एक गांव में एक सेठ रहते थे । उनका नाम मलूक चंद था । उनके घर के पास एक ब्राह्मण का घर था । ब्राह्मण बहुत ही पूजा - पाठ करते थे । एक दिन ब्राह्मण ने रात्रि में एकादशी का जागरण किया । सारी रात बैठकर ढोल , मंजीरे बजाकर भजन कीर्तन किया । जिससे पास के घर में रहने वाले मलूक चंद सेठ को रात भर नींद नहीं आई । वह ढोल और मंजीरों की आवाज से परेशान रहा । जब वह सुबह उठा तो उसने ब्राह्मण से कहा कि – आपने सारी रात मुझे सोने नहीं दिया । सारी रात आपके भजन और ढोल , मंजीरों की आवाज हमारे घर में आती रही और मैं ठीक से सो ही नहीं पाया । उसने ब्राह्मण को बहुत खरी-खोटी सुनाई । ब्राह्मण ने कहा कि – कल एकादशी का जागरण था । एकादशी के दिन रात्रि में मैं भजन कीर्तन करता हूं । सेठ जी , यदि आपको सारी रात नींद नहीं आई , तो आप मेरे घर आकर भजन कीर्तन में शामिल हो जाते और भगवान का नाम लेते । मलूक चंद सेठ बोले कि अगर इंसान रात्रि को ठीक से सोएगा नहीं , तो वह सुबह उठकर कैसे काम करेगा और काम पर नहीं जाएगा , तो अपने परिवार को क्या खिलाएगा । और वैसे भी मुझे ये भजन कीर्तन पसंद नहीं है। ब्राह्मण बोला कि – खिलाने वाला तो ईश्वर है , वह सब का ध्यान रखता है , वह सब को भोजन देता है । तब मलूक चंद सेठ जी बोले – ये क्या तुमने भगवान के नाम की रट लगा रखी है । मैं खुद कमाता हूं और खाता हूं । तुम्हारे भगवान का दिया हुआ मैं नहीं खाता । मैं तो अपनी कमाई का खाता हूं । तुम्हारे भगवान एक एक को थोड़े ही ना खिलाने आते हैं । तब ब्राह्मण बोला कि – भगवान किसी न किसी को निमित्त मात्र बनाकर सब का पेट भरता है । वही हमारे अंदर मेहनत करने की इच्छा शक्ति देता है । ब्राह्मण और सेठ में इस बात पर बहस हो गई । सेठ जी बोले कि – हम कमाते हैं और खाते हैं । ब्राह्मण बोला कि – खिलाने वाला तो परमात्मा ही है । इस बात की बहस होते होते दोनों के बीच एक शर्त लग गई । तब मलूक चंद सेठ बोले – तो ठीक है , अपनी बात साबित करो । मैं कल दिन में पूरा दिन भूखा रहूंगा । खुद से खाना नहीं खाऊंगा । देखते हैं तुम्हारा भगवान मुझे कैसे खिलाएगा ? और अगर मैं जीत गया तो तुम्हें सदा के लिए यह भजन कीर्तन छोड़ना होगा । ब्राह्मण को अपने भगवान पर पूरा विश्वास था । उन्होंने कहा – ठीक है , मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर हैं । अगली सुबह सेठ ने कुछ नहीं खाया और सोचा कि यदि घर में रहूंगा , तो कहीं परिवारजन जिद करके खिला ना दे , इसीलिए मैं जंगल में चला जाता हूं । सेठ जी एक जंगल में जाकर एक वृक्ष के ऊपर चढ़कर बैठ गए और बोले कि देखते हैं , अब यहां पर आकर मुझे कौन खिलाता है । आज तो मैं अपनी शर्त जीत जाऊंगा और ब्राह्मण को सदा के लिए भजन कीर्तन और ढोल मंजिरे बंद करने पड़ेंगे । फिर मैं आराम से सोया करूंगा । वह यह सब सोच रहा था तभी उस पेड़ के नीचे एक बुढ़िया माई अपनी बकरियां चराने आई । वह उसी पेड़ की छांव में बैठ गई । उस बुढ़िया ने उस पेड़ की छांव में विश्राम किया । तभी उसे लगा कि उसकी बकरियां चरती हुई कहीं दूर चली गई है और वह अपनी बकरियों को देखने के लिए वहां से उठकर चल पड़ी । बुढ़िया गलती से अपना थैला वहीं पर भूल गई । या फिर कह सकते हैं कि भगवान की प्रेरणा थी जो गलती से वो उस थैले को वहां भूल गई । सेठ जी पेड़ पर चढ़े हुए थे और यह सब देख रहे थे । तभी थोड़ी देर बाद वहां पर कुछ डाकू आते हैं । उनके पास चोरी का बहुत सारा धन होता है । डाकू उस पेड़ के नीचे बैठते हैं और अपना चोरी का धन आपस में बांट रहे होते हैं । तभी उनकी नजर उस पास पड़े थैले पर पड़ती है, तो उनमें से एक डाकू कहता है कि – सरदार देखो , यहां पर एक थैला पड़ा हुआ है । इसे खोल कर देखते हैं । उसमे एक कपड़े में तीन – चार रोटियां बंधी हुई थी । डाकू बोलता है कि – सरदार कोई लगता है अपना भोजन यही भूल गया है । हमें भूख भी लगी हुई है , चलो भोजन करते हैं । तब सरदार बोलता है कि नहीं नहीं , भला इतने घने जंगल में कोई अपना भोजन क्यों भूलेगा । लगता है हमें पकड़वाने के लिए किसी ने चाल चली है , देखो कोई यहां आस पास तो नहीं है । हो सकता है इन रोटियों में किसी ने जहर मिला रखा हो , कोई हमें मारना चाहता हो । तो वे सब इधर-उधर देखने लगते हैं । अचानक एक डाकू की नजर पेड़ पर चढ़े हुए सेठ पर पड़ती है । डाकू सेठ को नीचे उतरने के लिए कहते हैं । सेठ नीचे उतरने से मना कर देता है कि नहीं , मैं तो आज यहीं पर बैठा रहूंगा । तब सारे डाकू मिलकर जबरदस्ती उसे पेड़ से नीचे उतार देते हैं । और कहते हैं कि बता तू पेड़ पर चढ़कर क्यों बैठा है, तूने इस