके भाग्य को बदलना शुरू कर दिया है , और माता लक्ष्मी खुद आपके घर आयी है ,
किसके घर पर पैदा होती है बेटियाँ ?
Why is sex, sexuality considered the biggest sin ? कामवासना , कामुकता को क्यों सबसे बड़ा पाप माना गया है ?
कामवासना , कामुकता को क्यों सबसे बड़ा पाप माना गया है ,
आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है , ये एक ऐसी आदत है जो किसी भी राजा , असुर और यहाँ तक की देवताओ के भी पतन का कारण बनी है , ऐसा व्यक्ति दिन रात सब कुछ भूल जाता है और उसका ध्यान सिर्फ एक ही तरफ लगा रहता है , तो काम वासना के बारे में दिन रात सोचने से क्या होता है ,
चाणक्य निति में कामुकता के बारे में विस्तार से बताया गया है , आचार्य चाणक्य कहते है की कामवासना के सामान दुनिया में कोई रोग नहीं है, मोह के सामान कोई शत्रु नहीं , क्रोध के समान कोई अग्नि नहीं , और ज्ञान से बड़ी सुख देने वाली कोई और वस्तु नहीं , आचार्य चाणक्य कहते है की जो मनुष्य कामवासना से लिप्त हो जाता है उसके दिमाग में कोई और बात आ ही नहीं सकती वह औरत हो या पुरुष उसके दिमाग मे हमेशा विपरीत लिंग के लिए ही भावनाए जाग्रत होती रहती है , आचार्य चाणक्य का कहना है की कामवासना आपके शरीर तक रहती है तो ठीक है लेकिन जब ये आपके दिमाग पर असर करने लगती है तब आपका विनाश निश्चित है ,
ऐसा पुरुष या फिर स्त्री पर पुरुष की और भी आकर्षित रहते है और इससे उनके दाम्पत्य जीवन पर भी असर पड़ता है ,
इसके बाद चाणक्य समझाते हुए कहते है की की शरीर के किसी भी अंग को अगर बहुत ज्यादा महत्व देना चाहिए तो वो हमारा दिमाग है और इससे अलग कोई नहीं ,
चाणक्यनीति की तरह ही ययाति ग्रन्थ मे भी कामुकता के बारे मे उल्लेख मिलता है , इस ग्रन्थ के अनुसार राजा ययाति 1000 वर्षो तक भोग विलाश मे लिप्त रहे लेकिन इसके बाद भी उन्हें तृप्ति या शांति नहीं मिली , इसके बाद जब गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें वृद्ध , बड़े हो जाने का श्राप दिया तो वो कुछ विद्याओ के द्वारा अपने छोटे पुत्र की जवानी लेकर कई वर्षो तक काम वासना मे लिप्त रहे ,
लेकिन कुछ समय पश्चात जब उन्हें लगने लगा की इससे भी उनकी तृप्ति नहीं हो रही है तो उन्हें अपने आप से घृणा होने लगी और उन्होंने अपने पुत्र का यौवन लौटा दिया , और खुद वैराग्य धारण कर लिया ,
इसके बाद उन्होंने कहा की हम भोग नहीं भोगते , बल्कि भोग ही हमें भोगते है , हम तप नहीं करते बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गए है , काल कभी समाप्त नहीं होता हम समाप्त हो जाते है , और तृष्णा जीर्ण नहीं हुयी है हम ही जीर्ण हुए है ,
Signs Show Before Death | Garud Puran | ये 10 लक्षण दिखे तो समझ जाएँ आपकी मृत्यु निकट है !
