नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है। कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है।
स्वरूप:
इन देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं।
कथा:
जब दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब इससे चिंतित होकर सभी देवता शिवजी के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध करके अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। जब माँ दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
मां कालरात्रि पूजन विधि-
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। माता रानी को अक्षत, पुष्प, धूप, गंधक और गुड़ आदि का भोग लगाएं। मां कालरात्रि को रातरानी पुष्प अतिप्रिय है। पूजन के बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए। व अंत में आरती उतारें।
महत्त्व:
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि के सातवें दिन को दुर्गा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली माता हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है।
मां कालरात्रि का ध्यान-
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
Bhog of 7 days of Navratri,
On the seventh day of Navratri,
kaalratri mata aarti,
story of kaalratri mata,
Importance of Maa Kalratri,
Maa Kalratri Shloka,
Kalratri Mantra Sadhana,
Maa Kalratri is worshiped on the seventh day of Navratri. The color of Maa Kalratri is Krishna. They are called Kalratri because of Krishna Varna.
Form:
These goddesses have three eyes. All these three eyes are round like the universe. Fire keeps coming out of their breath. She rides on a donkey. Maa Kalratri has four hands. He holds a Khadga (Sword) in one hand, Iron weapon in the other, Varamudra in the third hand and Abhaya Mudra in the fourth hand.
Story:
When the demons Shumbh-Nishumbha and Raktabeej had created an outcry in the three worlds, all the deities, worried about this, went to Shiva and prayed for their protection. Lord Shiva asked Mata Parvati to protect her devotees by killing the demons. Mother Parvati took the form of Durga and killed Shumbha-Nishumbha by obeying Shiva. When Maa Durga put the demon Raktabeej to death, millions of Raktabeej demons were born from the blood that came out of her body. Seeing this, Durga created Kalratri with her brilliance. After this, when Maa Durga killed the demon Raktabeej and the blood coming out of his body, Maa Kalratri filled her mouth before falling on the ground. In this way, Maa Durga killed Raktabeej by slitting everyone's throat.
Maa Kalratri worship method-
Maa Kalratri is worshiped on the seventh day of Navratri. Offer Akshat, flowers, incense, sulfur and jaggery etc. to Mother Rani. Raatrani flower is very dear to Maa Kalratri. After the worship, the mantras of Maa Kalratri should be chanted. And finally perform the aarti.
Importance:
It is said that worshiping Maa Kalratri on this day fulfills all the wishes. The seventh day of Navratri is also known as Durga Saptami. On this day there is a law to worship Maa Kalratri. According to religious beliefs, Maa Kalratri is the destroyer of the wicked. According to astrologers, the special grace of Maa Durga remains on the devotees who worship Maa Kalratri.
Meditation of Maa Kalratri
Karalvandana Dhoran Muktkeshi Chaturbhujam.
kalratri karalinka divyaan vidyutmala vibhushitam॥