कार्तिक मास की सम्पूर्ण कथा और महत्व | Complete story and importance of Kartik month














शरद पूर्णिमा के बाद की कार्तिक मास की एकम तिथि  से कार्तिक स्नान शुरू हो जाता है । जो लोग कार्तिक स्नान करते हैं वें ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या फिर घर में ही स्नान के जल में कुछ बूंदे गंगाजल की डालकर स्नान करते है । फिर मंदिर में जा कर पूजा करते हैं और कार्तिक मास की कहानी सुनते हैं । कार्तिक मास की पौराणिक कथा इस प्रकार है

 एक बूढ़ा ससुर था । उसकी सात बहूए थी । उसने अपनी बहूओ से कहा कि कल से कार्तिक स्नान आरंभ होने वाला है । मैं कार्तिक स्नान करना चाहता हूं । क्या तुम मुझे कार्तिक स्नान करवा दोगी ? छोटी छह बहुओं ने मना कर दिया और कहा कि नहीं पिता जी , हम आपको सुबह-सुबह कार्तिक स्नान नहीं करवा पाएंगे । तब उसने अपनी सबसे बड़ी बहू से पूछा तो सबसे बड़ी बहू ने कहा जी पिता जी , ठीक है  मैं आपको कार्तिक स्नान करवा दूंगी । अगले दिन से ससुर ने कार्तिक स्नान करना शुरू किया तो बड़ी बहू सुबह  ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने ससुर के स्नान के लिए कुएं से जल भरकर ले आती है। ससुर के नहाने के बाद उनकी धोती धोकर वही आंगन में सुखा देती है । जब वह धोती सुखाती थी तो उसमें से जो पानी की बूंदे टपकती वह नीचे हीरे मोती में बदल जाती । ऐसे ही थोड़े दिन बीत गए जब छोटी बहूओ ने देखा कि बड़ी बहू जो धोती धोकर सुखाती है उसकी जो बूंदे नीचे जमीन पर गिरती है वह हीरे मोती बन जाती है । तो क्यों ना हम पिताजी को कल से कहे कि हमारे यहां पर आकर स्नान करें । वें अपने ससुर से ऐसा ही कहती हैं । तब बूढ़ा ससुर बोला कि कोई बात नहीं मुझे तो कार्तिक स्नान करना है , कल से तुम्हारे यहां स्नान कर लूंगा । जैसे ही अगले दिन ससुर कार्तिक स्नान करते हैं और वे बहुएं जल भरकर लेकर आती हैं और ससुर की धोती धोकर और सुखा कर जैसे ही आंगन में डालती है तो  पानी की बूंदे टपकती है उससे हीरे मोती बनने की बजाय वहां पर कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है । छह बहुओं ने बारी-बारी से ऐसा करके देखा लेकिन किसी के भी आंगन में हीरे मोती नहीं बनते । वें अपने ससुर से कहती है कि पिताजी हमसे यह नहीं होगा , यहां पर तो सारे में कीचड़ ही कीचड़ हो गया है । आप जाओ और बड़ी बहू के घर में ही कार्तिक स्नान करो । ससुर अगले दिन से फिर बड़ी बहू के घर जाकर स्नान करना शुरू कर देता है । जैसे ही बड़ी बहू ससुर के स्नान करने के पश्चात अपने ससुर की धोती धो कर सुखाती है , वहां फिर से पानी की बूंदों से हीरे मोती बनने शुरू हो जाते हैं । कार्तिक स्नान अब खत्म होने को आ गया था , तो ससुर ने अपनी बड़ी बहू से कहा कि मैं ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहता हूं और इसके साथ ही सारे घर वाले भी भोजन करेंगे । बड़ी बहू बोली कोई बात नहीं पिताजी , मैं सबका भोजन बना दूंगी । आप जाकर ब्राह्मणों को और बाकी के सब घर वालों को निमंत्रण दे देना । ससुर जाकर ब्राह्मणों को निमंत्रण देता है और जाकर अपनी छह बहुओं को भी भोजन के लिए निमंत्रण देता है। छह बहुओं ने कहा  कि अगर बड़ी बहू घर में रहेगी तो हम भोजन के लिए नहीं आएंगे । इसलिए जब हम आए तो उसे कह देना कि वह कहीं बाहर चली जाए ।  ससुर उनकी यह बात सुनकर परेशान हो जाता है और वापस बड़ी बहू से आकर कहता है कि छोटी बहुओं ने ऐसा कहा है तो बड़ी बहू बोलती है कोई बात नहीं पिताजी , मैं सब का खाना बनाकर रख जाऊंगी और ब्राह्मणों को भोजन करवा दूंगी और जब छोटी बहुएं आएगी , तब मैं खेत में चली जाऊंगी ।  बड़ी बहू ऐसा ही करती है । अगले दिन बड़ी बहू ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और दो रोटी अपने पल्ले में बांधकर खेत में चली जाती है । उन रोटी को बड़ी बहू चिड़ियों को खिला देती है । और  साथ ही साथ कहती है – रामजी की चिड़िया , रामजी का खेत । रामजी की चिड़िया , रामजी का खेत । उधर छह बहुएं आकर खाना खाती हैं और जाते हुए  बचे हुए खाने में मिट्टी और कंकड़ डाल देती है ।  जब बड़ी बहू खेत से वापस घर आती है तो ससुर  कहता है कि सबने भोजन कर लिया हैं, अब तुम भी भोजन कर लो । पता नहीं छोटी बहुओं ने कुछ छोड़ा है तुम्हारे लिए या नहीं । वह बोली कोई बात नहीं पिताजी , अगर भोजन नहीं होगा , तो मैं दोबारा बना लूंगी । लेकिन जैसे ही वो रसोई में जाती है और खाने का ढक्कन उठाकर देखती है तो खीर के कटोरे में सोने ,चांदी , हीरे ,मोती भरे पाते हैं और जैसे ही वो रोटी के कटोरे का ढक्कन उठाकर देखती है वह भी हीरे ,मोती और  जेवरात से भरा होता है । यह सब वह अपने ससुर को बताती है  । तो ससुर कहता हैं कि यह सब तुम्हारी निस्वार्थ सेवा का ही फल है , जो तुमने मुझे निस्वार्थ भाव से कार्तिक स्नान कराया है । इससे कार्तिक महाराज ने खुश होकर तुम्हारा घर धन-धान्य और सौभाग्य से भर दिया है । अगले दिन जब बड़ा बेटा खेत में जा कर देखता है तो खेत में भी उसकी फसलें सोने चांदी से लहरा रही होती हैं । बड़े बेटे और  बड़ी बहु के घर में इतनी धन संपत्ति को देखकर उसके छोटे भाई और छोटी बहूए अपने आप को कोस रहे होते हैं कि हमने क्यों शुरू में ही ससुर को कार्तिक स्नान के लिए हां क्यों नहीं कहा था ।