भोजन में जहर मिला रखा हैं ताकि हमें मार सके और हमारा सारा धन छीन सके। सेठ जी कहते हैं कि नहीं नहीं , मैंने यह भोजन नहीं रखा । यहां तो एक बुढ़िया आई थी और वही अपना थैला यहां गलती से भूल गई है । तब डाकू कहते हैं कि तुम झूठ बोल रहे हो । अगर तुमने यह भोजन नहीं रखा है और ना ही इसमें जहर मिला हैं , तो फिर इस भोजन को खा कर दिखाओ और अपनी बात साबित करो । चलो इसमें से एक रोटी खाकर दिखाओ । सेठ जी कहते हैं कि – नहीं नहीं , मैं आज रोटी तो बिल्कुल नहीं खाऊंगा । डाकू बोला कैसे नहीं खाएगा , इसमें जहर मिलाकर हमें मारना चाहता था और अब हम कह रहे हैं भोजन कर , तो मना करता है । डाकू जबरदस्ती उसको पकड़ लेते हैं और उसके मुंह में जबरदस्ती एक टुकड़ा डालते हैं , पर सेठ मुंह नहीं खोलता । तो डाकू उसकी नाक बंद करके उसका मुंह खुलवा देते है और एक – एक टुकड़ा खिला कर एक रोटी खिला देते हैं । तब सरदार कहता है एक रोटी खाकर इसे कुछ नहीं हुआ । लगता है दूसरी रोटी में जहर है । इस तरह करके उसे दूसरी रोटी भी खिला देते हैं और फिर इस प्रकार तीसरी रोटी और चौथी रोटी । चारों रोटियां उस सेठ को जबरदस्ती खिला देते हैं । सेठ जी मन ही मन सोचते हैं कि– मान गए भगवान , तेरी लीला को मान गए । जब कोई नहीं खाता तो उसे जबरदस्ती मार-मार कर भी खिलाता है । मलूक चंद सेठ सोचते हैं कि चाहे तू डाकू के रूप में आकर खिला , चाहे भक्तों के रूप में , खिलाने वाला तो तू ही है । डाकू उसे छोड़ देते हैं । मलूक चंद सेठ भागे भागे ब्राह्मण के पास आते हैं और उनसे हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हैं और कहते हैं – ब्राह्मण देव , आपने सत्य ही कहा था । आपका भगवान ही खिलाने वाला है और कोई नहीं खाता तो वह मार मार कर खिलाता है । मलूक चंद सेठ का जीवन पूरी तरह बदल चुका था । मलूक चंद सेठ अपना सारा घर बार छोड़कर भगवान के भजन कीर्तन में लग गए । और मलुकचंद सेठ से मलूक दास बन गए ।
संत मलूक दास जी का एक दोहा बहुत ही प्रसिद्ध है –
अजगर करे न चाकरी , पंछी करे न काम ।
दास मलूका कह गए , सबके दाता राम ।।
There lived a Seth in a village. His name was Malook Chand. There was a Brahmin's house near his house. Brahmins used to worship a lot. One day a Brahmin awakened Ekadashi in the night. Sitting all night, playing dhol, Manjire and singing bhajans. Due to which Malook Chand Seth, who lives in a nearby house, could not sleep throughout the night. He was disturbed by the sound of drums and manjirs. When he woke up in the morning, he told the brahmin that – You did not let me sleep all night. The whole night the sound of your bhajans and drums, manjirs kept coming in our house and I could not sleep properly. He told the brahmin a lot of lies. The brahmin said that yesterday there was awakening of Ekadashi. On Ekadashi, I do Bhajan Kirtan at night. Seth ji, if you did not sleep the whole night, you would have come to my house and indulge in bhajan kirtan and take the name of God. Malook Chand Seth said that if a person does not sleep properly at night, then how will he wake up in the morning and do not go to work, then what will he feed his family. And anyway I do not like this bhajan kirtan. The Brahmin said that God is the one who feeds, He takes care of everyone, He gives food to all. Then Malook Chand Seth ji said – Have you kept chanting the name of God? I myself earn and eat. I don't eat what your God has given me. I eat my earnings. Your God does not come to feed each one a little. Then the Brahmin said that - God fills everyone's stomach by making someone or the other only an instrument. That is what gives us the will power to work hard. A debate ensued between the Brahmin and the Seth. Seth ji said that - we earn and eat. The Brahmin said that God is the one who feeds. While there was a debate about this, a condition was made between the two. Then Malook Chand Seth said – then it is okay, prove your point. I will be hungry all day tomorrow. I will not eat food by myself. Let's see how your God will feed me? And if I win then you will have to give up this bhajan kirtan forever. The brahmin had full faith in his god. He said - OK, I accept