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एकादशी के उपाय , रंगभरी एकादशी के उपाय -3 MARCH AKADASHI
होलिका के दिन करे ये उपाय सारे दुःख परेशानी दूर होंगी , होलिका के दिन के 4 उपाय , holi
1. अगर किसी को लगता है की उनका business उनका व्यापर और उनकी नौकरी , पहले अच्छा चल रहा था , अब नहीं चल रहा तो
एक पान का पत्ता , 2 लॉन्ग , 1 बतासा ,1 कोड़ी , थोड़ी सी मिश्री और इसे गाय के घी में डुबो ले , और ये कह कर की होलिका माता हम पर कृपया करो और ये जो हमारे ऊपर जो किया कराया है ये कहते हुवे होलिका मैया की परिक्रमा करते हुवे चुपचाप अग्नि में डाल दे , इससे सारे काम फिर से ठीक हो जाएंगे ,
दूसरा उपाय : अगर कहि पैसा फस गया है तो एक अनार की लकड़ी ले और उस लकड़ी से उस व्यक्ति का नाम लिखे और उस पर थोड़ा सा गुलाल डाल दे , ये सब आपको होलिका के दहन से पहले करके आना पड़ेगा , ऐसा करते हुए उस व्यक्ति का नाम बोले और होलिका माता से प्रार्थना करे की हे होलिका माता हम पर कृपया करो , इससे आपके फसे हुए पैसे निकल जाएंगे ,
तीसरा उपाय : अगर आप बहुत बीमार है तो होलिका के दिन आपको वहां से भस्म ले आए और उस भस्म से बीमार व्यक्ति के माथे पर तिलक करे , अगर बीमार व्यक्ति खुद जा सके तो बहुत अच्छा , तिलक सीधे हाथ , दाए हाथ से लगाए , और सुबह को थोड़े सी भस्म गुनगुने पानी में डालकर उस व्यक्ति को नहलाए , तिलक 21 दिन तक करना है , इससे उस बीमार व्यक्ति को अद्भुत स्वास्थ्य लाभ मिलेगा ,
चौथा उपाय : अगर आपके ऊपर शनि , राहु , केतु की दशा चल रही है और आप इन्हे दूर करना चाहते है तो होलिका की भस्म ले आए और उसे जल में डालकर शिव को अर्पित करे , शिव को नहलाए , आप जानते है शिव को भस्म बहुत प्रिय है इस लिए शिव प्रशन्न होंगे और आपके ऊपर से राहु , केतु और शनि की प्रकोप शीघ्र दूर होंगे ,
होलिका के दिन करे ये उपाय सारे दुःख परेशानी दूर होंगी , होलिका के दिन के 4 उपाय
Hindi Story | श्री कृष्ण और नेवले की कथा | hindi story reading | hindi story for kids | love story in hindi | story in hindi with moral | short hindi story | bedtime stories in hindi | hindi story book | हिंदी स्टोरी बुक |
महाभारत के युद्ध के पश्चात जब पांडवों ने हस्तिनापुर का राज्य संभाला । तब महाराज युधिष्ठिर ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया । यज्ञ के दौरान महाराज युधिष्ठिर ने गरीबों को बहुत ही उपहार दिए । उन्होंने बहुत दान किया । उस समय जो भी उनके द्वार पर भिक्षा मांगने आया । वह उनके द्वार से खाली नहीं गया । वे उसकी झोली हीरे मोती से भर देते थे । चारों ओर बातें होने लगी कि महाराज युधिष्ठिर कितने बड़े दानी है , कितने बड़े महात्मा है । सब लोग आपस में कहने लगे कि इससे बड़ा दान हमने पहले कभी भी नहीं देखा और न ही सुना है। लेकिन उसी दौरान वहां पर एक नेवला आया जिसका आधा शरीर सुनहरा था और आधा शरीर भूरे रंग का था । वह नेवला उस समारोह में आकर सबसे कहने लगा कि आप सब झूठ बोल रहे हैं । यह कोई महान दान नहीं है । तब वहां पर सभी उपस्थित लोग कहने लगे कि तुम यह क्या कह रहे हो ? महाराज युधिष्ठिर के द्वार पर जो भी कोई दान मांगने आया है और जिस ने जो कुछ भी मांगा है महाराज ने उसे वही दान में दिया है । तो तुम यह बात कैसे कह सकते हो ? इन्होंने अपने द्वार पर आए हुए हर भिक्षुक को संतुष्ट किया है । इससे पहले दान ना तो किसी ने किया है , ना ही कोई ऐसा करेगा । परंतु नेवला उनकी बातों से संतुष्ट नहीं हुआ और वह कहने लगा कि एक बार एक बहुत ही छोटा सा गांव था । उस गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी , अपने बेटे और उसकी बहू के साथ रहता था । वे बहुत ही गरीब थे । अपने जीवन यापन के लिए ब्राह्मण जो भी भिक्षा मांगता था , उसी से वे अपने जीवन का निर्वाह करते थे । लेकिन एक बार उस गांव में अकाल पड़ गया । अब तो गरीब ब्राह्मण को जीवन यापन करना बहुत ही कठिन हो रहा था । ब्राह्मण को किसी दिन भिक्षा मिलती तो किसी दिन नही । एक बार तो उन्हें भिक्षा मिले हुए पूरे 10 दिन हो गए थे । उनके परिवार ने 10 दिन से कुछ भी भोजन ग्रहण नहीं किया था । एक दिन ब्राह्मण देव कुछ भिक्षा मांगने के लिए घर से निकले , तो उन्हें कहीं से थोड़ा सा जों का आटा दान में मिला । ब्राह्मण बहुत ही खुश हुआ और उसने घर आकर अपनी पत्नी को वह आटा दे दिया । उसकी पत्नी ने आटे से छोटी छोटी चार रोटियां बनाई । ताकि सबके हिस्से में एक एक रोटी आ जाए । वहीं पर एक कोने में मैं भी बैठा हुआ था और सोच रहा था कि काश मुझे भी कुछ खाने को मिल जाए , तो मैं भी अपनी भूख को शांत कर लूं । पर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था । जैसे ही परिवार वाले भोजन ग्रहण करने ही वाले थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई । जब ब्राह्मण देव ने जाकर दरवाजा खोला तो वहां पर एक अतिथि खड़ा था । उस अतिथि ने ब्राह्मण से कहा कि मुझे बहुत ही भूख लग रही है । मैं कई दिनों से भूखा हूं , कृपया मुझे कुछ खाने को दे दें , जिससे मैं अपने प्राणों को बचा सकूं । ब्राह्मण देव ने उस अतिथि से कहा कि – अंदर आइए और आसन ग्रहण कीजिए । मैं अभी आपको यथाशक्ति भोजन देता हूं । अतिथि ने स्थान ग्रहण किया और उसके पश्चात ब्राह्मण देव ने अपने हिस्से की एक रोटी उस अतिथि को परोस दी । अतिथि मानो कई वर्षों से भूखा था , उसने पलक झपकते ही एक रोटी फटाफट खाकर समाप्त कर दी और कहने लगा कि आपने तो मुझे मार ही दिया । मैं तो कई दिनों से भूखा था । एक रोटी को खा कर मेरी तो भूख और बढ़ गई है । यह शांत नहीं हो रही । कृपया मुझे कुछ और भोजन खाने को दीजिए । अतिथि के यह कहते ही ब्राह्मण देव असमंजस में पड़ गए । क्योंकि उनका परिवार भी कई दिनों से भूखा था और आज उन्हें कुछ खाने को मिला था , तो वह कैसे अपने परिवार को अपने हिस्से की रोटी देने के लिए नहीं कह सकते थे । लेकिन ब्राह्मण के चेहरे के हावभाव को देखकर उसकी पत्नी बोली कि आप मेरे हिस्से का भोजन इन्हें दे दीजिए । और पत्नी ने यह कहकर अपने हिस्से की रोटी उस अतिथि के सामने परोस दी । उस रोटी को खाने के बाद अतिथि और रोटी मांगने लगा । तब बेटे ने अपने हिस्से की रोटी भी उस अतिथि के सामने परोस दी और कहने लगा कि अपने पिता के सम्मान की रक्षा करना ही एक बेटे का कर्तव्य होता है । अतिथि ने उसके बेटे के हिस्से की रोटी भी खा ली और वह एक और रोटी मांगने लगा । तब उसके बेटे की बहू ने भी अपना हिस्सा उसे दे दिया । अतिथि उस रोटी को खाकर संतुष्ट हो चुका था । वह उसके परिवार को आशीर्वाद देता हुआ वहां से चला गया । अतिथि के जाने के बाद उन ब्राह्मण परिवार के चारों सदस्यों की मौत हो गई । क्योंकि वे भी कई दिनों से भूखे थे और भूख के कारण उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए । फिर नेवला बोला कि – उस अतिथि ने जहां पर भोजन ग्रहण किया था । वहां पर नीचे जमीन पर एक छोटा सा झूठा रोटी का टुकड़ा गिरा हुआ था । मैंने जैसे ही उस टुकड़े को खाया , तभी उसे खाते ही मेरा आधा शरीर सुनहरा यानी सोने का हो गया है । और तभी से मैं इस आधे सुनहरे शरीर के साथ घूम रहा हूं । और उस भोजन की तलाश में हूं जैसा भोजन मैंने ब्राह्मण देव के घर ग्रहण किया था । ताकि जिसे खाते ही मेरा पूरा शरीर सोने का