Complete story and importance of Kartik month


Kartik Snan starts from the Ekam Tithi of Kartik month after Sharad Purnima. Those who take a Kartik bath, they wake up in the Brahma Muhurta and take a bath by adding a few drops of Ganges water to a holy river or bathing water at home. Then go to the temple and worship and listen to the story of Kartik month. The legend of Kartik month is as follows

 There was an old father-in-law. He had seven daughters-in-law. She told her daughters-in-law that Kartik bath is going to start from tomorrow. I want to take bath in Kartik. Will you give me a Kartik bath? The younger six daughters-in-law refused and said that no father, we will not be able to get you Kartik bath early in the morning. Then she asked her eldest daughter-in-law, then the eldest daughter-in-law said, Father, okay, I will get you bathed in Kartik. From the next day, when the father-in-law starts taking Kartik bath, the elder daughter-in-law wakes up early in the morning to bring water from the well for her father-in-law's bath. After the father-in-law bathes, washes his dhoti and dries it in the same courtyard. When she used to dry the dhoti, the drops of water that dripped from it would turn into diamonds and pearls below. Just like this, a few days passed when the younger daughter-in-law saw that the drops of the elder daughter-in-law who washes and dries the dhoti, which fall on the ground below, become diamonds and pearls. So why don't we ask father from tomorrow to come here and take a bath. She tells the same to her father-in-law. Then the old father-in-law said that no problem, I have to take a bath in Kartik, I will take a bath with you from tomorrow. As soon as the next day father-in-law Karthik takes bath and they bring the daughter-in-law full of water and as soon as the father-in-law's dhoti is washed and dried and put in the courtyard, drops of water drip from it, instead of turning into pearls, the mud becomes mud there. Is . Six daughters-in-law did this in turn, but in no one's courtyard, diamonds do not become pearls. She tells her father-in-law that father will not do this to us, here everything has turned into mud. You go and take a Kartik bath in the elder daughter-in-law's house. From the next day the father-in-law again goes to the elder daughter-in-law's house and starts bathing. As soon as the elder daughter-in-law washes and dries her father-in-law's dhoti after taking the father-in-law's bath, there again the drops of water start forming diamonds and pearls. When Kartik bath was about to end, the father-in-law told his elder daughter-in-law that I want to feed the Brahmins and with this all the family members would also eat. The elder daughter-in-law said no problem, father, I will cook everyone's food. You go and invite Brahmins and all other family members. The father-in-law goes and invites the brahmins and goes and invites his six daughters-in-law for a meal. The six daughters-in-law said that if the elder daughter-in-law stays in the house, we will not come for food. So when we come, tell her that she should go out somewhere. The father-in-law gets upset after hearing this and comes back to the elder daughter-in-law and says that younger daughter-in-law has said so, then the elder daughter-in-law says no problem, father, I will keep everyone's food and get the Brahmins fed and when the younger The daughters-in-law will come, then I will go to the field. The elder daughter does the same. The next day the elder daughter-in-law goes to the field after feeding the Brahmins and tying two rotis in her lap. The elder daughter-in-law feeds those roti to the birds. And at the same time it says - Ramji's bird, Ramji's field. Ramji's bird, Ramji's field. On the other hand, six daughters-in-law come and eat the food and while leaving, puts soil and pebbles in the remaining food. When the elder daughter-in-law comes back home from the farm, the father-in-law says that everyone has eaten, now you also have your meal. Don't know whether the younger daughters-in-law has left something for you or not. She said no problem, father, if there is no food, then I will make it again. But as soon as she goes to the kitchen and lifts the lid of the food, she finds the kheer bowl filled with gold, silver, diamonds, pearls and as soon as she lifts the lid of the bread bowl, she sees that too with diamonds, pearls and jewellery. is filled. She tells all this to her father-in-law. So the father-in-law says that all this is the result of your selfless service, which you have given me selfless Kartik bath. With this, Kartik Maharaj has been happy and filled your house with wealth and good fortune. The next day, when the eldest son goes to the field and sees, his crops in the field are also waving with gold and silver. Seeing so much wealth in the house of elder son and elder daughter-in-law, his younger brother and younger daughter-in-law are cursing themselves that why we did not say yes to father-in-law for Kartik bath in the beginning.

जब एक गरीब ब्राह्मण से हार गए भगवान | When God lost to a poor Brahmin

 















एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी दोनों रहते थे । वह भगवान में बहुत विश्वास रखते थे । उन दोनों की कोई संतान नहीं थी । वें अपना जीवन बहुत ही नियमित रूप से जीते थे । वह हर रोज मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना करते कि भगवान उनके घर में एक संतान उत्पन्न हो जाए  । इसी कारण से बहुत दुखी और परेशान भी थे । एक दिन भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी पूजा और भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं । मांगों, तुम्हें क्या चाहिए ? तब गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी बोली कि हे भगवान । हमारी कोई संतान नहीं है , इसलिए हमें संतान प्राप्ति का वर दो । तब भगवान बोले कि मैं तुम्हें अपनी और से कुछ और देना चाहता हूं । दोनों ने खुशी-खुशी हां कह दी । तब भगवान ने उन्हें एक शेर , एक बिल्ली और एक कौवा दिया और कहा कि तुम दोनों इन तीनों को अपने बच्चे के समान ही प्यार करना । और उनका पालन पोषण करना । गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नि  ने भगवान का आशीर्वाद समझ कर उन तीनों को अपने घर ले गए और उनका पालन पोषण करने लगे । जब गांव वालों ने देखा कि भगवान ने उन्हें बच्चे के स्थान पर एक शेर का बच्चा , एक बिल्ली का बच्चा और एक कौवा दिया है ,तो वह सब उनकी हंसी उड़ाने लगे । लेकिन ब्राह्मण और उसकी पत्नी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था । वह तो इसे भगवान का आशीर्वाद समझ कर उन तीनों का  पालन पोषण कर रहे थे । उन तीनों में भगवान की कृपा से बहुत ही अद्भुत शक्ति थी । कौआ उड़ते उड़ते ऊपर स्वर्ग लोक तक जा सकता था । एक दिन कौआ उड़ते उड़ते स्वर्ग लोक पहुंचा और वहां एक पेड़ पर जाकर बैठ गया । जब वह पेड़ पर बैठा हुआ था तो उसके कान में कुछ आवाज आई । जहां उसने सुना कि भगवान कह रहे हैं कि इस बार उस गरीब ब्राह्मण के गांव में अकाल पड़ने वाला है । भगवान ने अपनी शक्ति से बहुत सारे चूहों को प्रकट किया और कहा कि तुम उस गरीब ब्राह्मण के गांव में जाकर सारी फसल को नष्ट कर दो । जिससे कि वहां पर अकाल पड़ जाए । कौए ने जब यह बात सुनी तो वह उड़ कर जल्दी-जल्दी अपने घर आया और यह बात उसने ब्राह्मण और ब्राह्मण की पत्नी को बताई । जब यह बात कौवा उस ब्राह्मण को बता रहा था , तभी गांव के एक आदमी ने खिड़की से उन्हें यह बात करते सुन लिया । और जाकर यह बात सारे गांव में फैला दी । गांव वाले इस समस्या के समाधान के लिए उस गरीब ब्राह्मण के पास आए । तब बिल्ली बोली कि तुम सब घबराओ मत , चूहों से तो मैं निपट लूंगी । तुम सब इसकी चिंता मत करो । बिल्ली जाकर पहले से ही वहां तैयार हो गई और जैसे ही चूहे आए और फसल को नष्ट करने लगे , तो बिल्ली ने उन चूहों को मारना शुरू कर दिया । कुछ चूहे मर गए , कुछ घायल हो गए और कुछ डर के मारे भाग गए । गांव वालों ने यह सब देखा तो बहुत खुश हुए और उस बिल्ली का और ब्राह्मण  का धन्यवाद किया । कौवा एक दिन फिर से उड़ता उड़ता स्वर्ग लोक पहुंचा । वहां उसने फिर भगवान को बात करते सुना  कि इन इंसानों ने तो चूहों वाली योजना को विफल कर दिया है ।लेकिन अब हिरणों के झुंड को भेजते हैं , जिनकी वजह से उनकी फसल नष्ट हो जाएगी। कौआ यह बात सुनकर वापस धरती पर आ गया और जाकर ब्राह्मण और गांव वालों से यह बात कही । गांव वाले इस बात को सुनकर परेशान हो गए और कहने लगे कि अब इस समस्या का समाधान कैसे होगा । हिरनो से हम अपनी फसल को कैसे बचाएंगे ?  तब शेर बोला कि घबराओ मत , हिरनो से तो मैं निपट लूंगा । तुम इस बात की चिंता मत करो । अगले दिन शेर खेत में पहुंच गया और जैसे ही हिरण आए तो उसने हिरनो को मारना शुरू कर दिया । कुछ हिरन घायल हो गए और कुछ डर के मारे भाग गए  । गांवों वाले ने शेर का धन्यवाद किया और अपने घर चले गए । अगले दिन जब कौवा उड़ता उड़ता फिर स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसने भगवान को फिर से कहते सुना कि यह गांव वाले तो बहुत ही चालाक और तेज हैं । तभी वहां पर देवी लक्ष्मी आ गई और भगवान को परेशान देखकर बोली कि हे भगवान आप परेशान क्यों है ? भगवान ने कहा कि इन गांव वालों की चतुरता के सामने  हमारी  सारी योजना विफल हो रही हैं । तभी देवी लक्ष्मी बोली कि हे भगवान , है तो इंसान ही ना , हमसे बढ़कर और आप से बढ़कर नहीं हो सकते । क्यों ना हम  इनके अनाज की पैदावार को ही कम कर दें । यदि हम एक खलिहान में  एक क्विंटल से ज्यादा ना होने दें । तो फिर यह अनाज कम होने की वजह से अपने आप ही अकाल पड़ जाएगा । कोवे ने यह बात सुनी और जाकर के गांव वालों और गरीब ब्राह्मण को बताई । तब गांव वाले  परेशान हो गए और कहा कि इस तरह से तो गांव में अकाल पड़ जाएगा ,अगर खेत में अन्न कम हुआ तो । तब गरीब ब्राह्मण ने योजना बनाई और कहा कि क्यों ना हम बहुत सारे खलिहान बनाए । अपने खेतों को बहुत सारे खलियान में बांट दें । एक खलिहान में 1 क्विंटल अनाज होगा तो इससे बहुत सारे खलिहानो में बहुत सारा अनाज इकट्ठा हो जाएगा । गांव वालों ने ऐसा ही किया । गांव वालों ने बहुत से खलियान तैयार कर दिए जिससे बहुत सारा अनाज इकट्ठा हो गया। गांव वाले बहुत ही खुश हुए । गांव वालों ने जाकर मंदिर में दान दक्षिणा दी , पूजा हवन इत्यादि करवाएं और भगवान का धन्यवाद किया । भगवान ऊपर स्वर्ग लोक में यह सब देख कर मुस्कुरा रहे थे । क्योंकि जो सब हो रहा था भगवान की माया से ही हो रहा था । कौए के  कानों में जो आवाज सुनाई पड़ी थी  भगवान ही उसे ये आवाज सुनाना चाहते थे । क्योंकि भगवान उन्हें यह बताना चाहते थे कि अगर गांव वाले सब मिलकर आपस में किसी समस्या का समाधान निकालेंगे तो फिर  भगवान तो क्या हर बुरे इंसान को हरा सकेंगे । इसलिए आदमी को एक दूसरे का सहायक होना चाहिए । एक दूसरे की मिलकर मदद करनी चाहिए । जिस से आने वाली समस्या का सामना कर सके । भगवान ने  उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम्हारे गांव में कभी भी अकाल नहीं पड़ेगा । तुम सब इसी तरह मिल जुल कर रहो । गांव वालों ने ब्राह्मण के शेर , बिल्ली और कौवे को धन्यवाद दिया ।और अब कोई भी गांव वाला उनकी हंसी नहीं उड़ाता था बल्कि उन तीनों पर गर्व करता था । बल्कि भगवान की कृपा से कुछ समय बाद ब्राह्मण के एक पुत्र पैदा हुआ । ब्राह्मण बहुत खुश हुआ । उसने भगवान का धन्यवाद किया और वे सब साथ में खुशी-खुशी रहने लगे ।


