How did Sheikh get the name Sheikh Chilli? शेख का नाम कैसे पड़ा शेख चिल्ली ?

 कैसे पड़ा शेखचिल्ली का नाम 













शेखचिल्ली एक महान सूफी संत थे। मुगल बादशाह शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह उन्हें अपना गुरू मानते थे। शाहजहाँ भी उनके बहुत बड़े प्रशंषक थे।वास्तविकता में उनका नाम सूफी अब्द उर रज्ज़ाक था।

 इसके अलावा उन्हें अब्द उर रहीम, अलैस अब्द उर करीम, अलैस अब्द उर रज्जाक के नाम से भी जाना जाता था। वे

बलूचिस्तान के एक खानाबदोश कबीले में जन्मे, शेखचिल्ली को उनकी घुमक्कड़ी का शौक भारत में ले आया। शेखचिल्ली को न व्यवहारिकता की परवाह थी, न ही दिखावे में विश्वास करते थे। वे अपनी बात बड़ी ही ईमानदारी और सफाई से कह दिया करते थे। उनकी बातें इतनी खरी-खरी होती थी कि उसमें से हास्य उत्पन्न हो जाता था। उनकी सरलता और भोलापन भी लोगों को हँसने पर विवश कर देता था । इस कहानी में हम आपको शेखचिल्ली के बचपन में ले जायेंगे। इसमें उस समय की उस घटना का वर्णन है, जहाँ से उनका नाम शेखचिल्ली पड़ गया। 

शेखचिल्ली की पैदाइश शेख परिवार में हुई थी। पिता के निधन के बाद उनकी माँ ने बेहद ग़रीबी में उनकी परवरिश की। ग़रीबी के बावजूद माँ उसे अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहती थी। इसलिए उसका दाखिला गाँव के एक मदरसे में करवा दिया।  वह रोज़ मदरसे में जाने लगा और मौलवी से तालीम लेने लगा। मदरसे में गाँव के कई बच्चे आया करते थे। शेख परिवार से ताल्लुक होने के कारण वे सभी उसे ‘शेख” पुकारा करते थे। मौलवी साहब ने एक दिन पढ़ाया, “लड़की के लिए जाती है, तो लड़का के लिए जाता है. लड़की के लिए  खाती है, तो लड़का के लिए खाता है।” सारे बच्चों के पीछे-पीछे दोहराया, “लड़की जाती है, तो लड़का जाता है. लड़की खाती है, तो लड़का खाता है”


फिर मौलवी ने सबसे पूछा, “आया समझ में.”


सबने “हाँ” में अपना सिर हिलाया, शेख ने भी।


शाम को मदरसे से वापस घर जाते समय शेख को किसी लड़की के चिल्लाने की आवाज़ आई। वह भागा-भागा आवाज़ की दिशा में गया। वहाँ उसने देखा कि एक लड़की तालाब में डूब रही है और मदद के लिए पुकार रही है। अकेले उसे तालाब से बाहर निकाल पाना शेख के बस के बाहर था। वह दौड़ता हुआ मदरसे के साथियों के पास गया और बोला, “एक लड़की चिल्ली रही है। जल्दी चलो।” किसी को भी समझ नहीं आया कि शेख कहना क्या चाहता है। लेकिन वे उसके साथ तालाब पर पहुँच गए। जब उन्होंने एक लड़की को डूबते हुए देखा, तो उसकी मदद कर उसे बाहर निकाला। तालाब से बाहर निकलने के बाद भी वह रोना-पीटना मचाती रही। उसे देख शेख बोला, “देखो, अब भी कितना चिल्ली रही है। अरे, अब चुप भी हो जा।” बार-बार ‘चिल्ली’ सुनकर शेख के साथी तंग आ चुके थे। वे बोले, “शेख, तू बार-बार "चिल्ली रही है, चिल्ली रही है " क्यों कह रहा है?” तो शेख ने कहा 

“अरे मौलवी साहब ने ही तो सिखाया था। लड़के के लिए ‘जाता है’, लड़की के लिए ‘जाती है’। वैसे ही लड़के के लिए ‘चिल्ला’ रहा है और लड़की के लिए ‘चिल्ली’ रही है।” उसकी मूर्खतापूर्ण बात सुनकर सब जोर जोर से हँसने लगे। उस दिन के बाद से सब उसे ‘चिल्ली-चिल्ली’ चिढ़ाने लगे और बाद में यह ‘चिल्ली’ शेख के साथ जुड़ गया और वो ‘शेखचिल्ली’ कहलाने लगा।


How did Sheikh get the name Sheikh Chilli?