दोस्तों मृत्यु एक ऐसा शब्द है जिससे हर प्राणी को डर लगता है फिर चाहे को इंसान हो या जानवर , लेकिन जन्म और मृत्यु तो जीवन का सत्य है लेकिन हम में से किसी को भी अपनी मृत्यु का समय नहीं पता होता लेकिन कुछ महान विद्वानों ने इसके इसके ऊपर बहुत अध्यन किया , और गरुड़ पुराण में भी इसके बारे में बताया गया है , जिसके अंदर दस ऐसे संकेत बताये गए है की अगर वो आपको दिखे या आपके साथ होते है तो समझ लेना मृत्यु निकट ही है , तो आइये जानते है इन सभी संकेतो के बारे में ,
1 . अपनी परछाई ना दिखना :
दोस्तों आमतौर पर आपने देखा होगा की आपको किसी भी रौशनी के सामने कड़े होने पर अपनी परछाई दिखाई देती है , ये रौशनी कोई भी हो सकती है। लेकिन मृत्यु से कुछ दिनों पहले आपको अपनी परछाई दिखनी बंद हो जाएगी , आप अपनी परछाई को तेल और पानी में भी देख सकते है , अगर आपकी परछाई आपको तेल और पानी में दिखनी बंद हो जाए तो समझ जाइये की अंतिम समय बहुत ही करीब है ,
2 . इन्दिर्यो का ना दिखाई देना :
अगर आपको अपनी नाक की नौक दिखाई देनी बंद हो गयी है , या आँखों के पालक ऊपर की तरफ मुड़ने लगे तो समझ लीजिए की उलटी गिनती शुरू हो गयी है , ऐसे व्यक्ति का मुँह लाल और जीब भी दिन पर दिन काली होती जाती है ,
3 . पूर्वज या पितर का दिखना :
जब कोई अत्यधिक बीमार होता है और उसे उनके पूर्वज या पितर दिखाई देने लगे तो समझ लेना उनके पास जाने का समय आ गया है ,
4 . चन्द्रमा यानि चाँद का खंडित दिखना :
कई बार मनुष्य को एक ही चांद्रमा अलग अलग हिस्सों में दिखाई देने लगता है लेकिन वास्तव में ऐसा उसी व्यक्ति को दीखता है जिसकी मृत्यु नजदीक होती है ,
5 . शरीर से अलग तरह की बदबू आना :
गरुड़ पुराण के अनुसार अगर किसी मनुष्य के शरीर से अजीब सी सड़ने जैसी बदबू आनी शुरू हो जाए और उसे दीपक के जलने की खुसबू आनी बंद हो जाए तो समझ लेना चाहिए मृत्यु में कुछ ही दिन बचे है ,
6 . भोजन करने के बाद भी भूख लगे रहना :
जिस व्यक्ति की मृत्यु नजदीक होती है वह भोजन करने के बाद भी और खाने की इच्छा रखता है , बार बार अपने दातो को आपस में रगड़ता है , 24 घंटे भय बना रहता है और ऐसा लगता है की जैसे उसके आस पास कोई और भी है तब समझ लेना की आस पास घूमने वाला कोई और नहीं बल्कि यमदूत है और वो जल्द ही उसे लेकर जाएंगे ,
7 . सपनो के संकेत :
अगर कोई व्यक्ति सपने में ऊंट या फिर गधे पर बैठकर दक्षिण दिशा में चल पड़े तो समझ लेना की उसकी मृत्यु किसी भी वक्त हो सकती है , सपने में अपने आप को कीचड़ में धसा देखना , सवपन में खुले बल वाली स्त्री , अंगारे , अग्नि , राख , सांप , और सुखी नदी ये दिखना भी मृत्यु के संकेत है ,
8 . उलटी और मूत्र में दिखने लगे सोना : जिस व्यक्ति को सपने में अक्सर उलटी और मूत्र में धन सोना चाँदी दिखाई देने लगे उसकी उम्र 10 महीने से ज्यादा नहीं रहती , ऐसे व्यक्ति को प्रेत , पिसाच और सोने के पेड़ भी दिखाई देने लागते है
9 . जब कोई स्त्री ले जाए :
अगर सपने में कोई स्त्री लाल या काले कपडे पहने हुवे किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा की और ले जाए तो समझ लेना मृत्यु में ज्यादा दिन नहीं बचे है ,
10 . जब शीशे में अपने चेहरे के पास दिखे कुछ ऐसा : जब आप शीशा देखे और आपको अपना ही चेहरा धुंदला दिकहि दे , या अपने चहरे की जगह कोई और चेहरा हँसता हुआ दिखाई दे तो समझ लेना बस कुछ ही दिन हो इस धरती पर।
दोस्तों ये सभी बाते गरुड़ पुराण में बताई गयी है , हम इनमे से किसी भी बात को सच या झूठ होने का कोई समर्थन नहीं करते ,
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भगवान शिव ने क्यों भगवान विष्णु के पुत्रो का संघार किया , क्यों भगवान शिव ने विष्णु के सभी पुत्रो को मारा ,
