Hindi story-horror story -काली रात ,घना अँधेरा लड़का जंगल के अंदर आत्माओ ने घेर लिया


 

गांव की कच्ची सड़क पर घना अंधेरा पसरा हुआ था। दूर कहीं उल्लू की आवाज़ और झींगुरों का शोर इस खामोशी को और डरावना बना रहा था। रात के करीब 12 बजे थे, जब राजन अपनी बाइक पर तेज़ी से गांव के रास्ते पर बढ़ रहा था। राजन को यह रास्ता पसंद नहीं था, खासकर रात के समय। लोग कहते थे कि इस रास्ते पर एक साया मंडराता है। पर राजन को इन बातों पर यकीन नहीं था। वह पढ़ा-लिखा शहरी लड़का था और इन बातों को अंधविश्वास मानता था।  

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पर उस रात कुछ अलग था। हवा में अजीब सी ठंडक और घबराहट थी। राजन ने बाइक की हेडलाइट के सामने एक धुंधला सा परछाई देखा। वह तेजी से गुजर गई, जैसे कुछ पल के लिए उसकी आंखों का धोखा हो। "कुछ नहीं, सिर्फ रात का वहम है," उसने खुद से कहा और आगे बढ़ गया।  


कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने पर बाइक का इंजन अचानक बंद हो गया। राजन ने कई बार किक मारी, पर बाइक चालू नहीं हुई। अजीब बात यह थी कि बाइक को कुछ देर पहले ही ठीक करवाया गया था। घबराहट में उसने चारों तरफ देखा। दूर-दूर तक अंधेरा था। मोबाइल निकाला, पर नेटवर्क नहीं था।  


तभी उसे लगा कि पीछे कोई खड़ा है। उसने झट से मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसकी सांसें तेज़ हो गईं।  


"कोई है?" उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई। जवाब में सिर्फ सन्नाटा।  


वह कुछ देर खड़ा रहा, फिर बाइक को घसीटकर आगे बढ़ने लगा। उसे याद था कि इस रास्ते के पास एक पुराना वीरान हवेली है। वह सोचने लगा कि वहां जाकर रुक जाएगा और सुबह होते ही गांव की ओर बढ़ेगा।  


हवेली तक पहुंचने में उसे करीब बीस मिनट लगे। यह जगह सचमुच डरावनी थी। चारों तरफ सूखे पेड़ और हवेली की टूटी-फूटी दीवारें थीं। खिड़कियां खुली थीं और हवा के झोंकों से उनमें से अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं।  


राजन ने हिम्मत करके हवेली का दरवाजा खोला। अंदर घना अंधेरा था। मोबाइल की टॉर्च ऑन करके वह अंदर गया। फर्श पर धूल और मकड़ियों के जाले थे। वह सोच ही रहा था कि यहां रात कैसे काटेगा, तभी उसे पीछे से किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई दी।  


"कौन है?" उसने घबराकर पूछा।  


अचानक एक औरत की धीमी हंसी गूंजी। राजन के रोंगटे खड़े हो गए। उसने टॉर्च से चारों तरफ देखा, पर वहां कोई नहीं था।  


"यह सिर्फ मेरा वहम है," उसने खुद को समझाया।  


तभी एक दरवाजा अपने आप खुला। राजन का दिल धक-धक करने लगा। उसने डरते-डरते उस दरवाजे के अंदर झांका। यह एक पुराना कमरा था, जिसमें एक टूटी हुई कुर्सी और एक बड़ा शीशा रखा था। उस शीशे पर किसी ने खून से "भाग जाओ" लिखा था।  


राजन ने दरवाजे से हटकर बाहर भागने की कोशिश की, पर तभी दरवाजा जोर से बंद हो गया। वह चिल्लाया, "मुझे यहां से बाहर जाने दो!"  


कमरे में अचानक ठंड बढ़ने लगी। राजन को ऐसा लगा जैसे कोई उसके बिल्कुल पास खड़ा है। उसने शीशे में देखा तो वहां एक सफेद साड़ी में लिपटी औरत खड़ी थी, जिसका चेहरा झुका हुआ था। उसके बाल बिखरे हुए थे।  


"तुम कौन हो?" राजन ने कांपते हुए पूछा।  


औरत ने धीरे-धीरे अपना चेहरा ऊपर उठाया। उसकी आंखें खून की तरह लाल थीं और चेहरा जला हुआ था। राजन पीछे हटने लगा, लेकिन उसके पैर फर्श पर फंस गए।  


"तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था," औरत ने गुस्से में कहा। उसकी आवाज़ भारी और डरावनी थी।  