How did sheikhchilli got its name?

Sheikhchilli was a great Sufi saint. Dara Shikoh, the son of the Mughal emperor Shah Jahan, considered him as his guru. Shah Jahan was also his great admirer.

Actually his name was Sufi Abd ur Razzaq.

Apart from this, he was also known as Abd ur Rahim, Alas Abd ur Kareem, Alas Abd ur Razzaq. they


Born into a nomadic tribe in Balochistan, Sheikhchilli's passion for traveling brought him to India. Shekhchilli neither cared for practicality, nor did he believe in appearances. He used to say his point very honestly and clearly. His words were so honest that humor came out of it. His simplicity and innocence also compelled people to laugh. In this story we will take you back to the childhood of Sheikhchilli. It describes the incident of that time, from where he got his name Sheikhchilli.


Sheikhchilli was born in a Sheikh family. After the death of his father, his mother raised him in extreme poverty. Despite the poverty, the mother wanted him to get a good education. So he got him enrolled in a madrassa in the village. He started going to madrassa everyday and took training from Maulvi. Many children of the village used to come to the madrasa. They all used to call him 'Sheikh' as ​​he belonged to the Sheikh family. Maulvi Sahib taught one day, “If it goes for the girl, it goes for the boy. Eats for the girl, eats for the boy." Repeated after all the children, “The girl goes, the boy goes. Girl eats, boy eats"




Then the Maulvi asked everyone, "I understand."




Everyone nodded their heads "yes", Shaikh too.




In the evening, on his way back home from the madrasa, Shaikh heard a girl screaming. He ran in the direction of the voice. There he saw a girl drowning in the pond and calling for help. It was beyond Shaikh's bus to get him out of the pond alone. He ran to the fellows of the madrasa and said, “A girl is screaming. Come fast." No one understood what Shaikh wanted to say. But they reached the pond with him. When he saw a girl drowning, he helped her out. Even after coming out of the pond, she kept on crying. Seeing her the sheikh said, "Look, how much she is still crying. Oh, shut up now." Sheikh's companions were fed up after hearing 'chilli' again and again. He said, "Sheikh, why are you saying "chilli rahi hai, chilli rahi hai" again and again? so the sheikh said


“Oh Maulvi Sahib, it was he who taught. For the boy 'goes', for the girl 'goes'. Similarly, there is 'chilla' for the boy and 'chilli' for the girl." Hearing his stupid words, everyone started laughing out loud. From that day onwards everyone started teasing him 'chilli-chilli' and later this 'chilli' got associated with Sheikh and he came to be called 'Sheikhchilli'.

Where is heaven? स्वर्ग कहा है ?













