एक बार की बात है। एक गांव में रघु नाम का आदमी रहता था । वह हमेशा परेशान रहता था । वह सारा दिन यही सोचता रहता था कि उसका भविष्य में क्या होगा? वह अपनी जिंदगी में कहां तक पहुंच पाएगा ? उसे समझ नहीं आता कि वह ऐसा क्या करें ? जिससे वह अपने आने वाले कल को अच्छा कर सकें।इसीलिए वह हर रोज मंदिर जाकर भगवान से कहता कि मैं ऐसा क्यों हूं । मेरी जिंदगी की क्या कीमत है ?वह हर रोज बस यही सवाल पूछता और गुस्सा होकर अपने घर की ओर वापस आ जाता । एक दिन भगवान को उस पर दया आई और उसके सामने प्रकट हो गए । उसने भगवान को हाथ जोडकर प्रणाम किया और फिर यही सवाल पूछा कि भगवान मेरी जिंदगी की क्या कीमत है। मैं अपने जीवन को लेकर इतना दुखी क्यों रहता हूं। आपने मुझे ऐसी जिंदगी क्यों दी। तो भगवान ने रघु को एक पत्थर देते हुए कहा कि जाओ इसको सामने वाली दुकान पर बेच कर आओ । अगर तुम से किसी ने पूछा कि इसका क्या मोल है ? तो कुछ मत कहना बस अपने हाथ की दो अंगुलिया उठा देना । रघु ने ऐसा ही किया वह सामने की दुकान पर गया और वहां पर खड़े दुकानदार को वह पत्थर दिया और कहा कि क्या आप यह पत्थर खरीदना चाहोगे ? तो दुकानदार ने उस पत्थर को देखा और तुरंत जवाब दिया कि यह पत्थर मेरी बीवी के बगीचे में काम आ सकता है। मैं इसको जरूर खरीद लूंगा । लेकिन तुम इस पत्थर के कितने दाम लोगे ? रघु कुछ नहीं बोलता और अपनी दो उंगली उठा देता है । तभी दुकानदार कहता रु 20 कोई बात नहीं । मैं इस पत्थर को खरीद लूंगा । परंतु रघु उस पत्थर को नहीं बेचता और उसको लेकर के वापिस भगवान जी के पास चला जाता है। और कहता है कि वह सामने वाला दुकानदार इसको रु 20 में खरीदना चाहता है । तभी भगवान कहते हैं कि जाओ अब तुम इस पत्थर को बाजार में लेकर जाओ और बेच कर आओ । वो फिर से भगवान जी का कहना मानकर बाजार में जाता है और वहां पर एक दुकान में जाकर दुकान के मालिक से कहता है कि मैं इस पत्थर को बेचना चाहता हूं । तो मालिक उस पत्थर को लेता है और कुछ समय तक बड़े गौर से देखता है । और कहता है कि यह पत्थर बहुत अच्छा है । मेरे पास ऐसा एक भी पत्थर नहीं है । ये पत्थर मेरे कागजों को उड़ाने से बचाने में काम आएगा । मैं यह पत्थर जरूर खरीद लूंगा । तुम बताओ तुम इस पत्थर की क्या कीमत लोगे ? तभी रघु अपनी दो उंगलियां उठा देता है और दुकानदार कहता है कि ₹2000 । दुकान का मालिक कहता है कि वैसे तो इस पत्थर के लिए 2000 ज्यादा कीमत है पर फिर भी मैं यह लेने को तैयार हूं । क्योंकि यह पत्थर देखने में बहुत ही सुंदर लग रहा है। रघु हैरान हो जाता है । और पत्थर लेकर वापिस भगवान जी के पास आ जाता है । और कहता है कि बाजार का दुकानदार मुझसे यह पत्थर 2000 रुपए में खरीदने के लिए राजी हो गया है । भगवान मुस्कुराते हुए कहते हैं कि अब तुम इस पत्थर को लेकर शहर के सबसे बडे जौहरी के पास जाओ और उसे ये पत्थर बेच कर आओ । रघु कहता है कि जब बाजार का दुकानदार इस पत्थर को लेने के लिए तैयार हो गया है तो फिर जौहरी के पास जाने की क्या जरूरत है ? तभी भगवान जी कहते हैं कि तुम जाओ तो सही । रघु भगवान जी के कहे अनुसार शहर के सबसे बड़े जौहरी के पास जाता है । वहां जाकर वो उनके सामने वह पत्थर रख देता है । जौहरी जैसे ही उस पत्थर को देखते हैं । वे बहुत ज्यादा चौंक जाते हैं और उस पत्थर को हाथ में लेकर बड़े ध्यान से देखने लगते हैं । जौहरी को इस तरह देखकर रघु को थोड़ा अजीब लगता है । इसीलिए रघु जौहरी से पूछता है कि आप इस पत्थर को इस तरह क्यों देख रहे हैं ? तभी जौहरी रघु से कहते हैं कि तुम्हें यह पत्थर कहां से मिला है ? यह विश्व के सबसे कीमती पत्थरों में से एक है । और यह पत्थर सिर्फ इकलौता ऐसा पत्थर है जो कहीं भी नहीं मिलता । इस पत्थर से करोड़ों के आभूषण बन सकते हैं ।मैं इस पत्थर को खरीदना चाहता हूं । तुम इसकी क्या कीमत लोगे ? तभी रघु कुछ नहीं कहता और अपने दो उंगली उठा देता है और जोहरी कहता है दो करोड़ । ठीक है मैं इस पत्थर के दो करोड़ देने को तैयार हूं । जोहरी की इस बात को सुनकर रघु के पैरों तले जमीन खिसक जाती है । और उसको विश्वास नहीं होता ।इसीलिए वह उस पत्थर को लेकर भगवान जी के पास जाता है और कहता है कि ऐसा कैसे हो सकता है । वह जौहरी इस पत्थर को खरीदने के लिए 2 करोड रुपए देने को तैयार हो गया । तभी भगवान जी मुस्कुराते हैं और कहते हैं कि क्या अब तुम्हें अपनी जिंदगी की कीमत समझ में आई ? पर रघु कुछ भी नहीं समझ पाता । इसीलिए भगवान उसे कहते हैं कि रघु तुम्हारी जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि तुम अपने आप को किस स्थान पर रखते हो । अगर तुम अपने आप को एक छोटे स्थान पर रखोगे । तो तुम्हारी कीमत उसके अनुसार होगी । लेकिन अगर तुम अपने आप को जोहरी के जैसे बड़े स्थान पर रखोगे तो तुम्हारी कीमत उसके अनुसार ही होगी । तो जिंदगी में हमेशा बड़ा करने की सोचो और खुद को अच्छे लोगों और अच्छी संगति में रखो ताकि भविष्य में तुम एक नेक और कामयाब इंसान बन सको ।