When God lost to a poor Brahmin


A poor Brahmin and his wife both lived in a village. He had great faith in God. Both of them did not have any children. He lived his life very regularly. He used to go to the temple every day and pray to God that a child should be born in his house. For this reason he was very sad and upset too. One day God appeared pleased and appeared to him and said that I am very happy with your worship and devotion. demands, what do you want? Then the poor brahmin and his wife said, Oh Lord. We do not have any children, so give us the boon of having children. Then God said that I want to give you something more than myself. Both happily said yes. Then God gave them a lion, a cat and a crow and said that both of you should love these three like your own child. and nurture them. The poor brahmin and his wife took all three of them to their home, taking God's blessings and started nurturing them. When the villagers saw that God had given them a lion cub, a kitten and a crow in place of the child, they all laughed at them. But the Brahmin and his wife did not care about this. Considering it as a blessing of God, he was nurturing all three of them. All three of them had amazing power by the grace of God. The crow could fly up to the heavens while flying. One day the crow reached heaven while flying and sat on a tree there. While he was sitting on the tree, some sound came in his ear. Where he heard that God is saying that this time there is going to be a famine in the village of that poor Brahmin. God manifested many rats with his power and said that you go to that poor Brahmin's village and destroy the whole crop. So that there would be a famine there. When the crow heard this, he flew to his house hurriedly and told this to the brahmin and the brahmin's wife. When the crow was telling this thing to the Brahmin, then a man from the village overheard him talking through the window. And went and spread this word in the whole village. The villagers came to that poor Brahmin to solve this problem. Then the cat said that you all do not panic, I will deal with the rats. Don't worry about it all. The cat went there and got ready already and as soon as the rats came and started destroying the crop, the cat started killing those rats. Some rats died, some got injured and some ran away in fear. When the villagers saw all this, they were very happy and thanked the cat and the Brahmin. One day the crow flew again and flew to heaven. There he again heard God talking that these humans had foiled the rats' plan. But now he sends a herd of deer, due to which his crop will be destroyed. Hearing this, the crow came back to earth and went and told this to the Brahmins and the villagers. The villagers got upset after hearing this and started saying that how will this problem be solved now. How do we save our crops from deer? Then the lion said that do not panic, I will deal with the deer. Don't you worry about this. The next day the lion reached the field and as soon as the deer came, it started killing the deer. Some deer got injured and some ran away in fear. The villagers thanked the lion and went to their homes. The next day, when the crow flew away and then reached heaven, he heard God again saying that these villagers are very clever and fast. Then Goddess Lakshmi came there and seeing God upset, she said, Oh God, why are you upset? God said that all our plans are failing in front of the cleverness of these villagers. Then Goddess Lakshmi said that oh God, then not only human beings, they cannot be greater than us and more than you. Why don't we just reduce their grain yield? If we do not allow more than one quintal in a barn. Then because of the scarcity of this grain, there will automatically be a famine. Kove heard this and went and told the villagers and the poor Brahmin. Then the villagers got upset and said that in this way there will be a famine in the village, if there is less food in the field. Then the poor brahmin made a plan and said that why don't we build a lot of barns. Divide your fields into several barns. If there is 1 quintal of grain in one barn, then it will collect a lot of grain in many barns. The villagers did the same. The villagers prepared many khyans from which a lot of grain was collected. The villagers were very happy. The villagers went and donated dakshina to the temple, got the worship done, havan etc. and thanked God. God was smiling seeing all this in heaven. Because all that was happening was happening only because of the Maya of God. The voice that was heard in the crow's ears, only God wanted to narrate this voice to him. Because God wanted to tell them that if all the villagers together find a solution to any problem, then will God be able to defeat every bad person. Therefore man should be helpful to each other. We should help each other together. So that you can face the problem. God blessed him and said that there will never be a famine in your village. You all live together like this. The villagers thanked the lion, the cat and the crow of the brahmin.

Naki did not laugh, but was proud of all three of them. Rather, after some time by the grace of God, a son was born to a Brahmin. The Brahmin was very happy. He thanked God and they all started living happily together.

पेट का ढक्कन। एक अनोखी कहानी | stomach cover. a unique story













 


एक बार भोले बाबा और मां पार्वती पृथ्वी पर घूमने के लिए निकले । जैसे ही भोले बाबा और मां पार्वती पृथ्वी पर पहुंचे तो भोले बाबा ने मां पार्वती से कहा – कि पार्वती ,तुम पृथ्वी लोक पर किसी भी मनुष्य की दुख तकलीफ को देखकर विचलित मत होना । क्योंकि जो भी कोई यहां सुख और दुख प्राप्त करता  हैं , वो सबको अपने कर्म अनुसार ही मिलता है । पार्वती मां ने हां कह दी और वे दोनों पृथ्वी पर घूमने लगे । घूमते – घूमते  एक गांव में पहुंचे । उस गांव में एक घर में उन्होंने देखा कि एक सास अपनी बहू को डांट रही है और कह रही है कि गरीब परिवार की हमारे घर में पता नहीं कहां से आ गई है ? हमारी किस्मत फूटी थी , जो हमने गरीब परिवार से नाता जोड़ लिया । ना तो दहेज में कुछ लाई और ना ही इसके मां और पिता कुछ सामान वगैरह देकर जाते हैं । त्यौहार पर कुछ भी सामान नहीं लाते । तब बहू बोली कि सासू मां ,मेरी मां बहुत बीमार है और उन्हीं की दवाइयों पर सारा पैसा खर्च हो जाता है । मेरे पिताजी जब तक मुझे दे सकते थे , तब तक उन्होंने मुझे दिया । और अब सारा धन दवाइयों पर और घर खर्च में चला जाता है । इसलिए मेरे पिताजी कुछ नहीं दे पाते । मेरी मां बहुत बीमार है और मेरे पिताजी आज मुझे लेने के लिए आ रहे हैं । आप अनुमति दें ,तो  क्या मैं अपने पिता के साथ चली जाऊं ? सास बोली – नहीं ,नहीं कहीं मत जाना , यहीं पर रहो । फिर घर का काम कौन करेगा ? थोड़ी ही देर में बहू के पिता वहां पर आ जाते हैं और हाथ जोड़कर कहते हैं कि समधन जी , मेरी बेटी को मेरे साथ भेज दीजिए ।