बहुत पहले की बात है विजयनगर नाम का एक राज्य था। वहां के राजा का नाम कृष्णदेव राय थे। वे अपनी प्रजा के लिए एक महान राजा थे। राजा कृष्णदेव के पास बुद्धिमान मंत्रियो की कोई कमी नही थी। पर तेनाली रामा सबसे तेज और बुद्धिमान मंत्री थे।  एक दिन  राजा कृष्णदेव ने भरी सभा में अपने सभी दरबारियों और उपस्थित लोगों से कहा की मैंने बचपन में सुना था कि स्वर्ग एक ऐसी जगह है जो की बहुत सुन्दर है।क्या कोई मुझे स्वर्ग दिखा सकता है? जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो राजा ने तेनाली राम से पूछा कि क्या तुमको भी नहीं पता की स्वर्ग कहां है? तेनाली ने कहा कि महाराज मै आपको स्वर्ग दिखा सकता हूँ लेकिन उसके लिए मुझे 10000 सोने के सिक्के और छह महीने का समय चाहिए। उसकी इस बात पर सभी दरबारी हंसने लगे। राजा ने कहा कि ठीक है तुमने जो माँगा है वह तुमको मिलेगा । यदि तुम छह महीने बाद स्वर्ग दिखाने में असमर्थ रहे तो तुमको सजा मिलेगी। तेनाली राजा की बात पर सहमत हो गया और 10000 सोने के सिक्के लेकर चला गया। इसके बाद छह महीने पुरे हो गए । राजा बड़े गुस्से में थे कि तेनाली अभी तक नहीं आया। लेकिन तभी तेनाली दरबार में पहुंच गया। राजा ने तेनाली से पूछा कि क्या तुमने स्वर्ग ढूँढ लिया है? तेनाली ने कहा , जी महाराज, मैंने स्वर्ग ढूंढ लिया है कल मै आपको स्वर्ग के दर्शन कराऊंगा। अगले दिन राजा अपने कुछ मंत्रियो के साथ तेनाली के साथ चल पड़े। तेनाली राम उनको दूर लेकर गए। कुछ समय बाद एक ऐसी जगह आयी जो  कि बहुत शांत और अच्छी थी। तेनाली ने कहा की महाराज आप यहाँ पर कुछ देर आराम कर लीजिये इसके बाद हम आगे स्वर्ग के लिए जायेंगे। राजा ने तेनाली की बात मानकर सेनिकों से कहा कि यहाँ पर मेरे आराम की व्यवस्था की जाये। इसके बाद सेनिको ने राजा के आराम करने के लिए तम्बू बना दिए। राजा ने एक मंत्री से कहा की कितनी अच्छी जगह है कितनी शांत है हरे भरे पेड़, नदी और पक्षियों की आवाज़। पहले किसी ने मुझको इस जगह के बारे में क्यों नहीं बताया। इसके बाद मंत्री ने कहा महाराज वो सब तो ठीक है लेकिन तेनाली ने आपको स्वर्ग दिखाने के लिए कहा था। राजा ने पूछा तेनाली कहां  है। कुछ देर के बाद तेनाली आ गया। उसके हाथ में आम थे। तेनाली ने राजा से कहा महाराज आप इन आम को खा लीजिये। राजा ने आम खाये और कहा आम तो बहुत मीठे है। राजा ने कहा  तेनाली तुम हमको स्वर्ग के लिए कब लेकर जाओगे। तेनाली ने कहा महाराज यह इतनी सुन्दर और शांत जगह है जहाँ पर हरे भरे पेड़ पौधे है, नदी है, पक्षी है और इन मीठे आम के पेड़ है। यह जगह स्वर्ग से भी अच्छी है। स्वर्ग तो हमने देखा भी नहीं है। राजा तेनाली की बात पर सहमत हो गए और कहा लेकिन तेनाली तुमने उन 10000 सोने के सिक्को का क्या किया।तेनाली ने कहा की महाराज मैंने उनसे बीज और पौधे ख़रीदे है। जो की हम पुरे विजयनगर में लगाकर विजयनगर के सभी लोगों को स्वर्ग का अहसास करा सकते है। इस पर राजा तेनाली रामा से खुश हो गए और उनकी प्रशंसा की।


Where is heaven?