"मैं...मैं गलती से यहां आ गया," राजन ने डरते हुए कहा।  


"यह हवेली तुम्हारी मौत की जगह बन जाएगी," वह औरत चिल्लाई और हवा में गायब हो गई।  


राजन जैसे-तैसे दरवाजा खोलकर बाहर भागा। वह पूरी ताकत से दौड़ने लगा, पर उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। दूर से फिर वही हंसी सुनाई दी। वह रुककर हांफने लगा और चारों तरफ देखा।  


तभी अचानक एक हाथ उसके कंधे पर पड़ा। उसने डरते-डरते पीछे मुड़कर देखा। यह गांव का एक बूढ़ा आदमी था।  


"तुम यहां क्या कर रहे हो, बेटा?" उसने पूछा।  


राजन ने सारी बात बताई। बूढ़े आदमी ने गंभीर होकर कहा, "तुमने उस हवेली में कदम क्यों रखा? वह जगह श्रापित है।"  


"श्रापित? क्यों?"  


बूढ़े ने बताया, "कई साल पहले इस हवेली में एक अमीर जमींदार रहता था। उसने अपनी हवेली में काम करने वाली एक लड़की को धोखा दिया और उसकी हत्या कर दी। उसकी आत्मा तब से यहां भटक रही है। जो भी इस हवेली में आता है, वह या तो मर जाता है या पागल हो जाता है।"  


राजन के चेहरे पर डर और गहरा हो गया। "अब क्या होगा?"  


बूढ़े ने कहा, "तुम्हें जल्दी से गांव के मंदिर जाना होगा। वहां पवित्र धूप और मंत्रों से तुम्हें शुद्ध किया जाएगा। वरना वह आत्मा तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगी।"  


राजन ने उस बूढ़े आदमी का धन्यवाद किया और उसके साथ गांव की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसने महसूस किया कि कोई लगातार उन्हें देख रहा है। पीछे मुड़कर देखा तो वही सफेद साड़ी वाली औरत खड़ी थी।  


बूढ़े आदमी ने चिल्लाकर मंत्र पढ़ना शुरू किया। औरत जोर से चीखी और गायब हो गई।  


गांव पहुंचने के बाद राजन ने मंदिर में रात बिताई। सुबह होने पर उसने ठान लिया कि अब कभी रात को उस रास्ते पर नहीं जाएगा।  


लेकिन क्या वह आत्मा सच में चली गई थी? यह सवाल राजन के दिमाग में हमेशा के लिए रह गया।




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शापित हवेली जो इसके अंदर जाता है कभी बहार नहीं आता , शापित हवेली

 

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शहर के कोने में स्थित पुरानी हवेली अपनी रहस्यमयी कहानियों के कारण कुख्यात थी। स्थानीय लोग कहते थे कि वहाँ रात को चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं, पर किसी ने भी हिम्मत करके यह जानने की कोशिश नहीं की कि हवेली के अंदर क्या छिपा है। 

 

एक दिन, कॉलेज के चार दोस्तअनुज, माया, रोहित और पायलने तय किया कि वे इस हवेली में जाकर सच का पता लगाएंगे। उन्हें रोमांच का शौक था, और डरावनी कहानियों का सच जानना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। 

 

हवेली का रास्ता 

रात के आठ बजे, चारों ने एक टॉर्च और कुछ खाने-पीने की चीजें लेकर अपने साहसिक सफर की शुरुआत की। हवेली के पास पहुँचते ही चारों के कदम धीमे पड़ने लगे। हवेली का मुख्य दरवाजा लकड़ी का था, जो समय के साथ टूट-फूट चुका था। चारों ने एक-दूसरे की ओर देखा और अंदर जाने का इशारा किया। 

 

दरवाजे को धकेलते ही, कर्कश आवाज ने उनके रोंगटे खड़े कर दिए। अंदर का माहौल गाढ़ी धुंध से भरा हुआ था, और हर कोने में जालों के जाल लटके हुए थे। एक हल्की, बासी गंध ने उनकी नाक को चुभा दिया। 

 

जैसे ही वे अंदर बढ़े, उन्हें फर्श पर एक पुरानी डायरी पड़ी मिली। माया ने उसे उठाया और पन्ने पलटने लगी। डायरी किसी "अभय" नाम के व्यक्ति की थी, जिसने लिखा था कि वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ यहाँ रहने आया था। डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा था: 

"यहाँ कुछ है। यह हमें देखता है, हमें सुनता है। हमें बचाओ!" 