 बस एक दिन की बात है इसकी मां बहुत बीमार है और इसे देखना चाहती है । सास ने कहा – ठीक है एक दिन के लिए ले जाओ । लेकिन कल शाम को मैं अपने बेटे को भेजूंगी और इसे वापस भेज देना । दोनों पिता और बेटी चल दिए । वहां जाकर बेटी ने देखा कि उसकी मां बहुत बीमार है और उसका नाम बार-बार ले रही है । वह अपनी मां के पास जाती है और पूछती है कि मां कैसी हो ? उसकी मां बोली बेटी तुम आ गई । मैं कब से तुम से मिलना चाहती थी । अब तुम्हें देख लिया ,अब मैं चैन से मर सकूंगी । बेटी बोली नहीं मां , ऐसी बात मत करो ,अभी तो आपको और जीना है । भैया और भाभी कहां पर है ? तभी उसके भैया और भाभी आ जाते हैं । वह अपने भैया और भाभी के गले लगती है । शाम हो जाती है उसका भैया अपनी पत्नी से कहता है कि  मेरी बहन बहुत दिनों बाद मायके आई है , तुम उसके लिए कुछ अच्छा सा खाने को बना दो । तभी उसकी पत्नी कहती है कि घर में कुछ नहीं है , मैंने सिर्फ बाजरे की रोटी और चटनी बनाई है । पूरी ,पकवान के लिए घर में सामान नहीं है । तभी उसकी बहन वहां पर आ जाती है और कहती है कि भैया और भाभी ,आप कैसी बातें कर रहे हो । मैं अब भी इसी घर की बेटी हूं । अगर भाभी ने बाजरे की रोटी और चटनी बनाई है , तो मुझे वही बहुत पसंद है । मैं भाभी के हाथ की चटनी और बाजरे की रोटी को कब से तरस रही थी। आज जी भर के खाऊंगी । वह खाना खाती है और देखती है कि उसका पति उसे लेने आया है । उसका पिता कहता है ,  दामाद जी ! आप तो कल आने वाले थे ? फिर इस समय ? क्या बात है? सब ठीक है ना?  पति कहता हैं कि मां की तबीयत बहुत खराब है और उन्होंने आज ही हमे वापस बुलाया है । बेटी मन में सोचती है कि सासु मां तो ठीक थी , फिर अचानक क्या हुआ ? जो उन्होंने मुझे आज ही बुला लिया । लेकिन वह अपने पति से कुछ नहीं कहती और अपने पति के साथ अपनी ससुराल चली जाती है । वहां जाकर देखती है कि उसकी सास बैठ कर आराम से खाना खा रही है । बहू अपनी सास से कहती है मां जी क्या हुआ ? आप बीमार हो ? सास बोली – नहीं ,नहीं , मैंने तुम्हें ऐसे ही बुलाया था । घर का रात का काम कौन करता ?  इतने सारे बर्तन पड़े थे । बहू बेचारी बहुत परेशान हो जाती है और सोचती है कि मैं एक दिन भी अपने मां और भैया भाभी के साथ नहीं रह पाई । सास कहती है अच्छा यह तो बता , तेरे मायके में तेरे भैया और भाभी ने क्या खातिरदारी की तेरी ? बहु कहती है कि मेरी भाभी ने तो खीर ,पूरी ,कचोरी  और भी पता नहीं क्या-क्या पकवान बनाया था । पेट भर गया पर मन नहीं भरा था खाते-खाते । सास  मन में सोचती है कि देखो , कितना झूठ बोल रही है , गरीब घर की ,इसे कहां पूरी पकवान नसीब हुआ होगा ? कोई बात नहीं ,रात को सोने दो ,इसका पेट का ढक्कन उठाकर देखूंगी कि क्या-क्या खाया इसने । बहू यह कहकर  रसोई का काम करके सोने चली जाती है । रात को उसकी सास चुपके से उसके पेट का ढक्कन उठाकर खोलती है और देखती है कि उसमें तो बाजरे की रोटी और चटनी थी । जब बहू अगली सुबह उठती है तो सास कहती है – तुम तो बहुत झूठ बोलती हो , तुम तो कह रही थी कि पूरी और पकवान खाया था , लेकिन मैंने रात को तेरे पेट का ढक्कन खोल कर देखा , उसमे तो बाजरे की रोटी और चटनी थी । बहू की आंखों में आंसू आ जाते हैं और उसकी सास उसे बहुत फटकार लगाती है और बहुत ही जलील करती है ।  बहू रोती रोती भगवान के सामने जाती है और हाथ जोड़ कर कहती है कि हे भगवान , जैसे मेरे साथ हुआ ऐसा किसी के साथ मत करना । सबकी इज्जत तुम्हारे ही हाथ हैं । हे भोलेनाथ , मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि आज के बाद  किसी के भी पेट का यह ढक्कन ना खुले । ताकि कोई ना जान सके कि किस ने क्या खाया और क्या नही ? भगवान उसकी इस प्रार्थना को स्वीकार कर लेते हैं तब मां पार्वती कहती है कि हे भोलेनाथ , आप यह पेट का ढक्कन हमेशा के लिए बंद कर दो । ताकि भगवान के सिवा कोई भी इंसान ना जान पाए कि किसी का पेट भरा है या खाली है ।  कहते हैं कि उस दिन से भगवान शिव ने पेट का ढक्कन बंद कर दिया था । तब से पेट  का ढक्कन नहीं खुलता ।



stomach cover. a unique story

Once Bhole Baba and Mother Parvati went out to roam the earth. As soon as Bhole Baba and Mother Parvati reached the earth, Bhole Baba said to Mother Parvati – Parvati, do not be disturbed by seeing the suffering of any human being on the earth. Because whoever gets happiness and sorrow here, they all get it according to their karma. Parvati mother said yes and both of them started roaming the earth. While roaming around, he reached a village. In a house in that village, he saw that a mother-in-law is scolding her daughter-in-law and saying that where has the poor family come from in our house? Our luck was broken, which we linked with the poor family. Neither did he bring anything in dowry, nor does his mother and father go by giving some things etc. Do not bring anything to the festival. Then the daughter-in-law said that mother-in-law, my mother is very ill and all the money is spent on her medicines. As long as my father could give it to me, he gave it to me. And now all the money goes on medicines and household expenses. That's why my father can't give anything. My mother is very ill and my father is coming to pick me up today. If you allow, shall I go with my father? Mother-in-law said - No, no, don't go anywhere, stay here. Then who will do the housework? In no time, the daughter-in-law's father comes there and says with folded hands that Samadhan ji, send my daughter with me.