Long ago there was a kingdom named Vijayanagara. The name of the king there was Krishna Deva Raya. He was a great king for his subjects. King Krishnadev had no shortage of wise ministers. But Tenali Rama was the fastest and wisest minister. One day King Krishnadeva told all his courtiers and people present in a packed meeting that I had heard in my childhood that heaven is a place which is very beautiful. Can anyone show me heaven? When no one answered, the king asked Tenali Rama that do you not even know where the heaven is? Tenali said that sir I can show you heaven but for that I need 10000 gold coins and six months time. All the courtiers started laughing at this. The king said that okay you will get what you have asked for. If you are unable to show heaven after six months, you will be punished. Tenali agreed to the king's words and went away with 10000 gold coins. After that six months passed. The king was very angry that Tenali had not come yet. But then Tenali reached the court. The king asked Tenali that have you found heaven? Tenali said, Sir, I have found heaven, tomorrow I will show you heaven. The next day the king along with some of his ministers left with Tenali. Tenali Rama took them away. After some time a place came which was very quiet and nice. Tenali said that you take rest here for some time, after which we will go to heaven. The king obeyed Tenali and told the soldiers that arrangements should be made for my rest here. After this the soldiers made tents for the king to rest. The king told a minister that what a nice place, how quiet is the green trees, the river and the sound of birds. Why didn't anyone tell me about this place before? After this the minister said that all is fine, but Tenali had asked to show you heaven. The king asked where is Tenali. After sometime Tenali came. He had mangoes in his hand. Tenali said to the king, sir, you should eat these mangoes. The king ate mangoes and said that mangoes are very sweet. The king said Tenali, when will you take us to heaven. Tenali said, "Maharaj, this is such a beautiful and peaceful place where there are green trees, plants, rivers, birds and these sweet mango trees. This place is better than heaven. We have not even seen heaven. The king agreed to Tenali's point and said but Tenali what did you do with those 10000 gold coins. Tenali said that Maharaj, I have bought seeds and plants from him. Which we can make all the people of Vijayanagar feel heaven by putting it in the whole of Vijayanagara. On this the king was pleased with Tenali Rama and praised him.

कैसे लेते है भगवान परीक्षा। भगवान की परीक्षा | How does God take the test? God's Test














एक समय की बात है शंकर भगवान और माता पार्वती पृथ्वी लोक की यात्रा के लिए निकले। तभी माता पार्वती जी ने दूर से एक आदमी को भूख से तड़पते देखा। उसे तड़पते हुए देख कर भी भगवान शंकर आगे बढ़ गए। पार्वती जी को आश्चर्य हो रहा था और उनसे रहा नहीं गया । उन्होंने भगवान शंकर से प्रश्न किया कि क्यो ? भगवान शंकर ने उस आदमी के प्रति दया नहीं दिखाई । जबकि उन्हें तो करुणासागर कहा जाता है। तब  शंकर भगवान बोले तुम जानती नहीं हो । इस आदमी की यही आदत है । इस आदमी की सहायता हेतु मैंने कई बार परीक्षा ली ।लेकिन हर बार यह परीक्षा में असफल साबित हुआ।  पार्वती जी को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने शंकर भगवान से उस आदमी की दोबारा सहायता करने का निवेदन किया । भगवान शंकर ने उस आदमी की सहायता के लिए किसी दानी सेठ को भोजन लेकर भेजा ।उस दानी सेठ ने उस भूखे आदमी को बहुत सारा भोजन दिया । और  मिठाईयों के डिब्बे भी उसको दिए ।अचानक बहुत सारी मिठाइयों और भोजन को देखकर वह खुश हो गया और तुरंत अपने पेट की भूख शांत कर ली । दानी सेठ वहां से चला गया। इसके पश्चात भगवान शंकर एक भिखारी का रूप धारण करके उसके पास पहुंचे  । भगवान शंकर बोले कि मुझे बहुत भूख लग रही है । मैंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया । क्या आपके पास कुछ भोजन सामग्री है तो कृपया मुझे थोड़ी सी दे दो । मेरी भूख शांत हो जाएगी । परंतु उस व्यक्ति ने कहा कि मेरे पास कुछ भोजन आदि नहीं है । मैं स्वयं ही दो दिन से भूखा बैठा हूं ।यह कहकर भगवान शंकर जो भिखारी बने हुए थे , उन्होंने कहा – कि जाओ ऐसा ही हो । ऐसा कहते ही भगवान शंकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए । और माता पार्वती के पास पहुंचे । तब उस आदमी ने देखा कि उसके पास जो भोजन और मिठाई बची हुई थी वह सब गायब हो गई ।और उसके पेट में फिर से भूख लगने लगी थी।  तब भगवान शंकर माता पार्वती से बोले कि – पार्वती,  उस इंसान ने अपने पास भोजन होते हुए भी भोजन देने से मना कर दिया। जब वह अपने पास भोजन होते हुए भी किसी की भूख नहीं शांत कर सकता ।तो उसकी भूख कैसे शांत होगी? इसीलिए मैंने उस आदमी को जब भूख से तड़पते देखा तो उसकी कोई मदद नहीं की । और आगे चल पड़ा था । क्योंकि मैं उसके व्यवहार के बारे में जानता था ।  तब माता पार्वती जी और भगवान शंकर  कैलाश पर्वत की ओर चल दिए ।
  इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए। अगर हम किसी की भूख को शांत कर पाए तो इससे अच्छी सहायता कुछ और नहीं हो सकती । भगवान उसी की मदद करते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं ।