हो जाए । लेकिन मुझे अभी तक ऐसा भोजन ग्रहण कराने वाला नहीं मिला । जब मैंने महाराज युधिष्ठिर के दान के बारे में सुना तो मैं यहां पर आया और यहां पर बची जूठन को खाया । तब भी मेरा शरीर ऐसा ही रहा । मेरा शरीर पूरा सुनहरा नहीं हुआ है । इसलिए मैं कह रहा हूं कि यह महान दान नहीं है । क्योंकि महान दान तो उस ब्राह्मण ने किया था । जिसके कारण मेरा आधा शरीर सोने का हो गया । नेवले की बात सुनकर वहां पर खड़े सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए और महाराज युधिष्ठिर भी अपने आप में बहुत ही शर्मिंदा हुए । क्योंकि उन्हें अपने मन ही मन में अपने महान दानी होने पर बहुत अभिमान हो गया था । और कृष्ण भगवान ये सब जान चुके थे । यह सब तो भगवान कृष्ण की एक लीला थी और कृष्ण भगवान ने महाराज युधिष्ठिर का अंहकार समाप्त करने के लिए ही ये लीला की थी। इसलिए तो कहा गया है कि – "अतिथि देवो भव: " ।
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Hindi story | जिन्दा मरने के लिए कौन तैयार होगा | दान की महिमा | प्रेम के आंसू | A educational hindi story
एक बहुत ही न्याय प्रिय और दयालु राजा था । वह अपने इसी गुण के कारण पूरी प्रजा में बहुत ही लोकप्रिय था । एक दिन वह अपने महल में बैठा था कि अचानक उसके मन में सवाल आया कि मरने के बाद आदमी का क्या होता होगा ? अपने इस सवाल का जवाब पाने के लिए अगले दिन राजा ने दरबार में अपने मंत्रियों से यह सवाल पूछा । सभी मंत्रीगण राजा के इस जिज्ञासा भरे प्रश्न को सुनकर चिंतित हो उठे । काफी सोच विचार ने के बाद राजा ने निर्णय लिया कि उसके राज्य में सभी जगह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुर्दे के समान लेटकर रात भर कब्र में होने वाली सारी क्रियाओं को बताएगा । उसे 500 सोने की मोहरे भेंट की जाएंगी । यह बात ढिंढोरा पिटवा कर सारे राज्य में बता दी गई । अब समस्या यह आई कि अच्छा भला आदमी कौन जीवित मरने को तैयार हो । आखिरकार राज्य में एक व्यक्ति ऐसा मिल ही गया जो इस काम को करने के लिए तैयार हो गया । जो इतना कंजूस था कि वह पेट भरकर खाता पीता भी नहीं था । वो राजा के सामने पेश हो गया । राजा ने उसके लिए फूलों की अर्थी सजवाई । उसे उस अर्थी पर लेटा कर सफेद कफन उढा कर कब्रिस्तान ले जाया गया । रास्ते में एक फकीर ने उसका पीछा किया और उससे कहा कि तुम तो अब मरने जा रहे हो और तुम अपने परिवार में अकेले हो । इसलिए तुम्हारा सारा धन घर में ही कैद रहेगा , उस धन में से मुझे थोड़ा सा धन दे दो । कंजूस व्यक्ति ने मना कर दिया । परंतु उस फकीर ने फिर भी उस कंजूस आदमी का पीछा नहीं छोड़ा और बार-बार कुछ मांगने की रट लगाए रहा । तब कंजूस आदमी ने परेशान होकर कब्रिस्तान में बादाम के छिलकों के ढेर पड़े हुए थे । उसमें से एक मुट्ठी छिलके उठाए और उस फकीर को दे दिए । इसके बाद उस कंजूस आदमी को कब्र में लिटा दिया गया और सारी कब्र को एकदम से बंद कर दिया गया । बस छोटा सा छेद सिर की तरफ इस आशा से छोड़ दिया गया कि जिससे यह सांस लेता रहे और अगली सुबह राजा को मरने के बाद का पूरा हाल सुनाएं । सभी लोग कंजूस को उस कब्र में लिटा कर वापस अपने घर आ गए । रात हुई । रात को एक सांप उस कब्र के ऊपर आया और छोटा सा छेद देखकर उस में घुसने का प्रयत्न करने लगा । यह देखकर उस कंजूस की घबराहट का ठिकाना नहीं रहा । सांप ने जैसे ही घुसने का प्रयत्न किया तो बादाम के छिलके उसे छेद में आड़ बनकर आ गए । सुबह होते ही राजा के नौकर बड़ी जिज्ञासा से कब्रिस्तान में आए और कब्र खोदकर उस कंजूस आदमी को निकाला । मरने के बाद क्या हाल होता है यह सब राजा को सुनाने के लिए