 It is only a matter of one day that his mother is very ill and wants to see him. Mother-in-law said - OK, take it for a day. But tomorrow evening I will send my son and send it back. Both father and daughter left. Going there, the daughter saw that her mother was very ill and was taking her name again and again. She goes to her mother and asks how is mother? His mother said daughter you have come. Since when have I wanted to meet you? Now I have seen you, now I will be able to die in peace. Daughter did not say mother, don't talk like this, now you have to live more. Where are brother and sister in law? Then his brother and sister-in-law arrive. She hugs her brother and sister-in-law. It is evening, his brother tells his wife that my sister has come to the maternal house after a long time, you should cook some good food for her. Then his wife says that there is nothing in the house, I have only made bajra roti and chutney. Poori, there is no material in the house for the dish. Then his sister comes there and says that brother and sister-in-law, what are you talking about. I am still the daughter of this house. If sister-in-law has made bajra roti and chutney, then I like that very much. Since when I was craving for sister-in-law's hand chutney and millet roti. I will eat my whole life today. She eats the food and sees that her husband has come to pick it up. His father says, son-in-law! You were going to come tomorrow? Then at this time? Whats up? everything is fine isn't it? Husband says that mother's health is very bad and she has called us back today itself. Daughter thinks in her mind that mother-in-law was fine, then what happened suddenly? Which he called me today. But she does not say anything to her husband and goes to her in-laws' house with her husband. Going there she sees that her mother-in-law is sitting and eating comfortably. The daughter-in-law tells her mother-in-law what happened mother? Are you sick ? Mother-in-law said - No, no, I had called you like this. Who does the housework at night? There were so many utensils. The poor daughter-in-law gets very upset and thinks that I could not live with my mother and brother-in-law even for a day. Mother-in-law says, well tell me, what did your brother and sister-in-law take care of you in your maternal house? The daughter-in-law says that my sister-in-law had made kheer, puri, kachori and what other dish she did not know. The stomach was full but the mind was not full. Mother-in-law thinks in her mind that look, how much she is lying, of poor house, where would she have got the whole dish? Never mind, let him sleep at night, I will lift the lid of his stomach and see what he ate. Saying this the daughter-in-law goes to sleep after doing the kitchen work. At night, her mother-in-law secretly lifts the lid of her stomach and opens it and sees that there was bajra roti and chutney in it. When the daughter-in-law wakes up the next morning, the mother-in-law says - you lie a lot, you were saying that you had eaten a whole other dish, but I opened the lid of your stomach at night and saw, it had millet roti and chutney. . The daughter-in-law gets tears in her eyes and her mother-in-law reprimands her a lot and humiliates her a lot. The daughter-in-law, crying, goes in front of God and says with folded hands that Oh Lord, don't do this to anyone like it happened to me. Everyone's respect is in your hands. O Bholenath, I request you with folded hands that after today this lid of anyone's stomach should not be opened. So that no one can know who ate what and what did not? When God accepts his prayer, then Mother Parvati says that O Bholenath, you should close the lid of this stomach forever. So that no human being except God can know whether someone's stomach is full or empty. It is said that from that day onwards Lord Shiva had closed the lid of the stomach. Since then the lid of the stomach does not open.

करवाचौथ सम्पूर्ण व्रत कथा। करवाचौथ क्यों मनाते है ? Karvachauth complete fasting story. Why is Karva Chauth celebrated?















 


करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है इस दिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात को  चांद को देखने के बाद , चांद को अर्घ्य देकर अपने पति का मुख देखने के बाद ही भोजन करती है। तब यह व्रत संपूर्ण होता है। 