How does God take the test? test of god

Once upon a time Lord Shiva and Mother Parvati went out to visit the earth. Then Mother Parvati ji saw a man suffering from hunger from afar. Seeing him suffering, Lord Shankar went ahead. Parvati ji was surprised and could not stay away from him. He asked Lord Shankar why? Lord Shankar did not show mercy to that man. Whereas he is called Karunasagar. Then Lord Shankar said you do not know. This is the habit of this man. To help this man, I took the test many times. But every time it proved to be a failure in the exam. Parvati ji could not believe it and requested Lord Shankar to help the man again. Lord Shankar sent a donor Seth with food to help that man. That Dani Seth gave a lot of food to that hungry man. And also gave him boxes of sweets. Suddenly he became happy seeing a lot of sweets and food and immediately quenched the hunger of his stomach. Dani Seth left from there. After this Lord Shankar took the form of a beggar and approached him. Lord Shankar said that I am feeling very hungry. I haven't eaten anything for many days. Do you have some food stuff, please give me some. My hunger will be quenched. But the person said that I do not have any food etc. I myself have been starving for two days. By saying this, Lord Shankar, who had become a beggar, said – go and be like this. Lord Shankar disappeared from there as soon as he said this. And reached Mata Parvati. Then the man noticed that all the food and sweets he had left with him had disappeared. And his stomach started feeling hungry again. Then Lord Shankar said to Mother Parvati that – Parvati, that person, despite having food with him, refused to give food. When he cannot satisfy the hunger of anyone even though he has food with him. How will his hunger be quenched? That is why when I saw that man suffering from hunger, I did not help him. And went on. Because I knew about his behavior. Then Mata Parvati ji and Lord Shankar walked towards Mount Kailash.
  This story teaches us that we should help each other. If we can quench someone's hunger, nothing can be of better help than this. God helps those who help others, God always keeps his graceful eyes on them.


सच्ची विजय क्या। क्या है सच्ची जीत | What is the real victory? what is true victory ?













सच्ची विजय क्या है? संत एकनाथ जी से 


पुराने समय मे एकनाथ नाम के एक महान संत हुआ करते थे। एक दिन वह कहीं जा रहे थे तभी उनकी नजर एक मायूस व्यक्ति पर पड़ी तो वह उसके पास थोड़ी ही दूरी पर जाकर खड़े हो गए। तभी वो व्यक्ति संत एकनाथ जी के पास गया और बोला, नाथ! आपका जीवन कितना मधुर है। आप अपने जीवन से कितना संतुष्ट हैं। लेकिन हमें तो शांति एक क्षण भी प्राप्त नहीं होती। मेरा मन हमेशा बेचैन रहता है । कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

 

तभी संत एकनाथ जी ने कुछ समय विचार किया और उस व्यक्ति को कहा कि तू तो अब आठ ही दिनों का मेहमान है, अतः पहले की ही भांति अपना जीवन व्यतीत कर। संत की यह बात सुनते ही वह व्यक्ति उदास हो गया। और वापस अपने घर की ओर जाने लगा।