उन्होंने उसे राजा के पास चलने को कहा । मगर उस कंजूस आदमी ने राजा के नौकरों की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया । वह पहले अपने घर गया और अपनी सारी संपत्ति गरीबों में बांट दी । सभी लोग कंजूस की इस दान देने की दयालुता को देख कर हैरान हो गए । उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे । अंत में कंजूस को राजा के सामने पूरा हाल सुनाने के लिए पेश किया गया । कंजूस आदमी ने रात में हुई सांप की और बादाम के छिलकों की पूरी कहानी कह सुनाई और कहने लगा कि महाराज मरने के बाद सबसे ज्यादा दान ही काम आता है । दान करना मनुष्य के लिए सबसे उत्तम है । मरने के बाद आदमी के साथ जो कुछ भी होता है वह उसके किए गए कर्मों पर ही आधारित होता है । इसलिए मरने के बाद उसके साथ अच्छा हो इसलिए आदमी को दान करना चाहिए ।
प्रेम के आंसू
एक बार एक सिद्ध महात्मा से एक भक्त कहने लगा कि – हे गुरु महाराज , यह अभागा और पापी मन धन दौलत के लिए तो रोता बिलखता है परंतु भगवान अपनी आत्मा है और वह इस से नहीं मिला , इसके लिए तो यह रोता ही नहीं है , क्या करें ? तब गुरू जी बोले कि – रोना नहीं आता , तो झूठ मुठ ही रो लिया करों । भक्त ने कहा कि – महाराज झूठ मुठ में भी रोना नहीं आता , तब क्या करें ? महाराज दयालु थे । उन्होंने भगवान के विरह की दो बातें की । बातें करते करते ही महाराज बोले कि – चलो झूठ मुठ में ही रो कर दिखाओ । वहां बैठे सब भक्तों ने झूठ मुठ में ही रोना शुरू कर दिया , तो रोते-रोते उनके मन में सच्चा भाव जागृत हो गया । तब गुरू जी बोले – यह झूठा संसार सच्चा आकर्षण पैदा करके 84 के चक्रों में डाल देता है , तो भगवान के लिए झूठ मूठ में रोना सच्चा विरह पैदा करके ह्रदय में प्रेमा भक्ति भी जगा देता है । अनुराग इस भावना का नाम है कि – भगवान हमसे बड़ा स्नेह करते हैं , हम पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं । हम उनको नहीं देखते पर वह हमको देखते रहते हैं । हम उनको भूल जाते हैं पर भगवान हमें नहीं भूलते । हमने उनसे अपना नाता रिश्ता तोड़ लिया है , परंतु भगवान ने हम से अपना रिश्ता नहीं तोड़ा । उन्होंने हमें यह मानव जीवन देकर हमारे ऊपर सबसे बड़ा उपकार किया है । भगवान हमारा पालन-पोषण करते हैं इस प्रकार की भावना ही प्रेम का मूल है । अगर तुम यह मानते हो कि – मैं भगवान से बहुत प्रेम करता हूं , लेकिन भगवान नहीं करते , तो तुम्हारा प्रेम अंदर से खोखला है । हमारे दिल के झरोखों में झुरमुट के पीछे जो हमें टुकर टुकर देख रहे हैं , उन्हें तुम अपने दिल की गहराई से एक बार पुकारो तो सही । हे नाथ...... हे मुरलीधर....... हे श्यामसुंदर ........ टुकुर-टुकुर दिल के झरोखे से देखने वाले मनमोहन..... अपनी प्रीति और अपनी भक्ति दे । चाहे कैसे भी हो उन्हें पुकारो .... वे बड़े दयालु हैं । वह तुम्हारी पुकार जरूर सुनेंगे और तुम्हारे ऊपर अपनी कृपा दृष्टि जरूर बनाएंगे ।
तुलसी अपने राम को रीझ भजों या खीज ।
भूमि फेंके उगेंगे , उल्टे सीधे बीज ।।
all about red lady finger / Benefits / How to grow / लाल भिंडी के बारे में सब कुछ /
all about red lady finger /
Red Lady Finger (Abelmoschus esculentus), also known as Okra, is a vegetable that is widely cultivated in tropical and subtropical regions of the world. It is a member of the mallow family and is closely related to cotton and hibiscus. The plant produces edible pods that are usually green but can be red or yellow in color. Red lady finger pods are usually longer, thinner, and less hairy than green okra pods.