नमस्कार दोस्तों आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की भगवन शिव ने क्यों भगवान विष्णु के पुत्रो का संघार किया , क्यों भगवान शिव ने विष्णु के सभी पुत्रो को मारा ,
ऋषभ अवतार , बहुत काम लोग इसने बारे में जानते है , भगवान शिव ने विष्णु के पुत्रो को मारने के लिए ऋषभ अवतार लिया लेकिन ऐसा क्या हुवा की था जिसके कारन भगवान शिव को ये निर्णय लेना पड़ा ,
भगवान शिव के ऋषभ अवतार का वर्णन शिव महापुराण में मिलता है , जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओ और दानवो में भीषण युद्ध हुआ तब दानवो यानि राक्षसो से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहनी अवतार लिया था ,
कहा जाता है की भगवान विष्णु का ये मोहनी अवतार इतना आकर्षक था की कोई भी प्राणी , जैसे देवता , दानव या फिर इंसान जो भी इस रूप को देख लेता था वो उन्हें पाने की कामना करने लगता था , और इसी आकर्षण को देखते देखते राक्षश अमृत का मोह भूलकर मोहनी के मोह में फस गए , और इसी आकर्षण के चलते मोहनी ने राक्षसो को अमृत की जगह साधारण जल पीला दिया ,
अचानक से उन राक्षसो को पता चला की उनके साथ छल हुआ है तो उन्होंने देवताओ पर आक्रमण कर दिया , और हर बार की तरह इस बार भी भगवान विष्णु ने देवताओ को बचा लिया , और दानवो का संहार करना शुरू कर दिया ,
यह देख कर राक्षस पाताल लोक की और भागने लगे लेकिन भगवान विष्णु ने उनका पीछा किया , और पाताल लोक जा पहुंचे और सभी राक्षस जाती का अंत कर दिया ,
वही पर भगवान विष्णु ने देखा की कुछ अप्सरा बंदी गृह में बंद है जिन्हे इन दानवो ने बंदी बनाकर रखा था , भगवान विष्णु ने इन सभी को वह से मुक्त कराया , यहाँ जितनी भी अप्सरा कैद थी ये सभ भगवान शिव की भक्त थी ,
जिन्होंने भगवान शिव से वरदान माँगा था की विष्णु उनका स्वामी बने , भगवान शिव का पाताल लोक जाना और इन अप्सराओ को छुड़ाना ये सभी भगवान शिव की माया ही थी ,
वही अप्सराओ के कहने पर भगवान शिव इन सभी अप्सराओ के स्वामी बने , और ऐसा होने के बाद भगवान विष्णु वैकुण्ठ धाम छोड़ पाताल लोक में रहने लगे , कुछ समय बाद इन सभी अप्सराओ ने भगवान विष्णु के पुत्रो को जन्म दिया ,
लेकिन दुर्भाग्यवश ये पुत्र भगवान विष्णु की तरह न होकर असुर , दानव परवर्ती के थे , और जैसे जैसे भगवान विष्णु के ये पुत्र बड़े हुवे तो इन्होने लोगो पर , देवताओ पर , स्त्रियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया ,
तीनो लोक भगवान शिव के इन पुत्रो से बचने के लिए इधर उधर भागने लगे , इसके बाद ऋषि और देवता भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुंचे , और इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रार्थना की , इसके बाद भगवान शिव ने ऋषभ अवतार लिया , यह अवतार एक भयानक 4 पैर वाला जानवर था , और यह ऋषभ अवतार सीधे पाताल लोक जा पंहुचा और दानवो से युद्ध शुरू किया , लेकिन कुछ ही समय में ऋषभ अवतार ने विष्णु के सभी पुत्रो का वध कर दिया ,
जब ये बात भगवान विष्णु को पता चली की उनके पुत्रो को एक बैल ने मार डाला तो वो क्रोधित हो गए और उसे मारने के लिए उसके पीछे दौड़े , ऐसे में ऋषभ और भगवान विष्णु के बीच भयंकर युद्ध हुआ , दोनों ही देवता थे तो किसी भी हार अनिश्चित थी , ये युद्ध काफी लम्बे समय तक चला और इसके बाद भगवान विष्णु को ये आभास हुआ की ये कोई साधारण बैल या कोई साधारण अवतार नहीं बल्कि ये स्वयं भगवान शिव का अवतार है , ऐसा समझते ही भगवान विष्णु ने अपने हथियार फैक दिए , और उन्होंने युद्ध के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी , जिसके बाद भगवान शिव ने अपने वरदान के बारे में सबकुछ बताया ,
इसे सुनकर भगवान विष्णु ने भगवान शिव को नमस्कार किया और वैकुण्ठ लोट गए ,
तो दोस्तों ये था भगवान शिव के बहगवां विष्णु के पुत्रो को मारने का वर्णन , अगर आपको इससे कुछ भी ज्ञान या knowledage हुयी है तो इस पोस्ट को like और share करे .