रास्ते में उसने सोचा कि मैंने अपनी जिंदगी में कितने बुरे कर्म किए हैं। मैंने किसी को भी कोई खुशी नहीं दी और सब की निंदा की है । मुझे मेरी गलतियों की ही सजा मिल रही है।  मैं अब अपनी सारी गलतियों का पश्चाताप करूंगा। और जिस जिसका दिल मैंने दुखाया है उन सब से माफी मांग लूंगा। शायद इससे ही मेरे पापों का प्रायश्चित हो जाए। और मरने के बाद मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो। 

घर में वह पत्नी से जाकर बोला, मैंने तुम्हें कई बार बहुत सारा कष्ट दिया है। मुझे क्षमा करो। फिर बच्चों से बोला, बच्चों, मैंने तुम्हें कई बार बेवजह पीटा है, मुझे उसके लिए माफ कर दो। जिन लोगों से उसने दुर्व्यवहार किया था, सबसे माफी मांगी। इस तरह आठ दिन व्यतीत हो गए और आठवें दिन के शाम के समय  वह एकनाथजी के पास दुबारा पहुंचा और बोला, नाथ, मेरी अंतिम घड़ी के लिए कितना समय शेष है? तब संत जी  मुस्कुरा कर बोले कि तेरी अंतिम घड़ी तो परमेश्वर ही बता सकता है, किंतु यह आठ दिन तेरे कैसे व्यतीत हुए? भोग-विलास और आनंद तो किया ही होगा? व्यक्ति बोला कि क्या बताऊं नाथ, मुझे इन आठ दिनों में मृत्यु के अलावा और कोई चीज दिखाई नहीं दे रही थी। इसीलिए मुझे अपने द्वारा किए गए सारे दुष्कर्म स्मरण हो आए और उसके पश्चाताप में ही आठ दिन कैसे बीत गए पता ही नही चला। फिर संत एकनाथ जी ने कहा कि जिस बात को ध्यान में रखकर तूने यह आठ दिन बिताए हैं, हम साधु लोग इसी को सामने रखकर सारे काम किया करते हैं। यह देह क्षणभंगुर है, इसे मिट्टी में मिलना ही है। इसलिए जिंदगी में अच्छे कर्म करो ताकि भविष्य में तुम्हे तुम्हारे अच्छे कर्मों का फल मिले। किसी व्यक्ति या संत का गुलाम बनने की जगह परमेश्वर का गुलाम बनो। सबके साथ समान भाव रखने में ही जीवन की सार्थकता है।

दोस्तों अगर हम अपनी जिंदगी में अच्छे कर्म करेंगे तो हमें उसका फल भी अच्छा ही मिलेगा । अतः हम भी शांति से अपना जीवन जी सकेंगे जैसे कि संत एकनाथ जी ने जिया ।  अपने मन, विचार और व्यवहार पर काबू पाना ही सच्ची विजय हैं।


What is the real victory? what is true victory


What is true victory? from sant eknath ji


In olden times there used to be a great saint named Eknath. One day he was going somewhere, when his eyes fell on a sad person, then he stood at a short distance beside him. Then that person went to Sant Eknath ji and said, Nath! How sweet is your life How satisfied are you with your life? But we do not get peace even for a moment. My mind is always restless. Please guide me.

 

Then Sant Eknath ji thought for some time and told that person that you are a guest for only eight days now, so live your life as before. The person became sad after hearing this talk of the saint. And started going back to his house.

On the way he thought about how many bad deeds I had done in my life. I have not given any happiness to anyone and have condemned everyone. I am getting punished for my mistakes. I will now repent of all my mistakes. And I will apologize to everyone whose heart I have hurt. Maybe this will atone for my sins. And after I die, I get to heaven.