your condition. The next morning, Seth did not eat anything and thought that if I stay in the house, then the family members should not feed him by insisting, that's why I go to the forest. Seth ji went to a forest and sat on top of a tree and said that now let's see who comes here and feeds me. Today I will win my bet and the brahmin will have to stop singing the bhajans, kirtan and drums for all time. Then I will sleep peacefully. He was thinking all this when an old lady came under that tree to graze her goats. She sat under the shade of that tree. The old lady rested in the shade of that tree. Then she felt that her goats had gone somewhere far away while grazing and she got up from there to see her goats. The old lady accidentally forgot her bag there. Or it can be said that it was the inspiration of God who accidentally forgot that bag there. Seth ji was climbing on the tree and was watching all this. Then after a while some robbers come there. They have a lot of stolen money. The robbers sit under that tree and are dividing their stolen money among themselves. Then their eyes fall on the bag lying nearby, then one of the dacoits says that - Sir, look, there is a bag lying here. Let's see it open. In it, three or four rotis were tied in a cloth. The robber says that - Sardar someone seems to have forgotten his food. We are hungry too, let's eat. Then the Sardar says that no, why would anyone forget his food in such a dense forest. It seems that someone has played a trick to get us caught, see if no one is around here. Maybe someone has mixed poison in these rotis, someone wants to kill us. So they all start looking here and there. Suddenly a robber's eyes fall on Seth, who is climbing a tree. The robbers ask Seth to get down. Seth refuses to get down or not, I will be sitting here today. Then all the bandits together forcefully take him down from the tree. And they say that tell me why are you sitting on the tree, you have mixed poison in this food so that it can kill us and take away all our wealth. Seth ji says no no, I did not keep this food. An old lady had come here and she has forgotten her bag here by mistake. Then the dacoits say that you are lying. If you have not kept this food and have not got poison in it, then show it by eating this food and prove your point. Let's show it by eating a roti out of it. Seth ji says that – No no, I will not eat roti at all today. The robber said how he will not eat, wanted to kill us by mixing poison in it and now we are saying eat food, then he refuses. The robbers forcefully capture him and forcefully put a piece in his mouth, but Seth does not open his mouth. So the robbers close his nose and open his mouth and feed him a piece of bread. Then the Sardar says that nothing happened to him after eating one roti. Looks like there is poison in the second roti. In this way, we also feed him the second roti and then in this way the third roti and the fourth roti. The four rotis forcefully feed that Seth. Seth ji thinks in his heart that – God has agreed, has accepted your Leela. When no one eats, he feeds them by forcefully killing them. Malook Chand Seth thinks that even if you come and feed as a dacoit, even if you are a devoteeAs in, you are the one who feeds. The robbers leave him. Malook Chand Seth comes to the fledgling Brahmin and asks for forgiveness with folded hands and says – Brahman God, you have told the truth. Your God is the one who feeds and if no one eats, then he feeds them by killing them. Malook Chand Seth's life had completely changed. Malook Chand Seth left his entire house and started singing the bhajans of God. And Malukchand became Maluk Das from Seth.
A couplet of Sant Maluk Das ji is very famous –
The python does not work, the bird does not work.
Das Maluka said, Rama is the giver of all.