 

पन्ना पढ़ते ही चारों का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। 

 

अजीब घटनाएँ

हवेली की घड़ी ने अचानक रात के बारह बजने की आवाज की। घड़ी पुरानी थी और टूटी हुई दिख रही थी, लेकिन फिर भी उसकी आवाज ने सन्नाटे को चीर दिया। तभी, हवेली के ऊपरी माले से किसी के चलने की आवाज आई। 

 

"...क्या यह हवा का असर हो सकता है?" पायल ने कांपते हुए पूछा। 

 

"नहीं, यह किसी के कदमों की आवाज थी," अनुज ने धीरे से कहा। 

 

चारों ने हिम्मत करके ऊपर जाने का फैसला किया। सीढ़ियाँ चरमराती थीं, मानो किसी के भार से टूटने को तैयार हों। ऊपर पहुँचते ही एक अजीब-सा सन्नाटा छा गया। 

 

काले साए का दिखना 

एक कमरे का दरवाजा हल्के से खुला हुआ था। अंदर झाँकने पर उन्हें एक टूटा हुआ झूला दिखा, जो अपने आप हिल रहा था। 

"यह कैसे हो सकता है?" रोहित ने फुसफुसाते हुए कहा। 

 

तभी माया ने महसूस किया कि कोई उसके कंधे पर हाथ रख रहा है। उसने डर के मारे चिल्लाकर मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। 

 

"यहाँ से निकलते हैं!" माया ने घबराते हुए कहा। 

 

लेकिन जैसे ही वे कमरे से बाहर निकलने लगे, दरवाजा जोर से बंद हो गया। चारों ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह हिल भी नहीं रहा था। तभी, दीवारों पर परछाइयाँ दिखने लगीं। ये परछाइयाँ इंसानों की थीं, लेकिन उनके शरीर मुड़े हुए और चेहरे विकृत थे। 

 

सच्चाई का खुलासा 

रोहित ने अपनी टॉर्च दीवार पर मारते हुए देखा कि उन परछाइयों में से एक अभय की डायरी वाली तस्वीर से मिलती थी। तभी परछाई ने बोलना शुरू किया, "तुमने यहाँ क्यों कदम रखा? यह जगह हमारी कैदगाह है। जो यहाँ आता है, वह बाहर नहीं जा पाता।" 

 

माया ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "तुम कौन हो?" 

 

परछाई ने बताया कि यह हवेली एक शापित जगह है। यहाँ रहने वाले लोगों ने एक साधु का अपमान किया था, जिसके कारण साधु ने उन्हें और उनके वंशजों को इस हवेली में फँसा दिया। अब वे आत्माएँ बाहर निकलने के लिए किसी और को शापित करना चाहती थीं। 

 

भागने की कोशिश 

यह सुनकर चारों ने वहाँ से भागने की कोशिश की। वे नीचे की ओर दौड़े, लेकिन हर दरवाजा गायब हो चुका था। हवेली अब एक भूलभुलैया में बदल चुकी थी। 

 

तभी, पायल ने रोहित का हाथ पकड़ा और चिल्लाई, "तुम कहाँ जा रहे हो?!" लेकिन रोहित ने कोई जवाब नहीं दिया और हवा में गायब हो गया। 

 

अनुज, माया और पायल अब और भी ज्यादा घबरा गए। उन्होंने एक कोने में छिपने की कोशिश की, लेकिन परछाइयाँ उन्हें ढूँढ़ रही थीं। 

आखिरी रास्ता

माया को अचानक याद आया कि डायरी के एक पन्ने पर लिखा था कि शाप को तोड़ने का एक तरीका है। उन्होंने जल्दी से डायरी निकाली और पढ़ा कि साधु ने कहा था: 

"जो सच्चे मन से क्षमा मांगेगा और दूसरों को बचाने के लिए अपना बलिदान देगा, वह मुक्त हो जाएगा।" 

 

अनुज ने कहा, "मैं यह करूंगा। तुम दोनों भागो।" 

माया और पायल ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जगह से हिला नहीं। 

 

त्याग और मुक्ति

अनुज ने परछाइयों के सामने खड़े होकर कहा, "मैं अपनी जान देकर इन लोगों को मुक्त करना चाहता हूँ। मुझे क्षमा करें।" 

 

जैसे ही उसने यह कहा, हवेली हिलने लगी। परछाइयाँ चिल्लाने लगीं और एक-एक करके गायब हो गईं। हवेली का दरवाजा खुल गया, लेकिन अनुज वहीं रह गया। 

 

माया और पायल ने भागकर बाहर आकर देखा कि हवेली अब एक ढेर में बदल चुकी थी। अनुज की कुर्बानी ने हवेली के शाप को खत्म कर दिया था। 

 

अंतिम सन्नाट 

माया और पायल ने अनुज की कुर्बानी को हमेशा याद रखने की कसम खाई। लेकिन हर रात, उन्हें अपने सपनों में अनुज की आवाज सुनाई देती थी, मानो वह अब भी उनके साथ हो। 

 

क्या हवेली का शाप खत्म हो गया था, या फिर यह सिर्फ शुरुआत थी?