In the house he went to his wife and said, I have given you a lot of trouble many times. I'm sorry Then he said to the children, children, I have beaten you unnecessarily many times, forgive me for that. He apologized to all those whom he had mistreated. Thus eight days passed and in the evening of the eighth day he again reached Eknathji and said, Nath, how much time is left for my last watch? Then the saint smiled and said that only God can tell your last moment, but how did you spend these eight days? Bhog-luxury and pleasure must have been done? The person said that what should I tell Nath, in these eight days I could not see anything other than death. That's why I remembered all the misdeeds I had done and how eight days passed in his repentance I did not even know. Then Sant Eknath ji said that keeping in mind you have spent these eight days, we saints do all the work keeping this in front. This body is fleeting, it has to be found in the soil. So do good deeds in life so that in future you will get the fruits of your good deeds. Instead of becoming a slave to a person or a saint, be a slave to God. The meaning of life is in having equal feelings with everyone.

Friends, if we do good deeds in our life, then we will get good results. So we too will be able to live our life in peace like Sant Eknath ji lived. True victory is the control over your mind, thoughts and behavior.

कैसे एक बैल ने तोड़ दिया सारा महल। शेख़चिल्ली और बैल









शेखचिल्ली और तेल 

एक दिन की बात है शेख चिल्ली सरसों का तेल बेचने के लिए जा रहा था । वह सिर पर तेल का बर्तन लेकर चलता था और चलते चलते मन ही मन मे सपने देखने लगा । वह सोचने लगा कि “मुझे तेल की अच्छी कीमत मिलेगी। मैं जो पैसा कमाने जा रहा हूँ उसका मैं क्या करूँगा?” बहुत सोचने पर भी उसके दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था कि तभी वहां से बकरियों का झुंड गुजरा। और उसके मन में ख्याल आया कि “मैं इन पैसों से एक बकरी खरीद सकता हूँ। बकरी के बच्चे होंगे। मैं अच्छे पैसे के लिए बकरियां बेचूंगा। लेकिन फिर मैं उस पैसे का क्या करूँ?” शेख चिल्ली को आश्चर्य हुआ। तभी वहां से एक मवेशियों का झुंड गुजरा। शेख चिल्लो ने दिमाग लगया और कहा “अरे हाँ, मैं उस पैसे से एक गाय खरीद सकता हूँ। गाय मुझे दूध देगी। मैं दूध बेच दूंगा। उस पैसे से मैं एक खेत खरीदूंगा। मैं खेत जोतने के लिए एक जोड़ी बैल भी खरीदूंगा। फिर मैं फसल उगाऊँगा और एक लड़की से शादी करूँगा।” शेख चिल्ली चलते-चलते सपने देखता चला गया। पर रास्ते में ही एक बैल खड़ा था। उसने बैल को नहीं देखा। शेख चिल्ली बैल से टकरा गया। 

शेख चिल्ली जमींन पर गिर गया और उसका बर्तन टूट गया और तेल जमीन पर गिर गया। शेख चिल्ली भैंस को कोसने लगा। "तुम मूर्ख जानवर। तू ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद की! तेरी वजह से मैंने अपना तेल खो दिया। और तेल के साथ साथ मैंने बकरी खो दी, मैंने गाय खो दी, मैंने अपना खेत और अपने बैल खो दिए। मैंने सब कुछ खो दिया!"


scallions and oil

One day Sheikh Chilli was going to sell mustard oil. He used to walk with a pot of oil on his head and while walking he started dreaming in his mind. He started thinking that “I will get a good price for oil. What will I do with the money I'm going to earn?" Even after thinking a lot, nothing was coming in his mind that only then a herd of goats passed by. And a thought came to his mind that “I can buy a goat with this money. Goat will have babies. I will sell goats for good money. But then what do I do with that money?" Sheikh Chilli was surprised. Just then a herd of cattle passed by. Shaikh Chillo nodded and said “Oh yes, I can buy a cow with that money. The cow will give me milk. I will sell milk. With that money I will buy a farm. I will also buy a pair of oxen to plow the field. Then I will grow crops and marry a girl." Sheikh Chilli went on dreaming. But there was a bull standing in the way. He did not see the bull. Sheikh Chilli collided with the bull.

Sheikh Chilli fell on the ground and his pot broke and oil spilled on the ground. Sheikh Chilli started cursing the buffalo. "You foolish animal. You ruined my life! Because of you I lost my oil. And along with oil I lost the goat, I lost the cow, I lost my field and my bulls. I lost everything !"