Once upon a time. There lived a man named Raghu in a village. He was always upset. He used to think all day that what would happen to him in the future? How far will he reach in his life? He doesn't understand what to do? So that he can make his future better. That is why he would go to the temple every day and ask God why I am like this. What is the value of my life? He would ask this question every day and come back to his house in anger. One day God took pity on him and appeared before him. He bowed to God with folded hands and then asked the same question that God is the value of my life. Why am I so sad about my life? Why did you give me such a life? So God gave a stone to Raghu and said that go and sell it at the shop in front. If someone asked you what is it worth? So don't say anything, just raise two fingers of your hand. Raghu did the same, he went to the shop in front and gave that stone to the shopkeeper standing there and said would you like to buy this stone? So the shopkeeper saw that stone and immediately replied that this stone can be useful in my wife's garden. I will definitely buy this. But how much will you pay for this stone? Raghu does not say anything and raises his two fingers. Then the shopkeeper says Rs 20, no problem. I will buy this stone. But Raghu does not sell that stone and takes it back to Lord ji. And says that the shopkeeper in front wants to buy it for Rs.20. Then God says that go now you take this stone in the market and sell it. He again goes to the market obeying God ji and goes to a shop there and tells the owner of the shop that I want to sell this stone. So the master takes that stone and observes it very carefully for some time. And says that this stone is very good. I don't have a single stone like this. This stone will come in handy to save my papers from blowing up. I will definitely buy this stone. Tell me what will you cost for this stone? Then Raghu raises his two fingers and the shopkeeper says that ₹ 2000. The owner of the shop says that although the price of this stone is 2000 more but still I am ready to take it. Because this stone looks very beautiful to see. Raghu gets shocked. And with the stone comes back to Lord ji. And says that the shopkeeper of the market has agreed to buy this stone from me for Rs 2000. God smiles and says that now you go to the biggest jeweler of the city with this stone and sell this stone to him. Raghu says that when the shopkeeper of the market has agreed to take this stone, then what is the need to go to the jeweler? Only then God says that if you go then you are right. Raghu goes to the biggest jeweler of the city as per the instructions of Bhagwan ji. Going there, he puts that stone in front of them. As soon as the jeweler sees that stone. He is very much shocked and takes that stone in his hand and starts watching it very carefully. Raghu feels a bit strange seeing Johri like this. That's why Raghu asks the jeweler that why are you looking at this stone like this? Then the jeweler says to Raghu that from where did you get this stone? It is one of the most precious stones in the world. And this stone is the only stone which is not found anywhere. Jewelery worth crores can be made from this stone. I want to buy this stone. What will you cost for it? Then Raghu does not say anything and raises his two fingers and Johri says two crores. Well I am ready to give two crores of this stone. Hearing this from Johri, the ground slips under Raghu's feet. And he does not believe it. That's why he takes that stone and goes to Lord ji and says how can this happen. The jeweler agreed to pay Rs 2 crore to buy this stone. Then God smiles and says that now do you understand the value of your life? But Raghu cannot understand anything. That's why God tells him that Raghu, your life depends on where you keep yourself. If you put yourself in a small place. So your price will be accordingly. But if you put yourself in a big place like Johri then your price will be accordingly. So always think of doing big in life and keep yourself in good people and good company so that in future you can become a noble and successful person.