Red lady finger pods are a popular ingredient in many dishes, particularly in Southern and African American cuisine. They are often used in stews, soups, and gumbo. The seeds inside the pods are edible and are considered a nutritious food source, as they are a good source of fiber, vitamins, and minerals.
When cooking with red lady finger, it is best to avoid overcooking, as this can cause the pods to become slimy and unappealing. The pods are often sliced or chopped and then fried, boiled, or baked. They can also be pickled or canned.
In addition to being a food source, red lady finger is also used for medicinal purposes in some cultures. The leaves, stems, and seeds are used to make teas and other remedies for a variety of ailments, including headaches, indigestion, and sore throat.
In conclusion, red lady finger is a versatile and nutritious vegetable that is enjoyed for its flavor, texture, and health benefits.
Benefits to eat red lady finger
Red lady finger, also known as okra, provides numerous health benefits when consumed as part of a balanced diet. Some of the benefits include:
Fiber: Red lady finger is a good source of fiber, which can help to regulate digestion and promote feelings of fullness.
Antioxidants: The vegetable is rich in antioxidants, which protect cells from damage caused by harmful molecules known as free radicals.
Vitamins: Red lady finger is a good source of vitamins such as vitamin C, folate, and vitamin K.
Minerals: It is also a good source of minerals such as calcium, iron, and magnesium.
Heart health: The fiber and antioxidants in red lady finger can help to support heart health and reduce the risk of heart disease.
Blood sugar control: The fiber in red lady finger can help to regulate blood sugar levels, making it a good food choice for people with diabetes.
Eye health: Red lady finger is a good source of vitamin A, which is important for eye health.
Immune system support: The vitamin C in red lady finger can help to boost the immune system and protect against illness.
In conclusion, eating red lady finger as part of a balanced diet can provide numerous health benefits and support overall well-being.
How to grow red lady finger
Growing red lady finger (okra) is a simple process, and it is well-suited to warm, tropical climates. Here are the steps to grow red lady finger:
Choose a suitable site: Select a location in full sun with well-draining soil.
Prepare the soil: Loosen the soil to a depth of about 12 inches, and amend it with compost or other organic matter.
Sow seeds: Plant the seeds about 1 inch deep and 4 to 6 inches apart in rows. Cover with soil, and water well.
Provide support: As the plants grow, they will need support, such as a trellis or stake.
Water regularly: Okra requires regular watering, especially during dry periods. Water deeply and avoid getting water on the leaves.
Fertilize: Apply a balanced fertilizer, such as 10-10-10, every 4 to 6 weeks.
Harvest: Red lady finger pods are ready to harvest when they are 3 to 4 inches long. Use a sharp knife to cut the pods from the plant.
Pest control: Keep an eye out for common okra pests, such as aphids and leaf-footed bugs. Control pests with organic methods, such as beneficial insects or neem oil.
In conclusion, growing red lady finger is a simple and rewarding process. With proper care, you can enjoy a bountiful harvest of this nutritious vegetable in your own garden.