करवा चौथ व्रत कथा


एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी । उसकी लड़की उन दिनों अपने मायके में ही आई हुई थी । साहूकार की पत्नी , उसकी सातों बहुओं और उसकी लड़की ने करवा चौथ का व्रत रखा । साहूकार के लड़के अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे ।  साहूकार के लड़के रात के समय जब भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से कहा कि – "आओ बहन , भोजन कर लो " । परंतु उसकी बहन ने भोजन करने के लिए मना कर दिया और कहा कि आज मेरा करवा चौथ का व्रत है । रात में चांद देखने के बाद ही मैं भोजन करूंगी । तब बहन की यह बात सुनकर उसके भाइयों से रहा नहीं गया और उन्होंने गांव से दूर एक पेड़ के ऊपर चढ़कर लकड़ी में आग जलाकर और उसका प्रकाश छलनी में से अपनी बहन को दिखाते हुए कहा कि बहन , चांद तो निकल आया है । चांद को अर्घ्य दे दो और भोजन कर लो । उसकी बहन ने अपनी भाभियों से कहा कि भाभी देखो चांद निकल आया है । तुम भी चांद को देखकर अर्घ दे दो और भोजन शुरू कर दो । उसकी भाभियों ने कहा कि नहीं , जीजी। आपके भाई आपके साथ छल कर रहे हैं । यह चांद नहीं है ,चांद को निकलने में अभी समय है ।लेकिन उसने अपनी भाभियों की बात नहीं मानी । वह भूख से बहुत व्याकुल हो चुकी थी ।उसे अपने भाईयों द्वारा दिखाएं गए प्रकाश को ही चांद समझकर उसे अर्ध्य दे दिया और भोजन करने बैठ गई । जैसे ही उसने पहला टुकड़ा तोड़ा तो उसे छींक आ गई , दूसरा टुकड़ा तोड़ते ही उसमें बाल निकल आया । और जैसे ही वह अगला टुकड़ा तोड़कर खाने लगी तभी उसकी ससुराल से बुलावा आया कि –" उसका पति बहुत बीमार है " । उसे तुरंत अपने ससुराल जाना होगा । साहूकारनी अपनी बेटी के ससुराल जाने की तैयारी करने लगी । जैसे ही साहूकारनी ने बक्सा खोला उसमें पहले काले रंग के कपड़े दिखाई दिए , फिर जैसे दूसरा बक्सा खोला उसमें सारे कपड़े सफेद रंग के थे । तब बेटी बोली कि –  मां तुम रहने दो । मैं ऐसे ही चली जाऊंगी । जब बेटी चलने को तैयार थी तब उसकी मां ने कहा कि "बेटी , जब तुम जाओ और रास्ते में कोई तुम्हें बुजुर्ग दिखाई दे तो उसके पैर छूना और जब वें तुम्हें बूढ़ सुहागन होने का आशीर्वाद दे तो तभी पल्ले में एक गांठ बांध लेना । बेटी ने कहा – ठीक है मां और वह अपनी ससुराल के लिए चल पड़ी । रास्ते में जो भी उसे बुजुर्ग मिलता , तो वह सब के पैर छूती और सब उसे आशीर्वाद देते कि खुश रहो ,पीहर का सुख देखो । पर किसी के मुख से उसे बूढ़ सुहागन होने का आशीर्वाद  नहीं निकला जैसे तैसे वह अपने ससुराल पहुंच गई । जब वह अपने ससुराल पहुंची तो उसकी छोटी ननंद घर के बाहर खेल रही थी । उसने अपनी ननंद के पैर छुए तो ननंद के मुख से निकला – सदा सौभाग्यवती रहो ,पुत्रवती रहो और बूढ़ सुहागन रहो । यह सुनते ही उसने अपने पल्ले में गांठ बांध ली । जब वह घर के अंदर पहुंची तो उसने देखा कि उसका पति मर चुका है और उसे नीचे अर्थी पर लिटा रखा है ।  सब उसे ले जाने की तैयारी कर रहे हैं । वह बहुत रोई और बहुत जोर से चिल्लाने लगी । जैसे ही लोग उसकी अर्थी को ले जाने लगे , वह रोती और चिल्लाती हुई जोर से बोली कि – नहीं मैं इन्हीं नहीं जाने दूंगी । लेकिन जब सब नहीं माने तो वह बोली कि मैं भी इनके साथ ही जाऊंगी और बार-बार यही कह रही थी कि मैं भी इनके साथ ही जाऊंगी । सब बोले कि ठीक है ,ले चलो इसे भी साथ में । जब वहां श्मशान में सब लोग उसके पति को जलाने लगे तब वह बोली कि – मैं इन्हें जलाने नहीं दूंगी । तो वहां पर खड़े लोगों को गुस्सा आ गया और बोले कि पहले तो अपने पति को खा गई और अब इसकी मिट्टी को भी खराब करना चाहती है । लेकिन वो नहीं मानी । और कहने लगी कि मैं इन्हें नहीं जलाने दूंगी । अगर तुम लोगों ने इन्हें जलाया , तो तुम्हें पहले मुझ में आग लगानी होगी । तब परिवार के सदस्यों और बड़े  बुजुर्गों ने निर्णय किया कि – ठीक है , इसे इसके पति के शरीर के साथ ही यही छोड़ दो और इसकी एक झोपड़ी भी यही बनवा दो । ये यही अपने पति के साथ रह लेगी । साहूकार की बेटी अपने मुर्दा पति के साथ वही झोपड़ी में रहने लगी । वह अपने पति के शरीर की साफ सफाई करती । उसकी छोटी ननंद आकर उसको दिन में दो समय खाना दे जाती । वह हर मास की चतुर्थी को व्रत करती थी , चांद को अर्घ्य देती और ज्योत उठाती। जब चौथ माता आती तो कहती करवो ले करवो ले , भाइयों की प्यारी बहन करवो ले, घनी भूखारी करवो ले । वह चौथ माता से अपने पति के प्राण मांगती । तब चौथ माता  उसे कहती थी जब हमसे बड़ी चौथ आएगी तुम उनसे अपने पति के प्राण मांगना । ऐसा करते करते सभी चौथ माता आती और उससे यही कहती कि जब हमसे बड़ी चौथ आएगी तब तुम उनसे अपने पति के प्राण मांगना । ऐसा करते करते समय बीतने लगा । आश्विन मास की चौथ माता आई और उससे बोली कि तुझसे कार्तिक मास की चौथ माता नाराज हैं । वही तुझे तेरा सुहाग दे सकती हैं ,जब कार्तिक मास की चौथ माता आए तो तुम उनके पैर मत छोड़ना । कार्तिक मास की चौथ आने से पहले उसने अपनी छोटी ननंद से सोलह श्रृंगार का पूरा सामान मंगवाया और करवा भी मंगवाया। छोटी ननंद ने घर जा कर यह बात अपनी मां को बताई तब सास बोली कि लगता है मेरी बहू बेटे के गम में जाने के बाद पागल हो गई है । और अपनी बेटी से बोली कि जा अपनी भाभी को जो भी मांगती है वह सामान दे दे। ननंद श्रृंगार का सारा सामान अपनी भाभी को दे आई । साहूकार की बेटी ने  करवा चौथ का व्रत रखा और चांद को देखकर अर्घ्य दिया और करवाचौथ माता की जोत उठाई। जब चौथ माता प्रकट हुई तो माता बोली करवो ले करवो ले , सात भाइयों की प्यारी बहन करवो ले ,दिन में चांद उगाने वाली करवो ले ,  घणी भूखारी करवो ले । तब वह बोली माता मेरा सुहाग मुझे वापस कर दो तब चौथ माता बोली – तू तो बहुत भूखी है , सात भाइयों की प्यारी बहन है , तुझे सुहाग से क्या काम । तब साहूकार की बेटी बोली – नहीं ,माता नहीं , मैं आपके पैर तब तक नहीं छोडूंगी । जब तक आप मेरा सुहाग मुझे वापस नहीं लौटा देती।  चौथ माता ने उससे सुहाग का सारा सामान मांगा । तो उसने एक एक करके सारा सामान माता को दे दिया ।  चौथ माता ने अपनी आंखों से काजल निकाला , नाखूनों से मेहंदी निकाली और मांग से सिंदूर निकाला और छीटकी उंगली का छींटा दिया और उसका पति जीवित हो गया  । जाते-जाते चौथ माता उसकी झोपड़ी पर लात मार गई , जिससे उसकी झोपड़ी महल बन गई । जब छोटी ननंद अगले दिन खाना लेकर आई तो उसने देखा भाभी की झोपड़ी की जगह तो महल खड़ा है । ननंद को देखते ही साहूकार की बेटी दौड़े-दौड़े अपने ननंद के पास आई और कहा कि देखो , जीजी आपका भाई वापस आ गया । घर जाकर सासु मां से कहो कि हमें गाजे-बाजे के साथ वापस लेने आए । ननंद दौड़ी-दौड़ी अपनी मां के पास जाकर बोली – मां , मां भाई जिंदा हो गया , तब मां बोली कि तेरी भाभी के साथ साथ तेरा भी दिमाग खराब हो गया है  ।नहीं मां , मैंने देखा है ,भाई सच में जिंदा हो गया है । भाभी ने गाजे-बाजे के साथ हमें बुलाया है । सभी घरवाले गाजे-बाजे के साथ अपने बेटे को लेने पहुंचे तो बेटे को जिंदा देखकर सास बहुत खुश हुई। बहू ने अपनी सास के पैर छुए और बोली देखो मां ,आपका बेटा वापस आ गया । सास बोली –मैंने तो साल भर पहले ही इसे अपने घर से भेज दिया था ,वह तो तू ही है,जो इसे वापस लाई है । तब सास अपनी बहू और बेटे को खुशी-खुशी अपने साथ घर लिवा ले गई ।


 हे चौथ माता , आपने साहूकार की बेटी के साथ पहले जैसा किया ,ऐसा किसी के साथ मत करना और बाद में जैसे उसका सुहाग दिया ,  ऐसा सबको देना । सभी पर अपनी कृपा बनाए रखना ।  जय चौथ माता की



Karvachauth complete fasting story. Why is Karva Chauth celebrated?