महान शिव भक्त क्यों बन गए अघोरी , क्यों रहते है शमसान में , क्या है इसके पीछे की कहानी ?
नमस्कार दोस्तों ...
दोस्तों इस पोस्ट में बात करेंगे की कैसे एक शिव भक्त एक शाप के कारन अघोरी बन गया , अघोरी मतलब वो साधु शांत जो शमशान में पूजा करते है और सिद्धि प्राप्त करते है , आखिर ये शमशान में ही पूजा क्यों करते है ,
सबसे पहले हम आपको बताते है की अघोरी कौन होते है और इन्हे अघोरी क्यों कहा जाता है , आपको बता दे की अघोरी विद्या डरावनी नहीं होती बस उसे पाने का तरीका डरावना होता है , अघोरी का साधारण भाषा में हम उसे भी कहते है जो सरल हो , जिसमे किसी तरह का भेदभाव न हो जो सबको एक सामान देखता हो ,
इसलिए अघोरी हर वो काम करता है जिससे आम मनुष्य को भय यानि डर होता है या जिससे आम मनुष्य भेद भाव करते है , एक अघोरी साधु खुले आम या चोरी छिपे शमशान में रहते है , कहा जाता है की अघोरी कच्चा और सड़ा गला मांश भी खा जाते है ,और इसके पीछे उनका तर्क यह होता है की उनके लिए कोई भी चीज़ अच्छी या बुरी नहीं , न ही कोई वास्तु गन्दी या खूबसूरत नहीं ,
और कोई भी मनुष्य तभी अघोरी बन सकता है जब वो अपने मन से घृणा को निकाल दे , अर्थात अघोरी वही बन सकता है जिसके अंदर प्रेम , घृणा , मोह , लाभ , लालच कुछ ना रहे , इनके ह्रदय के अंदर किसी भी सांसारिक चीज़ के लिए कोई जगह नहीं होती और जगह होती है तो फिर शिव के लिए , तो अब बात ये उठती है की जब ये शिव भक्त है तो इन्हे अघोरी क्यों कहा जाता है ,
इसका वर्णन शिव पुराण में किया गया है जिसके अनुसार भगवन शिव के ससुर प्रजापति दक्ष एक बार एक सभा में गए जहा एक हवन का आयोजन होना था , जैसे ही प्रजापति दक्ष आयोजन में पहुंचे तो सभी उनके सम्मान में खड़े हो गए , लेकिन ब्रह्मा देव और भगवानशिव अपने अपने स्थान पर बैठे रहे , ये देखकर दक्ष को बहुत गुस्सा आया इसलिए उन्होंने जब सोचा की ब्रह्मा देव तो मेरे पिता है इसीलिए वो मेरे आदर के लिए खड़े नहीं हुए , परन्तु शिव तो मेरी बेटी का पति है इसलिए उसे मेरे सम्मान में खड़ा होना चाहिए था , ये सोचकर दक्ष ने हाथ में जल लिया और भगवान शिव के ऊपर फेकते हुवे श्राप दे दिया और कहा की आज से शिव किसी भी यग के भागी नहीं होंगे , और ऐसा कहकर दक्ष वहां से चले गए , ऐसा सुनकर भगवान शिव ने कुछ नहीं कहा लेकिन इस पर भगवान शिव के वाहन नंदी को बहुत क्रोध आया ,
इस पर उसने भी कहा की दक्ष ने शिव को एक साधारण मनुष्य समझते हुए शाप दिया है तो में भी यहाँ उपस्थित समस्त ब्राह्मणो को ये शाप देता हूँ की आप सभी ज्ञान रहित हो जाएंगे , और भूख मिटाने के लिए आपको घर घर भिक्षा मांगनी होगी , वही सभा में ऋषि भृगु बैठे हुए थे उन्हें भी इस शाप को सुनकर क्रोध आ गया और उन्होंने भी श्राप दे दिया की जो भी भगवान शिव का भक्त बनेगा वे सभी वेद सस्त्रो के अनुसार ढोंगी और पाखंडी कहलाएंगे , वो जटा धारण करेंगे , शरीर में भसम लगाएंगे , और ये सभी शिव भक्त मांस मदिरा का सेवन भी करेंगे और इनका निवास स्थान भी शमसान होगा , और दोस्तों ऋषि भृगु के इसी श्राप के कारन भगवान शिव का अघोरी रूप सबके सामने आया , जिसके बाद उनके भक्तो को भी अघोरी कहा जाने लगा ,
महान शिव भक्त क्यों बन गए अघोरी , क्यों रहते है शमसान में , क्या है इसके पीछे की कहानी ?