लाल भिंडी के बारे में सब कुछ /
रेड लेडी फिंगर (एबेलमोशस एस्कुलेंटस), जिसे ओकरा के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से की जाती है। यह मैलो परिवार का सदस्य है और कपास और हिबिस्कस से निकटता से संबंधित है। यह पौधा खाने योग्य फली पैदा करता है जो आमतौर पर हरे रंग की होती हैं लेकिन लाल या पीले रंग की हो सकती हैं। लाल भिंडी आमतौर पर हरी भिंडी की तुलना में लंबी, पतली और कम बालों वाली होती है।
लाल भिंडी कई व्यंजनों में एक लोकप्रिय सामग्री है, विशेष रूप से दक्षिणी और अफ्रीकी अमेरिकी व्यंजनों में। वे अक्सर स्ट्यू, सूप और गम्बो में उपयोग किए जाते हैं। फली के अंदर के बीज खाने योग्य होते हैं और उन्हें एक पौष्टिक खाद्य स्रोत माना जाता है, क्योंकि वे फाइबर, विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत होते हैं।
लाल भिंडी के साथ पकाते समय, ज़्यादा पकाने से बचना सबसे अच्छा है, क्योंकि इससे फली चिपचिपी और अनाकर्षक हो सकती है। फली अक्सर कटी हुई या कटी हुई होती है और फिर तली, उबाली या बेक की जाती है। उन्हें अचार या डिब्बाबंद भी किया जा सकता है।
एक खाद्य स्रोत होने के अलावा, लाल भिंडी का उपयोग कुछ संस्कृतियों में औषधीय प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है। सिरदर्द, अपच और गले में खराश सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए पत्तियों, तनों और बीजों का उपयोग चाय और अन्य उपचारों के लिए किया जाता है।
अंत में, लाल भिंडी एक बहुमुखी और पौष्टिक सब्जी है जिसका स्वाद, बनावट और स्वास्थ्य लाभ के लिए आनंद लिया जाता है।
लाल भिंडी खाने के फायदे
लाल भिंडी, जिसे भिंडी के नाम से भी जाना जाता है, संतुलित आहार के हिस्से के रूप में सेवन करने पर कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। कुछ लाभों में शामिल हैं:
फाइबर: लाल भिंडी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो पाचन को विनियमित करने और परिपूर्णता की भावनाओं को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट: सब्जी एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो कोशिकाओं को मुक्त कणों के रूप में जाने वाले हानिकारक अणुओं से होने वाले नुकसान से बचाती है।
विटामिन: लाल भिंडी विटामिन सी, फोलेट और विटामिन के जैसे विटामिन का अच्छा स्रोत है।
खनिज: यह कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत है।
हृदय स्वास्थ्य: लाल भिंडी में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
रक्त शर्करा नियंत्रण: लाल भिंडी में मौजूद फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे यह मधुमेह वाले लोगों के लिए एक अच्छा भोजन विकल्प बन जाता है।
नेत्र स्वास्थ्य: लाल भिंडी विटामिन ए का अच्छा स्रोत है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन: लाल भिंडी में विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और बीमारी से बचाने में मदद कर सकता है।
अंत में, संतुलित आहार के हिस्से के रूप में लाल भिंडी खाने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं और समग्र कल्याण में सहायता मिल सकती है।
लाल भिंडी कैसे उगाएं
लाल भिंडी (भिंडी) उगाना एक सरल प्रक्रिया है, और यह गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए उपयुक्त है। यहां लाल भिंडी उगाने के उपाय दिए गए हैं:
एक उपयुक्त स्थान चुनें: अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी के साथ पूर्ण सूर्य में एक स्थान का चयन करें।
मिट्टी तैयार करें: मिट्टी को लगभग 12 इंच की गहराई तक ढीला करें, और इसे खाद या अन्य कार्बनिक पदार्थों से संशोधित करें।
बीज बोएं: बीजों को पंक्तियों में लगभग 1 इंच गहरा और 4 से 6 इंच अलग रखें। मिट्टी से ढक दें, और अच्छी तरह से पानी दें।
सहायता प्रदान करें: जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, उन्हें समर्थन की आवश्यकता होगी, जैसे कि ट्रेलिस या स्टेक।
नियमित रूप से पानी दें: भिंडी को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर शुष्क अवधि के दौरान। गहराई से पानी दें और पत्तियों पर पानी लगने से बचें.
उर्वरक: एक संतुलित उर्वरक, जैसे 10-10-10, हर 4 से 6 सप्ताह में लगाएं।
कटाई: लाल भिंडी की फली 3 से 4 इंच लंबी होने पर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। पौधे से फली काटने के लिए एक तेज चाकू का प्रयोग करें।
कीट नियंत्रण: आम भिंडी के कीटों, जैसे एफिड्स और लीफ-फुटेड बग्स पर नज़र रखें। कीटों को जैविक तरीकों से नियंत्रित करें, जैसे लाभकारी कीट या नीम का तेल।
अंत में, लाल भिंडी उगाना एक सरल और पुरस्कृत प्रक्रिया है। उचित देखभाल के साथ, आप अपने बगीचे में इस पौष्टिक सब्जी की भरपूर फसल का आनंद ले सकते हैं।