 The fast of Karva Chauth is celebrated on the Chaturthi of Krishna Paksha of Kartik month, on this day women keep a fast for the whole day for the long life of their husbands and after seeing the moon at night, offer Arghya to the moon to see the face of their husband. She eats only after. Then this fast is complete.




karva chauth fasting story




A moneylender had seven boys and one girl. His daughter had come to her maternal home in those days. The moneylender's wife, his seven daughters-in-law and his daughter observed the fast of Karva Chauth. The moneylender's boys loved their sister very much. When the moneylender's boys sat down to eat at night, they told their sister that - "Come sister, have food". But his sister refused to have food and said that today is my Karva Chauth fast. I will eat only after seeing the moon in the night. Then after hearing this sister's words, her brothers could not stop and they climbed on top of a tree away from the village, lighting a fire in the wood and showing its light through a sieve to her sister, said that sister, the moon has come out. Offer arghya to the moon and have food. Her sister told her sisters-in-law that sister-in-law, the moon has come out. You also see the moon and give Argha and start eating. Her sisters-in-law said no, GG. Your brothers are cheating on you. It is not the moon, it is time for the moon to come out. But he did not listen to his sisters-in-law. She was very disturbed by hunger. Considering the light shown by her brothers to be the moon, she gave her Ardhya and sat down to eat. As soon as he broke the first piece, he sneezed, as soon as he broke the second piece, hair came out in it. And as soon as she broke the next piece and started eating, she got a call from her in-laws' house that - "Her husband is very ill". He has to go to his in-laws house immediately. The moneylender started preparing for her daughter's in-laws' house. As soon as the moneylender opened the box, first black clothes appeared in it, then as soon as the second box was opened, all the clothes were white in it. Then the daughter said - Mother, let you stay. I will leave like this. When the daughter was ready to walk, her mother said, "Daughter, when you go and you see an elderly person on the way, then touch her feet and tie a knot in the lap when she blesses you to be an old woman. Daughter. Said - ok mother and she went to her in-laws' house. Whoever she met elderly on the way, she would touch everyone's feet and everyone would bless her to be happy, see the happiness of Pehar. But someone's mouth made her old. The blessings of being married did not come out as she reached her in-laws' house. When she reached her in-laws' house, her younger sister-in-law was playing outside the house. When she touched her sister-in-law's feet, it came out of her mouth - stay always fortunate, stay daughter-in-law. Remain sweet old man. Hearing this, she tied a knot in her lap. When she reached inside the house, she saw that her husband was dead and kept him lying down on the wheel. Everyone is preparing to take him away. She She cried a lot and started shouting very loudly. As soon as people started carrying her carnivore, she cried and shouted loudly that - No, I will not let this go. But Nor when everyone did not agree, she said that I will also go with them and was repeatedly saying that I will also go with them. Everyone said that it is okay, let's take this along with us. When everyone started burning her husband in the crematorium there, she said - I will not let them burn. So the people standing there got angry and said that first she ate her husband and now she wants to spoil its soil too. But she didn't agree. And started saying that I will not let them burn. If you burn them, you must first set me on fire. Then the members of the family and the elders decided that - okay, leave it here along with the body of her husband and build a hut in this also. She will stay with her husband. The moneylender's daughter started living in the same hut with her dead husband. She used to clean her husband's body. His younger sister-in-law would come and give him food twice a day. She used to fast on the Chaturthi of every month, offer Arghya to the moon and raise the flame. When the fourth mother comes, she says, take them and take them, take the beloved sister of the brothers, take them for those who are hungry. She would ask for the life of her husband from Chauth Mata. Then Chauth Mata used to tell her that when Badi Chauth would come from us, you should ask her for your husband's life. While doing this, all the chauth mothers would come and tell her that when the big chauth comes from us, then you should ask for the life of your husband. While doing this, time passed. The fourth mother of Ashwin month came and told her that the fourth mother of Kartik month is angry with you. She can give you your sweetheart, when the fourth mother of Kartik month comes, you don't leave her feet. Before the arrival of the fourth day of Kartik month, he got all sixteen makeup items from his younger sister-in-law and also got it done. The younger nand went home and told this to her mother, then the mother-in-law said that it seems that my daughter-in-law has gone mad after going into the sorrow of her son. And said to her daughter that whatever she asks for her sister-in-law, she should give the goods. Nand gave all the makeup items to his sister-in-law. The moneylender's daughter kept the fast of Karva Chauth and offered Arghya on seeing the moon and raised the holding of Karva Chauth mother. When the fourth mother appeared, the mother said, take them and take them, take the beloved sister of seven brothers, take the moon-growing in the daytime, take those who are hungry. then he Said mother, give me back my honey, then the fourth mother said - you are very hungry, you are the beloved sister of seven brothers, what is the work with you honey. Then the moneylender's daughter said - No, not mother, I will not leave your feet till then. Until you return my sweetheart to me. Chauth Mata asked him for all the goods of the honey. So he gave all the goods one by one to the mother. Chauth Mata took out kajal from her eyes, took out henna from her nails and took out vermilion on demand and splattered her finger and her husband became alive. On the way, Chauth Mata kicked her hut, which turned her hut into a palace. When the little nand brought food the next day, she saw that instead of her sister-in-law's hut, the palace was standing. On seeing Nandan, the moneylender's daughter came running to her Nanda and said that look, ji, your brother has come back. Go home and ask mother-in-law to come to take us back with a melody. Nand ran to his mother and said – mother, mother brother became alive, then mother said that along with your sister-in-law, your mind has also gone bad. No mother, I have seen, brother has really become alive. . Sister-in-law has called us with gaiety. When all the family members came to pick up their son with gaiety, the mother-in-law was very happy to see the son alive. The daughter-in-law touched her mother-in-law's feet and said, mother, your son has come back. Mother-in-law said - I had sent it from my house a year ago, it is you who have brought it back. Then the mother-in-law happily took her daughter-in-law and son home with her.


O Chauth Mother, as you did to the moneylender's daughter, don't do this to anyone and later give it to everyone as you gave her honey. Have mercy on all. jai chauth mata ki